UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: सौर विकिरण, उष्मा संतुलन एवं तापमान (Solar Radiation, Heat Balance and Temperature)

सौर विकिरण, उष्मा संतुलन एवं तापमान (Solar Radiation, Heat Balance and Temperature) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्न में से किस अक्षांश पर 21 जून की दोपहर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं?
(क) विषुवत वृत्त पर
(ख) 23.5° उत्तरी
(ग) 66.5° दक्षिणी
(घ) 66.5° उत्तरी

सही उत्तर (ख) 23.5° उत्तरी
21 जून को ग्रीष्म अयनांत (Summer Solstice) होता है, जब सूर्य की किरणें सीधी कर्क रेखा (23.5° उत्तरी अक्षांश) पर पड़ती हैं। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में दिन सबसे लंबा और रात सबसे छोटी होती है।

(ii) निम्न में से किन शहरों में दिन ज्यादा लंबा होता है?
(क) तिरुवनंतपुरम
(ख) हैदराबाद
(ग) चंडीगढ़
(घ) नागपुर

सही उत्तर (ग) चंडीगढ़
जितना अधिक अक्षांश उत्तर दिशा में होता है, उतनी ही अधिक दिन की लंबाई होती है, खासकर गर्मियों के दौरान। चंडीगढ़, उत्तरी भारत में स्थित है और अन्य दिए गए शहरों (तिरुवनंतपुरम, हैदराबाद, नागपुर) की तुलना में उच्च अक्षांश पर है। इस कारण चंडीगढ़ में दिन अन्य शहरों की तुलना में अधिक लंबा होता है।

(iii) निम्नलिखित में से किस प्रक्रिया द्वारा वायुमंडल मुख्यतः गर्म होता है?
(क) लघु तरंगदैर्ध्व वाले सौर विकिरण से
(ख) लंबी तरंगदैर्ध्व वाले स्थलीय विकिरण से
(ग) परावर्तित सौर विकिरण से
(घ) प्रकीर्णित सौर विकिरण से।

सही उत्तर (ख) लंबी तरंगदैर्ध्व वाले स्थलीय विकिरण से।
वायुमंडल मुख्यतः स्थलीय विकिरण (Terrestrial Radiation) द्वारा गर्म होता है। पृथ्वी की सतह सूर्य से आने वाले लघु तरंगदैर्ध्व वाले विकिरण (Shortwave Radiation) को अवशोषित करती है और फिर इसे लंबी तरंगदैर्ध्व वाले विकिरण (Longwave Radiation) के रूप में पुनः उत्सर्जित करती है। यह लंबी तरंगदैर्ध्व वाला विकिरण वायुमंडल में उपस्थित गैसों (मुख्यतः ग्रीनहाउस गैसों) द्वारा अवशोषित किया जाता है, जिससे वायुमंडल गर्म होता है।

(iv) निम्न पदों को उसके उचित विवरण के साथ मिलाएँ।
1. सूर्यातप (क) सबसे कोष्ण और सबसे शीतमहीनों के माध्य तापमान का अंतर
2. एल्बिडो (ख) समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखा
3. समताप रेखा (ग) आनेवाली सौर विकिरण
4. वार्षिक तापांतर (घ) किसी वस्तु के द्वारा परावर्तित दृश्य प्रकाश का प्रतिशत

सही उत्तर 1. (ग) 2. (घ) 3. (ख) 4. (क)

(v) पृथ्वी के विषुवत वृत्तीय क्षेत्रों की अपेक्षा उत्तरी गोलार्ध के उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का तापमान अधिकतम होता है, इसका मुख्य कारण है
(क) विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में कम बादल होते हैं।
(ख) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में गर्मी के दिनों की लंबाई विषुवतीय से अपेक्षा ज्यादा होती है।
(ग) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ‘ग्रीन हाउस प्रभाव विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा ज्यादा होता है।
(घ) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र विषुवतीय क्षेत्रों की | अपेक्षा महासागरीय क्षेत्र के ज्यादा करीब हैं।

सही उत्तर (क) विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में कम बादल होते हैं।
उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में बादल कम होने के कारण सूर्य का विकिरण सीधे सतह तक पहुँचता है, जिससे अधिक गर्मी होती है। दूसरी ओर, विषुवतीय क्षेत्रों में अधिक बादल होते हैं, जो विकिरण का बड़ा हिस्सा परावर्तित कर देते हैं, जिससे तापमान अपेक्षाकृत कम रहता है।

प्रश्न.2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) पृथ्वी पर तापमान का असमान वितरण किस प्रकार जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है?

तापमान के असमान वितरण से मौसम और जलवायु प्रभावित होती है। जिस क्षेत्र में तापमान अधिक होता है उस क्षेत्र में हवाएँ कम तापमान वाले क्षेत्रों से चलती हैं। इसलिए विषुवतीय प्रदेशों से हवाएँ ऊपर उठ जाती हैं और हवाएँ अपने दोनों गोलार्धा (उत्तरी और दक्षिणी) में उतरती हैं जिसके कारण वहाँ का वायुदाब अधिक हो जाता है। शीतऋतु में हवाएँ स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं इसलिए ये हवाएँ प्रायः शुष्क होती हैं। ग्रीष्म ऋतु में हवाएँ समुद्र से स्थल की ओर चलती हैं इसलिए ये पवनें आर्द्र होती हैं। तापमान का असमान वितरण वायु की उत्पत्ति का मुख्य कारण है। चक्रवात की उत्पत्ति भी तापमान के असमान वितरण का कारण होती है। इस तरह तापमान के असमान वितरण से मौसम और जलवायु प्रभावित होती है।

(ii) वे कौन से कारक हैं, जो पृथ्वी पर तापमान के वितरण को प्रभावित करते हैं?

तापमान को प्रभावित करने वाले कारक अक्षांश, ऊँचाई, स्थल एवं जल, प्रचलित पवनें, महासागरीय धाराएँ आदि हैं:

  • अक्षांश: अप्रैल से जून तक उत्तरी गोलार्द्ध में तथा दिसंबर से मार्च तक दक्षिणी गोलार्द्ध में सूर्यातप अधिक रहता है तथा सितंबर से मार्च महीने में विषुवत रेखा पर सूर्यातप अधिक रहती है।
  • ऊँचाई: प्रत्येक 165 मीटर की ऊँचाई पर 1° सेंटीग्रेड तापमान घट जाता है इसलिए पर्वतीय भागों की अपेक्षा मैदानी भागों में तापमान अधिक मिलता है।
  • स्थल व जल: जलीय भागों की अपेक्षा स्थलीय भागों में सूर्यातप अधिक देखने को मिलता है।
  • प्रचलित पवनें: प्रचलित पवनें अपने क्षेत्रों में तापमान दशाओं को प्रभावित करती हैं। महासागरों की ओर से बहने वाली प्रचलित पवन वहाँ के मृदु तापमान का प्रभाव समीपवर्ती स्थल पर लाती है।
  • महासागरीय धाराएँ: गर्म धाराएँ समीपवर्ती ठंडे स्थल भाग का तापमान बढ़ा देती हैं और ठंडी धाराएँ समीपवर्ती गर्म स्थल भाग का तापमान घटा देती हैं।

(iii) भारत में मई में तापमान सर्वाधिक होता है, लेकिन उत्तर अयनांत के बाद तापमान अधिकतम नहीं होता। क्यों?

भारत में मई में तापमान अधिकतम होने का मुख्य कारण सूर्य का उत्तरायन होना है। सूर्य उस वक्त कर्क रेखा पर लंबवत रूप से चमकता है और कर्क रेखा भारत के बीचोंबीच से होकर गुजरती है। लेकिन यह तापमान मई के अंत तक ही संपूर्ण भारत में अधिकतम रहता है। क्योंकि मई के अंत में मालाबार तट पर वर्षा की शुरुआत हो जाती है जिसके कारण दक्षिण भारत में तापमान में वृद्धि नहीं हो पाती है। भले ही उत्तर भारत में तापमान में वृद्धि 21 जून तक जारी रहती है और यहाँ पर जून के पहले सप्ताह में तापमान अधिकतम देखने को मिलता है।

(iv) साइबेरिया के मैदान में वार्षिक तापांतर सर्वाधिक होता है। क्यों?

साइबेरिया के मैदानी भाग समुद्र से काफी दूर हैं और समुद्र से दूर वाले क्षेत्रों में विषम जलवायु पाई जाती। है। अर्थात् साइबेरिया के मैदानी भागों में शीतऋतु में तापमान -18° से -48° सेंटीग्रेड तक रहता है, लेकिन ग्रीष्म ऋतु का तापमान – 20° सेल्सियस तक पाया जाता है। इस तरह से साइबेरिया के मैदानी भागों का वार्षिक तापांतर -68° सेंटीग्रेड तक होता है जोकि बहुत अधिक है। इसका मुख्य कारण कोष्ण महासागरीय धाराएँ गल्फ स्ट्रीम तथा उत्तरी अंधमहासागरीय ड्रिफ्ट की उपस्थिति से उत्तरी अंधमहासागर अधिक गर्म होता है तथा समताप रेखाएँ उत्तरे की तरफ मुड़ जाती हैं। यह साइबेरिया के मैदान पर स्पष्ट होता है।

प्रश्न.3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।

(i) अक्षांश और पृथ्वी के अक्ष का झुकाव किस प्रकार पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होने वाली विकिरण की मात्रा को प्रभावित करते हैं?

सूर्य की किरणें 0° अक्षांश या विषुवत रेखा पर सालों भर लंबवत पड़ती हैं। 0° अक्षांश से 23x1/2° उतरी और 23x1/2° दक्षिणी अक्षांशों के बीच सूर्य ऊपर-नीचे होता। रहता है। 21 मार्च से 21 जून तक सूर्य उत्तरायन होता है अर्थात् कर्क रेखा पर सूर्य की किरणें लंबवत रूप से पड़ती हैं और यहाँ पर उस वक्त ग्रीष्म ऋतु होती है और मकर रेखा पर शीत ऋतु होती हैं। 23 सितंबर से 22 दिसंबर तक सूर्य दक्षिणायन होता है अर्थात् मकर रेखा पर सूर्य की किरणें लंबवत पड़ती हैं और यहाँ पर उस वक्त ग्रीष्म ऋतु होती है और कर्क रेखा पर शीत ऋतु होती है। 21 मार्च और 23 सितंबर को सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर लंबवत पड़ती है। कर्क रेखा के उत्तर में और मकर रेखा के दक्षिण में जैसे-जैसे हम बढ़ते जाते हैं, वहाँ का तापमान घटता जाता है। इसलिए 66° उत्तरी अक्षांश और 66° दक्षिण अक्षांश के ऊपरी भाग में शीत कटिबंध पाया जाता है। जहाँ पर वर्ष भर तापमान निम्न रहता है। इस क्षेत्र में वर्ष के अधिकांश महीनों में बर्फ जमी रहती है। इसका मुख्य कारण है कि यहाँ पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं। इस प्रकार अक्षांश और पृथ्वी के अक्ष का झुकाव पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होने वाली विकिरण की मात्रा को प्रभावित करते हैं।

(ii) उन प्रक्रियाओं की व्याख्या करें, जिनके द्वारा पृथ्वी तथा इसका वायुमंडल ऊष्मा संतुलन बनाए रखते हैं।

पृथ्वी पर सूर्यातप का असमान वितरण है। सूर्यातप के असमान वितरण के बावजूद वायुमंडल सूर्यातप की असमानता को कम कर देता है। सूर्य पृथ्वी को गर्म करता है और पृथ्वी वायुमंडल को गर्म करती है। प्रकृति संपूर्ण पृथ्वी पर संतुलन बनाए रखने के लिए ऐसी क्रियाविधि को जन्म देती है, जिससे ऊष्मा का स्थानांतरण उष्णकटिबंध से उच्च अक्षांशों की ओर वायुमंडलीय परिसंचरण तथा महासागरीय धाराओं द्वारा संपन्न होता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अधिक गर्मी पड़ने के कारण वहाँ की वायु गर्म होकर ऊपर उठ जाती है और उस खाली स्थान को भरने के लिए उपोष्ण कटिबंध से हवाएँ उष्णकटिबंध की ओर चलती हैं, जिससे उष्ण कटिबंध के तापमान में ज्यादा वृद्धि नहीं हो पाती। इसी तरह से उपोष्ण कटिबंध क्षेत्र में शीतोष्ण कटिबंध से हवाएँ चलकर इन क्षेत्रों के तापमान में संतुलन बनाती हैं। इसी तरह से वायुमंडल एक क्षेत्र के तापमान को ज्यादा नहीं बढ़ने देती तथा शीत कटिबंधीय और शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में अगर गर्म महासागरीय धाराएँ चलती हैं तो ये धाराएँ इन क्षेत्रों के तापमान को बढ़ा देती है और अगर उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ठंडी । धाराएँ चलती है तो उन क्षेत्रों के तापमान को कम कर देती है। इस तरह पृथ्वी की महासागरीय धाराएँ और वायुमंडल ताप को संतुलित करते हैं।

(iii) जनवरी में पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बीच तापमान के विश्वव्यापी वितरण की तुलना करें।

जनवरी में उत्तरी गोलार्ध में शीतऋतु और दक्षिणी गोलार्ध में ग्रीष्मऋतु होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि जनवरी में सूर्य दक्षिणायन होता है। इसलिए सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्ध में लंबवत पड़ती हैं। जबकि उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं। इसलिए उत्तरी गोलार्ध में तापमान कम देखने को मिलता है। विषुवत रेखा के समीपवर्ती क्षेत्रों में तापमान 27° सेंटीग्रेड तथा कर्क रेखा पर औसतन तापमान 15° सेंटीग्रेड, शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में औसत तापमान 10° सेंटीग्रेड और शीतकटिबंधीय क्षेत्रों में इससे भी कम तापमान देखने को मिलता है। इस क्षेत्र के कई क्षेत्रों का तापमान शून्य से भी काफी नीचे तक पहुँच जाता है। उदाहरणस्वरूप, साइबेरिया के बर्खायस्क में -32° सेंटीग्रेड तक तापमान पाया जाता है। दक्षिणी गोलार्ध में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीकी देशों और दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के अर्जेन्टाइना में जनवरी में तापमान औसतन 30° सेंटीग्रेड तक होता है। जबकि इसके और भी दक्षिणी भाग में जैसे चिली और अर्जेन्टाइना के दक्षिणी भाग में तापमान 15 से 20° सेंटीग्रेड तक होता है। इस तरह से जनवरी में उत्तरी गोलार्ध में कम तापमान और दक्षिणी गोलार्ध में अधिक तापमान देखने को मिलता है।

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FAQs on सौर विकिरण, उष्मा संतुलन एवं तापमान (Solar Radiation, Heat Balance and Temperature) NCERT Solutions - NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

1. सौर विकिरण क्या है और यह पृथ्वी पर किस प्रकार प्रभाव डालता है?
Ans. सौर विकिरण सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा है जो पृथ्वी तक पहुँचती है। यह ऊर्जा विभिन्न प्रकार के विकिरण में होती है, जैसे कि पराबैंगनी, दृश्य और अवरक्त। सौर विकिरण पृथ्वी के मौसम, जलवायु और जीवन के लिए आवश्यक है। यह धरती की सतह को गर्म करता है और इसके तापमान संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
2. उष्मा संतुलन क्या है और यह कैसे कार्य करता है?
Ans. उष्मा संतुलन का तात्पर्य उस स्थिति से है जहाँ पृथ्वी द्वारा प्राप्त सौर ऊर्जा और पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा के बीच संतुलन होता है। जब सौर विकिरण धरती पर पहुँचता है, तो कुछ ऊर्जा वायुमंडल द्वारा अवशोषित होती है, कुछ ऊर्जा धरती की सतह द्वारा अवशोषित होती है, और कुछ ऊर्जा वापस अंतरिक्ष में उत्सर्जित होती है। इस संतुलन के कारण पृथ्वी का तापमान स्थिर रहता है।
3. तापमान क्या है और इसे कैसे मापा जाता है?
Ans. तापमान उस माप को कहा जाता है जो किसी वस्तु या स्थान की गर्मी की स्थिति को दर्शाता है। इसे विभिन्न यंत्रों जैसे थर्मामीटर, थर्मोकपल आदि के माध्यम से मापा जाता है। तापमान का माप आमतौर पर सेल्सियस (°C) या फारेनहाइट (°F) में किया जाता है। यह जलवायु और मौसम की स्थिति को समझने में महत्वपूर्ण होता है।
4. सौर विकिरण का पृथ्वी के जलवायु परिवर्तन पर क्या प्रभाव है?
Ans. सौर विकिरण जलवायु परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि सौर विकिरण में वृद्धि होती है, तो इससे पृथ्वी का तापमान बढ़ सकता है, जो वैश्विक तापमान में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और मौसम के पैटर्न में बदलाव का कारण बन सकता है। इसके विपरीत, यदि सौर विकिरण में कमी आती है, तो यह पृथ्वी के ठंडे होने का कारण बन सकता है।
5. तापमान संतुलन में मानव गतिविधियों का क्या योगदान है?
Ans. मानव गतिविधियाँ, जैसे औद्योगिक उत्सर्जन, वनों की कटाई और शहरीकरण, तापमान संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं। ये गतिविधियाँ ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का कारण बनती हैं, जो पृथ्वी की सतह पर गर्मी को बंद कर देती हैं। इससे जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान में वृद्धि और मौसम में अनियमितता आ सकती है।
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