आर्थिक नीतियों, विशेष रूप से राजकोषीय नीति, ने महामारी के बाद विकास सुधार को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राजकोषीय नीति महामारी के दौरान कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने से अब सार्वजनिक निवेश-संचालित विकास रणनीति की ओर परिवर्तित हो गई है ताकि अवसंरचना के निर्माण में तेज़ी लाई जा सके। राजकोषीय घाटे/सकल घरेलू उत्पाद अनुपात को कम करने के मार्ग पर बने रहते हुए यह हासिल किया गया।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के पहले अग्रिम जीडीपी अनुमान से संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस वित्तीय वर्ष में 7.3% की वृद्धि करेगी, जो जनवरी 2023 में आर्थिक सर्वेक्षण द्वारा अनुमानित 6.5% से अधिक तेज़ है। इस संदर्भ में, हाल ही में प्रस्तुत अंतरिम बजट को पूर्वानुमानित विकास गति को बनाए रखने के लिये अनसुलझे रह गए विभिन्न मुद्दों को समायोजित करने की आवश्यकता है।
पहले अग्रिम जीडीपी अनुमान में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3% की मज़बूत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जो वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद पहले के पूर्वानुमानों से अधिक है। सरकार की राजकोषीय नीतियों ने, महामारी-केंद्रित कल्याण से सार्वजनिक निवेश की ओर आगे बढ़ते हुए, आर्थिक क्षमता में वृद्धि की है, जो निवेश में वृद्धि के रूप में परिलक्षित होती है।
हालाँकि, राजकोषीय समेकन के लिये पूंजीगत व्यय में बजटीय समर्थन को मध्यम करने की आवश्यकता है। खाद्य मुद्रास्फीति का प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होना और मैक्रोइकॉनोमिक बुनियादी सिद्धांतों को बनाए रखना निरंतर विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है, जो नीतिनिर्माताओं के लिये एक चुनौतीपूर्ण लेकिन अनिवार्य कार्य है।
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