UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  The Hindi Editorial Analysis- 19th December 2023

The Hindi Editorial Analysis- 19th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

नई विषमता का सामना: 2024 में वैश्विक आर्थिक चुनौतियाँ


संदर्भ:

आगामी वर्ष 2024, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता (VUCA) को संदर्भित करता हुआ प्रतीत हो रहा है। इस लेख में, हम वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का गहराई से समझेंगे। साथ ही भू-राजनीतिक घटनाओं, कमोडिटी बाजारों, मुद्रास्फीति, ब्याज दरों और आर्थिक मंदी के बढ़ते संकट के मध्य परस्पर क्रिया का विश्लेषण करेंगे। वहीं इन चुनौतियों के केंद्र में राष्ट्र लचीलेपन, नवीन आर्थिक शासन और राजनीतिक समायोजन की आवश्यकता के साथ संघर्ष करते दिखेंगे, जिसे “नई विषमता" कहा जा रहा है।

The Hindi Editorial Analysis- 19th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

सुरक्षा गतिशीलता:

सुरक्षा आवश्यकता, वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रमुख चालक बनी हुई है, क्योंकि 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष और 2023 में इज़राइल-हमास तनाव से उत्पन्न हुई अनिश्चितताएं 2024 को भी प्रभावित करेंगी। यूक्रेन में वार्ता का परिणाम हिंसा के भौगोलिक बदलाव को तय करेगा, संभावित रूप से यह पश्चिम एशिया में आर्थिक अनिश्चितताएं बढ़ा सकता है। शांति और संघर्ष का संवेदनशील संतुलन तेल की कीमतों को प्रभावित करेगा, जिसका दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव पड़ेगा। इस परिप्रेक्ष्य में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा वेनेजुएला के खिलाफ प्रतिबंधों में लचीलापन वैश्विक तेल और गैस आपूर्ति गतिशीलता में जटिलता बढ़ा सकता है।

वस्तु-प्रेरित मुद्रास्फीति:

तेल, भोजन और उर्वरकों की अनिश्चितता अन्य वस्तुओं को भी प्रभावित करेगी, जिससे वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति बढ़ेगी। कुछ राष्ट्र, जैसे तुर्किये, ईरान और पाकिस्तान, सत्ता प्रभुत्व और अपनी विचारधारा के कारण वर्ष 2024 में भी बढ़ती कीमतों से जूझते दिख सकते हैं। इज़राइल-हमास संघर्ष के परिणाम मुद्रास्फीति परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिससे तेल-निर्यात करने वाले और तेल-उपभोक्ता दोनों देशों पर असर पड़ेगा। मुद्रास्फीति की परिवर्तनशीलता दुनिया भर में आर्थिक नीतियों और रणनीतियों को आकार देने वाली एक महत्वपूर्ण कारक होगी।

ब्याज दरें और आर्थिक परिणाम:

वर्ष 2024 में विश्व स्तर पर ब्याज दरें मुद्रास्फीति, विशेष रूप से तेल की कीमतों में अस्थिरता से जटिल रूप से जुड़ी होंगी। संयुक्त राज्य अमेरिका, 5.5 प्रतिशत की नीति दर के साथ, अन्य देशों पर भी तदनुसार अपनी ब्याज दरों को समायोजित करने का अप्रत्यक्ष दबाव डाल रहा है। उच्च मुद्रास्फीति वाली अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ती ब्याज दरों के खतरे का सामना करना पड़ रहा है, जो तुर्किये, पाकिस्तान और ईरान जैसे देशों में वर्ष 2024 में संभावित रूप से खतरनाक स्तर तक पहुंच सकती है।

इस तरह ब्याज दरों में वृद्धि का प्रभाव व्यवसायों, विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों पर अधिक पड़ेगा। यही नहीं इन आर्थिक परिदृश्यों से ऋण देने के पैटर्न में बदलाव आएगा तथा बड़े निगमों को जोखिम से बचाने के लिए बैंकों का समर्थन मिलेगा। वहीं छोटे उद्यम इस प्रकार के समर्थन से वंचित रह सकते हैं ।

इससे बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में तीव्र वृद्धि होगी जिससे अर्थव्यवस्थाओं के समक्ष चुनौती उत्पन्न होगी जो राजनीतिक परिदृश्य को आकार दे सकता है।

विश्लेषण बताता है कि 2024 में तीन चिंताजनक प्रवृत्तियाँ अपरिहार्य हैं:

  1. प्रमुख क्षेत्रों में धीमी विकास के संदर्भ में अलग-अलग पुनर्प्राप्ति पथ;
  2. आय और धन में गहराती असमानता;
  3. विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में ऋणग्रस्तता का बढ़ता दबाव और कम होती नीतिगत स्वायत्तता।

चीन के जोखिम को कम करना:

विगत कुछ समय से चीन के आर्थिक संकट पर चर्चा नहीं हुई है, परंतु वर्ष 2024 में फिर से यह मुद्दा चर्चा में आ गया है। आगामी वर्ष में इस विमर्श में न केवल चीन बल्कि उत्तर कोरिया, रूस, पाकिस्तान और ईरान सहित आसपास के क्षेत्रों को भी शामिल किया जा सकता है। वहीं जैस-जैसे चीन में आर्थिक मंदी का प्रभाव बढ़ेगा यूरोपीय संघ (ईयू) के देश संभावित मंदी के बीच अपने आर्थिक संबंधों को सतर्करूप से चीन के साथ आगे बढ़ाएंगे ।

इसी कड़ी में भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद, भारत और चीन के बीच परस्पर आर्थिक निर्भरता तब तक बनी रहेगी, जब तक कि सख्त आर्थिक सुरक्षा नीतियों द्वारा इसमें कमी नहीं की जाती है । आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार वर्ष 2024 में चीन में मंदी निश्चित है परंतु इसके एक क्रमिक प्रक्रिया होने का अनुमान है।

जीडीपी रैंकिंग और आर्थिक बदलाव:

उपर्युक्त कारकों के परिणाम विशेष रूप से ट्रिलियन-डॉलर जीडीपी रैंकिंग के संदर्भ में वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को फिर से आकार देंगे। आर्थिक चुनौतियों की पृष्ठभूमि में येन का अवमूल्यन जर्मनी को जापान से आगे निकलने और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में तीसरे स्थान पर पहुचने के लिए प्रेरित करेगा। भारत के 2025 तक इन रैंकिंग में आगे बढ़ने की उम्मीद है। अन्य महत्वपूर्ण बदलावों में दक्षिण कोरिया का ऑस्ट्रेलिया से आगे निकलना और नीदरलैंड का सऊदी अरब से आगे निकलना शामिल है। विकास के लिए तत्पर इंडोनेशिया के 2025 में रैंकिंग में आगे बढ़ने की संभावना है।

निष्कर्ष:

निष्कर्षतः 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था VUCA के जोखिम भरे वातावरण से गुजरते हुए एक चौराहे पर खड़ी है। सुरक्षा संबंधी चिंताएं, मुद्रास्फीति का दबाव, ब्याज दर में उतार-चढ़ाव, चीन से जोखिम कम करना और जीडीपी रैंकिंग का नया आकार सामूहिक रूप से एक जटिल परिदृश्य को अनिश्चित बनाता है।

आर्थिक अस्तित्व के लिए आवश्यक नाजुक संतुलन लचीलेपन, रचनात्मक शासन और अनुकूल राजनीतिक अर्थव्यवस्थाओं की मांग करता है। जैसे-जैसे राष्ट्र इन चुनौतियों से जूझ रहे हैं।

इन कारकों की जटिल परस्पर क्रिया न केवल आर्थिक प्रक्षेप पथ को आकार देगी बल्कि वैश्विक स्थिरता के एक नए युग की शुरुआत करने में नेताओं की क्षमता का भी परीक्षण करेगी। यह अनिश्चित बना हुआ है कि क्या हम प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध की याद दिलाने वाले अस्थिर समय की वापसी देखेंगे या दुनिया को एक उभरते बहुध्रुवीय संतुलन की ओर ले जाने में सक्षम दूरदर्शी नेता पाएंगे।

The document The Hindi Editorial Analysis- 19th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2209 docs|810 tests

Top Courses for UPSC

2209 docs|810 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

ppt

,

MCQs

,

video lectures

,

practice quizzes

,

mock tests for examination

,

The Hindi Editorial Analysis- 19th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Exam

,

Previous Year Questions with Solutions

,

past year papers

,

Sample Paper

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

pdf

,

Objective type Questions

,

shortcuts and tricks

,

Semester Notes

,

Viva Questions

,

Summary

,

Extra Questions

,

Important questions

,

The Hindi Editorial Analysis- 19th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

The Hindi Editorial Analysis- 19th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Free

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

study material

;