पाठ 3 - दोहे, सपर्श II, हिंदी, कक्षा - 10
(NCERT Solutions Chapter 3- Doha, Class 10, Hindi Sparsh II)
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
प्रश्न 1. छाया भी कब छाया ढूंढने लगती है?
उत्तर
जेठ के महीने की दोपहर की प्रचंड गर्मी में छाया भी छाया ढूंढने लगती है। धूप इतनी तेज होती है की सर पर आने लगती जिससे छाया छोटी होती जाती है।
प्रश्न 2. बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’ – स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
बिहारी की नायिका अपने प्रिय को संदेश देना चाहती है पर कागज पर लिखते समय कँपकपी और आँसू आ जाते हैं। किसी के साथ संदेश भेजेगी तो कहते लज्जा आएगी। इसलिए वह सोचती है कि जो विरह अवस्था उसकी है, वही उसके प्रिय की भी होगी। अत: वह कहती है कि अपने हृदय की वेदना से मेरी वेदना को समझ जाएँगे।
प्रश्न 3. सच्चे मन में राम बसते हैं−दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
बिहारी जी ईश्वर प्राप्ति के लिए धर्म कर्मकांड को दिखावा समझते हैं। माला जपने, छापे लगवाना, माथे पर तिलक लगवाने से प्रभु नहीं मिलते। भगवान राम तो सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं।
प्रश्न 4. गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं?
उत्तर
गोपियाँ श्रीकृष्ण से बातें करना चाहती हैं। वे कृष्ण को रिझाना चाहती हैं। परन्तु कृष्ण जी को अपनी बाँसुरी बेहद प्रिय है वे सदैव उसे ही बजाते रहते हैं। इसलिए उनका ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए बाँसुरी छिपा देती हैं।
प्रश्न 5. बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
बिहारी ने बताया है कि नायक और नायिका सबकी उपस्थिति में इशारों में अपने मन की बात करते हैं। नायक ने सबकी उपस्थिति में नायिका को इशारा किया। नायिका ने इशारे से मना किया। इस पर नायक रीझ गया। इस रीझ पर नायिका खीज उठी। दोनों के नेत्र मिले, नायक प्रसन्न था और नायिका की आँखों में लज्जा थी।
(ख) भाव स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1. मनौ नीलमनी-सैल पर आतपु पर्यौ प्रभात।
उत्तर
इस पंक्ति में श्रीकृष्ण की तुलना नीलमणि पर्वत से की गयी है। उनके अलौकिक सौंदर्य को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, मनो नीलमणि पर्वत पर प्रातः कालीन सूर्य की धूप फैली हो।
प्रश्न 2. जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ–दाघ निदाघ।
उत्तर
बिहारी जी ने इस पंक्ति द्वारा यह बताया है कि ग्रीष्म ऋतु की भीषण गर्मी से पूरा जंगल तपोवन बन गया है। सबकी आपसी दुश्मनी समाप्त हो गई है। साँप, हिरण और सिंह सभी गर्मी से बचने के लिए साथ रह रहे हैं।
प्रश्न 3. जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु।
मन–काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु।।
उत्तर
बिहारी का मानना है कि बाहरी आडम्बरों से ईश्वर नहीं मिलते। माला फेरने,हल्दी चंदन का तिलक लगाने या छापै लगाने से एक भी काम नहीं बनता। कच्चे मन वालों का हृदय डोलता रहता है। वे ही ऐसा करते हैं लेकिन राम तो सच्चे मन से याद करने वाले के हृदय में रहते हैं।
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2. Who is known as the famous Doha writer? |
3. How can Dohas be used in the classroom? |
4. Can Dohas be used in modern literature? |
5. What are some common themes found in Dohas? |
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