UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: कृषि (Agriculture)

कृषि (Agriculture) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा उस कृषि प्रणाली को दर्शाता है जिसमें एक ही फसल लंबे-चौड़े क्षेत्र में उगाई जाती है? |
(क) स्थानांतरी कृषि
(ख) रोपण कृषि
(ग) बागवानी
(घ) गहन कृषि

सही उत्तर (ख) रोपण कृषि

(ii) इनमें से कौन-सी रबी फसल है?
(क) चावल
(ख) मोटे अनाज
(ग) चना
(घ) कपास

सही उत्तर (ग) चना

(iii) इसमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है?
(क) दालें
(ख) मोटे अनाज
(ग) ज्वार तिल
(घ) तिल

सही उत्तर (क) दालें

(iv) सरकार निम्नलिखित में से कौन-सी घोषणा फसलों को सहायता देने के लिए करती है?
(क) अधिकतम सहायता मूल्य
(ख) न्यूनतम सहायता मूल्य
(ग) मध्यम सहायता मूल्य
(घ) प्रभावी सहायता मूल्य

सही उत्तर (ख) न्यूनतम सहायता मूल्य


प्रश्न.2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिएः
(i) एक पेय फसल का नाम बताएँ तथा उसको उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें।

चाय एक महत्त्वपूर्ण पेय पदार्थ की फसल है। चाय का पौधा उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु, ह्युमस और जीवांश युक्त गहरी मिट्टी तथा सुगम जल निकास वाले ढलवाँ क्षेत्रों में उगाया जाता है। चाय की खेती के लिए वर्ष भर कोष्ण, नम और पालारहित जलवायु की आवश्यकता होती है। वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा इसकी कोमल पत्तियों के विकास में सहायक होती है। भारत विश्व का अग्रणी चाय उत्पादक देश है।

(ii) भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण दें।

गेहूँ भारत की एक प्रमुख खाद्य फसल है। यह देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी भागों में पैदा की जाती है। देश में | गेहूँ उगाने वाले दो मुख्य क्षेत्र हैं-उत्तर-पश्चिम में गंगा-सतलुज का मैदान और दक्कन का काली मिट्टी वाला प्रदेश। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ भाग गेहूँ पैदा करने वाले प्रमुख राज्य हैं।

(iii) सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएँ।

सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रम निम्नलिखित हैं

  • जोतों की चकबंदी।
  • जमींदारी प्रथा की समाप्ति।
  • अधिक उपज देने वाले बीजों के द्वारा हरित क्रांति।।
  • पशुओं की नस्ल में सुधार कर दुग्ध उत्पादन में श्वेत क्रांति।
  • बाढ़, चक्रवात, आग तथा बीमारी के लिए फसल बीमा के प्रावधान ।।
  • किसानों को कम दर पर ऋण दिलाने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और बैंकों की स्थापना की गई।
  • किसानों के लाभ के लिए किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना शुरू की गई।
  • आकाशवाणी और दूरदर्शन पर विशेष किसान कार्यक्रम प्रसारित किए गए।
  • किसानों को दलालों के शोषण से बचाने के लिए न्यूनतम सहायता मूल्य की घोषणा सरकार करती है।
  • कुछ महत्त्वपूर्ण फसलों के लाभदायक खरीद मूल्यों की घोषणा भी सरकार करती है।

(iv) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते हैं?

भारत में लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि भूमि में कमी आई है। भूमि के आवासन इत्यादि गैर कृषि उपयोगों तथा कृषि के बीच बढ़ती भूमि की प्रतिस्पर्धा के कारण कृषि भूमि में कमी आई है। भारत की बढ़ती जनसंख्या के । साथ घटता खाद्य उत्पादन देश की भविष्य की खाद्य सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लगाता है। कुछ अर्थशास्त्रियों को मानना है कि बढ़ती जनसंख्या के कारण घटते आकार के जोतों पर यदि खाद्यान्नों की खेती ही होती रही तो भारतीय किसानों का भविष्य अंधकारमय है। भारत में 60 करोड़ लोग लगभग 25 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर निर्भर हैं। इस प्रकार एक व्यक्ति के हिस्से में औसतन आधा हेक्टेयर से भी कम कृषि भूमि आती है। इसलिए जनसंख्या नियंत्रित करने की कोशिश करनी होगी नहीं तो खाद्य संकट उत्पन्न हो जाएगा तथा किसानों की स्थिति दयनीय हो जाएगी।


प्रश्न.3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए
(i) कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए।

भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश के 60 प्रतिशत से भी अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करने वाली कृषि में कुछ संस्थागत तथा प्रौद्योगिक सुधार किए गए हैं जो निम्नलिखित हैं:

  • जमींदारी प्रथा का उन्मूलन-किसानों के लिए जमींदारी प्रथा एक अभिशाप थी। इसलिए सरकार ने जमींदारी प्रथा को समाप्त करके भूमिहीन काश्तकारों को जमीन का मालिकाना हक दे दिया तथा जोतों की अधिकतम सीमा निश्चित कर दी गई।
  • खेतों की चकबंदी-पहले किसानों के पास छोटे-छोटे खेत थे जो आर्थिक रूप से गैर-लाभकारी होते थे। इसलिए छोटे खेतों की चकबंदी कर दी गई।
  • हरित क्रांति-सरकार ने किसानों को अधिक उपज देने वाले बीज उपलब्ध करवाये जिससे कृषि विशेषकर गेहूँ। | की कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। इसे हरित क्रांति का नाम दिया गया।
  • प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण-किसानों को पर्याप्त सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए कई छोटी-बड़ी सिंचाई परियोजनाएँ शुरू की गईं।
  • फसल बीमा-फसलें प्रायः सूखा, बाढ़, आग आदि के कारण नष्ट हो जाती थीं। जिससे किसानों को बहुत हानि | उठानी पड़ती थी। इन आपदाओं से बचने के लिए फसल बीमा योजना शुरू की गई। इसके द्वारा फसल नष्ट हो जाने पर किसानों को पूरा मुआवजा मिलने लगा जिससे उसे सुरक्षा प्राप्त हुई।
  • सरकारी संस्थाएँ-किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और बैंकों की स्थापना की गई। ये संस्थाएँ किसानों को महाजनों के चुंगल से बचाती हैं। रेडियो तथा दूरदर्शन द्वारा मौसम की जानकारी तथा कृषि संबंधी कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।
  • किसानों के लाभ के लिए भारत सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड’ और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना शुरू की है।
  • किसानों को बिचौलियों के शोषण से बचाने के लिए न्यूनतम सहायता मूल्य और कुछ महत्त्वपूर्ण फसलों के लाभदायक खरीद मूल्यों की सरकार घोषणा करती है।
  • खेती में आधुनिक उपकरणों के प्रयोग पर बल दिया जाने लगा। इससे उत्पादन में वृद्धि हुई।
  • भारतीय कृषि में सुधार के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। जिससे कृषि के उत्पादन में वृद्धि हो सके।

(ii) भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें।

वैश्वीकरण से हमारा तात्पर्य है विश्व के अनेक देशों का आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में एक-दूसरे के निकट आ जाना। वैश्वीकरण के कारण विभिन्न चीजें एक देश से दूसरे देश में आने-जाने लगीं जिससे उच्चकोटि की चीजें ही बाजार में टिक सकी हैं। वैश्वीकरण के कृषि पर कुछ अच्छे प्रभाव पड़े, जो निम्नलिखित हैं:

  • भारत दूसरे देशों को अन्न का निर्यात कर अपनी जरूरत का अन्य सामान खरीदने लगा।
  • विभिन्न फसलों की माँग बढ़ने से भारत में इन चीजों का अधिक उत्पादन होने लगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय बाजार में टिकने के लिए भारतीय किसानों ने अपने उत्पादन का गुणवत्ता व स्तर बढ़ाने की | कोशिश की।
  • वैश्वीकरण के कारण अधिक उत्पादित होने वाली चीजों को दूसरे देशों को बेचकर अच्छे दाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से बहुत-से देशों में नई-नई चीजों की पैदावार होने लगी जो पहले सम्भव नहीं था।

वैश्वीकरण के कृषि पर कुछ बुरे प्रभाव भी पड़े, जो निम्नलिखित हैं:

  • विश्व के धनी देशों ने विभिन्न विकासशील देशों में अपना सस्ता अनाज और अन्य कृषि से प्राप्त वस्तुएँ बड़ी मात्रा में भरनी शुरू कर दीं जिससे विकासशील देशों के किसान उनका मुकाबला न कर सकें तथा कृषि का काम छोड़ने पर मजबूर हो गए।
  • विश्व के धनी देश निर्धन देशों से सस्ती दरों पर अनाज खरीदने की कोशिश करते हैं।
  • कृषि के वैश्वीकरण के कारण छोटे किसानों को कृषि कार्य को छोड़ना पड़ा क्योंकि वे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाए।
  • कृषि के वैश्वीकरण ने व्यापारिक कृषि को बढ़ावा दिया। किसानों ने वही वस्तु पैदा की जिसकी बाजार में माँग थी, न कि जनता की आवश्यकता पूरी करने वाली चीजों का उत्पादन किया।
  • कृषि के वैश्वीकरण के कारण ही भारत को लंबे समय तक ब्रिटेन का उपनिवेश बनकर कृषि पर अतिरिक्त बोझ को वहन करना पड़ा।

1990 के बाद, वैश्वीकरण के तहत भारतीय किसानों को कई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चावल, कपास, रबड़, चाय, कॉफी, जूट, मसालों का मुख्य उत्पादक होने के बावजूद भारतीय कृषि विश्व के विकसित देशों से स्पर्धा करने में असमर्थ है। क्योंकि उन देशों में कृषि को अत्यधिक सब्सिडी दी जाती है। यदि भारतीय कृषि को सक्षम बनाना है तो छोटे किसानों की स्थिति सुधारनी होगी।

(iii) चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।

भारत में अधिकांश लोगों को खाद्यान्न चावल है। हमारा देश चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। यह एक खरीफ फसल है जिसे उगाने के लिए उच्च तापमान (25° सेल्सियस से ऊपर) और अधिक आर्द्रता (100 से०मी० से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे सिंचाई करके उगाया जाता है। चावल उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है। नदी घाटियों और डेल्टा प्रदेशों में पाई जाने वाली जलोढ़ मिट्टी चावल के लिए आदर्श होती है। नहरों के जाल और नलकूपों की सघनता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना संभव हो पाया है। चावल जून-जुलाई में दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनों के शुरू होने पर उगाया जाता है और पतझड़ की ऋतु में काटा जाता है।

The document कृषि (Agriculture) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC is a part of the UPSC Course NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12).
All you need of UPSC at this link: UPSC
916 docs|393 tests

Top Courses for UPSC

916 docs|393 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Previous Year Questions with Solutions

,

MCQs

,

past year papers

,

ppt

,

Objective type Questions

,

shortcuts and tricks

,

Extra Questions

,

pdf

,

practice quizzes

,

Viva Questions

,

Free

,

video lectures

,

कृषि (Agriculture) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

कृषि (Agriculture) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

Sample Paper

,

study material

,

Summary

,

mock tests for examination

,

Important questions

,

कृषि (Agriculture) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

Semester Notes

,

Exam

;