मणिपुर में हिंसा के बढ़ते दौर के कारण कथित तौर पर राज्य के मुख्यमंत्री ने कई मांगें की हैं, जिनमें सुरक्षा अभियानों पर अधिक नियंत्रण शामिल है। इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री कुछ समय से प्रभारी नहीं हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एक और चौंकाने वाला खुलासा यह भी है कि संविधान के अनुच्छेद 355 का भी इस्तेमाल किया गया है, जिसके अनुसार संघ का कर्तव्य है कि वह राज्यों को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाए। मणिपुर में संवैधानिक तंत्र का टूटना एक खुला रहस्य है। यह भयावह स्थिति पहचान संबंधी मतभेदों को सुलझाने की संविधान की क्षमता के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाती है।
मणिपुर की भौगोलिक विशेषताएं और रणनीतिक स्थिति राज्य के सामने आने वाली चुनौतियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं।
भूगोल और जनसांख्यिकी
पहाड़ी क्षेत्र
धार्मिक रचना
कांगलीपाक का साम्राज्य
ब्रिटिश हस्तक्षेप और जनजातीय संबंध
मेइतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने की कोशिश
मणिपुर की अनुसूचित जनजाति मांग समिति (एसटीडीसीएम) 2012 से मैतेई समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की वकालत कर रही है।
मणिपुर उच्च न्यायालय में याचिका
मणिपुर उच्च न्यायालय का फैसला
अन्य जनजातीय समूहों द्वारा प्रतिरोध
कुकी-मेइतेई विभाजन
सर्वोच्च न्यायालय का दृष्टिकोण
केंद्र सरकार का रुख
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