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महासागरीय जल (Wave (Oceans)) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) उस तत्व की पहचान करें जो जलीय चक्र का भाग नहीं हैं।
(क) वाष्पीकरण
(ख) वर्षण
(ग) जलयोजन
(घ) संघनन

सही उत्तर (ग) जलयोजन

(ii) महाद्वीपीय ढाल की औसत गहराई निम्नलिखित के बीच होती है।
(क) 2-20 मीटर
(ख) 20-200 मीटर
(ग) 200-2000 मीटर
(घ) 2000-20000 मीटर

सही उत्तर (ग) 200-2000 मीटर

(iii) निम्नलिखित में से कौन-सी लघु उच्चावच आकृति महासागरों में नहीं पाई जाती है?
(क) समुद्री टीला
(ख) महासागरीय गभीर
(ग) प्रवाल द्वीप
(घ) निमग्न द्वीप

सही उत्तर (ख) महासागरीय गभीर

(iv) लवणता को प्रति समुद्री जल में घुले हुए नमक (ग्राम) की मात्र से व्यक्त किया जाता है
(क) 10 ग्राम
(ख) 100 ग्राम
(ग) 1,000 ग्राम
(घ) 10,000 ग्राम

सही उत्तर (ग) 1,000 ग्राम

(v) निम्न में से कौन-सा सबसे छोटा महासागर है?
(क) हिंद महासागर
(ख) अटलांटिक महासागर
(ग) आर्कटिक महासागर
(घ) प्रशांत महासागर

सही उत्तर (ग) आर्कटिक महासागर


प्रश्न.2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) हम पृथ्वी को नीला ग्रह क्यों कहते हैं?

जल पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्रकार के जीवों के लिए आवश्यक घटक है। पृथ्वी के जीव सौभाग्यशाली हैं कि यह एक जलीय ग्रह है। अन्यथा हम लोगों का अस्तित्व ही नहीं होता। जल हमारे सौरमंडल का दुर्लभ पदार्थ है। सूर्य अथवा सौरमंडल में अन्यत्र कहीं भी जल नहीं है। पृथ्वी के 71% भाग पर जल पाया जाता है अर्थात पृथ्वी के धरातल पर जल की प्रचुर आपूर्ति है। हमारे ग्रह को ‘नीला ग्रह’ भी कहा जाता है।

(ii) महाद्वीपीय सीमांत क्या होता है?

महाद्वीपीय सीमांत प्रत्येक महादेश का विस्तृत किनार होता है जो कि अपेक्षाकृत छिछले समुद्री तथा खाड़ियों का भाग होता है। यह महासागर का सबसे छिछला भाग होता है, जिसकी औसत प्रवणता 1 डिग्री या उससे भी कम होती है। इस सीमा का किनारा बहुत ही खड़े ढाल वाला होता है। यह अत्यंत तीव्र ढाल पर समाप्त होता है।

(iii) विभिन्न महासागरों के सबसे गहरे गर्तों की सूची बनाइए।

गर्त महासागरों के सबसे गहरे भाग होते हैं। अभी तक लगभग 57 गर्तों को खोजा गया है, जिसमें 32 प्रशांत महासागर, 19 अटलांटिक महासागर एवं 6 हिंद महासागर में है।
विश्व की कुछ प्रमुख गर्ते निम्नलिखित है:

(क) मेरिआना खाई: प्रशांत महासागर और पृथ्वी का सबसे गहरा भाग, जिसकी गहराई समुद्र तल से 11034 मीटर है।

(ख) प्यूरिटको खाई: यह अटलांटिक महासागर का सबसे गहरा गर्त है।

(ग) सुंडा खाई: यह हिंद महासागर की सबसे गहरी खाई है।

(iv) ताप प्रवणता क्या है?

समुद्र में तापमान गिरने का सिलसिला समुद्री सतह से लगभग 100 से 400 मीटर नीचे प्रारंभ होता है एवं कई सौ मीटर नीचे तक जाता है। वह सीमा क्षेत्र जहाँ तापमान में तीव्र गिरावट आती है, ताप प्रवणता कहा जाता है। महासागर में सतहीय एवं गहरी परतों वाले जल के बीच विभाजक रेखा होती है। समुद्र में वहीं से तापमान गिरने लगता है।

(v) समुद्र में नीचे जाने पर आप ताप की किन परतों का सामना करेंगे? गहराई के साथ तापमान में भिन्नता क्यों आती है?

मध्य एवं निम्न अक्षांशों में महासागरों के तापमान की संरचना को सतह से तली की ओर तीन परतों से गुजरना पड़ता है- पहली परत गर्म महासागरीय जल की सबसे ऊपरी परत होती है जो लगभग 500 मीटर मोटी होती है। और इसका तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 25 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होता है। उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में, यह परत पूरे वर्ष उपस्थित होती है, जबकि मध्य अक्षांशों में यह केवल ग्रीष्म ऋतु में विकसित होती है। दूसरी परत जिसे ताप प्रवणता परत कहा जाता है, पहली परत के नीचे स्थित होती है। इसमें गहराई के बढ़ने के साथ तापमान में तीव्र गिरावट आती है। यहाँ ताप प्रवणता की मोटाई 500 से 1000 मीटर तक होती है।

तीसरी परत बहुत अधिक ठंडी होती है तथा गभीर महासागरीय तली तक विस्तृत होती है। आर्कटिक एवं अंटार्कटिक वृत्तों में सतही जल का तापमान 0° डिग्री सेंटीग्रेड के निकट होता है और इसलिए गहराई के साथ तापमान में बहुत कम परिवर्तन होता है।

(vi) समुद्री जल की लवणता क्या है?

वर्षा का जल हो या महासागरों का, प्रकृति में उपस्थित सभी जलों में खनिज लवण घुले हुए होते हैं। लवणता वह शब्द है, जिसका उपयोग समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा को निर्धारित करने में किया जाता है। इसका परिकलन 1000 ग्राम समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा के द्वारा किया जाता है। इसे प्रायः प्रति 1000 भाग (%) या PPT के रूप में व्यक्त किया जाता है।


प्रश्न.3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।

(i) जलीय चक्र के विभिन्न तत्व किस प्रकार अंतर-संबंधित हैं?

समुद्र का जल वाष्प बनकर बादल के रूप में परिणत होकर विभिन्न अवरोधों से टकराकर वर्षा कराता है और यह वर्षा का पानी नदी और नालों के माध्यम से समुद्र में चला जाता है और पुनः समुद्र का जल जलवाष्प बनकर वर्षा कराता है। इस तरह की क्रियाएँ बार-बार होती रहती हैं, इसे जलीय चक्र कहा जाता है। जलीय चक्र में एक तत्व दूसरे तत्व से अंतर-संबंधित हैं। जल एक चक्र के रूप में महासागर से धरातले पर और धरातल से महासागर तक पहुँचता है। जलीय चक्र के तत्व वायु, जल, पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे आवश्यक तत्व हैं। पृथ्वी पर जल का वितरण असमान है। जलीय चक्र जल के वितरण की असमानता को कम करता है। क्योंकि जलवाष्प वर्षा के रूप में परिणत होकर विभिन्न क्षेत्रों में जल वितरित करता है। इस तरह से चल चक्र महासागरों, वायुमंडल, भूपृष्ठ, अधःस्तल और जीवों के बीच अंतर-संबंध स्थापित करता है।

(ii) महासागरों के तापमान वितरण को प्रभावित। करने वाले कारकों का परीक्षण कीजिए।

महासागरीय जल के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:

(क) अक्षांश: ध्रुवों की ओर प्रवेशी सौर विकिरण की मात्रा घटने के कारण महासागरों के सतही जल का तापमान विषुवतवृत्त से ध्रुवो की ओर घटता चला जाता है।

(ख) स्थल एवं जल का असमान वितरण: उत्तरी गोलार्ध के महासागर दक्षिणी गोलार्ध के महासागरों की अपेक्षा स्थल के बहुत बड़े भाग से जुड़े होने के कारण अधिक मात्रा में ऊष्मा प्राप्त करते हैं।

(ग) सनातन पवनें: स्थल से महासागरों की तरफ बहने वाली पवनें महासागरों के सतही गर्म जल को तट से दूर धकेल देती है, जिसके परिणामस्वरूप नीचे का ठंडा जल ऊपर की ओर आ जाता है। परिणामस्वरूप तापमान में देशांतरीय अंतर आता है। इसके विपरीत, अभितटीय पवनें गर्म जल को तट पर जमा कर देती है और इससे तापमान बढ़ जाता है।

(घ) महासागरीय धाराएँ: गर्म महासागरीय धाराएँ ठंडे क्षेत्रों में तापमान को बढ़ा देती है। जबकि ठंडी धाराएँ गर्म महासागरीय क्षेत्रों में तापमान को घटा देती है। गल्फ स्ट्रीम उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट तथा यूरोप के पश्चिमी तट के तापमान को बढ़ा देती है। जबकि लेब्राडोर धारा उत्तरी अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी तट के नजदीक के तापमान को कम कर देती है।

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