1970 के दशक से, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के बिना स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता के कारण फ्यूजन (संलयन) रिएक्टर मानव की ऊर्जा जरूरतों के लिए एक प्रतिष्ठित समाधान रहे हैं। प्रारंभिक बाधाओं के बावजूद, नेशनल इग्निशन फैसिलिटी (एनआईएफ) (the National Ignition Facility-NIF) जैसी हाल की सफलताओं ने फ्यूजन रिएक्टर से उर्जा प्राप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावनाओं को पुनर्जीवित कर दिया है।
लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने दिसंबर में अपनी पिछली सफलता से आगे बढ़ते हुए दूसरी बार संलयन प्रतिक्रिया में शुद्ध ऊर्जा लाभ प्राप्त किया है। नेशनल इग्निशन फैसिलिटी में आयोजित इस प्रयोग में प्रकाश परमाणुओं को सघन बनाने के लिए लेजर का उपयोग किया गया, जिससे उच्च ऊर्जा उत्पन्न हुई यद्यपि परिणामों का विस्तृत विश्लेषण अभी जारी है.
इसमें मैग्नेटाइज्ड टारगेट फ्यूजन और हाइब्रिड फ्यूजन (संलयन के साथ विखंडन का संयोजन) जैसी विविधताएं भी हैं। इसमें मुख्य चुनौती सकारात्मक रूप से आवेशित नाभिक के बीच स्थिरविद्युत प्रतिकर्षण पर नियंत्रण पाने में निहित है, जिससे संलयन शुरू करने के लिए अत्यधिक तापमान के कृत्रिम निर्माण की आवश्यकता होती है।
हालाँकि फ़्यूज़न रिएक्टरों से वाणिज्यिक ऊर्जा उत्पादन में अभी एक दशक का समय लग सकता है, लेकिन भारत के पास इस उभरती हुई तकनीक का लाभ उठाने का एक सुनहरा अवसर है। एनआईएफ प्रयोग, जड़त्वीय परिरोध संलयन (Inertial Confinement Fusion) के माध्यम से परमाणु संलयन की खोज को आगे बढ़ने का एक आशाजनक मार्ग प्रस्तुत करता है। भारत को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और इस तकनीक में अभिक निवेश करना चाहिए, क्योंकि यह स्पष्ट है कि, यह भविष्य की एक महत्वपूर्ण ऊर्जा है। इस तकनीक को अपनाने से न केवल जीवाश्म ईंधन का एक भरोसेमंद विकल्प प्राप्त होता है, बल्कि भारत को निर्धारित समय सीमा (वर्ष 2070 ) से काफी पहले शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता मिल सकती है।
नेशनल इग्निशन फैसिलिटी (एनआईएफ) में परमाणु संलयन में हालिया सफलता ने संलयन अनुसंधान में वैश्विक रुचि और निवेश को बढ़ावा दिया है। भारत, अपने उन्नत फ़्यूज़न कार्यक्रमों के साथ, इस अवसर का लाभ उठाने के लिए तत्पर है। चुनौतियों के बावजूद, जड़त्वीय परिरोध संलयन के माध्यम से शुद्ध सकारात्मक ऊर्जा लाभ की उपलब्धि महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती है। भारत की सक्रिय भागीदारी और निजी निवेश के संबंध में संभावित नीतिगत बदलाव देश को संलयन ऊर्जा की खोज में अच्छी स्थिति प्रदान करता है । फ़्यूज़न तकनीक को अपनाने से भारत 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन का नेतृत्व करने में सक्षम हो सकता है।
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1. संलयन क्रांति क्या है? |
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