प्रश्न.1. राजनीतिक सिद्धान्त के बारे में नीचे लिखे कौन-से कथन सही हैं और कौन-से गलत?
(क) राजनीतिक सिद्धान्त उन विचारों पर चर्चा करते हैं जिनके आधार पर राजनीतिक संस्थाएँ बनती हैं।
(ख) राजनीतिक सिद्धान्त विभिन्न धर्मों के अन्तर्सम्बन्धों की व्याख्या करते हैं।
(ग) ये समानता और स्वतन्तत्रा जैसी अवधारणाओं के अर्थ की व्याख्या करते हैं।
(घ) ये राजनीतिक दलों के प्रदर्शन की भविष्यवाणी करते हैं।
(क) सही, (ख) गलत, (ग) सही, (घ) गलत।
प्रश्न.2. ‘राजनीति उस सबसे बढ़कर है, जो राजनेता करते हैं।’ क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उदाहरण भी दीजिए।
‘राजनीति उस सबसे बढ़कर है, जो राजनेता करते हैं।’ हम इस कथन से सहमत हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीति का सम्बन्ध किसी भी तरीके से निजी स्वार्थ साधने के धन्धे से जुड़ गया है। राजनीति किसी भी समाज का महत्त्वपूर्ण और अविभाज्य अंग है। महात्मा गांधी ने एक बार कहा था, राजनीति ने हमें साँप की कुण्डली की तरह जकड़ रखा है और इससे जूझने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है।” राजनीतिक संगठन और सामूहिक निर्णय के किसी ढाँचे के बिना कोई भी समाज जिन्दा नहीं रह सकता। जो समाज अपने अस्तित्व को बचाए रखना चाहता है, उसके लिए अपने सदस्यों की विभिन्न आवश्यकताओं और हितों का ध्यान रखना अनिवार्य होता है। परिवार, जनजाति और आर्थिक संस्थाओं जैसी अनेक सामाजिक संस्थाएँ लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में सहायता करने के लिए पनपी हैं। ऐसी संस्थाएँ हमें साथ रहने के उपाय खोजने और एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने में सहायता करती हैं। इन संस्थाओं के साथ सरकारें भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
प्रश्न.3. लोकतन्त्र के सफल संचालन के लिए नागरिकों को जागरूक होना जरूरी है। टिप्पणी कीजिए।
लोकतान्त्रिक राज्य में नागरिक के रूप में, हम किसी संगीत कार्यक्रम के श्रोता जैसे होते हैं। हम गीत और लय की व्याख्या करने वाले मुख्य कलाकार नहीं होते। लेकिन हम कार्यक्रम तय करते हैं, प्रस्तुति का रसास्वादन करते हैं और नए अनुरोध करते हैं। संगीतकार तब और बेहतर प्रदर्शन करते हैं। जब उन्हें श्रोताओं के जानकार और क्रददान होने का पता रहता है। इसी तरह जागरूक नागरिक भी लोकतन्त्र के सफल संचालन के लिए आवश्यक हैं।
प्रश्न.4. राजनीतिक सिद्धान्त को अध्ययन हमारे लिए किन रूपों में उपयोगी है? ऐसे चार तरीकों की पहचान करें जिनमें राजनीतिक सिद्धान्त हमारे लिए उपयोगी हों?
राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन हमारे लिए अग्रलिखित रूपों में उपयोगी है-
1. अधिकार सम्पन्न नागरिक – हम सभी मत देने और अन्य मामलों के फैसले करने के लिए अधिकार सम्पन्न नागरिक हैं। दायित्वपूर्ण कार्य निर्वहन के लिए राजनीतिक सिद्धान्तों की जानकारी हमारे लिए उपयोगी होती है।
2. पीड़ा निवारण हेतु – हम समाज में रहकर अपने से भिन्न लोगों से पूर्वाग्रह रखते हैं, चाहे वे अलग जाति के हों, अलग धर्म के अथवा लिंग या वर्ग के। यदि हम उत्पीड़न अनुभव करते हैं, तो हम पीड़ा का निवारण चाहते हैं और यह राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन करने से ही दूर होती है।
3. विचारों और भावनाओं का परीक्षण – राजनीतिक सिद्धान्त हमें राजनीतिक चीजों के बारे में अपने विचारों और भावनाओं के परीक्षण के लिए प्रोत्साहित करता है। थोड़ा अधिक सतर्कता से देखने पर हम अपने विचारों और भावनाओं के प्रति उदार होते जाते हैं।
4. सही गलत की पहचान – छात्र के रूप में हम बहस और भाषण प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। हमारी अपनी राय होती है, क्या सही है क्या गलत, क्या उचित है क्या अनुचित, पर यह हम नहीं जानते कि वे तर्क-संगत हैं या नहीं। यही बात हमें राजनीतिक सिद्धान्त के अध्ययन से पता चलती है।
प्रश्न.5. क्या एक अच्छा/प्रभावपूर्ण तर्क दूसरों को आपकी बात सुनने के लिए बाध्य कर सकता है?
तर्क-संगत ढंग से बहस करने और प्रभावी तरीके से सम्प्रेषण करने से हम दूसरों को अपनी बात सुनने के लिए बाध्य कर सकते हैं। ये सम्प्रेषण कौशल वैश्विक सूचना व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण गुण साबित होते हैं।
प्रश्न.6. क्या राजनीतिक सिद्धान्त पढ़ना, गणित पढ़ने के समान है। अपने उत्तर के पक्ष में कारण दीजिए।
हाँ, राजनीतिक सिद्धान्तं पढ़ना गणित पढ़ने के समान है। जिस प्रकार प्रत्येक गणित पढ़ने वाला व्यक्ति गणितज्ञ या इंजीनियर नहीं बनता परन्तु जीवन में गणित अवश्य उपयोग में आता रहता है। इसी प्रकार राजनीतिक सिद्धान्त भी जीवन में बहुपयोगी होते हैं।
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