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The Hindi Editorial Analysis- 11th October 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

स्वच्छ भारत 2.0: एक साथ आगे बढ़ना


चर्चा में क्यों?


  • जैसा कि भारत अपनी स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है, तो इस महत्त्वपूर्ण वर्ष में स्वच्छता से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में देश द्वारा की गई प्रगति को प्रकाश में लाना चाहिए।
  • 2014 तक, भारत में स्वच्छता कवरेज 39 प्रतिशत तक ही था। 2014 से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 55 करोड़ लोग शौचालय की सुविधा से वंचित थे और इसने हमारे लोगों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और गरिमा को गंभीर रूप से प्रभावित कर रखा था।

खराब स्वच्छता के प्रभाव:


  • खराब स्वच्छता का स्वास्थ्य पर प्रभाव:
    • दूषित पेयजल और रोगजनकों से भरे मानव अपशिष्ट के साथ भोजन के संपर्क में आना दस्त का एक प्रमुख कारण है और हैजा, ट्रेकोमा, आंतों के कीड़े आदि का कारण बन सकता है, जिससे हमारे बच्चों के बड़े पैमाने पर "स्टंटिंग" हो सकता है।
    • खराब स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाएं पर्यावरण को भी प्रभावित करती हैं, अनुपचारित सीवेज सीधे जल निकायों में बहती है और तटीय और समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों को प्रभावित करती है, मिट्टी और हवा को दूषित करती है, और लाखों लोगों को बीमारी के संपर्क में लाती है।
  • खराब स्वच्छता का आर्थिक प्रभाव:
    • विश्व बैंक के एक अध्ययन में कहा गया है कि शौचालयों की अनुपस्थिति और पारंपरिक स्वच्छता के कारण भारत को 2006 में अपने सकल घरेलू उत्पाद का 6.4 प्रतिशत खर्च करना पड़ा।
    • भारत के लिए खराब स्वच्छता का आर्थिक प्रभाव स्वास्थ्य, शिक्षा, पहुंच समय और पर्यटन के तहत हर साल कम से कम $ 38.5 बिलियन है।

स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम):


  • स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के शुभारंभ का एक अनूठा लक्ष्य - सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज प्राप्त करना और देश को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बनाना था ।
  • घरेलू शौचालयों के निर्माण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश करके, साथ ही मलिन बस्तियों और प्रवासी आबादी के लिए सामुदायिक शौचालय की व्यवस्था कर, सरकार ने शौचालय के बुनियादी ढांचे को भारी प्रोत्साहन दिया।
  • सदियों पुराने विचार में बदलाव लाने के लिए कि घर में शौचालय अशुद्ध थे, सरकार ने निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी के साथ कई कार्यक्रम चलाए ताकि आबादी को ओडीएफ के लाभों पर शिक्षित किया जा सके, जिसकी दुनिया के सबसे बड़े व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रमों में से एक के रूप में प्रशंसा की जाती है।
  • 2014 से 2020 तक 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया। देश ने 2 अक्टूबर, 2019 को खुद को ओडीएफ घोषित कर दिया।

एसबीएम 2.0:


  • परियोजना का दूसरा चरण, जो 2020 में शुरू हुआ और 2025 तक चलने की उम्मीद है, ने और भी अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं -
  • चरण 1 की उपलब्धियों को बनाए रखना और
  • यह सुनिश्चित करना कि तरल और ठोस अपशिष्ट दोनों का उपचार प्रौद्योगिकी और निजी क्षेत्र की सहभागिता की मदद से किया जा सके।

लाइटहाउस इनिशिएटिव (एलएचआई):

  • आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई लाइटहाउस पहल (एलएचआई) को पहले चरण में 15 राज्यों में 75 ग्राम पंचायतों के गांवों में पीपीपी के माध्यम से लागू किया जाना है।
  • एलएचआई समावेशी स्वच्छता के सिद्धांत पर आधारित है और किसी को भी पीछे नहीं छोड़ता है।

उद्देश्य:


  • एलएचआई का उद्देश्य ग्राम समुदायों, कॉरपोरेट्स, जिला और ब्लॉक प्रशासन और ग्राम पंचायत अधिकारियों को एक साथ लाकर एक भागीदारी और परामर्शी दृष्टिकोण को नियोजित करके ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन संरचनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना है।

एलएचआई का महत्व:


  • यह स्थानीय सरकारों, समुदायों और कॉर्पोरेट्स के बीच संयुक्त स्वामित्व और जवाबदेही पहल की सफलता सुनिश्चित करेगी।
  • इसमें ग्रामीण स्तर पर घरेलू और प्लास्टिक कचरे के साथ-साथ अपशिष्ट जल का प्रबंधन करना, लाभ प्राप्त करने के परिप्रेक्ष्य में कचरे को परिवर्तित करने के समाधानों को परिभाषित करना और उन्हें कार्यान्वित करना शामिल है साथ ही यह न केवल समुदायों के लिए स्वच्छ परिवेश प्रदान करता है, बल्कि उन्हें मध्यम से दीर्घकालिक में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी कार्य करता है।
  • सीवेज के न्यूनतम उपचार और उपचार के माध्यम से कीमती ग्रे पानी (जिनको रीसायकल किया जा सके) का शोधन दुर्लभ जल संसाधनों से निपटने, जल निकायों के पुन: उपयोग और संरक्षण को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है।
  • लंबे समय में स्वतंत्र रूप से प्रबंधित की जा सकने वाली सरल और लागत प्रभावी तकनीकों का उपयोग करके अपने कचरे को धन में बदलने के लिए कॉर्पोरेट्स की क्षमता, ग्राम की क्षमता विकसित करने में मदद कर सकती है, साथ मिल कर कम करने का यह प्रयास पीपीपी उत्कृष्टता के रूप में निर्मित हो सकता हैं।

भारत स्वच्छता गठबंधन (आईएससी):


  • मल्टीस्टेकहोल्डर प्लेटफ़ॉर्म:
    • भारत स्वच्छता गठबंधन (आईएससी) एक बहु-हितधारक मंच है जो सार्थक सहयोग प्रदान करने की दिशा में कार्य करता है।
    • इन हितधारकों में निजी क्षेत्र, सरकार, वित्तीय संस्थान, नागरिक समाज समूह, मीडिया, दानदाता आदि शामिल हैं।
    • आईएससी को ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच आधिकारिक मंच के रूप में देखा जाता है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी:
    • एलएचआई पहल में, जिंदल स्टील एंड पावर, जेएसडब्ल्यू, नायरा, एचसीएल और अंबुजा सीमेंट, टाटा ट्रस्ट और आगा खान ट्रस्ट जैसे फाउंडेशन वाले कॉर्पोरेट्स की सहायता ली गई है, इन सहयोगों में पेयजल और स्वच्छता विभाग ने इन निजी क्षेत्र के साथ काम करने के लाभों को स्वीकारा है।
  • वित्त पोषण:
    • ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी ढांचे की जमीनी जरूरत को समझते हुए, अगले पांच वर्षों में प्रदान किए जाने वाले 1,40,881 करोड़ रुपये सोख गड्ढों, अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाबों, जल निकासी चैनलों, संग्रह और पृथक्करण शेड और बायोगैस संयंत्रों के निर्माण जैसी गतिविधियों को क्रियान्वित करने के लिए निर्धारित किये गये हैं।
  • प्रबंधन और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता:
    • आईएससी डब्ल्यूएएसएच और स्वास्थ्य, शिक्षा, लिंग, पोषण और आजीविका जैसे क्षेत्रों के बीच विषयगत इंटरलिंकेज के बारे में सरकार की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगा।
    • इसमें शहरी और ग्रामीण चुनौतियों को शामिल किया जाएगा और ऐसे व्यवहार्य कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे जहां सरकारी धन का उपयोग मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए किया जाएगा और निजी क्षेत्र, प्रबंधन और प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता प्रदान करने वाले रणनीतिक भागीदार के रूप में होंगे।

निष्कर्ष :

इन सफल सहयोगों, "लाइटहाउस" को प्रलेखित किया जाना चाहिए और देश भर में इन मॉडल को लागू करने के लिए प्रसारित किया जाना चाहिए, इससे एसबीएम के पहले चरण की उल्लेखनीय सफलता को आगे बढ़ाया जा सकेगा।

ये सभी प्रयास मिलकर एक स्वच्छ, स्वस्थ और सुंदर भारत के निर्माण का प्रयास करते हैं, जिसे हमने अपने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए विरासत में देने का सपना देखा था साथ ही 'राष्ट्रपिता' को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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