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Short Questions Answers: यह दंतुरहित मुस्कान और फसल | Hindi Class 10 PDF Download

अति लघु उत्तरीय प्रश्न
निम्नांकित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-


1. तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात.......
छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण

प्रश्न (क)- बच्चे के स्पर्श भर से कवि को कैसा अनुभव हो रहा है? 
उत्तर: कवि अनुभव करता है कि बच्चे के स्पर्श से निष्ठुर हृदय भी अपनी निष्ठुरता छोड़कर सहृदय बन जाएगा।

प्रश्न (ख)- शिशु का शरीर कवि को कैसा लग रहा है और उन्हें वह उनकी झोंपड़ी में किस रूप में आया हुआ अभास करवा रहा है? 
उत्तर: शिशु का धूल-धूसरित शरीर देखकर कवि को लगता है कि मानो शिशु के रूप में कमल, तालाब को छोड़कर उसकी झोंपड़ी में खिल गया हो।

प्रश्न (ग)- “पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण” का भाव स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर: इसका भाव है कि पत्थरवत् हृदय भी शिशु की मुसकान देखकर, स्पर्श पाकर भावुक हो जाते हैं।

2. तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात.......
छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बाँस था कि बबूल ?

प्रश्न (क)- किसकी मुसकान मृतक में भी जान डाल देती है ? 
उत्तर: कोमल शिशु की मधुर मुसकान मृतक में जान डालकर जीवन का संचार कर देती है।

प्रश्न (ख)- कवि ‘शिशु के स्पर्श से पाषाण का पिघलना’ कहकर क्या स्पष्ट करना चाहता है ? 
उत्तर: पत्थर के समान कठोर हृदय वाले व्यक्ति भी शिशु की मुसकान देखकर उसका स्पर्श पाकर पिघल जाते हैं, भावुक हो जाते हैं।

प्रश्न (ग)- ‘बाँस’ या ‘बबूल’ से ‘शेफालिका के फूल झरने’ में निहित भाव क्या है ? 
उत्तर: कवि का स्पर्श बबूल और बाँस के समान कठोर है। उस कठोरता के स्पर्श से बच्चे की आँखों से अश्रु ऐसे झरने लगे जैसे शेफालिका के फूल झर रहे हों।

3. यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
मैं न सकता देख
मैं न पाता जान
तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा सम्पर्क
अँगुलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
देखते तुम इधर कनखी मार
और होतीं जब कि आँखें चार
तब तुम्हारी दंतुरित मुसकान
मुझे लगती बड़ी ही छविमान!

प्रश्न (क) ‘कनखी मारना’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
‘कनखी मारना’ का अर्थ है तिरछी निगाहों से देखना।

प्रश्न (ख)- कवि ने अपने लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है और क्यों ? 
उत्तर:
कवि यायावरी प्रवृत्ति का है इसलिए उसने अपने लिए प्रवासी सा अनजान, इतर व अतिथि आदि विशेषणों का प्रयोग किया है।

प्रश्न (ग)- कवि किसके माध्यम से बच्चे की दंतुरित मुसकान देखने में सफल हुआ ? 
उत्तर:
शिशु की मुसकान से कवि का परिचय शिशु की माँ के माध्यम से हुआ। यदि वह सहायता नहीं करती तो कवि आनन्ददायक कोमल व मधुर मुसकान न देख पाता।

अथवा

प्रश्न (क)- कविता तथा कवि का नाम लिखिए। 
उत्तर: कविता-‘यह दंतुरित मुसकान,’ ‘कवि-नागार्जुन’।

प्रश्न (ख)- मधुपर्क क्या होता है ? 
उत्तर: दूध, घी, शहद, दही और गंगाजल को मिलाकर बनाया गया पेय जिसे ‘पंचामृत’ कहते हैं। यह शिशु को स्वस्थ रखता है तथा शिशु का यह सम्पूर्ण आहार है। इसे ही यहाँ मधुपर्क कहा गया है।

प्रश्न (ग)- शिशु की दंतुरित मुसकान कवि को कब शोभायमान लगती है ?
उत्तर:
कवि का बच्चे के साथ आँखें मिलना, उसके चेहरे पर मुसकान तैर जाना। मुसकान कवि को शोभायमान लगना और उसके हृदय में शिशु के प्रति प्रेम का उमड़ना।

4. एक के नहीं,
दो के नहीं,
ढेर सारी नदियों के पानी का जादू
एक के नहीं,
दो के नहीं,
लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा
एक की नहीं,
दो की नहीं,
हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म 

प्रश्न (क)- “ढेर सारी नदियों के पानी का जादू” का भाव स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर: फसल में एक नहीं सारे देश की अनेक नदियों का पानी जाता है तब अन्न का उत्पादन होता है।

प्रश्न (ख)- कवि बार-बार कहता है ‘एक के नहीं, दो के नहीं, हज़ार-हज़ार के’ ? कारण स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर: यह बताने के लिए कि कृषक द्वारा उगाई गई फसल यों ही नहीं पक जाती, उसमें हज़ारों करोड़ों, हाथों, जल तथा अन्य तत्वों का योग होता है। यहाँ कवि अन्न के दाने का महत्व प्रतिपादित करता हैं।

प्रश्न (ग)- “हज़ार-हज़ार खेतों” का अर्थ स्पष्ट कीजिए और बताइए हज़ारों खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म किसके लिए सहायक होता है।
उत्तर: अनेक एवं असंख्य खेत, ‘फसल’ की जमीन जीवन के लिए अन्न देती है।

5. फसल क्या है ?
और तो कुछ नहीं है वह
नदियों के पानी का जादू है वह
हाथों के स्पर्श की महिमा है
भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुणधर्म है
रूपान्तर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का।।

प्रश्न (क)- नदियों का पानी फसल के लिए क्या करता है ? 
उत्तर: नदियों का पानी उसे बढ़ाता है तथा जीवन देता है।

प्रश्न (ख)- फसल को उगाने में हाथों के स्पर्श की महिमा किस तरह है ? 
उत्तर: फसल को उगाने में करोड़ों किसानों के श्रम का गौरव शामिल होता है।

प्रश्न (ग)- मिट्टी के गुण-धर्म का आशय स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर: हज़ारों-हज़ारों खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म फसल में विद्यमान है।

लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1. ‘यह दंतुरित मुसकान’ को स्पष्ट करते हुए बताइए कि वह मरे हुए में भी जान कैसे डाल देती है?
उत्तर: 
‘दंतुरित मुसकान’ का अर्थ, नए-नए दाँतों वाले बच्चे की मुसकराहट है, इसे देखकर निराश और दुःखी व्यक्ति भी उस मनोहर छवि पर आकृष्ट होता है। यह मृतक का भी जीवित होना है।
व्याख्यात्मक हल:
जब बच्चा अपने नन्हे-नन्हे दाँतों से मुसकाता है, तब उसकी सुन्दरता अद्वितीय हो जाती है। वह मुसकान इतनी प्यारी होती है कि मरणासन्न व्यक्ति भी उसे देखकर अपने सारे दुःख दर्द भूल जाता है और प्रसन्नता से झूम उठता है। इस प्रकार वह दन्तुरित मुसकान जीवन का संदेश देती है।

प्रश्न 2. ”छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात“ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिशु के मुसकाते मुख और उसके धूल-धूसरित कोमल अंगों को देखकर कवि उल्लसित है उसे लग रहा है मानो कमल तालाब को छोड़कर उसकी झोंपड़ी में खिल रहे हैं।

प्रश्न 3. ‘यह दंतुरित मुसकान’ पाठ के अनुसार पत्थर भी पिघलकर जल कब बन जाता है? इस उक्ति का अर्थ स्पष्ट करते हुए टिप्पणी कीजिए। 
उत्तर: पाषाण का पिघलकर जल बन जाने का भाव है कि बच्चे की मनोहर छवि को देखकर कठोर से कठोर हृदय भी पिघल जाता है। बच्चे की दंतुरित मुसकान का प्रभाव अद्भुत होता है। 

प्रश्न 4. “यह दंतुरित मुस्कान” कविता में कवि ने मानव जीवन के किस सत्य को प्रकट किया है?
उत्तर:
शिशु की मधुर दंतुरित मुसकान को देखकर कवि का मन सरसता तथा स्निग्धता से भरकर आनंदित हो उठता है। पारिवारिक जीवन अच्छा है इससे मनुष्य के मन में आनन्द और उत्साह का संचार होता है तथा वह अनेक कठिनाइयों को सरलता से पार कर लेता है। 

प्रश्न 5. ”यह दंतुरित मुसकान“ कविता में ”शेफालिका के फूल“ झरने का क्या आशय है और ऐसा क्यों हुआ?
उत्तर:
इसका आशय बच्चे की आँखों से आँसू टपकने से है। ऐसा कवि की कठोर हथेलियों के स्पर्श से हुआ।

प्रश्न 6. बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अन्तर है ?
उत्तर: बच्चे की मुसकान में निश्छलता और मासूमियत होती है। दिल में किसी के लिए दुर्भावना नहीं होती, जबकि बड़े व्यक्ति की मुसकान में चालाकी, स्वार्थ किसी के प्रति दुर्भावना भी छिपी हो सकती है।

प्रश्न 7. घर में आए अतिथि को देखकर बच्चे के मन में क्या-क्या भाव उत्पन्न होते हैं ? ‘दंतुरित मुसकान’ के आधार पर उत्तर दीजिए। 
उत्तर:
परिचित को देखकर शिशु की प्रसन्नता, उत्सुकता, कौतुक आदि तथा अतिथि को देखकर डरना, रोना, मंद हँसी, कनखियों से देखना आदि भाव उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 8. बच्चा अनजान व्यक्ति की ओर किस प्रकार देखता रहता है? ”यह दंतुरित मुसकान“ कविता के अनुसार उसे देखकर कवि नागार्जुन क्या कहकर आँखें फेर लेना चाहते हैं?
उत्तर:
बिना पलक झपकाए, ताकि बच्चा थक न जाए, यदि माँ ने न परिचित कराया होता तो वे जान ही नहीं पाते, तुम और तुम्हारी माता दोनों धन्य हैं। बच्चा अनजान व्यक्ति की ओर बिना पलक झपकाए लगातार देख रहा है। वह उसे पहचानने का प्रयास कर रहा है। कवि यह कहकर कि कहीं बच्चा उन्हें एकटक देखते हुए थक न जाये, आँखें फेर लेना चाहते हैं।

प्रश्न 9. बच्चे का परिचय संसार से करवाने में मुख्य रूप से किसकी भूमिका होती है ? 
उत्तर:
बच्चे का परिचय संसार से करवाने में माँ की मुख्य भूमिका होती है। वह नौ माह तक बच्चे को गर्भ में रखकर तथा जन्म देकर प्यार देती है और संसार में सबसे उसका परिचय कराती है।

प्रश्न 10. फसल नदियों के पानी का जादू, हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा तथा मिट्टी का गुण धर्म किस प्रकार है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
फसल बिना पानी के न तो उग सकती है, न बढ़ सकती है और न पक सकती है। इसमें एक नहीं अनेक व्यक्तियों का परिश्रम तथा उनके हाथों का श्रम के साथ-साथ बीज-खाद व मिट्टी का भी योगदान होता है। यदि ये सब नहीं होगा तो बीज का न तो अंकुर बनेगा, न फसल और न दाना। अतः फसल इनकी गरिमा एवं महिमा के साथ-साथ मिट्टी का गुण धर्म है।

प्रश्न 11. ”नदियों के पानी का जादू“ और ”हाथों के स्पर्श की गरिमा“ किसको कहा गया है और क्यों?
उत्तर:
पानी के संपर्क में आते ही बीज में अंकुर फूटता है, पानी ही उसे बढ़ाता और पोषित करता है, पानी प्राप्त होने के मूल साधन किसान के परिश्रम के बिना फसल नहीं बन सकती। 

प्रश्न 12. कवि के अनुसार फसल क्या है ? 
उत्तर:
कवि के अनुसार फसलें पानी, मिट्टी, धूप, हवा और मानव श्रम के मेल से बनी हैं। इनमें सभी नदियों के पानी का जादू समाया हुआ है। सभी प्रकार की मिट्टियों का गुण-धर्म है। सूरज और हवा का प्रभाव समाया है। इन सबके साथ किसानों और मजदूरों का श्रम भी सम्मिलित है।

प्रश्न 13. कवि ने फसल को हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है। मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है ? 
उत्तर: मिट्टी के अनेक प्रकार के गुण-धर्म के कारण फसल का पैदा होना। मिट्टी द्वारा गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में मनुष्य का जीवन बुरी तरह प्रभावित होना। उसका परिणाम भुखमरी, अनेक प्रकार की बीमारियाँ तथा तनाव आदि के रूप में सामने आना।

प्रश्न 14. ‘फसल’ कविता में फसल के उत्पादन में किन-किन तत्वों का योगदान बताया गया है ?
अथवा
फसल उगाने के लिए कौन से तत्व आवश्यक माने गए हैं ?
उत्तर:
नदियों का पानी, मनुष्य का परिश्रम, भूरी-काली संदली मिट्टी, सूर्य की किरणों तथा हवा का योगदान।

प्रश्न 15. फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है ?
उत्तर:
फसल नदियों के पानी, प्रकाश, हवा, धूप तथा मिट्टी के तत्वों का परिणाम है, किन्तु मनुष्य के परिश्रम के परिणामस्वरूप फलती-फूलती है। मनुष्य के हाथों के परिश्रम के बिना अपना रूप ग्रहण नहीं कर पाती। मनुष्य के परिश्रम का विशेष महत्व होने के कारण इसे हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा कहा है।

प्रश्न 16. कवि ने ‘फसल’ के निर्माण में कृषक को अधिक महत्व दिया है, क्यों ? 
उत्तर:
कृषक का जीवन कृषि पर आधारित है। वह दिन-रात, समय-असमय, दुःख की चिंता न करते हुए अपने परिश्रम से बीज बोने से लेकर फसल तैयार होने तक का धैर्य रखता है अतः उसके धैर्य और अथक परिश्रम की पराकाष्ठा को देखकर कृषक को अधिक महत्व दिया गया है।

प्रश्न 17. ‘रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का।’ पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फसल उत्पन्न करने में प्राकृतिक उपादानों जैसे-सूर्य का प्रकाश और हवा का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। पेड़-पौधे में सूर्य की किरणों का परिवर्तित रूप मानता है। उसे फसल में थिरकती हवा का संकोच समाया हुआ दिखाई पड़ता है।

प्रश्न 18. फसल मिट्टी का गुण धर्म कैसे है ? 
उत्तर: मिट्टी ही फसल का मूल आधार है। मिट्टी, अपने रस से बीज को अंकुरित कर उसका पोषण कर फसल के रूप में तैयार करती है। वह जननी के रूप में सृजन का कार्य करती है।

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FAQs on Short Questions Answers: यह दंतुरहित मुस्कान और फसल - Hindi Class 10

1. दंतुरहित मुस्कान क्या है?
उत्तर: दंतुरहित मुस्कान एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें दंतों को निकाल दिया जाता है और उनके स्थान पर ब्रिज और इंप्लांट रखे जाते हैं। यह तरीका दंतों की कमी, दंतों के नष्ट हो जाने या दंतों के निकलने के कारण हो सकता है। दंतुरहित मुस्कान आमतौर पर स्थायी होती है और उसे सामरिक तरीके से किया जाता है।
2. फसल क्या होती है?
उत्तर: फसल उन सभी वनस्पतियों को कहा जाता है जिन्हें मानव और पशुओं के खाद्य स्रोत के रूप में उगाया जाता है। यह विभिन्न फसलों में शामिल हो सकती है जैसे अनाज, फल, सब्जियां, मसाले और वनस्पतियों की अन्य विभिन्न प्रकार। फसलें खेती या कृषि के माध्यम से उगाई जाती हैं और मानवों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रयोग की जाती हैं।
3. दंतुरहित मुस्कान के लिए सबसे अच्छे उपाय क्या हैं?
उत्तर: दंतुरहित मुस्कान के लिए सबसे अच्छा उपाय है नियमित दंत स्वच्छता और मुंह की देखभाल रखना। दिन में कम से कम दो बार ब्रश करना चाहिए और दांतों के बीच और जीवाणुओं के लिए आपकी मुंह की सभी क्षेत्रों को साफ रखना चाहिए। इसके अलावा, नियमित दंत चिकित्सा छापे करवाना भी महत्वपूर्ण है ताकि किसी भी समस्या का समय पर पता चल सके और उसे सही तरीके से निपटाया जा सके।
4. फसलों की अच्छी देखभाल के लिए कौन-कौन से उपाय हैं?
उत्तर: फसलों की अच्छी देखभाल के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं। पहले, सही जलवायु और मिट्टी की पहचान करें और उसे फसल के लिए उचित बनाने के लिए संशोधित करें। दूसरे, समय पर सही मात्रा में जल प्रदान करें और उर्वरक के उपयोग को सही मात्रा में करें। तीसरे, फसलों के लिए उचित कीटनाशक और रोगनाशक का उपयोग करें। चौथे, नियमित रूप से फसल की देखभाल करें, जैसे कि खरपतवार को हटाना, फसल को पौधों के बीच ठीक से खेती करना और उगाई हुई फसल को समय पर कटवाना।
5. दंतुरहित मुस्कान के बाद क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर: दंतुरहित मुस्कान के बाद कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए। पहले, खाने पीने के विषय में सतर्क रहें और स्क्रूच और चबाने जैसी गतिविधियों से बचें। दूसरे, नियमित रूप से ब्रश करना और फ्लॉस करना जारी रखें लेकिन सतर्क रहें कि आपके दांतों को हानि नहीं पहुंच रही है। तीसरे, दंत चिकित्सा छापे के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करें और वे आपको किसी भी संभावित समस्या के बारे में जागरूक कर सकते हैं।
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