भारत में शल्य चिकित्सा देखभाल लंबे समय से सार्वजनिक स्वास्थ्य का उपेक्षित क्षेत्र रहा है। यह निम्न और मध्यम आय वाले देशों द्वारा सामने आने वाली व्यापक चुनौतियों को भी दर्शाता है। 1.4 बिलियन से अधिक आबादी का देश होने के बावजूद भारत में, पिछले सात दशकों से शल्य चिकित्सा देखभाल पर अपेक्षित ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है, और 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में भी इसे अपर्याप्त महत्व दिया गया है।
न्यूज़ीलैंड जैसे देशों से भारत की तुलना करने पर, सर्जिकल दरों में असमानता स्पष्ट दिखती है, क्योंकि जहाँ न्यूज़ीलैंड में प्रति 1,00,000 लोगों पर 166 सर्जरी का अनुमान है, वहीं भारत में यह आंकड़ा 3,646 सर्जरी दर्शाता है।
भारत में लाखों बच्चों और वयस्कों के लिए सर्जरी तक पहुंच का अधिकार उनकी स्थितियों की गंभीरता और वित्तीय क्षमताओं से परे है। एक रिपोर्ट का अनुमान है कि 90% से अधिक ग्रामीण भारतीयों के पास जरूरत पड़ने पर सर्जरी तक पहुंच की कमी है। इस गंभीर स्थिति के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं:
भारत की सर्जिकल देखभाल प्रणाली में व्याप्त अंतराल को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं। इस दिशा मने कई नागरिक पहल और उप-राष्ट्रीय कार्यक्रम, जैसे एसोसिएशन फॉर रूरल सर्जन्स ऑफ इंडिया, ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विसेज, आपातकालीन चिकित्सा देखभाल और ट्रॉमा सेंटर आदि उल्लेखनीय हैं। साथ ही SEARCH और JSS जैसे कई संगठन दूरदराज के वंचित आबादी समूहों की भी सेवा करते हैं।
अन्य बातों के अलावा, व्यक्तिगत सर्जनों और ग्लोबल सर्जरी इंडिया हब जैसे समूहों ने तकनीकी नवाचारों और अनुसंधान नेटवर्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसका उद्देश्य सर्जिकल देखभाल को बढ़ाना है। हालांकि ये पहल सराहनीय हैं, तथापि व्यवस्थगत अंतराल अभी भी विद्यमान हैं, जिसके लिए मौजूदा असमानताओं को समाप्त करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
सर्जिकल देखभाल की अपर्याप्त क्षमता में योगदान देने वाला एक बुनियादी कारण, समस्याओं के पहचान की कमी है। सर्जिकल देखभाल तक आम लोगों की पहुंच, सर्जरी के कारण रोकी जा सकने वाली बीमारियों का बोझ और सर्जरी का आर्थिक नुकसान अभी भी भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य चर्चा का अभिन्न अंग नहीं बन पाया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के अनुसार यह उपेक्षा स्वास्थ्य नीति निर्माण और सरकार की योजना में स्पष्टतः दृष्टिगोचर है।
भारत में सर्जिकल देखभाल की स्थिति में सुधार के लिए कई प्रयास किये जा सकते हैं, जैसे:
भारत में सर्जिकल देखभाल का वर्तमान परिदृश्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों का प्रतीक है। हालांकि जमीनी स्तर पर यहाँ की सराहनीय पहल कार्य कर रहे हैं,फिर भी व्यवस्थगत अंतराल बना हुआ है। यह अंतराल सर्जिकल देखभाल को व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य पहुँच में एकीकृत करने के एक ठोस प्रयास की आवश्यकता पर बल देते हैं। सर्जरी तक पहुंच के अधिकार को एक बुनियादी आवश्यकता के रूप में पहचानना और व्यापक नीतियों और रणनीतियों को लागू करना भारत में व्याप्त असमानताओं को दूर करने और सर्जिकल देखभाल की समग्र स्थिति में सुधार लाने के लिए अनिवार्य होगा।
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