- सरकार ने 2023-24 के बजट में ₹10 ट्रिलियन के अपने अब तक के सबसे बड़े पूंजीगत व्यय के प्रति प्रतिबद्धता दर्शायी है।
- 2021-22 में यह खर्च ₹6.03 ट्रिलियन था और 2022-23 में खर्च का संशोधित अनुमान ₹7.3 ट्रिलियन है।
- सरकार ने अपने पूंजीगत व्यय के सर्वोत्तम संभव उपयोग करने की आवश्यकता की सही पहचान की है, और विभिन्न मंत्रालयों द्वारा परियोजना की योजना और निष्पादन की निगरानी करना लाभदायक साबित होगा।
- पीएम गति शक्ति पहल ने भारत को संभवत: पहला देश बना दिया है जिसने सभी मंत्रालयों में प्रक्रियाओं को डिजिटाइज बनाया है।
- फास्टटैग जैसे डिजिटल समाधानों के कार्यान्वयन से लगभग 1 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में अनुमानित कमी की अपेक्षा है ।
- भारत के नवीनतम बजट में कुल निवेश के ₹75,000 करोड़ के साथ 100 महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- इन परियोजनाओं में मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी, डिजिटल कनेक्टिविटी और हरित समाधान सभी को लागू और प्रदर्शित किया जा सकता है।
- वे न केवल व्यापार करने की लागत को कम करेंगे बल्कि पूरे देश में कार्बन-उत्सर्जन को कम कर दोहरा लाभ प्रदान करेंगे।
- निजी निवेश का पालन होगा क्योंकि चल रही परियोजनाओं से भारत के कार्बन फुटप्रिंट में और कमी आएगी, जो निजी क्षेत्र के निवेश के लिए भी एक मुख्य फोकस है।
- सरकार ने भारतीय राज्यों को केंद्र की बुनियादी ढांचा योजना और इसकी लाजिस्टिक्स ( रसद ) नीति के साथ संरेखित करने की आवश्यकता को सही ही चिन्हित किया है।
- बजट में राज्यों को रियायती फंडिंग यानी आसान शर्तों पर कर्ज देने का प्रावधान है, जिसे 2023-24 में ही महत्वपूर्ण परियोजनाओं को लागू करने और अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए निवेश करना होगा।
- सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि विकास भारत के विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है।
- बढ़े हुए पूंजीगत व्यय से भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में और भी तेजी से स्थापित करते हुए घरेलू मांग को समर्थन देने का एक अच्छा चक्र बनाने की उम्मीद है।
- मांग एकत्रीकरण या पूलिंग
- उपलब्ध क्षमता पर डेटा
- रीयल-टाइम ट्रैकिंग, और एनालिटिक्स
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