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संलयन क्रांति : स्वच्छ ऊर्जा और वैश्विक नेतृत्व के लिए भारत


सन्दर्भ:

1970 के दशक से, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के बिना स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता के कारण फ्यूजन (संलयन) रिएक्टर मानव की ऊर्जा जरूरतों के लिए एक प्रतिष्ठित समाधान रहे हैं। प्रारंभिक बाधाओं के बावजूद, नेशनल इग्निशन फैसिलिटी (एनआईएफ) (the National Ignition Facility-NIF) जैसी हाल की सफलताओं ने फ्यूजन रिएक्टर से उर्जा प्राप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावनाओं को पुनर्जीवित कर दिया है।

नवीनतम सफलता क्या है?

लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने दिसंबर में अपनी पिछली सफलता से आगे बढ़ते हुए दूसरी बार संलयन प्रतिक्रिया में शुद्ध ऊर्जा लाभ प्राप्त किया है। नेशनल इग्निशन फैसिलिटी में आयोजित इस प्रयोग में प्रकाश परमाणुओं को सघन बनाने के लिए लेजर का उपयोग किया गया, जिससे उच्च ऊर्जा उत्पन्न हुई यद्यपि परिणामों का विस्तृत विश्लेषण अभी जारी है.

परमाणु संलयन क्या है?

The Hindi Editorial Analysis- 3rd October 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

  • परमाणु संलयन, सूर्य जैसे तारों में होने वाली प्रक्रिया है, जिसमें दो हल्के नाभिकों को जोड़कर भारी नाभिक बनता है, जिससे आइंस्टीन के द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता (ई=एमसी²) के अनुसार ऊर्जा उत्सर्जित होती है। हाइड्रोजन के ड्यूटेरियम (डी) और ट्रिटियम (टी) आइसोटोप (Deuterium (D) and Tritium (T) isotopes ) हीलियम में संलयन करते हैं, जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है। यूरेनियम-आधारित विखंडन प्रतिक्रियाओं के विपरीत, संलयन अत्यधिक कुशल है और न्यूनतम रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न करता है।
  • संलयन को व्यवहार्य बनाने के लिए, इसे नियंत्रित और सतत तरीके से होना चाहिए, जिससे ऊर्जा उत्पन्न हो सके और जो बिजली उत्पन्न कर सके। संलयन प्रतिक्रिया की दक्षता लाभ द्वारा मापी जाती है, जिसे व्यावहारिक ऊर्जा उत्पादन के लिए 1 से अधिक होना आवश्यक है।

फ्यूजन रिएक्टरों के प्रकार

  1. मैग्नेटिक कन्फिनमेंट फ्यूजन (एमसीएफ): एमसीएफ प्लाज्मा को समाहित करने के लिए एक चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करता है, जो कणों को रिएक्टर की दीवारों से टकराने और धीमा होने से रोकता है। डोनट या टोरॉयड जैसे आकार वाले टोकामाक्स और स्टेलरेटर इसके उदाहरण हैं।
  2. जड़त्वीय संरेखण संलयनः इस विधि में, उच्च-ऊर्जा वाले लेजर फ्यूल पेलेट (डी-टी) पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिससे संलयन के लिए आवश्यक अत्यधिक तापमान उत्पन्न होता है। जो बाहरी द्रव्यमान प्रतिक्रिया को सीमित करता है।

इसमें मैग्नेटाइज्ड टारगेट फ्यूजन और हाइब्रिड फ्यूजन (संलयन के साथ विखंडन का संयोजन) जैसी विविधताएं भी हैं। इसमें मुख्य चुनौती सकारात्मक रूप से आवेशित नाभिक के बीच स्थिरविद्युत प्रतिकर्षण पर नियंत्रण पाने में निहित है, जिससे संलयन शुरू करने के लिए अत्यधिक तापमान के कृत्रिम निर्माण की आवश्यकता होती है।

एनआईएफ में ऐतिहासिक उपलब्धि: फ्यूजन रिसर्च में एक महत्वपूर्ण मोड़

  • दिसंबर 2022 में, लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में एनआईएफ ने "ब्रेकईवन" तक पहुंचकर संलयन अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की , जो मैग्नेटाइज्ड टारगेट फ्यूजनयन के माध्यम से शुद्ध सकारात्मक ऊर्जा लाभ का संकेत देता है। जुलाई 2023 में और भी अधिक लाभ के साथ दोहराई गई इस उपलब्धि ने फ़्यूज़न तकनीक ने अनुसंधानकर्ताओं को और भी आकर्षित किया है । परिणामस्वरूप, फ़्यूज़न अनुसंधान में वैश्विक निवेश बढ़कर 6.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने परमाणु संलयन ऊर्जा संयंत्र विकास के लिए समर्पित आठ स्टार्टअप में 46 मिलियन अमेरिकी डॉलर का पर्याप्त निवेश करने का निर्णय लिया है, जो इस क्षेत्र में बढ़ते उत्साह का संकेत देता है।
  • यद्यपि इस सन्दर्भ में, एक महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है: इस तकनीक में अभी तक पाया गया की ऊर्जा लाभ केवल संलयन प्रतिक्रिया से आउटपुट स्तर पर प्राप्त हुआ है और प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक लेजर तथा अन्य उपकरणों को संचालित करने के लिए यह आवश्यक ऊर्जा को ध्यान में नहीं रखती है। इन इनपुटों के लिए लेखांकन करते समय, "कुल लाभ" 1 से काफी नीचे रहता है। फ़्यूज़न तकनीक को व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए, एनआईएफ को अपने आउटपुट को कम से कम 100,000 प्रतिशत बढ़ाना होगा। अत: इस सफलता के बावजूद, आर्थिक रूप से व्यवहार्य संलयन-आधारित बिजली उत्पादन प्राप्त करने की राह में अभी पर्याप्त व्यावहारिक चुनौतियाँ हैं।

भारतीय परिदृश्य

  • भारत ने फ्यूज़न प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण प्रगति की है और खुद को इस क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। 1982 में भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए प्लाज़्मा भौतिकी कार्यक्रम (The Plasma Physics Programme) के कारण 1986 में प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान (आईपीआर) का गठन हुआ। इस प्रयास के परिणामस्वरूप 1989 में भारत के अपने टोकामक, आदित्य का विकास हुआ। स्टेडी स्टेट सुपरकंडक्टिंग टोकामक (एसएसटी-1) नामक एक बड़ा अर्ध-स्वदेशी टोकामक (larger semi-indigenous tokamak named the Steady State Superconducting Tokamak (SST-1), ), जो 2013 में पूरी तरह से चालू हो गया था। इसके साथ ही प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान (आईपीआर) स्टेडी स्टेट सुपरकंडक्टिंग टोकामक ( एसएसटी-2) के लिए महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रहा है , जो 2027 में पूरी हो जाएगा।
  • यद्यपि, 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम में उल्लिखित प्रतिबंधों के कारण भारत को निजी निवेश आकर्षित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह कानून परमाणु ऊर्जा स्टेशनों के विकास और संचालन की जिम्मेदारी मुख्य रूप से सरकार पर ही आरोपित करता है। जिसके चलते निजी घरेलू कंपनियाँ घटकों की आपूर्ति करने और निर्माण परियोजनाओं में भाग लेने तक ही सीमित हैं, परिणामत: उनकी भूमिकाएँ "जूनियर इक्विटी पार्टनर्स" के रूप में सीमित हैं। इस मुद्दे के समाधान के लिए नीति आयोग द्वारा बुलाए गए एक सरकारी पैनल ने परमाणु ऊर्जा उद्योग में विदेशी निवेश पर प्रतिबंध हटाने की सिफारिश की है। इस बदलाव का उद्देश्य घरेलू निजी फर्मों की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना है, जिससे संभावित रूप से भारत के फ्यूजन प्रौद्योगिकी क्षेत्र को पुनर्जीवित किया जा सके।

भारत के लिए एक सुनहरा अवसर

हालाँकि फ़्यूज़न रिएक्टरों से वाणिज्यिक ऊर्जा उत्पादन में अभी एक दशक का समय लग सकता है, लेकिन भारत के पास इस उभरती हुई तकनीक का लाभ उठाने का एक सुनहरा अवसर है। एनआईएफ प्रयोग, जड़त्वीय परिरोध संलयन (Inertial Confinement Fusion) के माध्यम से परमाणु संलयन की खोज को आगे बढ़ने का एक आशाजनक मार्ग प्रस्तुत करता है। भारत को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और इस तकनीक में अभिक निवेश करना चाहिए, क्योंकि यह स्पष्ट है कि, यह भविष्य की एक महत्वपूर्ण ऊर्जा है। इस तकनीक को अपनाने से न केवल जीवाश्म ईंधन का एक भरोसेमंद विकल्प प्राप्त होता है, बल्कि भारत को निर्धारित समय सीमा (वर्ष 2070 ) से काफी पहले शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता मिल सकती है।

निष्कर्ष

नेशनल इग्निशन फैसिलिटी (एनआईएफ) में परमाणु संलयन में हालिया सफलता ने संलयन अनुसंधान में वैश्विक रुचि और निवेश को बढ़ावा दिया है। भारत, अपने उन्नत फ़्यूज़न कार्यक्रमों के साथ, इस अवसर का लाभ उठाने के लिए तत्पर है। चुनौतियों के बावजूद, जड़त्वीय परिरोध संलयन के माध्यम से शुद्ध सकारात्मक ऊर्जा लाभ की उपलब्धि महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती है। भारत की सक्रिय भागीदारी और निजी निवेश के संबंध में संभावित नीतिगत बदलाव देश को संलयन ऊर्जा की खोज में अच्छी स्थिति प्रदान करता है । फ़्यूज़न तकनीक को अपनाने से भारत 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन का नेतृत्व करने में सक्षम हो सकता है।

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FAQs on The Hindi Editorial Analysis- 3rd October 2023 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. संलयन क्रांति क्या है?
उत्तर: संलयन क्रांति एक ऊर्जा संगठन है जो स्वच्छ ऊर्जा और वैश्विक नेतृत्व के लिए भारत की पहल को प्रोत्साहित करता है। यह ऊर्जा की संरचना, प्रबंधन, उपयोग और बचत के माध्यम से सामरिक, आर्थिक और पर्यावरणीय फायदे प्रदान करने का लक्ष्य रखता है।
2. स्वच्छ ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर: स्वच्छ ऊर्जा एक प्रकार की ऊर्जा है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होती है और प्राकृतिक संसाधनों के संग्रहीत नहीं करती है। यह सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, जैव ईंधन, बायोगैस, जलवायु ऊर्जा, जलवायु स्थायीकरण और ऊर्जा बचत के उपयोग को समर्थन करती है।
3. संलयन क्रांति के लिए भारत की पहल क्या है?
उत्तर: भारत ने संलयन क्रांति की पहल के रूप में कई कदम उठाए हैं। इसमें शामिल हैं सौर ऊर्जा का उपयोग, पवन ऊर्जा विकास, बायोगैस प्रोजेक्ट्स, नदी जल ऊर्जा, जलवायु ऊर्जा का प्रयोग और ऊर्जा बचत के लिए जागरूकता बढ़ाना।
4. संलयन क्रांति का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: संलयन क्रांति का उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग करके भारत को वैश्विक नेतृत्व में स्थान देना है। यह ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरणीय संरक्षण और विकास के साथ ही सामरिक और आर्थिक फायदे प्रदान करने का लक्ष्य रखता है।
5. संलयन क्रांति के लिए भारत का योजना और नीतियां क्या हैं?
उत्तर: भारत ने ऊर्जा संरचना, प्रबंधन और उपयोग के क्षेत्र में कई योजनाएं और नीतियां अपनाई हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं और नीतियां हैं: राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन, ग्रीन इंडिया कोरिडोर, प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा योजना, उज्ज्वला योजना, जल जीवन मिशन, ट्विंकल योजना, जनधन योजना और अटल ज्योति योजना।
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