UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  The Hindi Editorial Analysis- 11th December 2023

The Hindi Editorial Analysis- 11th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

वैश्विक तनाव: तीसरे विश्व युद्ध के संभावित कारक


संदर्भ -

विश्व युद्ध अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाला युद्ध है, जिसमें विश्व की अधिकांश या सभी प्रमुख शक्तियां शामिल होती हैं। "विश्व युद्ध" शब्द की जड़ें 19वीं शताब्दी के मध्य में मिलती हैं, विशेष रूप से कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा इसका उपयोग किया गया था। अंग्रेजी में पहली बार इसका प्रयोग 1848 में एक स्कॉटिश समाचार पत्र, द पीपुल्स जर्नल में हुआ था। इस जर्नल मे विश्व की महान शक्तियों के बीच युद्ध का वर्णन किया गया था।

The Hindi Editorial Analysis- 11th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

प्रथम विश्व युद्ध

  • "प्रथम विश्व युद्ध" शब्द का प्रयोग 1914 में जर्मनी में किया गया था, जबकि फ्रांसीसी और अंग्रेजों ने शुरू में इसे "महान युद्ध" के नाम से संदर्भित किया था।इस युद्ध का वैश्विक दायरा काफी व्यापक था क्योंकि इसमे शामिल प्रमुख राज्यों ने अपने उपनिवेशों और शासित क्षेत्रों को भी शामिल किया था।
  • हालांकि कुछ लोग इसे एक यूरोपीय संघर्ष मानते हैं, लेकिन इस पर सर्व सहमति है कि प्रथम विश्व युद्ध के सम्पूर्ण विश्व पर व्यापक प्रभाव पड़े थे। विभिन्न जातियों और राष्ट्रीयताओं के सैनिकों को इसमें शामिल करना, प्रमुख साम्राज्यों की भागीदारी और इसके व्यापक परिणामों ने इसकी वैश्विक प्रकृति को प्रदर्शित किया था। युद्ध में हताहत होने वालों की संख्या 4 करोड़ से अधिक थी, जो पिछले किसी भी अन्य संघर्ष की तुलना में काफी ज्यादा थी।
  • प्रथम विश्व युद्ध ने भू-राजनीतिक परिवर्तन, साम्राज्यों के विघटन और नए राष्ट्रों को जन्म दिया था। इसने विभिन्न देशों के आत्मनिर्णय के अधिकार को प्रभावित किया और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए आधार तैयार किया, जिसकी परिणति राष्ट्र संघ के गठन में हुई थी।
  • इस दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा। युद्ध के पश्चात वैश्विक वित्त के केंद्र का स्थानातरण लंदन से न्यूयॉर्क हो गया था।

द्वितीय विश्व युद्धः

  • द्वितीय विश्व युद्ध, 1939-1945 के बीच हुआ था, इसमें दुनिया भर की प्रमुख शक्तियां शामिल थीं। इस संघर्ष ने विश्व में शक्ति संतुलन को नवीन आकार दिया था । युद्ध के परिणामस्वरूप सोवियत संघ के प्रभाव का विस्तार हुआ, चीन के कम्युनिस्ट आंदोलन को बढावा मिला और U.S. एवं सोवियत संघ महाशक्तियों के रूप में स्थापित हुए थे।
  • अनुमान है कि इस युद्ध में 60 मिलियन लोग हताहत हुए थे। द्वितीय विश्व युद्ध इतिहास का सबसे खूनी संघर्ष माना जाता है, इसमें घायल होने और मरने वालों मे सैन्य कर्मी और नागरिक दोनों शामिल थे।
  • युद्ध के बाद यूरोपीय साम्राज्यों का पतन हुआ, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोवियत संघ का महाशक्तियों के रूप में उदय हुआ और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं की स्थापना हुई थी। युद्ध के पश्चात आई. एम. एफ. और विश्व बैंक जैसे संगठनों ने विभिन्न देशों के बीच आर्थिक सुधार को बढावा दिया ।
  • युद्ध के पश्चात वैश्विक अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन U.S. एक अग्रणी आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा। यद्यपि मार्शल योजना ने यूरोप में सुधार की कोशिश की, फिर भी विभिन्न राष्ट्रों में आर्थिक पुनरुत्थान अलग अलग तरीके से हुआ।

शीत युद्ध के बाद तीसरे विश्व युद्ध के संभावित कारक

1990 के दशक में शीत युद्ध के समापन ने तीसरे विश्व युद्ध के तात्कालिक जोखिम को कम कर दिया था। हालांकि, हाल की घटनाओं ने चिंताओं को बढ़ा दिया है, जैसे- मध्य पूर्व में तनाव, यूक्रेन में रूसी कार्रवाई और हिंद-प्रशांत में अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता आदि।

  • मध्य पूर्व संकटः

    ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर इजरायल-ईरान के बीच तनाव, क्षेत्र के लिए सुरक्षा खतरा उत्पन्न कर रहा है। साथ ही गाजा में चल रहे संघर्ष में ईरान और हिज़्बुल्लाह जैसी क्षेत्रीय शक्तियों की भागीदारी इसे एक व्यापक युद्ध में बदल सकता है। इस क्षेत्र में अमेरिकी सैनिकों की भागीदारी से व्यापक संघर्ष की संभवना है।

    रूस-यूक्रेन संघर्षः

    यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में सबसे खतरनाक गतिविधि माना जा रहा है। रूस द्वारा परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी और परमाणु संधियों के निलंबन से तनाव और बढ़ गया है। इस संघर्ष की लंबी प्रकृति और संभावित वैश्विक निहितार्थ एक व्यापक संकट के जोखिम को प्रकट कर रहे हैं।

    अमेरिका-चीन टकरावः

    अमेरिका के ताइवान के साथ संबंध, अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढा रहा है। यद्यपि दोनों देशों के बीच सैन्य शक्ति में असमानता चीन को रोके हुए है, लेकिन ताइवान का मुद्दा इनके बीच संघर्ष को बढ़ा सकता है।

    • इन दिनों देशों के बीच टकराव वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के टूटने और आर्थिक तबाही का कारण बन सकता है।
  • अस्थिर दक्षिण एशियाः

    दक्षिण एशिया में परमाणु शक्ति सम्पन्न भारत, पाकिस्तान और चीन के मध्य बढ़ते तनाव से लेकर धार्मिक कट्टरवाद तक की कई चुनौतियां है।

    • एक संभावित आतंकवादी हमला भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध को जन्म दे सकता है। जिसके क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरे के साथ कई अन्य निहितार्थ हो सकते है।
    • भारत-चीन सीमा पर बढ़ते तनाव और हिंद महासागर में चीन की नौसैनिक उपस्थिति से सैन्य झड़पों का खतरा बढ़ गया है।
  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरणः

    जलवायु परिवर्तन उत्सर्जन में कमी के प्रयासों में असमानताओं और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों पर प्रतिस्पर्धा भू-राजनीतिक तनाव को बढ़ा रहा है। नौवहन और संसाधन अन्वेषण में अवसरों के कारण आर्कटिक क्षेत्र , विभिन्न देशों के बीच प्रतिस्पर्धा के एक संभावित केंद्र के रूप में उभरा है। रूस, चीन और अमेरिका आर्कटिक में व्यापक निवेश कर रहे हैं।

तृतीय विश्व युद्ध के संभावित परिणाम

  • यदि तीसरा विश्व युद्ध होता है, तो वैश्विक कूटनीति, अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी के लिए गंभीर परिणाम होंगे। राष्ट्रों के बीच विश्वास की कमी और तनावपूर्ण राजनयिक संबंध, देशों के बीच विवादों को विनाशकारी संघर्षों में बदल देंगे।
  • वित्तीय बाजार कमजोर पड़ जाएंगे, जिससे व्यापार बाधित होगा और यहां तक कि सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं की स्थिरता के लिए भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट आएगी, जिससे निवेश संकट उत्पन्न हो जाएगा । मौजूदा व्यापार समझौते टूट सकते हैं, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। युद्ध के कारण संभावित रूप से महामंदी के समान दूसरी आर्थिक मंदी भी आ सकती है।
  • संभावित आधुनिक विश्व युद्ध में, अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा तथा इसमें परमाणु हथियारों के उपयोग की आशंका भी बढ़ जाएगी। यद्यपि सामूहिक विनाश के हथियार युद्धों को रोकने के लिए होते हैं, लेकिन तीसरा विश्व युद्ध उनके तर्कहीन उपयोग का कारण बन सकता हैं। भले ही पूर्ण परमाणु युद्ध को टाला दिया जाए, फिर भी छोटे पैमाने की घटनाओं के भी विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
  • यह संघर्ष साइबर और अंतरिक्ष युद्ध को शामिल करते हुए पारंपरिक क्षेत्रों से परे फैल सकता है। संचार नेटवर्क और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को लक्षित करने वाले साइबर हमले व्यापक ऊर्जा कटौती का कारण बन सकते हैं और अस्पतालों और सार्वजनिक परिवहन जैसी आवश्यक सेवाओं को बाधित कर सकते हैं। ड्रोन, स्वायत्त हथियारों, हाइपरसोनिक मिसाइलों और निर्देशित ऊर्जा हथियारों(Directed energy weapons)सहित हथियार प्रौद्योगिकी में प्रगति, सटीक और बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बनेगी।

निष्कर्ष

यद्यपि तीसरे विश्व युद्ध की संभावना कम है, लेकिन विभिन्न देशों के बीच सीमा संघर्ष और भू-राजनीतिक तनावों के कारण वैश्विक सतर्कता की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ मध्य पूर्व, पूर्वी यूरोप और हिंद-प्रशांत की घटनाएं ऐसी चुनौतियां प्रस्तुत करती हैं, जिनसे अगर सही तरीके से नहीं निपटा गया, तो दुनिया दूरगामी परिणामों के साथ एक वैश्विक संघर्ष में उलझ सकती है। इस तरह के विनाशकारी परिदृश्य को रोकने के लिए राजनयिक प्रयास, संघर्ष समाधान हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।

The document The Hindi Editorial Analysis- 11th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2317 docs|814 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on The Hindi Editorial Analysis- 11th December 2023 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. वैश्विक तनाव क्या है?
उत्तर: वैश्विक तनाव एक ऐसी स्थिति है जब दुनिया में बढ़ते हुए संघर्ष, विवाद और तनाव के कारण अंतरराष्ट्रीय सम्बंधों में तनाव बढ़ जाता है। यह तनाव सामरिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों से संबंधित हो सकता है।
2. तीसरे विश्व युद्ध क्या है?
उत्तर: तीसरे विश्व युद्ध का अर्थ है एक अंतरराष्ट्रीय संघर्ष जो वैश्विक आर्थिक, सामरिक और राजनीतिक मुद्दों के कारण होगा। इस युद्ध की संभावना बढ़ रही है और इसके कारक विभिन्न घटकों में शामिल हो सकते हैं, जैसे देशों के बीच विवाद, आर्थिक संघर्ष और राजनीतिक असमंजस।
3. वैश्विक तनाव के संभावित कारक क्या हो सकते हैं?
उत्तर: वैश्विक तनाव के कारक विभिन्न हो सकते हैं, जैसे देशों के बीच भू-राजनीतिक विवाद, आर्थिक विपरीतताएं, संघर्ष और सामरिक विवाद, आतंकवादी गतिविधियां, बढ़ते हुए सामरिक बल, आदि। ये कारक एक साथ या अलग-अलग तत्वों में मौजूद हो सकते हैं और तनाव को बढ़ा सकते हैं।
4. वैश्विक तनाव किस तरह संभव है?
उत्तर: वैश्विक तनाव का कारण बहुत सारे घटक हो सकते हैं, जैसे आर्थिक विपरीतताएं, सामरिक विवाद, राजनीतिक असमंजस, विदेशी नीतियों के बीच विवाद, आदि। इन तत्वों का संघर्ष और विवाद वैश्विक स्तर पर फैल सकता है, जिससे वैश्विक तनाव का उदय हो सकता है।
5. तीसरे विश्व युद्ध के संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं?
उत्तर: तीसरे विश्व युद्ध के संभावित परिणाम अस्तित्वशास्त्र की दृष्टि से अत्यधिक अस्थायी और अनिश्चित होंगे। इसके अलावा, युद्ध के परिणाम आर्थिक, सामरिक और सामाजिक रूप से भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। आतंकवादी गतिविधियां और अस्थिरता भी बढ़ सकती है, जिससे विश्व में सुरक्षा स्थिति में बदलाव आ सकता है।
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

study material

,

video lectures

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Objective type Questions

,

The Hindi Editorial Analysis- 11th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

pdf

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

The Hindi Editorial Analysis- 11th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Viva Questions

,

MCQs

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Exam

,

practice quizzes

,

past year papers

,

Summary

,

shortcuts and tricks

,

Extra Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

ppt

,

Semester Notes

,

The Hindi Editorial Analysis- 11th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Important questions

,

Free

,

mock tests for examination

,

Sample Paper

;