प्रश्न.1. निम्नलिखित में से कौन-से समूहों में केवल जैव-निम्नीकरणीय पदार्थ हैं?
(a) घास, पुष्प एवं चमड़ा
(b) घास, लकड़ी एवं प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास
सही उत्तर (a), (c), (d)
प्रश्न.2. निम्नलिखित से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं?
(a) घास, गेहूँ तथा आम
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी
सही उत्तर (b) घास, बकरी तथा मानव
प्रश्न.3. निम्नलिखित में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं?
(a) बाजार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बंद करना
(c) माँ द्वारा स्कूटर से विद्यालय छोड़ने के बजाय तुम्हारे विद्यालय तक पैदल जाना
(d) उपरोक्त सभी
सही उत्तर (d) उपरोक्त सभी
प्रश्न.4. क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें)?
यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें या मार डालें, तो इससे पूरी आहार श्रृंखला अव्यवस्थित हो जाएगी, क्योंकि कोई भी आहार श्रृंखला चार पोषी स्तरों की बनी होती है, जिसमें प्रथम पोषी स्तर के जीव, द्वितीयक पोषी स्तर के जीवों के लिए आहार का कार्य करते हैं यदि किसी भी पोषी स्तर के जीवों को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया जाएगा, तो अगले पोषी स्तर के जीव अपना आहार नहीं प्राप्त कर पाएंगे, जिस कारण आहार श्रृंखला टूट जाएगी, जिसका पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं और मनुष्यों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
प्रश्न 5. क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है?
हाँ, किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा, क्योंकि किसी भी पोषी स्तर के सदस्य अपने आहार के लिए अपने से निचले पोषक स्तर पर निर्भर करते हैं|
जैसे—प्रथम पोषी स्तर में स्वपोषी या उत्पादक आते हैं, जो सौर ऊर्जा का स्थिरीकरण करके, उसे विषमपोषियों या उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध कराते हैं, परंतु यदि हम इस स्तर के सभी पौधों को समाप्त कर देंगे, तो प्राथमिक उपभोक्ता या द्वितीय पोषी स्तर अपने आहार के रूप में किस पर निर्भर रहेंगे, जिस कारण आहार श्रृखंला आगे नहीं बढ़ पाएगी।
परंतु यदि हम प्रथम पोषक स्तर के जीवों को समाप्त कर देंगे, तो पौधों की संख्या बढ़ जाएगी परंतु ऊपर के पोषक स्तरों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। नहीं, किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव नहीं है। क्योंकि कोई भी पारितंत्र उसमें रहने वाले जीवों पर निर्भर करता है।
प्रश्न.6. जैविक आवर्धन क्या हैं? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा?
जैविक आवर्धन कुछ हानिकारक रासायनिक पदार्थ आहार श्रृंखला से होते हुए हमारे शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं और इन रसायन पदार्थों का शरीर में सर्वाधिक मात्रा में संचित होना, जैविक आवर्धन कहलाता है। पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भिन्न-भिन्न होगा। क्योंकि विभिन्न फसलों को रोग एवं पीड़कों से बचाने के लिए इन रसायन पदार्थों को इन फसलों पर प्रयोग किया जाता है जिसके कारण यह बहकर वापस मिट्टी में चले जाते हैं और जिस भी पोषी स्तर द्वारा ग्रहण किए जाते हैं उससे आगे के पोषी स्तर पर एक-दूसरे के द्वारा पहुँच जाते हैं। अतः जिसके कारण पूरे पारितंत्र में विभिन्न पोषक स्तरों पर इसका प्रभाव असमान होता है।
प्रश्न.7. हमारे द्वारा उत्पादित अजैव-निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
अजैव-निम्नीकरणीय कचरे से निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न होती है।
- अजैव-निम्नीकरणीय कचरा; जैसे-प्लास्टिक थैलियाँ, डिस्पोजेबल कप आदि से जल का प्रवाह रुक जाता है, जिससे वहाँ का जल-प्रदूषित हो जाता है।
- कचरे के एकत्रीकरण के कारण अनेक मच्छर, मक्खियाँ आदि उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे बीमारियाँ फैलने का डर होता है।
- अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ; जैसे—पीड़कनाशी व रसायन आदि की सांद्रता | उत्तरोत्तर पोषक तरों पर बढ़ती जाती है, जो स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालती है।
- अजैव निम्नीकरणीय कचरे; जैसे—प्लास्टिक थैलियाँ आदि जीव-जंतुओं द्वारा खाए जाने से बीमारी होने का डर होता है।
- अजैव निम्नीकरणीय कचरा, जो हम उत्पन्न करते हैं किसी स्थान पर सड़ने से उसमें दुर्गंध आदि उत्पन्न हो जाती है, जिससे आस-पास का वातावरण दूषित हो जाता है।
प्रश्न.8. यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव-निम्नीकरणीय हो, तो क्या इसका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव-निम्नीकरणीय होगा, तो इसका हमारे पर्यावरण पर कम हानिकारक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि जैव निम्नीकरणीय कचरा; जैसे—कागज आदि को हम पुनः अपघटित करके प्रयोग में ला सकते हैं, ये जैव अपघटित पदार्थ जल्दी वायुमंडलीय चक्रीकरण में उपयोग हो जाएंगे।
प्रश्न.9. ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं।
वायुमंडल के उच्चतम स्तर से आने वाली पराबैंगनी किरणों (UN) को ओजोन की परत द्वारा रोक लिया जाता था लेकिन अब ओजोन परत की क्षति के कारण वायुमंडल से आने वाली पराबैंगनी किरणें (UV) सीधे पृथ्वी तक पहुँचने लगी हैं, जिस कारण सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधों और मनुष्यों पर इसका हानिकारक प्रभाव होने लगा है। मनुष्यों में इसके कारण त्वचा संबंधी रोग या त्वचा का कैंसर भी हो जाता है, इसके कारण वायुमंडल के तापक्रम पर भी गहरा असर पड़ा है, जिस कारण कहीं-कहीं पर अत्यधिक वर्षा हो जाती है और कहीं-कहीं पर अत्यधिक सर्दी या गर्मी पड़ने लगी है। इसके कारण ग्लोबल वार्मिंग भी एक चिंता का विषय बन गया है इसी तरह, जीव-जंतु या पेड़-पौधे समय से पहले नष्ट हो रहे हैं, जो एक महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय है। इसके कारण इमारतों; जैसे-ताजमहल पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है। ओजोन परत की क्षति को रोकने के उपाय सन् 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में अनुमति दी गई कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स (CFCs) जो एक मानव संश्लेषित रसायन है, इसके उत्पादन को सीमित रखा जाए, क्योंकि सन् 1980 से पाया गया कि वायुमंडल में ओजोन की मात्रा में तीव्रता से गिरावट आ रही है, जिसका मुख्य कारण क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स है। अतः ओजोन परत की क्षति को रोकने के लिए हमें सबसे पहले इस रसायन का कम-से-कम प्रयोग करना चाहिए, इसका उपयोग मुख्यतः रेफ्रीजरेटर, ए.सी. एवं अग्निशमन यंत्रों के लिए किया जाता है।
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