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The Hindi Editorial Analysis- 26th October 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

Table of contents
भारत-कनाडा राजनयिक विवाद: कानूनी परिप्रेक्ष्य 
संदर्भ-
वर्तमान भारत-कनाडा राजनयिक गतिरोध का पता निम्नलिखित घटनाओं से लगाया जा सकता है:
कनाडा के आरोपों का तथ्यात्मक परिक्षण
राजनयिक उपस्थिति को विनियमित करने का भारत का अधिकार
भारत की राजनयिक कार्रवाई का समर्थन करने वाले अंतर्राष्ट्रीय दृष्टान्त
निष्कर्ष

भारत-कनाडा राजनयिक विवाद: कानूनी परिप्रेक्ष्य 

संदर्भ-

भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंध, जो पहले से ही तनावपूर्ण थे, कनाडा के हालिया आरोप के कारण और भी खराब हो गए हैं। कनाडा ने भारत पर आरोप लगाया है कि भारत ने भारत में तैनात कनाडाई राजनयिकों की राजनयिक छूट को एकतरफा रूप से हटा दिया है । कनाडा का तर्क है कि भारत की यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून और राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन करती है।

The Hindi Editorial Analysis- 26th October 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

वर्तमान भारत-कनाडा राजनयिक गतिरोध का पता निम्नलिखित घटनाओं से लगाया जा सकता है:

खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख की मौत:

भारत सरकार के अनुसार एक वांछित व्यक्ति, हरदीप सिंह निज्जर, सुरे (Surrey )में एक गुरुद्वारे के बाहर एक शूटिंग घटना में मारा गया था। उन पर पंजाब के जालंधर में एक हिंदू पुजारी की हत्या की साजिश रचने का आरोप था, जिसके कारण भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 2022 में उन पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।

जी20 शिखर सम्मेलन में चर्चा:

दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान, कनाडा के प्रधानमंत्री और भारतीय प्रधानमंत्री ने खालिस्तानी उग्रवाद पर चर्चा की। कनाडा के प्रधानमंत्री ने हत्या में विदेशी हस्तक्षेप के बारे में चिंता जताई और जांच में भारत के सहयोग की मांग की। इसके विपरीत, भारतीय प्रधानमंत्री ने कनाडा में उग्रवादी तत्वों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों के बारे में चिंता व्यक्त की।

राजनयिकों पर आरोप और निष्कासन:

कनाडा के प्रधानमंत्री ने खालिस्तानी नेता की हत्या में "भारतीय सरकार के एजेंटों" पर आरोप लगाया। इसके बाद, कनाडा ने भारत के अनुसंधान और विश्लेषण विंग (रॉ) के प्रमुख को निष्कासित कर दिया। जवाब में, भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया और एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया।

भारत के राजनयिक कदम:

भारत ने कनाडा से कुछ राजनयिक कर्मचारियों को वापस लेने का आग्रह करते हुए राजनयिक प्रतिनिधित्व में समानता का मुद्दा उठाया। भारत ने चेतावनी दी कि यदि वे समय सीमा से अधिक रुके तो उनकी छूट समाप्त कर दी जाएगी।

कनाडा का नवीनतम आरोप:

कनाडा के प्रधानमंत्री ने वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस (वीसीडीआर) के उल्लंघन का हवाला देते हुए कनाडाई राजनयिकों के लिए राजनयिक प्रतिरक्षा को रद्द करने के भारत के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने जोर दिया कि भारत की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून और कूटनीति के मौलिक सिद्धांतों के विपरीत है।

कनाडा के आरोपों का तथ्यात्मक परिक्षण

  • राजनयिक प्रतिरक्षा रद्द करने का गलत दावा

  • कनाडा के आरोप के विपरीत, भारत ने कनाडाई राजनयिकों की प्रतिरक्षा रद्द नहीं की। इसके बजाय, भारत ने समता के सिद्धांत पर आधारित कई राजनयिकों को वापस बुलाकर कनाडा से अपने मिशन का आकार कम करने का अनुरोध किया था । यह तर्क दिया जा सकता है कि अगर भारत की मांग के बावजूद वे बने रहे तो ये राजनयिक अपनी प्रतिरक्षा खो सकते हैं, इसलिए यह परिणाम कनाडा द्वारा भारत के अनुरोध का अनुपालन न करने सेआया है न की भारत की प्रत्यक्ष कार्रवाई से ।

  • भारत की कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय कानून

  • भारत की कार्रवाई कनाडा के राजनयिक प्रतिरक्षा रद्द करने के दावे से भिन्न है। भारत ने किसी भी राजनयिक को अवांछित व्यक्ति घोषित ( persona non grata) घोषित नहीं किया। वीसीडीआर के अनुच्छेद 9 के तहत भारत को ऐसा करने का अधिकार है और उसे कनाडा को अपना निर्णय समझाने की आवश्यकता नहीं है।

राजनयिक उपस्थिति को विनियमित करने का भारत का अधिकार

  • समता खंड के साथ संगति (Consistency with Parity Clause)

  • भारत की प्रतिक्रिया वीसीडीआर के अनुच्छेद 11(1) के अनुरूप है। यह प्रावधान प्राप्तकर्ता राज्य को मिशन के आकार निश्चित करने की अनुमति देता है, जिसे वह उचित और सामान्य समझता है। व्याख्या व्यक्तिपरक है, जो भारत को अपनी घरेलू परिस्थितियों के आधार पर एकतरफा निर्णय लेने का अधिकार देती है कि क्या उचित है।
    (नोट :" प्राप्तकर्ता राज्य" का तात्पर्य मेजबान राष्ट्र से है जहां एक राजनयिक मिशन स्थित है।)

  • भारत का एकतरफा निर्णय लेने का अधिकार

  • भारत में कनाडाई राजनयिकों की बड़ी संख्या और भारत के आंतरिक मामलों में उनके कथित हस्तक्षेप को देखते हुए भारत के पास एकतरफा निर्णय लेने का अधिकार है। वीसीडीआर के अनुच्छेद 41(1) के अनुसार, राजनयिकों को प्राप्तकर्ता राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। इस तरह के किसी भी हस्तक्षेप से वीसीडीआर का उल्लंघन हो सकता है और राजनयिक विशेषाधिकारों और प्रतिरक्षाओं के प्रतिबंध या वापसी को उचित ठहराया जा सकता है।

  • भारत के राजनयिक संबंध अधिनियम 1972 का अनुपालन

  • भारत की कार्रवाई राजनयिक संबंध अधिनियम 1972 के अनुरूप है, जिसे वीसीडीआर को लागू करने के लिए बनाया गया है। यदि कोई देश अपने वीसीडीआर दायित्वों को पूरा करने में विफल रहता है तो इस अधिनियम की धारा 4 केंद्र सरकार को राजनयिक विशेषाधिकारों और प्रतिरक्षाओं को प्रतिबंधित करने का अधिकार देती है। अत: भारत की प्रतिक्रिया अंतर्राष्ट्रीय कानून और उसके घरेलू कानून दोनों के ढांचे के भीतर है।

  • सारांश में, कनाडा के आरोपों का तथ्यात्मक आधार नहीं है। भारत की कार्रवाई अंतर्राष्ट्रीय कानून और उसके घरेलू कानून के अनुरूप है।

भारत की राजनयिक कार्रवाई का समर्थन करने वाले अंतर्राष्ट्रीय दृष्टान्त

ब्रिटेन द्वारा सोवियत मिशन पर लगाई गई सीमा

ब्रिटेन ने रूसी राजनयिकों की अनुचित गतिविधियों के जवाब में सोवियत संघ के मिशन के आकार पर सीमा लागू कर दी थी। इस कार्रवाई को वीसीडीआर के अनुच्छेद 11 का हवाला देते हुए वैध ठहराया गया था, जो देशों को विदेशी मिशनों के आकार को विनियमित करने की अनुमति देता है।

ईरानी मिशन पर अमेरिकी प्रतिबंध (1979)

1979 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने वाशिंगटन में तैनात ईरानी राजनयिकों की संख्या को सीमित करने के लिए अपने अधिकार का प्रयोग किया। इस कदम ने अपनी सीमाओं के भीतर अन्य राष्ट्रों की राजनयिक उपस्थिति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका के विशेषाधिकार को प्रदर्शित किया।

एस्टोनिया और मोल्दोवा द्वारा रूस के मिशन को सिमित करना

हाल ही में, मोल्दोवा और एस्टोनिया ने रूस को अपने मिशन के आकार को कम करने के लिए मजबूर किया, जिसमें वीसीडीआर के अनुच्छेद 11 में उल्लिखित समता के सिद्धांत का हवाला दिया गया था। मोल्दोवा ने आंतरिक मामलों को अस्थिर करने के लिए रूसी राजनयिकों पर आरोप लगाया, जबकि एस्टोनिया ने कहा कि रूसी राजनयिक देश की सुरक्षा को कमजोर कर रहे थे। दोनों देशों ने राजनयिक संतुलन बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने अधिकारों का उपयोग किया।

निष्कर्ष

भारत की हालिया कार्रवाई उसके अंतर्राष्ट्रीय कानूनी दायित्वों के अनुरूप है। हालांकि, सबसे बड़ा मुद्दा वर्तमान में ओटावा और नई दिल्ली के बीच विश्वास की स्पष्ट कमी है। इन तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने के लिए, दोनों देशों को विश्वास-निर्माण उपायों को अपनाने में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के आरोपों पर ध्यान केंद्रित करने से केवल द्विपक्षीय संबंध और बिगड़ेंगे। इसलिए दोनों देशों को रचनात्मक पहलों के माध्यम से विश्वास बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए ।

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FAQs on The Hindi Editorial Analysis- 26th October 2023 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. भारत-कनाडा राजनयिक विवाद क्या है?
उत्तर: भारत-कनाडा राजनयिक विवाद एक विषय है जो भारत और कनाडा के बीच मतभेदों से संबंधित है। इसमें दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर आपसी निर्णय और विचार-विमर्श हो सकता है।
2. भारत-कनाडा राजनयिक विवाद किस कानूनी परिप्रेक्ष्य में है?
उत्तर: भारत-कनाडा राजनयिक विवाद कानूनी परिप्रेक्ष्य में है, जिसका मतलब है कि इसमें कानूनी मुद्दों के संबंध में विवाद हो सकता है। यह विवाद कानूनी प्रक्रिया और न्यायिक निर्णयों के माध्यम से हल हो सकता है।
3. भारत-कनाडा राजनयिक विवाद के कारण क्या हैं?
उत्तर: भारत-कनाडा राजनयिक विवाद के कारण विभिन्न हो सकते हैं। इसमें व्यापारिक मसलों, वीज़ा नियमों, शिक्षा नीतियों, मानवाधिकार, विदेशी निवेश और विदेशी नीतियों के मुद्दे शामिल हो सकते हैं।
4. भारत-कनाडा राजनयिक विवाद के बारे में अधिक जानकारी कहाँ से प्राप्त की जा सकती है?
उत्तर: भारत-कनाडा राजनयिक विवाद के बारे में अधिक जानकारी विभिन्न स्रोतों से प्राप्त की जा सकती है। इसमें समाचार पत्रों, न्यूज़ चैनलों, सरकारी वेबसाइटों और अन्य ऑनलाइन स्रोतों की जांच की जा सकती है।
5. क्या भारत-कनाडा राजनयिक विवाद का समाधान संभव है?
उत्तर: हाँ, भारत-कनाडा राजनयिक विवाद का समाधान संभव है। दोनों देशों के बीच संवाद, वार्ता और सहयोग द्वारा विवादों का समाधान किया जा सकता है। संबंधित द्विपक्षीय संगठनों और माध्यमों के माध्यम से विवादों का समाधान भी हो सकता है।
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