हाल ही में ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण (बीएएस) के वैज्ञानिकों ने पहली बार अंटार्कटिक क्षेत्र में रोगजनक एवियन इन्फ्लुएंजा (एचपीएआई) का पता लगाया है। दक्षिणी महासागर में अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लुएंजा की इस खोज ने यहाँ कमजोर वन्यजीव आबादी के बारे में महत्वपूर्ण चिंताओं को जन्म दिया है। अंटार्कटिक के बर्ड आइलैंड, दक्षिण जॉर्जिया पर ब्राउन स्कुआ प्रजाति में एचपीएआई की उपस्थिति, , पेंगुइन, सील सहित अन्य एवियन प्रजातियों के लिए संभावित खतरे का संकेत देती है। यह लेख एवियन इन्फ्लुएंजा (एचपीएआई) की उत्पत्ति, प्रसार, संभावित परिणामों और इस पर चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डालता है।
एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू, उपप्रकार एच5एन1 और एच9एन2) और स्वाइन इन्फ्लूएंजा को उसके मूल मेजबान के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, । ये वायरस, मानव इन्फ्लूएंजा वायरस से अलग, शायद ही कभी मनुष्यों के बीच फैलते हैं।
फ्लू वायरस के नामकरण में हेमाग्लुटिनिन के लिए "एच" और न्यूरामिनिडेस के लिए "एन" का प्रयोग किया जाता हैं। ये दो प्रोटीन वायरस की सतह पर मेजबान कोशिकाओं के प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए महत्वपूर्ण हैं।इन दोनों प्रोटीनों की पहले फ्लू वायरस घटकों के रूप मे पहचान की गई थी, जिससे इनकी नामकरण परंपरा शुरू हुई।
इन इन्फ्लूएंजा ए वायरसों का प्राथमिक प्राकृतिक भंडार जलीय पक्षी होते हैं। ये पक्षी आम तौर पर हल्के संक्रमण का अनुभव करते हैं, जो पक्षियों में वायरस के प्रसार में योगदान करते हैं। संभावित प्रकोपों को रोकने और पशु और मानव स्वास्थ्य दोनों की रक्षा के लिए सतर्कता और रणनीतिक उपाय आवश्यक हैं।
ऐसा माना जाता है कि अंटार्कटिका में एच. पी. ए. आई. की उत्पत्ति दक्षिण अमेरिका से जुड़ी हुई है, जहाँ पहली बार 2022 में इसके प्रकोप की सूचना मिली थी। इस वायरस से उत्तरी गोलार्ध में समुद्री पक्षियों की आबादी विशेष रूप से प्रभावित हुई थी, जिससे वैज्ञानिकों के बीच चिंता पैदा हो गई थी कि वायरस दक्षिणी महासागर तक अपनी पहुंच बढ़ा सकता है। दुर्भाग्य से, ये आशंकाएं साकार हो गईं क्योंकि वायरस तेजी से दक्षिण अमेरिका के प्रशांत तट के साथ दक्षिण की ओर फैल गया, इसने केवल तीन महीनों में 6,000 किलोमीटर की दूरी तय की है । इस तेजी से प्रसार के परिणामस्वरूप 500,000 समुद्री पक्षियों मे संक्रमण हुआ और समुद्री स्तनधारियों में भी इसका प्रकोप हुआ, इससे करीब 20,000 दक्षिण अमेरिकी समुद्री शेरों की दुखद मौत हो गई।
अंटार्कटिक क्षेत्र में H5N1 के परिणाम संभावित रूप से विनाशकारी हैं। एवियन इन्फ्लूएंजा, विशेष रूप से एच5 और एच7 मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करते हैं, लेकिन संक्रमित पक्षियों को खाने वाले जीवों के माध्यम से स्तनधारियों में भी फैल सकता है। इससे फर सील, समुद्री शेर, दक्षिणी हाथी सील और डॉल्फिन सहित समुद्री स्तनधारियों को खतरा है। पक्षियों में, गुल, स्कुआ, बाज, कैराकारा, टर्न और शोरबर्ड्स इसके प्रति विशेष रूप से असुरक्षित हैं। अंटार्कटिक क्षेत्र में वायरस की उपस्थिति इस पारिस्थितिकी तंत्र के नाजुक संतुलन बडा खतरा है, जिससे संभावित रूप से विभिन्न पक्षियों और समुद्री प्रजातियों की प्रजनन आबादी में गिरावट आ सकती है।
इस संकट के जवाब में, बीएएस ने दक्षिण जॉर्जिया और दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह (जीएसजीएसएसआई) की सरकार के सहयोग से व्यापक निगरानी और प्रबंधन प्रयास शुरू किए हैं। इनमें उन्नत जैव सुरक्षा उपाय और वायरस के प्रसार पर नज़र रखने और इसके प्रभाव को कम करने के लिए एक स्तरीय प्रतिक्रिया योजना शामिल है। इस संदर्भ मे सतर्कता सर्वोपरि है और वैज्ञानिक अपना शोध कार्य जारी रखेँ और प्रभावित क्षेत्रों में पक्षियों और समुद्री जीवों की बारीकी से निगरानी करें।
इस प्रकोप से उत्पन्न होने वाली सबसे महत्वपूर्ण चिंताओं में से एक पेंगुइन और सील की आबादी पर इसके संभावित प्रभाव है। ये जीव पहले से ही जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय कारणों से चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, अब एचपीएआई की उपस्थिति से इन्हे और भी खतरा हैं। फॉकलेंड द्वीप समूह सहित दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी छोर और अंटार्कटिक प्रायद्वीप के बीच दूरदराज के द्वीपों की पहचान विभिन्न कमजोर वन्यजीव समूहों की उपस्थिति के कारण उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के रूप में की गई है। चूंकि ये द्वीप कई प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण आवास प्रदान करते हैं, इसलिए एवियन इन्फ्लूएंजा की शुरूआत पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर सकती है।
एवियन इन्फ्लूएंजा का एच5एन1 स्ट्रेन व्यापक इन्फ्लूएंजा महामारी का प्रसार करने की क्षमता के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है। एक महामारी तब होती है जब एक नया इन्फ्लूएंजा वायरस उभरता है, जो मानव-से-मानव संचरण में सक्षम होता है, खासकर जब मानव आबादी में इसके खिलाफ प्रतिरक्षा की कमी होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू. एच. ओ.) के अनुसार जनवरी 2003 से नवंबर 2022 तक मनुष्यों में एच5एन1 संक्रमण के 868 प्रलेखित मामले सामने आए हैं, जिसमे 457 मौतें हुई हैं। महत्वपूर्ण रूप से, अभी तक, बर्ड फ्लू के मनुष्य से मनुष्य में फैलने का कोई प्रमाण नहीं है। वर्तमान में एवियन, स्वाइन और अन्य जूनोटिक इन्फ्लूएंजा वायरस के फैलने की संभावना अनिश्चित बनी हुई है जो भविष्य में महामारी का कारण बन सकते हैं। इस संभावित खतरे को समझने और कम करने के लिए सतर्कता और अनुसंधान महत्वपूर्ण हैं।.
अंटार्कटिक क्षेत्र में अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लुएंजा का पता लगाना वैश्विक पारिस्थितिकी प्रणालियों के परस्पर जुड़ाव की याद दिलाता है। चूंकि मानव गतिविधियाँ का पर्यावरण को प्रभावित करना जारी हैं, इसलिए सबसे दूरदराज के क्षेत्रों में भी वन्यजीव उभरते खतरों से अछूते नहीं हैं। अंटार्कटिका में H5N1 द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, कठोर अनुसंधान और प्रभावी प्रबंधन रणनीतियों सहित त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है। इस तरह के ठोस प्रयासों के माध्यम से ही हम इस प्रकोप के प्रभाव को कम करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए अंटार्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र के नाजुक संतुलन की रक्षा करने की उम्मीद कर सकते हैं।
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1. अंटार्कटिका में एवियन इन्फ्लुएंजा का उद्भव क्या है? |
2. एवियन इन्फ्लुएंजा के लिए खतरा क्यों हो सकता है? |
3. अंटार्कटिका में एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस कैसे फैल सकता है? |
4. अंटार्कटिका में एवियन इन्फ्लुएंजा का खतरा किसे प्रभावित कर सकता है? |
5. अंटार्कटिका में एवियन इन्फ्लुएंजा से बचने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं? |
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