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The Hindi Editorial Analysis- 7th September 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

आदित्य एल1 मिशन : एक समग्र विश्लेषण


सन्दर्भ:

  • दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान 3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2 सितंबर, 2023 को अपने प्रथम सौर मिशन, आदित्य एल1 के सफल प्रक्षेपण के साथ एक ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की ।
  • आदित्य एल1 1.5 मिलियन किलोमीटर की असाधारण यात्रा पर निकला है। इसका अंतिम गंतव्य लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) है, जो अंतरिक्ष में एक अनोखा स्थान है जहां पृथ्वी और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्तियां उत्कृष्ट रूप से संतुलित हैं। यह संतुलन एक अंतरिक्ष यान को न्यूनतम ईंधन खपत के साथ एक स्थिर स्थिति बनाए रखने की अनुमति देता है।

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L1 पर वैश्विक सौर मिशन:

लैग्रेंज बिंदु 1, या एल1, सूर्य का एक अबाधित और निर्बाध दृश्य प्रदान करता है, जो ग्रहण या ग्रहण के हस्तक्षेप से मुक्त है। संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूरोप, चीन और जापान आदि देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों ने पहले ही अंतरिक्ष में इस रणनीतिक बिंदु पर सौर मिशन लॉन्च करने में सफलता प्राप्त कर ली है।

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आदित्य एल1 के पेलोड और लक्ष्य

आदित्य एल1 सात पेलोड की एक परिष्कृत श्रृंखला से सुसज्जित है। इन उन्नत उपकरणों को सूर्य की विभिन्न परतों की जांच करने के लिए सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किया गया है, जिसमें प्रकाशमंडल (सूर्य की सतह), क्रोमोस्फीयर (प्रकाशमंडल और कोरोना के बीच एक पतली प्लाज्मा परत) और सबसे बाहरी परतें शामिल हैं। इन व्यापक अवलोकनों को अत्याधुनिक विद्युत चुम्बकीय कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों द्वारा सुविधाजनक बनाया गया है।

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आदित्य-एल1 मिशन के प्रमुख उद्देश्य हैं:

आदित्य एल1 के प्राथमिक उद्देश्य व्यापक हैं और इसमें सौर घटनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का अध्ययन शामिल है। इसमें कोरोनल हीटिंग, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता और कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) से संबंधित जटिल प्रक्रियाओं की जांच के अलावा, मिशन न केवल पृथ्वी के आसपास बल्कि हमारे सौर मंडल के अन्य खगोलीय पिंडों के आसपास भी अंतरिक्ष में लगातार बदलती पर्यावरणीय स्थितियों की निगरानी करेगा , इसके अन्य उद्देश्यों को निम्नवत बिन्दुओं में देखा जा सकता है:

  • ऊपरी सौर वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) गतिकी का अध्ययन करना ।
  • क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल तापन, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी, कोरोनल मास इजेक्शन की शुरुआत, और फ्लेयर्स का अध्ययन करना
  • सूर्य से कण की गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले यथावस्थित कण और प्लाज्मा वातावरण का प्रेक्षण करना
  • सौर कोरोना की भौतिकी और इसका ताप तंत्र समझना ।
  • कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान: तापमान, वेग और घनत्व।
  • सी.एम.ई. का विकास, गतिशीलता और उत्पत्ति की जाँच ।
  • उन प्रक्रियाओं के क्रम की पहचान करना जो कई परतों (क्रोमोस्फीयर, बेस और विस्तारित कोरोना) में होती हैं जो अंततः सौर विस्फोट की घटनाओं की ओर ले जाती हैं।
  • कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और चुंबकीय क्षेत्र की माप करना ।
  • हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता की जाँच करना ।

भारत की यात्रा में भारत के आदित्य एल1 मिशन का महत्व

  • सौर भौतिकी को आगे बढ़ाना: आदित्य एल1 मिशन सौर भौतिकी के बारे में हमारे ज्ञान को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके उपकरण SUIT द्वारा एकत्र किया गया व्यापक डेटा सूर्य की गतिशील गतिविधि के बारे में हमारी समझ को और विकसित करेगा ।
  • उन्नत अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान: अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान के लिए सूर्य के व्यवहार की अधिक गहन समझ महत्वपूर्ण है। फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन जैसी सौर घटनाओं में संचार और नेविगेशन प्रणालियों को बाधित करने की क्षमता होती है। इसलिए, आदित्य एल1 इस संबंध में बेहतर तैयारी में योगदान करेगा।
  • सनस्पॉट चक्रों और ऊर्जा संचयन की भविष्यवाणी: सनस्पॉट चक्रों की बेहतर भविष्यवाणी के माध्यम से, आदित्य एल1 सूर्य के ऊर्जा उत्पादन का अनुमान लगाने में सहायता करता है। यह ज्ञान हमारी बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और अनुकूलन बढाने के लिए प्रभावी रणनीति विकसित करने व पृथ्वी की जलवायु पर सूर्य के प्रभाव को समझना आवश्यक है।
  • उन्नत अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताएँ: सौर विज्ञान में सफलताएँ प्राप्त करके, भारत अंतरिक्ष अन्वेषण में अपनी क्षमताओं को मजबूत कर सकता है। यह देश को महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग करने की स्थिति में लाता है।
  • आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति: आदित्य एल1 मिशन गर्मी प्रतिरोधी सामग्रियों में नवाचार को बढ़ावा देने और अंतरिक्ष-संबंधित अनुप्रयोगों को बढ़ाकर आर्थिक विकास में योगदान देता है। यह मौसम पूर्वानुमान, नेविगेशन सेवाओं और अन्य क्षेत्रों में प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।
  • भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों के लिए उत्प्रेरक: आदित्य एल1 की सफलता अन्य सौर अन्वेषणों को बढ़ाने में आत्मविश्वास उत्पन्न करता है। यह उपलब्धि न केवल वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में भारत की स्थिति को बेहतर करती है बल्कि रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करती है ।

सौर मिशन में चुनौतियाँ

तकनीकी चुनौतियाँ:

  • सौर पैनल दक्षता: उच्च दक्षता वाले सौर पैनल विकसित करना एक सतत चुनौती है। अधिक कुशल पैनल सूर्य से अधिक ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं, जिससे मिशन अधिक उत्पादक बन सकते हैं।
  • ऊर्जा भंडारण: उन मिशनों के लिए कुशल और विश्वसनीय ऊर्जा भंडारण समाधान आवश्यक हैं जो रुक-रुक कर आने वाली धूप वाले क्षेत्रों में संचालित होते हैं।
  • अंतरिक्ष यान डिज़ाइन: ऐसे अंतरिक्ष यान का निर्माण करना जो तापमान में उतार-चढ़ाव, विकिरण और सूक्ष्म उल्कापिंड प्रभावों सहित अंतरिक्ष की चरम स्थितियों का सामना कर सके, एक महत्वपूर्ण तकनीकी चुनौती है।

संसाधनों की कमी:

  • बजट: किसी भी सौर मिशन के लिए पर्याप्त धनराशि महत्वपूर्ण है। इस बात पर लगातार चर्चा हो रही है कि क्या भारत सौर मिशन पर 400 करोड़ खर्च करने की स्थिति में है, जबकि भारत दुनिया की सबसे बड़ी गरीब आबादी का घर है?
  • सामग्री संसाधन: सौर पैनलों, अंतरिक्ष यान घटकों और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिए दुर्लभ या विशेष सामग्रियों तक पहुंच सीमित और यह महंगी भी है।

निष्कर्ष

भारत का आदित्य एल1 मिशन सौर अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण छलांग का प्रतिनिधित्व करता है, जो सौर भौतिकी, अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान और जलवायु परिवर्तन शमन में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। इसके उन्नत पेलोड का लक्ष्य सूर्य के रहस्यों को उजागर करना है, जिससे सौर व्यवधानों के लिए हमारी तैयारी में वृद्धि होगी। इसके अलावा, मिशन भारत को एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करता है, जो तकनीकी नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। आदित्य एल1 की सफलता भविष्य के सौर प्रयासों के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करती है, जो आगे की खगोलीय सीमाओं को बढ़ाने और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी बनाने में हमारे आत्मविश्वास में विरिधि करती है।

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