UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  The Hindi Editorial Analysis- 12th December 2023

The Hindi Editorial Analysis- 12th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

संघर्ष क्षेत्रों में स्वास्थ्य को मौलिक मानव अधिकार बनाए रखने हेतु एक व्यापक रणनीति


संदर्भ:

  • मानवता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर, सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा (UDHR) को अपनाए हुए 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं।
  • 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा पारित यह ऐतिहासिक समझौता मूलभूत मानवाधिकारों की रक्षा का आधार स्तंभ है। किंतु दुर्भाग्यपूर्ण रूप से, आज का वैश्विक परिदृश्य संघर्षों से ग्रस्त है, जो व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन का कारण बन रहे हैं।
  • यह लेख इसी विषम परिस्थिति में संघर्ष क्षेत्रों में स्वास्थ्य को एक अनिवार्य मानवाधिकार के रूप में बनाए रखने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। लेख विशेष रूप से मानवाधिकार दृष्टिकोण और सशस्त्र संघर्षों के बहुआयामी प्रभाव, खासकर स्वास्थ्य पर उनके विनाशकारी परिणामों को रेखांकित करता है।

संघर्ष क्षेत्रों में स्वास्थ्य के प्रति मानवाधिकार दृष्टिकोण:

  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान देखे गए अत्याचारों की पुनरावृत्ति को रोकने और विभिन्न कारकों से परे हर व्यक्ति के अधिकारों को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 30 अनुच्छेदों वाला सार्वभौमिक मानव अधिकार घोषणापत्र (UDHR) अपनाया गया था।
  • मध्य पूर्व और यूरोप में चल रहे संघर्ष सुविचारित हत्याओं, यौन हिंसा और बाल निर्वासन सहित लगातार उल्लंघनों का प्रदर्शन करते हैं, जो कि मानव अधिकारों के संकटों से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता को दर्शाता है।
  • हथियारबंद संघर्षों के बढ़ने के साथ मानवाधिकारों के उल्लंघन में भी वृद्धि होती है, खासकर लैटिन अमेरिका में, जहां मानवाधिकार रक्षकों को भयानक जोखिम उठाना पड़ रहा है।
  • यमन, अफगानिस्तान और सूडान जैसे देशों में सशस्त्र समूहों के द्वारा निर्मित प्रतिबंधक कानून मानवीय कार्य में बाधा डालते हैं, जिससे सबसे कमजोर वर्ग, विशेष रूप से बच्चे प्रभावित होते हैं।
  • संघर्षों और मानवाधिकारों के उल्लंघन के बीच अंतर्संबंध इस बात को रेखांकित करता है कि स्वास्थ्य को एक मौलिक मानवाधिकार के रूप में संरक्षित करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  • चित्र-1 वैश्विक स्तर पर संघर्ष क्षेत्रों में मानव अधिकारों के उल्लंघन की व्यापकता को दर्शाता है, जो मौजूदा ढांचों की समीक्षा की बढ़ती आवश्यकता पर बल देता है।

The Hindi Editorial Analysis- 12th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

मानवाधिकार और स्वास्थ्य का अंतर्संबंध:

  • मानव अधिकारों और स्वास्थ्य के बीच की परस्पर निर्भरता विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के संविधान में स्पष्ट है, जो स्वास्थ्य को केवल चिकित्सा देखभाल से परे एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देता है।
  • हालांकि, संघर्षरत क्षेत्रों के नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुंच का सामना करना पड़ता है, इन संघर्षों मे स्वास्थ्य सुविधाएं और कर्मचारी प्रभावित होते हैं (चित्र- 2)।
  • यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) 3 और 16 को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य को एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में देखने की अनिवार्यता को रेखांकित करता है।

मौजूदा तंत्रों का पुनर्गठन:

  • संयुक्त राष्ट्र ने विभिन्न मानवाधिकार प्रस्तावों को स्वीकार किया है, लेकिन उनकी सफलता राज्यों द्वारा उन्हें लागू करने और बरकरार रखने के एकीकृत दृढ़ संकल्प पर निर्भर करती है।
  • कन्वेंशन अगेंस्ट टॉर्चर, मानवाधिकार रक्षकों पर घोषणा, बाल अधिकारों पर कन्वेंशन और स्वदेशी लोगों के अधिकारों पर घोषणा जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समझौते आवश्यक दिशानिर्देश प्रदान करते हैं। हालांकि, इन कार्यों को मूर्त रूप देने के लिए एक ठोस प्रयास की आवश्यकता है।

The Hindi Editorial Analysis- 12th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

सुरक्षा की जिम्मेदारी (R2P) सिद्धांत

  • सुरक्षा की जिम्मेदारी (R2P) सिद्धांत संघर्ष क्षेत्रों में अत्याचारों को रोकने के लिए वैश्विक हस्तक्षेप को अनिवार्य बनाता है। R2P पर एकीकृत रुख हासिल करने के लिए प्रभावशाली पक्षों के साथ कूटनीतिक जुड़ाव और प्रेरक रणनीति की आवश्यकता है।
  • मानवीय संकटों में लचीले स्वास्थ्य तंत्र बनाने के लिए स्वास्थ्य कूटनीति एक उपकरण के रूप में उभरती है, जैसा कि अमेरिकी चिकित्सा मिशन और मिस्र में BENAA परियोजना द्वारा दर्शाया गया है।

कूटनीति और सहयोगात्मक रणनीति:

  • संघर्ष क्षेत्रों में मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए सहमति और प्रतिबद्धता विकसित करने के लिए कूटनीति और प्रेरक रणनीति आवश्यक हैं। राष्ट्रीय हितों में भिन्नता के कारण R2P जटिल हो सकता है, जिससे कूटनीतिक जुड़ाव महत्वपूर्ण हो जाता है।
  • हस्तक्षेप उपायों के लिए समर्थन सुनिश्चित करने के लिए प्रभावशाली पड़ोसी राज्यों के सहयोगात्मक प्रयास महत्वपूर्ण हैं। लंबे समय तक चलने वाले संघर्षों में लचीले स्वास्थ्य तंत्र बनाने और स्वास्थ्य, शांति एवं संघर्ष के जटिल अंतर्संबंध को संबोधित करने के लिए स्वास्थ्य कूटनीति और मानवीय हस्तक्षेप के संयोजन की आवश्यकता होती है।

समन्वय और मानवीय कूटनीति को बढ़ाना:

  • संघर्ष क्षेत्रों में एक प्रभावी समग्र प्रतिक्रिया के लिए मानवीय कूटनीति के माध्यम से वैश्विक स्वास्थ्य, विकास और सहायता प्रदाताओं के बीच समन्वय को बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
  • संघर्ष क्षेत्रों में काम कर रहे कार्य समूहों में स्वास्थ्य अभिकर्ताओं को शामिल करने से रोग निगरानी, तैयारी और प्रतिक्रिया को मजबूत किया जा सकता है।
  • माली का उदाहरण, जहां WHO और इंटरनेशनल मेडिकल कॉर्प्स ने एक स्वास्थ्य क्लस्टर का नेतृत्व किया, इस तरह के समन्वय के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।
  • आकलन के दौरान मानवीय कार्यकर्ताओं को शामिल करने से प्रभावी हस्तक्षेप रणनीतियों के लिए उनके ज्ञान का लाभ उठाया जाता है।
  • विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग संप्रभुता के मुद्दों को सुलझाने, सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने और निरंतर पहुंच, पुनर्निर्माण गतिविधियों एवं सूक्ष्म राजनीतिक कूटनीति के लिए सहयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है।

निष्कर्ष:

संघर्ष क्षेत्रों में स्वास्थ्य को एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में प्रभावी रूप से कायम रखने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है। इसमें संप्रभुता के मुद्दों को हल करना, सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करना और सभी संबंधित पक्षों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है। संघर्ष के बाद के प्रयासों को चिकित्सा सुविधाओं के पुनर्निर्माण, स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण देने और आबादी के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने को प्राथमिकता देनी चाहिए। संधारणीय स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में दीर्घकालिक समाधान के लिए सतत निवेश आवश्यक है।

सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक संदर्भों को प्रतिबिंबित करने वाली वर्तमान नीतियों और साक्ष्य-आधारित कार्यों के मूल्यांकन की आवश्यकता है। महामारी संधि जैसे अविरत जारी संवाद, स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने और नई प्रभावी रणनीतियों को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एड्हानॉम घेब्रेयेसस ने दोहराया है कि स्वास्थ्य को एक मौलिक मानव अधिकार का दर्जा दिलाने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। संघर्ष क्षेत्रों की जटिल चुनौतियां मानव अधिकारों के सिद्धांतों, राजनयिक समाधानों और सहयोगात्मक कार्यों के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता की मांग करती हैं ताकि सभी के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

The document The Hindi Editorial Analysis- 12th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2304 docs|814 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on The Hindi Editorial Analysis- 12th December 2023 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. संघर्ष क्षेत्रों में स्वास्थ्य को मौलिक मानव अधिकार बनाए रखने हेतु एक व्यापक रणनीति क्या है?
उत्तर: संघर्ष क्षेत्रों में स्वास्थ्य को मौलिक मानव अधिकार बनाए रखने हेतु एक व्यापक रणनीति उन सामरिक क्षेत्रों पर काम करने की योजना है, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच अस्तित्व में है। इसका मकसद संघर्ष क्षेत्रों में जीवन को बचाने और स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की पेशकश को सुनिश्चित करना है।
2. स्वास्थ्य को मौलिक मानव अधिकार क्यों माना जाता है?
उत्तर: स्वास्थ्य को मौलिक मानव अधिकार माना जाता है क्योंकि यह हर व्यक्ति का अधिकार है और उनके मौलिक अधिकारों को संरक्षित करने का एक हिस्सा है। स्वास्थ्य अधिकार सभी लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता और दिग्गजता के लिए महत्वपूर्ण है और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए अवश्यक है।
3. स्वास्थ्य क्षेत्रों में संघर्ष किसे कहते हैं?
उत्तर: संघर्ष क्षेत्रों को वे क्षेत्र समझा जाता है जहां युद्ध, आपातकाल, प्राकृतिक आपदाएं, आतंकवाद और अन्य विपदाएं होती हैं और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच प्रतिबंधित होती है। इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए विशेष रणनीतियों और योजनाओं की आवश्यकता होती है।
4. स्वास्थ्य सेवाओं की पेशकश क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: स्वास्थ्य सेवाओं की पेशकश महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे संघर्ष क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त होती हैं। यह सेवाएं जीवन को बचाने और स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं और उन्हें आवश्यक उपचार, दवाएं, वैक्सीनेशन, और अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करती हैं।
5. स्वास्थ्य क्षेत्रों में स्वास्थ्य को मौलिक मानव अधिकार बनाए रखने के लिए क्या कार्रवाईयों की जरूरत होती है?
उत्तर: स्वास्थ्य को मौलिक मानव अधिकार बनाए रखने के लिए कुछ कार्रवाईयों की जरूरत होती है, जैसे कि संघर्ष क्षेत्रों में संघर्ष कार्यक्रम और योजनाएं बनाए जाना चाहिए, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए सुंदर व्यवस्था होनी चाहिए, और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता होनी चाहिए।
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

mock tests for examination

,

Extra Questions

,

Exam

,

past year papers

,

Viva Questions

,

Sample Paper

,

practice quizzes

,

The Hindi Editorial Analysis- 12th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

MCQs

,

study material

,

pdf

,

Semester Notes

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Summary

,

Free

,

Objective type Questions

,

Important questions

,

video lectures

,

shortcuts and tricks

,

The Hindi Editorial Analysis- 12th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

ppt

,

The Hindi Editorial Analysis- 12th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Weekly & Monthly - UPSC

;