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डायरी का एक पन्ना NCERT Solutions | Hindi Class 10 PDF Download

प्रश्न-अभ्यास


मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए −
प्रश्न 1: कलकत्ता वासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्वपूर्ण था?
उत्तर: 26 जनवरी 1930 को गुलाम भारत में पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था, जिसमें कलकत्ता वासियों की भागीदारी साधारण थी। 26 जनवरी 1931 को उसकी पुनरावृत्ति थी, लेकिन इस बार कलकत्ता में इसकी तैयारियाँ जोरों पर थीं। इसलिए यह दिन कलकत्ता वासियों के लिए महत्वपूर्ण था।

प्रश्न 2: सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?
उत्तर: सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था।

प्रश्न 3: विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर: बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू ने जैसे ही झंडा गाड़ा, पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और लोगों पर लाठियाँ चलाई।

प्रश्न 4: लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
उत्तर: लोग अपने-अपने मकानों और सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर यह बताना चाहते थे कि वे खुद को आज़ाद समझ कर आज़ादी मना रहे हैं, और उनमें जोश और उत्साह है।

प्रश्न 5: पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों और मैदानों को क्यों घेर लिया था?
उत्तर: आज़ादी मनाने के लिए पूरे कलकत्ता शहर में जनसभाओं और झंडारोहण उत्सवों का आयोजन किया गया था, इसलिए पुलिस ने पार्कों और मैदानों को घेर लिया था।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) दीजिए –

प्रश्न 1: 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गईं ?
उत्तर: 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए कई तैयारियाँ की गईं। केवल प्रचार पर दो हजार रुपये खर्च किए गए थे। कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों को उनके कार्य समझाए। कलकत्ता शहर में जगह-जगह झंडे लगाए गए थे। कई स्थानों पर जुलूस निकाले गए और झंडा फहराया गया। टोलियाँ बनाकर भीड़ उस स्थान पर जुटने लगी जहाँ सुभाष बाबू का जुलूस पहुँचना था।

प्रश्न 2: ‘आज जो बात थी वह निराली थी’− किस बात से पता चलरहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: आज का दिन निराला इसलिए था क्योंकि यह स्वतंत्रता दिवस मनाने की पहली पुनरावृत्ति थी। पुलिस ने सभा करना गैरकानूनी बताया था, लेकिन सुभाष बाबू के आह्वान पर पूरे कलकत्ता में जुलूस और सभाओं की जोशीली तैयारी की गई थी। पूरा शहर झंडों से सजा था और कौंसिल ने मोनुमेंट के नीचे झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ने का सरकार को खुला चैलेंज दिया था। पुलिस भरपूर तैयारी के बाद भी कामयाब नहीं हो पाई।


प्रश्न 3: पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
उत्तर: पुलिस कमिश्नर ने नोटिस निकाला था कि कोई भी जनसभा करना या जुलूस निकालना कानून के खिलाफ़ होगा। सभाओं में भाग लेने वालों को दोषी माना जाएगा। वहीं कौंसिल ने नोटिस निकाला था कि मोनुमेंट के नीचे चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। इस प्रकार ये दोनों नोटिस एक-दूसरे के खिलाफ़ थे।

प्रश्न 4: धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?
उत्तर: जब सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया, तो स्त्रियाँ जुलूस बनाकर चलीं, लेकिन पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें रोकने की कोशिश की। इसके परिणामस्वरूप कुछ लोग वहीं बैठ गए, कुछ घायल हो गए और कुछ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसी कारण जुलूस टूट गया।

प्रश्न 5: डॉ. दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर रहे थे, उनके फ़ोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फ़ोटो खींचने की क्या वजह हो सकती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: डॉ. दास गुप्ता लोगों की फ़ोटो खिचवा रहे थे। इससे अंग्रेज़ों के जुल्म का पर्दाफ़ाश किया जा सकता था, दूसरा यह भी पता चल सकता था कि बंगाल में स्वतंत्रता की लड़ाई में बहुत काम हो रहा है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) दीजिए –

प्रश्न 1: सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?
उत्तर: सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की महत्वपूर्ण भुमिका रही थी। भारी पुलिस व्यवस्था के बाद भी जगह-जगह स्त्री जुलूस के लिए टोलियाँ बन गई थीं। मोनुमेंट पर भी स्त्रियों ने निडर होकर झंडा फहराया, अपनी गिरफ्तारियाँ करवाई तथा उनपर लाठियाँ बरसाई। इसके बाद भी स्त्रियाँ लाल बाज़ार तक आगे बढ़ती गईं।

प्रश्न 2: जुलूस के लाल बाज़ार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?
उत्तर: जुलूस के लाल बाज़ार आने पर भीड़ बेकाबू हो गई। पुलिस डंडे बरसा रही थी, लोगों को लॉकअप में भेज रही थी। स्त्रियाँ भी अपनी गिरफ़तारी दे रही थीं। दल के दल नारे लगा रहे थे। लोगों का जोश बढ़ता ही जा रहा था। लाठी चार्ज से लोग घायल हो गए थे। खून बह रहा था। चीख पुकार मची थी फिर भी उत्साह बना हुआ था।

प्रश्न 3: ‘जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।’ यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर: यहाँ पर अंग्रेजी राज्य द्वारा सभा न करने के कानून को भंग करने की बात कही गई है। वात्सव में यह कानून भारतवासियों की स्वाधीनता को दमन करने का कानून था इसलिए इसे भंग करना उचित था। इस समय देश की आज़ादी के लिए हर व्यक्ति अपना सर्वस्व लुटाने को तैयार था। अंग्रेज़ों ने कानून बनाकर आन्दोलन, जुलूसों को गैर कानूनी घोषित किया हुआ था परन्तु लोगों पर इसका कोई असर नहीं था। वे आज़ादी के लिए अपना प्रदर्शन करते रहे, गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का प्रयास करते रहे थे।

प्रश्न 4: बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में कलकत्ता वासियों ने स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी ज़ोर-शोर से की थी। पुलिस की सख्ती, लाठी चार्ज, गिरफ़तारियाँ, इन सब के बाद भी लोगों में जोश बना रहा। लोग झंडे फहराते, वंदे मातरम बोलते हुए, खून बहाते हुए भी जुलूस निकालने को तत्पर थे। जुलूस टूटता फिर बन जाता। कलकत्ता के इतिहास में इतने प्रचंड रूप में लोगों को पहले कभी नहीं देखा गया था।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1: आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।
उत्तर: हजारों स्त्री पुरूषों ने जुलूस में भाग लिया, आज़ादी की सालगिरह मनाने के लिए बिना किसी डर के प्रदर्शन किया। पुलिस के बनाए कानून कि, जुलूस आदि गैर कानूनी कार्य, आदि की भी परवाह नहीं की। पुलिस की लाठी चार्ज होने पर लोग घायल हो गए। खून बहने लगे परन्तु लोगों में जोश की कोई कमी नहीं थी। बंगाल के लिए कहा जाता था कि स्वतंत्रता के लिए बहुत ज़्यादा योगदान नहीं दिया जा रहा है। आज की स्थिति को देखकर उन पर से यह कंलक मिट गया।

प्रश्न 2: खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी?
उत्तर: पुलिस ने कोई प्रदर्शन न हो इसके लिए कानून निकाला कि कोई जुलूस आदि आयोजित नहीं होगा परन्तु सुभाष बाबू की अध्यक्षता में कौंसिल ने नोटिस निकाला था कि मोनुमेंट के नीचे झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिक्षा पढ़ी जाएगी। सभी को इसके लिए आंमत्रित किया गया, खूब प्रचार भी हुआ। सारे कलकत्ते में झंडे फहराए गए थे। सरकार और आम जनता में खुली लड़ाई थी।

भाषा अध्यन

प्रश्न 1: रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
सरल वाक्य – सरल वाक्य में कर्ता, कर्म, पूरक, क्रिया और क्रिया विशेषण घटकों या इनमें से कुछ घटकों का योग होता है। स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाला उपवाक्य ही सरल वाक्य है।
उदाहरण- लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।
संयुक्त वाक्य – जिस वाक्य में दो या दो से अधिक स्वतंत्र या मुख्य उपवाक्य समानाधिकरण योजक से जुड़े हों, वह संयुक्त वाक्य कहलाता है। योजक शब्द-और, परंतु, इसलिए आदि।
उदाहरण- मोनुमेंट के नीचे झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।
मिश्र वाक्य – वह वाक्य जिसमें एक प्रधान उपवाक्य हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, मिश्र वाक्य कहलाता है।
उदाहरण- जब अविनाश बाबू ने झंडा गाड़ा तब पुलिस ने उनको पकड़ लिया।

निम्नलिखित वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलिए-
I. (क) दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाज़ार गया और वहाँ पर गिरफ़्तार हो गया।
(ख) मैदान में हज़ारों आदमियों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूमने लगे।
(ग) सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लालबाज़ार लॉकअप भेज दिया गया।
II . ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में से भी दो-दो सरल, संयुक्त और मिश्र वाक्य छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
I. (क) दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाज़ार पहुँच कर गिरफ़्तार हो गया।
(ख) हज़ारों लोगों की भीड़ मैदान में टोलियाँ बनाकर घूमने लगी।
(ग) सुभाष बाबू को पकड़कर गाड़ी में लाल बाज़ार लॉकअप भेज दिया गया।

II. सरल वाक्य −
(क) वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे।
(ख) उनकी रचनाओं को समझना छोटे मुँह बड़ी बात है।
संयुक्त वाक्य 
(क) अभिमान किया और दीन दुनिया दोनों से गया।
(ख) मुझे अपने ऊपर कुछ अभिमान हुआ और आत्मसम्मान भी बढ़ा।
मिश्र वाक्य 
(क) मैंने बहुत चेष्टा की कि इस पहेली का कोई अर्थ निकालूँ लेकिन असफल रहा।
(ख) मैं कह देता कि मुझे अपना अपराध स्वीकार है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और समझिए कि जाना, रहना और चुकना क्रियाओं का प्रयोग किस प्रकार किया गया है।
(क) 
1. कई मकान सजाए गए थे
2. कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए थे
(ख) 1. बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था
2. कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं
3. पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर प्रदर्शन कर रही थीं
(ग) 1. सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था, वह प्रबंध कर चुका था
2. पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था

उत्तर: 
उपरिलिखित वाक्यों को पढ़ने और समझने से पता चलता है कि इनमें ‘जाना’, ‘रहना’ और ‘चुकना’ क्रियाओं का प्रयोग मुख्य क्रिया के रूप में न करके रंजक क्रिया के रूप में किया गया है। इससे इनकी मुख्य क्रियाएँ संयुक्त क्रिया बन गई हैं।

प्रश्न 3: नीचे दिए गए शब्दों की संरचना पर ध्यान दीजिए-
विद्या + अर्थी – विद्यार्थी
‘विद्या’ शब्द का अंतिम स्वर ‘आ’ और दूसरे शब्द ‘अर्थी’ की प्रथम स्वर ध्वनि ‘अ’ जब मिलते हैं तो वे मिलकर दीर्घ स्वर ‘आ’ में बदल जाते हैं। यह स्वर संधि है जो संधि का ही एक प्रकार है।
संधि शब्द का अर्थ है- जोड़ना। जब दो शब्द पास-पास आते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि बाद में आने वाले शब्द की पहली ध्वनि से मिलकर उसे प्रभावित करती है। ध्वनि परिवर्तन की इस प्रक्रिया को संधि कहते हैं। संधि तीन प्रकार की होती है-स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि। जब संधि युक्त पदों को अलग-अलग किया जाता है तो उसे संधि विच्छेद कहते हैं;
जैसे- विद्यालय – विद्या + आलय

नीचे दिए गए शब्दों की संधि कीजिए −
डायरी का एक पन्ना NCERT Solutions | Hindi Class 10

उत्तर:
डायरी का एक पन्ना NCERT Solutions | Hindi Class 10

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1: भौतिक रूप से दबे हुए होने पर भी अंग्रेजों के समय में ही हमारा मन आजाद हो चुका था। अत: दिसंबर सन् 1929 में लाहौर में कांग्रेस का एक बड़ा अधिवेशन हुआ, इसके सभापति जवाहरलाल नेहरू जी थे। इस अधिवेशन में यह प्रस्ताव पास किया गया कि अब हम ‘पूर्ण स्वराज्य से कुछ भी कम स्वीकार नहीं करेंगे। 26 जनवरी 1930 को देशवासियों ने पूर्ण स्वतंत्रता के लिए हर प्रकार के बलिदान की प्रतिज्ञा की। उसके बाद आज़ादी प्राप्त होने तक प्रतिवर्ष 26 जनवरी को स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
उत्तर: 
यह पाठ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित है, खासकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (दिसंबर 1929) के संदर्भ में। इस अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अध्यक्षता की थी, और इस अधिवेशन में यह ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित हुआ था कि "पूर्ण स्वराज्य" (पूर्ण स्वतंत्रता) से कुछ भी कम स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके बाद, 26 जनवरी 1930 को देशवासियों ने अपने देश की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए हर प्रकार के बलिदान देने की प्रतिज्ञा ली। इस दिन को स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक के रूप में मनाने के लिए, हर वर्ष 26 जनवरी को स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाया जाता था।
भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, 26 जनवरी का दिन गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा, क्योंकि इस दिन 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ था और भारत एक गणराज्य बना।
निष्कर्ष:

  • 1929 में लाहौर अधिवेशन में "पूर्ण स्वराज्य" की मांग की गई।
  • 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता के लिए बलिदान की प्रतिज्ञा ली गई।
  • 26 जनवरी का दिन स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े महत्वपूर्ण दिनों में से एक है और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

प्रश्न 2: डायरी-यह गद्य की एक विधा है। इसमें दैनिक जीवन में होने वाली घटनाओं, अनुभवों को वर्णित किया जाता है। आप भी अपनी दैनिक जीवन से संबंधित घटनाओं को डायरी में लिखने का अभ्यास करें।
उत्तर:

09 जनवरी, 2016
शनिवार

जनवरी महीने का पूर्वार्ध बीतने को है। लगता है इस बार दिल्ली से सरदी रूठी ही रहेगी। सरदी का बहाना करके भी बिस्तर में देर तक नहीं पड़ा रह सकता। अरे! हाँ, याद आया आज तो हमें माता-पिता के साथ चिड़ियाघर देखने जाना है। उठकर जल्दी तैयार होता हूँ। अरे! यह क्या पिता जी कार साफ़ करा रहे हैं। लगता है, वे कार से चिड़ियाघर जाना चाहते हैं। लगता है कि उन्हें याद नहीं कि आज तो दिल्ली की सड़कों पर आड (विषम) नंबर की गाड़ियाँ ही चलेंगी। हमारी कार तो इवन (सम) नंबर की है। पिता जी, उसमें समान रखवाएँ, इससे पहले यह याद दिलाता हूँ। उनसे कहता हूँ कि या तो मेट्रो से चलें या कल रविवार को। आज तो इवन नंबर की कार में चलना ठीक न रहेगा, है न।

मोहित

प्रश्न 3: जमना लाल बजाज, महात्मा गांधी के पाँचवें पुत्र के रूप में जाने जाते हैं, क्यों? अध्यापक से जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर: जमनालाल बजाज, बजाज उद्योग घराने के संस्थापक थे। कभी वे राजस्थान के प्रसिद्ध व्यापारी हुआ करते थे। ये अपनी व्यावसायिक एवं प्रशासनिक कुशलता से अंग्रेजों के प्रिय बन गए। इन्हें राय बहादुर की उपाधि देकर अंग्रेजों ने सम्मानित किया। जमनालाल को जब गांधी जी का सान्निध्य मिला तो वे गांधी जी से अत्यंत प्रभावित हुए और गांधी जी के शिष्य बन गए। इससे उनका स्वाभिमान जाग उठा और उन्होंने अंग्रेजों का सम्मान लौटाया ही नहीं बल्कि गांधी जी अनुयायी भी बन गए। उनके द्वारा वर्धा में सेवा संघ की स्थापना की गई। वे गांधी जी के सिद्धांत सत्य और अहिंसा का पालन करते थे। अपने सिद्धांत के प्रति ऐसा समर्पण देख गांधी जी उन्हें अपना पुत्र मानने लगे। कालांतर में जमनालाल को गांधी जी के पाँचवें पुत्र के रूप में जाना जाने लगा।

प्रश्न 4: ढाई लाख का जानकी देवी पुरस्कार जमना लाल बजाज फाउंडेशन द्वारा पूरे भारत में सराहनीय कार्य करने वाली महिलाओं को दिया जाता है। यहाँ ऐसी कुछ महिलाओं के नाम दिए जा रहे है-
श्रीमती अनुताई लिमये 1993 महाराष्ट्र; सरस्वती गोरा 1996 आंध्र प्रदेश;
मीना अग्रवाल 1996 असम, सिस्टर मैथिली 1999 केरल; कुंतला कुमारी आचार्य 2001 उड़ीसा।
इनमें से किसी एक के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कीजिए।

उत्तर: श्रीमती अनुताई लिमये (Anutai Limaye) को वर्ष 1993 में जानकी देवी बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें महाराष्ट्र में ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया। 
जीवन परिचय

  • जन्म: अनुताई लिमये का जन्म महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव में हुआ था।
  • शिक्षा: उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में प्राप्त की और बाद में सामाजिक कार्यों में रुचि विकसित की।
  • परिवार: उनके परिवार का सामाजिक कार्यों में सक्रिय योगदान था, जिससे उन्हें प्रेरणा मिली।

कार्यक्षेत्र: अनुताई लिमये ने ग्रामीण महिलाओं के लिए कई पहलें शुरू कीं, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और स्वावलंबन के क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई, कढ़ाई, और अन्य कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया। इसके अलावा, उन्होंने महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूहों की स्थापना की, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।
पुरस्कार और सम्मान: उनके समर्पित कार्यों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें से जानकी देवी बजाज पुरस्कार प्रमुख है। यह पुरस्कार उन्हें ग्रामीण भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनके योगदान के लिए प्रदान किया गया। 
निष्कर्ष: अनुताई लिमये का जीवन हमें यह सिखाता है कि एक व्यक्ति के समर्पण और मेहनत से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। उनके कार्यों ने न केवल महिलाओं को सशक्त किया, बल्कि समाज में समानता और न्याय की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1: स्वतंत्रता आंदोलन में निम्नलिखित महिलाओं में जो योगदान दिया, उसके बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करके लिखिए-
(क) सरोजिनी नायडू
(ख) अरुणा आसफ अली
(ग) कस्तूरबा गांधी
उत्तर:
(क) सरोजिनी नायडू

  • योगदान: सरोजिनी नायडू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख नेता और कवियत्री थीं। उन्हें "भारत की बुलबुल" के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। सरोजिनी नायडू महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थीं और 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उत्तर प्रदेश की पहली महिला गवर्नर बनीं।
  • मुख्य योगदान:
    • उन्होंने 1916 में लखनऊ कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया।
    • उन्होंने नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
    • वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रमुख सदस्य थीं और महिला आंदोलन की प्रवर्तक के रूप में खड़ी हुईं।

(ख) अरुणा आसफ अली

  • योगदान: अरुणा आसफ अली भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख नेता और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • मुख्य योगदान:
    • 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस का ध्वज फहराया और यह एक प्रतीक बन गया।
    • वह अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह और क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय रही।
    • अरुणा आसफ अली को उनकी साहसिकता और देशभक्ति के लिए जाना जाता है।

(ग) कस्तूरबा गांधी

  • योगदान: कस्तूरबा गांधी महात्मा गांधी की पत्नी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की निडर सहयोगी थीं। उन्होंने भारतीय महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
  • मुख्य योगदान:
    • कस्तूरबा गांधी ने महात्मा गांधी के साथ नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया।
    • उन्होंने भारतीय महिलाएं को जागरूक किया और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।
    • कस्तूरबा गांधी ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए कई सामाजिक कार्य किए।

प्रश्न 2: इस पाठ के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में कलकत्ता (कोलकाता) के योगदान का चित्र स्पष्ट होता है। आज़ादी के आंदोलन में आपके क्षेत्र का भी किसी न किसी प्रकार का योगदान रहा होगा। पुस्तकालय, अपने परिचितों या फिर किसी दूसरे स्रोत से इस संबंध में जानकारी हासिल कर लिखिए।
उत्तर: 
स्वतंत्रता संग्राम में कलकत्ता (कोलकाता) का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ की कई प्रमुख घटनाओं और आंदोलनों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी। इस शहर से स्वतंत्रता संग्राम के कई महान नेता और क्रांतिकारी जुड़े थे, जिनमें सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ ठाकुर (रवींद्रनाथ टैगोर), सरोजिनी नायडू और अन्य महान नेता शामिल हैं।
कोलकाता का योगदान:

  1. स्वदेशी आंदोलन:
    • 1905 में बंटवारे का विरोध: 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन ने जोर पकड़ा। बंगाल के विभाजन का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य को भारतीय समाज को तोड़ने और अपनी सत्ता को स्थिर करने के लिए किया गया था, लेकिन इसे कोलकाता में सशक्त विरोध मिला।
    • बंगाल विभाजन के खिलाफ प्रदर्शन:  कोलकाता में भारतीयों ने स्वदेशी वस्त्र पहनने, ब्रिटिश सामान का बहिष्कार करने और अपनी स्वतंत्रता की मांग को मजबूती से उठाया।
  2. नेतृत्व और विचारक:
    • सुभाष चंद्र बोस: सुभाष चंद्र बोस का कोलकाता में अत्यधिक प्रभाव था। उनका जन्म भी इसी शहर में हुआ था, और यहाँ से ही उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी नेतृत्व क्षमता ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय सेना को नई दिशा दी।
    • रवींद्रनाथ टैगोर: रवींद्रनाथ टैगोर ने भारतीय संस्कृति और समाज के लिए अपने लेखन और विचारों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया। उनका गीत "जन गण मन" राष्ट्रीय गीत के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
  3. कोलकाता में आंदोलनों की शुरुआत:
    • भारत छोड़ो आंदोलन: 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कोलकाता में भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे। यहाँ के लोगों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सक्रिय रूप से विरोध किया।
    • कांग्रेस का अधिवेशन: 1906 में कोलकाता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ, जिसमें स्वराज की मांग को स्वीकार किया गया और यह आंदोलन को एक नई दिशा मिली।

मेरे क्षेत्र का योगदान (उदाहरण):
मुझे अपने क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी जानकारी पुस्तकालय से मिली। यहाँ के लोग विशेष रूप से महात्मा गांधी के असहमति आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े थे। हमारे क्षेत्र के लोग विभिन्न प्रदर्शनों और विरोधों में शामिल हुए थे। कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने गांवों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया और कई ने जेल यात्रा की।
साथ ही, महात्मा गांधी की विचारधारा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नीतियाँ हमारे क्षेत्र के लोगों को जागरूक करने और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित करती थीं। गाँवों में महिलाओं और बच्चों ने भी योगदान दिया और उन्होंने अंग्रेजों का विरोध करते हुए सशक्त भूमिका निभाई।
निष्कर्ष: स्वतंत्रता संग्राम में कोलकाता का योगदान ऐतिहासिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण था। इसने न केवल कई महान नेताओं और आंदोलनों को जन्म दिया, बल्कि पूरे भारत में स्वतंत्रता संग्राम के लिए जागरूकता और प्रेरणा का स्रोत भी बना। प्रत्येक क्षेत्र में इस प्रकार का योगदान स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं को मजबूत बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक था।

प्रश्न 3: ‘केवल प्रचार में दो हजार रुपया खर्च किया गया था।' तत्कालीन समय को मद्देनज़र रखते हुए अनुमान लगाइए कि प्रचार-प्रसार के लिए किन माध्यमों का उपयोग किया गया होगा?
उत्तर: 
तत्कालीन समय अर्थात् 1930-31 में प्रचार-प्रसार के लिए बहुत सारे झंडे बनवाए गए होंगे, प्रचार के पंपलेट (इश्तिहार) छपवाकर बाँटे गए होंगे, दीवारों पर नारे या स्लोगन लिखे गए होंगे। इसके अलावा कार्यकर्ताओं को दूर-दराज के क्षेत्रों में आने-जाने (प्रचारार्थ) के लिए कुछ नकद भी दिया गया होगा।

प्रश्न 4: आपको अपने विद्यालय में लगने वाले पल्स पोलियो केंद्र की सूचना पूरे मोहल्ले को देनी है। आप इस बात का प्रचार बिना पैसे के कैसे कर पाएँगे? उदाहरण के साथ लिखिए।
उत्तर: 
मैं अपनी कॉलोनी के आसपास स्थित झुग्गी बस्तियों में अपने मित्रों के साथ जाऊँगा और पल्स पोलियो ड्राप पिलवाने का अनुरोध करूँगा तथा पोलियो के खतरे से भी सावधान करूंगा।

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FAQs on डायरी का एक पन्ना NCERT Solutions - Hindi Class 10

1. डायरी का एक पन्ना कहानी का मुख्य विषय क्या है ?
Ans. "डायरी का एक पन्ना" कहानी में एक छात्र के विचारों और भावनाओं को दर्शाया गया है। यह कहानी एक दिन की घटनाओं को प्रस्तुत करती है, जहां छात्र अपने जीवन की चिंता, तनाव और स्कूल के दबाव को व्यक्त करता है। यह कहानी यह दिखाती है कि कैसे एक साधारण दिन में भी गहरी सोच और आत्ममंथन हो सकता है।
2. इस कहानी का मुख्य पात्र कौन है और उसकी विशेषताएँ क्या हैं ?
Ans. इस कहानी का मुख्य पात्र एक छात्र है, जो अपने जीवन की परेशानियों का सामना कर रहा है। उसकी विशेषताएँ में उसकी संवेदनशीलता, आत्म-विश्लेषण करने की क्षमता और जीवन के प्रति उसकी जिज्ञासा शामिल हैं। वह अपने विचारों को डायरी में लिखता है, जो उसकी मानसिक स्थिति को दर्शाता है।
3. कहानी में छात्र की भावनाएँ कैसे व्यक्त की गई हैं ?
Ans. कहानी में छात्र की भावनाएँ डायरी के माध्यम से व्यक्त की गई हैं। वह अपनी चिंताओं, खुशियों और असफलताओं को लिखता है, जिससे पाठक उसकी मानसिक स्थिति को समझ सकता है। उसकी लेखनी में ईमानदारी और गहराई है, जो उसके अंदर की उलझनों को उजागर करती है।
4. क्या कहानी में किसी विशेष घटना का उल्लेख है जो छात्र के जीवन को प्रभावित करती है ?
Ans. हाँ, कहानी में एक विशेष घटना का उल्लेख है जब छात्र परीक्षा के परिणामों के बारे में चिंतित होता है। इस घटना के माध्यम से उसकी मानसिक तनाव और असफलता का डर स्पष्ट होता है, जो उसके सोचने के तरीके और भविष्य की योजनाओं को प्रभावित करता है।
5. "डायरी का एक पन्ना" कहानी से हमें क्या सीख मिलती है ?
Ans. "डायरी का एक पन्ना" कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि जीवन में चुनौतियों का सामना करने के लिए आत्म-विश्लेषण और सकारात्मक सोच बेहद जरूरी है। यह कहानी यह भी दर्शाती है कि अपनी भावनाओं को साझा करने से मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है और हमें अपने विचारों को समझने में मदद मिलती है।
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