UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: राष्ट्रवाद (Nationalism)

राष्ट्रवाद (Nationalism) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

प्रश्न.1. राष्ट्र किस प्रकार से बाकी सामूहिक सम्बद्धताओं से अलग है?

राष्ट्र जनता को कोई आकस्मिक समूह नहीं है। लेकिन यह मानव समाज में पाए जाने वाले अन्य समूहों अथवा समुदायों से अलग है। यह परिवार से भी अलग है। परिवार तो प्रत्यक्ष सम्बन्धों पर आधारित होता है जिसका प्रत्येक सदस्य दूसरे सदस्यों के व्यक्तित्व और चरित्र के विषय में व्यक्तिगत जानकारी रखता है। यह जनजातीय, जातीय और अन्य सगोत्रीय समूहों से भी अलग है। इन समूहों में विवाह और वंश परम्परा सदस्यों को आपस में जोड़ती है। इसलिए यदि हम सभी सदस्यों को। व्यक्तिगत रूप से भी नहीं जानते हों तो भी आवश्यकता पड़ने पर हम उन सूत्रों को खोज निकाल सकते हैं जो हमें आपस में जोड़ते हैं। लेकिन राष्ट्र के सदस्य के रूप में हम अपने राष्ट्र के अधिकांश सदस्यों को सीधे तौर पर न कभी जान पाते हैं और न ही उनके साथ वंशानुगत नाता जोड़ने की आवश्यकता पड़ती है। फिर भी राष्ट्र हैं, लोग उनमें रहते हैं और उनका सम्मान करते हैं।


प्रश्न.2. राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार से आप क्या समझते हैं? किस प्रकार यह विचार राष्ट्र राज्यों के निर्माण और उनको मिल रही चुनौती में परिणत होता है?

शेष सामाजिक समूहों से अलग राष्ट्र अपना शासन अपने आप करने और अपने भविष्य को तय करने का अधिकार चाहते हैं। दूसरों शब्दों में, वे आत्म-निर्णय का अधिकार मानते हैं। आत्म-निर्णय के अपने दावे में राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से माँग करता है कि उसके पृथक् राजनीतिक इकाई या राज्य के दर्जे को मान्यता और स्वीकार्यता दी जाए। अक्सर ऐसी माँग उन लोगों की ओर से आती है जो दीर्घकाल से किसी निश्चित भू-भाग पर साथ-साथ रहते आए हों और उनमें साझी पहचान का बोध हो। कुछ मामलों में आत्म-निर्णय के ऐसे दावे एक स्वतन्त्र राज्य बनाने की उस इच्छा से भी जुड़े होते हैं। इन दावों का सम्बन्ध किसी समूह की संस्कृति की संरक्षा से होता है।


प्रश्न.3. हम देख चुके हैं कि राष्ट्रवाद लोगों को जोड़ भी सकता है और तोड़ भी सकता है। उन्हें मुक्त कर सकता है और उनमें कटुता और संघर्ष भी पैदा कर सकता है। उदाहरणों के साथ उत्तर दीजिए।

विगत दो सौ वर्षों की अवधि में राष्ट्रवाद एक ऐसे सम्मोहक राजनीतिक सिद्धान्त के रूप में हमारे समाने आया है जिसे इतिहास रचने में योगदान किया है। इसने उत्कृष्ट निष्ठाओं के साथ-साथ गहन विद्वेषों को भी प्रेरित किया है। इसने जनता को जोड़ा है तो विभाजित भी किया है। इसने अत्याचारी शासन से मुक्ति दिलाने से सहायता की तो इसके साथ वह विरोध, कटुता और युद्धों का कारण भी रहा है। साम्राज्यों और राष्ट्रों के ध्वस्त होने का यह भी एक कारण रहा है। राष्ट्रवादी संघर्षों ने राष्ट्रों और साम्राज्यों की सीमाओं के निर्धारण-पुनर्निर्धारण में योगदान किया है। आज भी दुनिया का एक बड़ा भाग विभिन्न राष्ट्र राज्यों में बँटा हुआ है। हालाँकि राष्ट्रों की सीमाओं के पुनर्संयोजन की प्रक्रिया अभी समाप्त नहीं हुई है और वर्तमान राष्ट्रों के अन्दर भी अलगाववादी संघर्ष साधारण बात है। राष्ट्रवाद विभिन्न चरणों से गुजर चुका है। उदाहरण के लिए, 19वीं सदी के यूरोप में इसने कई छोटी-छोटी रियासतों के एकीकरण से वृहत्तर राष्ट्र-राज्यों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। वर्तमान जर्मनी और इटली का गठन एकीकरण और सुदृढ़ीकरण की इसी प्रक्रिया के माध्यम से हुआ था।
लेटिन अमेरिका में बड़ी संख्या में नए राज्य भी स्थापित किए गए थे। राज्य की सीमाओं के सुदृढ़ीकरण के साथ स्थानीय निष्ठाएँ और बोलियाँ भी निरन्तर राष्ट्रीय निष्ठाओं एवं सर्वमान्य जनभाषाओं के रूप में विकसित हुईं। नए राष्ट्रों के लोगों ने एक नवीन राजनीतिक पहचान प्राप्त की, जो राष्ट्र-राज्य की सदस्यता पर आधारित थी। विगत सदी में हमने देश को सुदृढ़ीकरण की ऐसी ही प्रक्रिया से गुजरते देखा है। लेकिन राष्ट्रवाद बड़े-बड़े साम्राज्यों के पतन में हिस्सेदार भी रहा है। यूरोप में 20वीं सदी के आरम्भ में ऑस्ट्रियाई-हंगेरियाई और रूसी साम्राज्य तथा इनके साथ एशिया और अफ्रीका में ब्रिटिश, फ्रांसीसी, डच और पुर्तगाली साम्राज्य के विघटन के मूल में राष्ट्रवाद ही था। भारत तथा अन्य पूर्वी उपनिवेशों के औपनिवेशिक शासन से स्वतन्त्र होने के संघर्ष भी राष्ट्रवादी संघर्ष थे। ये संघर्ष विदेशी नियन्त्रण से स्वतन्त्र राष्ट्र-राज्य स्थापित करने की आकांक्षा से प्रेरित थे।


प्रश्न.4. वंश, भाषा, धर्म या नस्ल में से कोई भी पूरे विश्व में राष्ट्रवाद के लिए साझा कारण होने का दावा नहीं कर सकता। टिप्पणी कीजिए।

साधारणतया यह माना जाता है कि राष्ट्रों का निर्माण ऐसे समूह द्वारा किया जाता है जो कुल या भाषा अथवा धर्म या फिर जातीयता जैसी कुछेक निश्चित पहचान का सहभागी होता है। लेकिन ऐसे निश्चित विशिष्ट गुण वास्तव में हैं ही नहीं जो सभी राष्ट्रों में समान रूप से मौजूद हों। कई राष्ट्रों की अपनी कोई एक सामान्य भाषी नहीं है। कनाड़ा का उदाहरण लिया जा सकता है। कनाडा में अंग्रेजी और फ्रांसीसी भाषा-भाषी लोग साथ रहते हैं। भारत में भी अनेक भाषाएँ हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में और भिन्न-भिन्न समुदायों द्वारा बोली जाती हैं। बहुत से शब्दों में उन्हें जोड़ने वाला कोई सामान्य धर्म भी नहीं है। नस्ल अथवा कुल जैसी अन्य विशिष्टताओं के लिए भी यही कहा जा सकता है। राष्ट्र बहुत सीमा तक एक काल्पनिक समुदाय होता है, जो अपने सदस्यों के सामूहिक विश्वास आकांक्षाओं और कल्पनाओं के सहारे एक सूत्र में बँधा होता है। यह कुछ मान्यताओं पर आधारित होता है जिन्हें लोग उस समग्र समुदाय के लिए तैयार करते हैं, जिससे वे अपनी पहचान बनाते हैं। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि वंश, भाषा, धर्म या नस्ल में से कोई भी पूरे विश्व में राष्ट्रवाद के लिए साझा कारण होने का दावा नहीं कर सकता।


प्रश्न.5. राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले कारकों पर सोदाहरण रोशनी डालिए।

राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-

  • साझे विश्वास – राष्ट्र विश्वास के माध्यम से बनता है। राष्ट्रवाद समूह के भविष्य के लिए सामूहिक पहचान और दृष्टि का प्रमाण है, जो स्वतन्त्र राजनीतिक अस्तित्व का आकांक्षी है।
  • इतिहास – राष्ट्रवादी भावनाओं को इतिहास भी प्रेरित करती है। राष्ट्रवादियों में स्थायी ऐतिहासिक पहचान की भावना होती है। यानी वे राष्ट्र को इस रूप में देखते हैं जैसे वे बीते अतीत के साथ-साथ आने वाले भविष्य को समेटे हुए हैं।
  • भू-क्षेत्र – राष्ट्रवादी भावनाएँ एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी होती हैं। किसी विशिष्ठ भू-क्षेत्र पर दीर्घकाल तक साथ-साथ रहना और उससे जुड़े साझे अतीत की यादें लोगों को एक सामूहिक पहचान का बोध कराती हैं।
  • साझे राजनीतिक आदर्श – राष्ट्रवादियों की साझा राजनीतिक दृष्टि होती है कि वे किस प्रकार का राज्य बनाना चाहते हैं। शेष बातों के अलावा वे लोकतन्त्र, धर्म निरपेक्षता और उदारवाद जैसे मूल्यों और सिद्धान्तों को भी स्वीकार करते हैं।


प्रश्न.6. संघर्षरत राष्ट्रवादी आकांक्षाओं के साथ बरताव करने में तानाशाही की अपेक्षा लोकतन्त्र अधिक समर्थ होता है। कैसे?

लोकतन्त्र में कुछ राजनीतिक मूल्यों और आदर्शों के लिए साझी प्रतिबद्धता ही किसी राजनीतिक समुदाय या राष्ट्र का सर्वाधिक वांछित आधार होती है। इसके अन्तर्गत राजनीतिक समुदाय के सदस्य कुछ दायित्वों से बँधे होते हैं। ये दायित्व सभी लोगों के नागरिकों के रूप में अधिकारों को पहचान लेने से पैदा होते हैं। अगर राष्ट्र के नागरिक अपने सहनागरिकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को जान और मान लेते हैं तो इससे राष्ट्र मजबूत ही होता है। लोकतन्त्र राष्ट्रवाद की भावना को समझता है। तथा उसी की आधारशिला पर टिका हुआ है इसलिए तानाशाही की अपेक्षा लोकतन्त्र संघर्षरत राष्ट्रवादियों से अच्छा बरताव करता है।


प्रश्न.7. आपकी राय में राष्ट्रवाद की सीमाएँ क्या हैं?

राष्ट्रवादी अधिकतर स्वतन्त्र राज्य को अधिकार के रूप में मानने लगते हैं। लेकिन यह सम्भव नहीं कि प्रत्येक राष्ट्रीय समूह को स्वतन्त्र राज्य प्रदान किया जाए। साथ ही, यह सम्भवतः अवांछनीय भी होगा। यह ऐसे राज्यों के गठन की ओर ले जा सकता है जो आर्थिक और राजनीतिक क्षमता की दृष्टि से अत्यन्त छोटे हों और इससे अल्पसंख्यक समहों की समस्याएँ और बढ़े। हमें राष्ट्रवाद के असहिष्णु और एक जातीय स्वरूपों के साथ कोई सहानुभूति नहीं रखनी चाहिए।

The document राष्ट्रवाद (Nationalism) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC is a part of the UPSC Course NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12).
All you need of UPSC at this link: UPSC
916 docs|393 tests
Related Searches

Important questions

,

राष्ट्रवाद (Nationalism) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

Semester Notes

,

राष्ट्रवाद (Nationalism) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

ppt

,

pdf

,

Summary

,

Extra Questions

,

Exam

,

राष्ट्रवाद (Nationalism) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

study material

,

shortcuts and tricks

,

practice quizzes

,

Objective type Questions

,

Sample Paper

,

Previous Year Questions with Solutions

,

mock tests for examination

,

Free

,

Viva Questions

,

past year papers

,

video lectures

,

MCQs

;