दक्कन विद्रोह कब हुआ और दक्कन दंगा कमीशन कब नियुक्त किया गया : 1874-1879 में दक्कन विद्रोह महाराष्ट्र के पूना, अहमदाबाद, सतारा और शोलापुर आदि क्षेत्रों में मुख्य रूप से फैला। दक्कन विद्रोह मुख्यतः मराठा किसानों द्वारा सूद पर पैसा देने वाले साहूकारों के विरूद्ध किया गया था।
इसके दो प्रमुख कारण थे –
उपरोक्त दोनों कारणों से किसान आर्थिक रूप से टूट चुका था। दिसम्बर, 1874 ई० में शिरूर तालुका के करडाह गाँव के एक सूदखोर कालूराम ने किसान (बाबा साहिब देशमुख) के खिलाफ़ अदालत से घर की नीलामी की डिक्री (कुर्की वारंट) प्राप्त कर ली। इस पर किसानों ने साहूकारों के विरूद्ध आन्दोलन शुरू कर दिया और साहूकारों के घरों एवं कार्यालयों में घुस कर लेखा बहियाँओं को जलाना शुरू कर दिया गया।
1875 ई0 तक यह आन्दोलन अन्य जगहों पर फैल गया। बही-खाते जला दिए गए तथा ऋणबंधों को नष्ट करा जाने लगा। साहूकार एवं अनाज व्यापारी रातों-रात गाँव छोड़कर भागने लगे।
वासुदेव बलवंत फड़के ने दक्कन विद्रोह का नेतृत्व किया। इसमें उनको महाराष्ट्र के शिक्षित वर्ग का खासा सहयोग प्राप्त हुआ। जस्टिस एम० जी० रानाड़े इसमें से प्रमुख नामों में से एक थे।
दक्कन दंगा कमीशन किसानों की स्थिति में सुधार हेतु 1876 ई० में गठित किया गया। जिसका उद्देश्य बेदखल खेतिहर किसानों को उनकी जमीनें वापस लौटाना, दिवालिया हो चुके किसानों की सहायता करना, ऋणग्रस्त भूमि की बिक्री किसी बाहरी व्यक्ति को न करना एवं विशेष अवसरों जैसे शादी एवं त्यौहारों पर किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कराना था।
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