मानवाधिकार हनन, नरसंहार (genocide) और युद्ध अपराध (war crimes) अंतर्राष्ट्रीय कानून के व्यापक ढाँचे के भीतर परस्पर-संबद्ध अवधारणाएँ हैं, जो विशेष रूप से संघर्ष या संकट के समय व्यक्तियों एवं समूहों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करती हैं। मानव अधिकार नरसंहार और युद्ध अपराधों की रोकथाम के लिये आधार के रूप में कार्य करते हैं। ये अधिकार विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संधियों और घोषणाओं में निहित हैं, जैसे कि मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights- UDHR)।
नोट:
नरसंहार कोई ऐसी स्थिति नहीं है जो रातोंरात या बिना किसी चेतावनी के घटित हो जाए। नरसंहार के लिये संगठन की आवश्यकता होती है और यह वास्तव में एक सोची-समझी रणनीति होती है। यह रणनीति प्रायः सरकारों या राज्य तंत्र को नियंत्रित करने वाले समूहों द्वारा अपनाई जाती है। वर्ष 2004 में, रवांडा नरसंहार की दसवीं बरसी पर, तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान ने नरसंहार को रोकने के लिये पाँच सूत्री कार्ययोजना की रूपरेखा तैयार की थी:
ICJ में इज़राइल के विरुद्ध दक्षिण अफ्रीका द्वारा शुरू की गई कानूनी कार्यवाही ने गहन वैश्विक बहस छेड़ दी है। यह मामला गाज़ा में इज़राइल के सैन्य अभियानों में नरसंहार के आरोपों से संबंधित है, जो एक जटिल कानूनी संदर्भ प्रस्तुत करता है। इसका निर्णय न केवल गाज़ा में संकट को कम करने के लिये बल्कि ‘नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था’ (rules-based international order) के लिये एक अत्यंत आवश्यक परीक्षण के रूप में भी महत्त्वपूर्ण है। आगामी माहों में ICJ के निर्णय अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढाँचे की धारणाओं को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
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