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The Hindi Editorial Analysis- 27th June 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

भारत में रोजगार सृजन और भर्ती : एक अवलोकन


सन्दर्भ:

  • वर्तमान समय में राष्ट्रव्यापी बेरोजगारी दर बढ़ने के साथ-साथ रोजगार सृजन करना सरकार के लिए एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है।

रोजगार सृजन में मंदी:

  • भारत में रोजगार सृजन की गति मंद हो गई है, विशेषकर आईटी/आईटीईएस क्षेत्र और स्टार्टअप में। अन्य उद्योग में भी भर्ती योजनाओं में मंद प्रक्रिया अपनाया जा रहा हैं। नियुक्ति देने वाली फर्मों के अनुसार, वर्तमान बाजार में लगभग 2.25 लाख सक्रिय नौकरियां हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 1 लाख कम हैं। इस मंदी से सफ़ेद-कॉलर कार्यबल बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।

रोजगार सुरक्षा का अभाव:

  • वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रोजगार सुरक्षा की अवधारणा अप्रासंगिक हो गई है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, अमेज़न, आईबीएम, कोग्निजेंट, बायजू, और ओला जैसे तकनीकी विशेषज्ञता प्राप्त कंपनिययां और बड़े स्टार्टअप्स ने भारत में हजार से अधिक कर्मचारियों को एकाएक नौकरी से निकाल दिया है।

उन्नत कौशल और आईटी पेशेवरों की मांग:

  • यद्यपि समग्र भर्ती प्रक्रिया धीमी हो गई है, किन्तु डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुजर रहे क्षेत्रों में तकनीकी प्रतिभा की मांग अभी भी बनी हुई है। बैंकिंग, गैर-बैंकिंग, आतिथ्य उद्योग, ऑटोमोबाइल, विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स और शिक्षा क्षेत्र की कंपनियां अपनी डिजिटल प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए कुशल आईटी पेशेवरों की मांग कर रही हैं। ब्लू और ग्रे-कॉलर कर्मचारियों के पास अभी भी रोजगार के कुछ अवसर उपलब्ध हैं।

चुनौतियाँ:

  • इस सन्दर्भ में रोजगार सृजन में मंदी के लिए लागत में कटौती, कठिन व्यापक आर्थिक स्थितियां, राजस्व दृश्यता में कमी और नई नियुक्तियों पर रोक जैसे कारकों को जिम्मेदार माना जा सकता है। कंपनियां अक्सर छंटनी प्रक्रिया को अपनाने के लिए अपने कर्मचारियों के खराब प्रदर्शन को जिम्मेदार मानती हैं।
  • इसके अतिरिक्त, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा एनालिटिक्स भी रोजगार सृजन की मंदी में अपना योगदान दे रहे हैं, विशेषज्ञों का अनुमान है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त तकनीक अगले पांच वर्षों में हजारों मानव कार्यबल/श्रमिक की जगह ग्रहण कर सकता है।

कोविड-19 महामारी के बाद रोजगार सृजन के क्षेत्र में कुछ सकारात्मक संकेत

  • कैलेंडर वर्ष 2019 और कैलेंडर वर्ष 2022 के बीच विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन में 58 मिलियन की वृद्धि हुई है। उपर्युक्त दो वर्षों को शुद्ध पूर्व-कोविड और शुद्ध कोविड-पश्चात अनुमान के अनुरूप चुना गया है।
  • वर्ष 2019 के स्तर की तुलना में महिलाओं के लिए नौकरियों में 28 मिलियन या 25% की वृद्धि हुई; पुरुषों के लिए नौकरियों में 30 मिलियन की वृद्धि हुई, या महिला नौकरियों की गति केवल एक तिहाई (लगभग 8.4 प्रतिशत) बढ़ी।
  • रोजगार सृजन की यह गति भारतीय इतिहास में न्यूनतम तीन वर्षों में सबसे अधिक है।

रोजगार के अवसर और उपलब्ध योग्यताओं का असंतुलन:

  • श्रम की अधिकता होने के बावजूद भारत कौशल की कमी के विरोधाभास का सामना कर रहा है। नौकरी के अवसरों और योग्यताओं के बीच असंतुलन व्याप्त है। उदाहरण के लिए, ट्रक ड्राइवरों, इस्पात उद्योग में धातु-कर्मियों, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नर्सों और तकनीकी तथा निर्माण क्षेत्र में सिविल इंजीनियरों की कमी है। यद्दपि भारत की आर्थिक वृद्धि सदैव सेवाओं से प्रेरित रही है, जिसके परिणामस्वरूप जन शिक्षा स्तर पर कौशल की कमी रही है।

महिलाओं की न्यूनतम भागीदारी:

  • कानून और व्यवस्था, कुशल सार्वजनिक परिवहन, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और सामाजिक मानदंडों सहित कामकाजी स्थितियां प्राय: महिलाओं को रोजगार खोजने में हतोत्साहित करती हैं। कई महिलाएं अपने परिवार की देखभाल करते हुए विशेष रूप से अपने घरों में रहना पसंद करती हैं। महिलाओं के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसरों की कमी हमेशा से एक महत्वपूर्ण चुनौती रही है।

सुझाव और आगामी रणनीति:

  • शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना सरकार और समाज दोनों की ही प्राथमिकता होनी चाहिए। व्यवसायों के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाने और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उनकी उपस्थिति का विस्तार करने से रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिल सकता है। रोजगार क्षमता बढ़ाने और अधिक नौकरियाँ पैदा करने के लिए सरकार की कौशल विकास पहल को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है। रोजगार सृजन और रोजगार क्षमता में सुधार जैसे क्षेत्रों पर सरकार का ध्यान अधिक होना चाहिए।
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