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The Hindi Editorial Analysis- 16th September 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

भारत का सामाजिक-आर्थिक विकास: एक भविष्यलक्षी दृष्टिकोण

सन्दर्भ:

  • भारत ने हाल ही में नई दिल्ली में 18वें जी 20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की, जो 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' विषय पर केंद्रित था। इसके बाद भारत ने वर्ष 2024 के लिए जी 20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंप दी।
  • इस सम्मेलन में यह स्पष्ट हो गया, कि अन्य जी 20 देशों की तुलना में, सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में भारत का हालिया प्रदर्शन अपने G20 साथियों से अपेक्षाकृत कम रहा । अतः इसके सामाजिक-आर्थिक प्रदर्शन का आकलन करना आवश्यक है।

The Hindi Editorial Analysis- 16th September 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

G20 सदस्य देशों की तुलना में भारत का विभिन्न मैट्रिक्स पर प्रदर्शन:

प्रति व्यक्ति GDP

  • 1970 के दौरान, भारत 111.97 अमेरिकी डॉलर प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के साथ 19 (रूस को छोड़कर) में से 18वें स्थान पर था। 2022 तक तेजी से आगे बढ़ते हुए, भारत की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि देखी गई, जो 2,388.62 अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई; फिर भी, सर्वेक्षण के 19 देशों में यह सबसे निचले स्थान पर रहा।

मानव विकास सूचकांक (HDI)

  • मानव विकास सूचकांक (HDI) सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक समग्र मीट्रिक मापक के रूप में कार्य करता है, जो निम्न चार प्रमुख संकेतकों पर विचार करते हुए मानव विकास में समग्र उपलब्धियों का आकलन करता है:
  • जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (सतत विकास लक्ष्य 3 से संबंधित)।
  • स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष (सतत विकास लक्ष्य 4.3 से संबंधित)।
  • स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष (सतत विकास लक्ष्य 4.4 से संबंधित)।
  • सकल राष्ट्रीय आय (GNI), सतत विकास लक्ष्य 8.5 के अनुरूप।
  • एचडीआई का मूल्यांकन 0 (मानव विकास के न्यूनतम स्तर को दर्शाता है) से लेकर 1 (मानव विकास के उच्चतम स्तर को दर्शाता है) के पैमाने पर किया जाता है।
  • 1990 से 2021 की अवधि के दौरान 19 देशों (यूरोपीय संघ को छोड़कर) के एचडीआई स्कोर के सम्बन्ध में, भारत के एचडीआई स्कोर में तुलनात्मक रूप से सुधार हुआ, जो 1990 में 0.43 से बढ़कर 2021 में 0.63 हो गया।
  • यह सुधार जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और सकल राष्ट्रीय आय में प्रगति को दर्शाता है। हालाँकि, यह ध्यान देने योग्य है, कि इन सुधारों के बावजूद, भारत अभी भी मूल्यांकन किए गए देशों की रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर है।

स्वास्थ्य मैट्रिक्स:

  • जीवन प्रत्याशा:
  • 1990 से 2021 के मध्य, भारत ने अपनी औसत जीवन प्रत्याशा में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जो 45.22 वर्ष से बढ़कर 67.24 वर्ष हो गई। इस सुधार ने भारत को इस पहलू में दक्षिण अफ्रीका से आगे रखा है, यद्यपि इस मामले में भारत अभी भी चीन से पीछे है।
  • शिशु मृत्यु दर:
  • 1990 में, भारत 88.8 की शिशु मृत्यु दर के साथ अंतिम स्थान पर था। 2021 तक, इस संकेतक में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ और यह दर घटकर 25.5 रह गई। हालाँकि, इस प्रगति के बावजूद, समग्र 20 तुलनात्मक देशों में भारत 19वें स्थान पर है।
  • श्रम बल भागीदारी दर (LFPR):
  • G 20 देशों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए एलएफपीआर का विश्लेषण वर्ष 1990 और 2021-22 के लिए किया गया था।
  • वर्ष 1990 में, इस संबंध में इटली (49.7%) और सऊदी अरब (53.3%) को पीछे छोड़ते हुए 54.2% के एलएफपीआर के साथ भारत 18वें स्थान पर था।
  • यद्यपि , 2021-22 तक, भारत के एलएफपीआर में गिरावट आई, जिससे उसकी रैंकिंग गिरकर 19वें स्थान पर आ गई। 49.5% की कम एलएफपीआर के साथ भारत अब केवल इटली से आगे है।

संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व:

  • वर्ष 1998 और 2022 के लिए 19 देशों (सऊदी अरब को छोड़कर) की संसद में महिलाओं की भागीदारी का अध्ययन किया गया।
  • इस सन्दर्भ में भारतीय संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व प्रतिशत में सकारात्मक रुझान दिखा, जो 1998 में 8.1% से बढ़कर 2022 में 14.9% हो गया। फिर भी, अन्य G20 देशों और यूरोपीय संघ की तुलना में, भारत की रैंकिंग 1998 के 15वें स्थान से गिरकर 2022 में 18वें स्थान पर आ गई। इस संबंध में भारत जापान से आगे है।

पर्यावरणीय प्रदर्शन:

  • भारत ने पिछले तीन दशकों में कार्बन उत्सर्जन को कम किया है और लगातार 20 देशों में सबसे कम उत्सर्जक की स्थिति बनाए रखी है।
  • यद्यपि, पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोतों में भारत का संक्रमण अपेक्षाकृत धीमा रहा है, 2015 में नवीकरणीय ऊर्जा से केवल 5.36% बिजली उत्पन्न हुई। भारत को नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के मामले में 20 देशों में 13वें स्थान प्राप्त है ।

अग्रगामी रणनीति:

  • भारत को ऐसी नीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो समाज के हर वर्ग तक पहुँच कर समावेशी आर्थिक विकास सुनिश्चित करें। हाशिए पर रहने वाले समुदायों, ग्रामीण विकास और कौशल वृद्धि कार्यक्रमों के अनुरूप प्रयास आय असमानताओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है ।
  • नीतिगत प्रयास विशेषकर युवाओं के लिए अधिक संख्या में रोजगार के अवसर सृजन पर केंद्रित होने चाहिए। उद्यमिता को बढ़ावा देना बेरोजगारी को कम करने और अधिक समावेशी विकास परिदृश्य को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है।
  • भारत का प्राथमिक ध्यान मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल, टीकाकरण अभियान और स्वच्छता बुनियादी ढांचे में निवेश सहित लक्षित स्वास्थ्य देखभाल हस्तक्षेपों के माध्यम से शिशु मृत्यु दर को कम करने पर होना चाहिए।
  • ऐसी नीतियों और पहलों को लागू करना जरूरी है जो लैंगिक समानता को बढ़ावा दें, राजनीतिक कार्यबल और नेतृत्व के क्षेत्रों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • पर्यावरणीय रूप से सतत एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने में तेजी लाने और इसके विस्तार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • भ्रष्टाचार विरोधी उपायों को शसक्त करने और सरकार के सभी क्षेत्रों में नैतिक शासन की संस्कृति विकसित करने के प्रयासों को दोगुना किया जाना चाहिए।
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