20 सितंबर, 2024 को बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस एएस चंदुरकर ने पहले से विभाजित फैसले से उत्पन्न हुए बंधन को तोड़ दिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के पक्ष में फैसला सुनाया। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम) में किए गए संशोधन को असंवैधानिक घोषित किया। अगर यह कानून लागू होता, तो केंद्र सरकार को यह तय करने का अधिकार मिल जाता कि उसके संचालन के बारे में कोई भी खबर इंटरनेट पर कैसे प्रसारित की जानी चाहिए।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कई उद्देश्यों की पूर्ति करती है:
भारतीय न्यायपालिका ने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में वर्णित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को परिभाषित करने और उसकी रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सरकार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया
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कला में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
राजद्रोह बनाम स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार
द्वेषपूर्ण भाषण
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