टाटमाडॉ (Tatmadaw) के नाम से जानी जाने वाली म्यांमार की सेना को फरवरी 2021 में तख्तापलट करने और राज्य प्रशासन परिषद (SAC) का गठन करने के बाद से गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सेना के इस कदम की विगत छह दशकों में सबसे तीव्र प्रतिक्रिया देखी जा रही है। तख्तापलट की प्रतिक्रिया ने पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज (PDF) और जातीय सशस्त्र समूहों सहित मजबूत विपक्षी ताकतों को जन्म दिया है जिससे देश में गृह युद्ध की आशंका प्रकट की जा रही है ।
थ्री ब्रदरहुड अलायंस, जिसमें ता'आंग नेशनल लिबरेशन आर्मी (TNLA), म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (MNDAA) और अराकान आर्मी (AA) शामिल हैं, ने 27 अक्टूबर, 2023 को 'ऑपरेशन 1027' के अंतर्गत समन्वित हमले किए । इन हमलों से उत्तरी शान राज्य में सेना की मजबूत पकड़ को कमजोर कर दिया । इससे टाटमाडॉ ने अपने गढ़ों में भी स्वयं को कमजोर पाया, यहां तक उसके प्रभुत्व के लिए एक अस्तित्वगत संकट का प्रश्न भी उत्पन्न हो गया ।
चुनौतियों के बावजूद, बर्टिल लिंटनर सहित अनुभवी पर्यवेक्षक टाटमाडॉ के लचीलेपन पर जोर देते हैं, इसे म्यांमार में "सबसे प्रभावी और सर्वश्रेष्ठ सशस्त्र लड़ाकू बल" करार देते हैं।
अपने ही लोगों के खिलाफ उन्नत हथियारों का उपयोग करने के कारण , टाटमाडॉ को युद्ध अपराधों के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है ।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध, प्रवासी प्रतिक्रिया और नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) के लिए बढ़ता समर्थन , जुंटा सरकार के समक्ष चुनौती उत्पन्न करता है। यद्यपि सेना का जातीय विभाजन और संसाधनशीलता का रणनीतिक उपयोग इसके नियंत्रण को बनाए हुए है। लिंटनर जैसे पर्यवेक्षक लंबे समय तक संघर्षण के युद्ध का (war of attrition) सुझाव देते हैं। जुंटा सरकार के बाद के काल में एक संघीय और लोकतांत्रिक म्यांमार के निर्माण की पर्याप्त चुनौतियाँ विद्यमान हैं।
म्यांमार में 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से भारत पर व्यापक प्रभाव पड़ा है:
म्यांमार को एक महत्वपूर्ण संकट का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि टाटमाडॉ अपने लंबे समय से चले आ रहे प्रभुत्व के लिए अभूतपूर्व चुनौतियों से जूझ रहा है। विपक्षी ताकतों, जातीय सशस्त्र समूहों और समन्वित हमलों के उद्भव ने सेना के संसाधनों पर दबाव उत्पन्न किया है। कुछ लोग इसे टाटमाडॉ के अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देख रहें हैं। जबकि लिंटनर जैसे अन्य पर्यवेक्षक टाटमाडॉ की स्थायी ताकत पर जोर देते हैं। अपने ही लोगों के खिलाफ सेना की कार्रवाई और लोकतांत्रिक परिवर्तन प्राप्त करने की जटिलताएं म्यांमार के जटिल राजनीतिक परिदृश्य को प्रदर्शित करती हैं । जुंटा के बाद के काल में एक संघीय और लोकतांत्रिक म्यांमार की ओर बढ़ना अनिश्चित और चुनौतीपूर्ण है, जिसके लिए सावधानीपूर्वक कदम उठाने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
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