प्रश्न 1: हरिहर काका कहानी के लेखक कौन हैं ?
(क) गुरदयाल सिंह
(ख) मिथिलेश्वर
(ग) कोई नहीं
(घ) दयाल सिंह
उत्तर: (ख)
प्रश्न 2: ठाकुरबारी के प्रति गांव वालों के मन में क्या है?
(क) अपार श्रद्धा
(ख) घृणा
(ग) नफरत
(घ) प्रेम
उत्तर: (क)
प्रश्न 3: ठाकुरबारी के गांव के लोगों ने मंदिर कैसे बनवाया था?
(क) पैसो से
(ख) ठाकुर के पैसो से
(ग) चंदा इकट्ठा करके
(घ) कोई नहीं
उत्तर: (ग)
प्रश्न 4: गांव के लोग अपनी सफलता का श्रेय किसको देते हैं?
(क) सरपंच को
(ख) ठाकुरबारी जी को
(ग) स्वयं को
(घ) कोई नहीं
उत्तर: (ख)
प्रश्न 5: ठाकुरबारी में लोग अपनी श्रद्धा कैसे व्यक्त करते है ?
(क) रुपए देकर
(ख) जेवर
(ग) सभी
(घ) अन्न देकर
उत्तर: (ग)
प्रश्न 6: ठाकुरबारी के नाम पर कितने खेत हैं ?
(क) १० बीघे
(ख) २० बीघे
(ग) ३० बीघे
(घ) २ बीघे
उत्तर: (ख)
प्रश्न 7: गांव वालों की अपार श्रद्धा से उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है ?
(क) अंधभक्ति
(ख) अविश्वास
(ग) धार्मिक प्रवृत्ति का
(घ) विश्वास की
उत्तर: (ग)
प्रश्न 8: महंत और हरिहर काका के भाई एक ही श्रेणी के क्यों हैं ?
(क) दोनों दुर्व्यवहार करते हैं
(ख) दोनों ने ज़मीन हथियाने का षड्यंत्र किया
(ग) दोनों
(घ) कोई नहीं
उत्तर: (ग)
प्रश्न 9: महंत ने हरिहर काका की किस परिस्थिति का लाभ उठाया ?
(क) पारिवारिक मजबूरी का
(ख) गरीबी का
(ग) पारिवारिक नाराजगी का
(घ) नाराजगी का
उत्तर: (ग)
प्रश्न 10: महंत ने हरिहर काका को किस आधार पर ब्लैकमेल किया ?
(क) भावनात्मक आधार पर
(ख) परिवार के नाम पर
(ग) धर्म के नाम पर
(घ) कोई नहीं
उत्तर: (ग)
प्रश्न 11: कथा वाचक और हरिहर काका के में क्या संबंध है ?
(क) दोनों दोस्त हैं
(ख) एक ही परिवार से हैं
(ग) दोनों एक ही गांव के निवासी हैं
(घ) कोई नहीं
उत्तर: (ग)
प्रश्न 12: हरिहर काका कथा वाचक को कैसे घुमाया करते थे ?
(क) साइकिल पर
(ख) अपने कंधे पर बैठा कर
(ग) पैदल
(घ) अंगुली पकड़ कर
उत्तर: (ख)
प्रश्न 13: हरिहर काका की संपत्ति के दावेदार कौन थे ?
(क) महंत
(ख) हरिहर काका के भाई
(ग) दोनों
(घ) कोई नहीं
उत्तर: (ग)
प्रश्न 14: हरिहर काका और कथावाचक आपस में कैसे बातें करते थे ?
(क) खुल कर
(ख) छुप कर
(ग) कोई नहीं
(घ) घुल घुल कर
उत्तर: (क)
प्रश्न 15: हरिहर काका के गांव में यदि मीडिया होती तो उनकी स्थिति कैसी होती ?
(क) लड़ाई झगड़े होते
(ख) वास्तविकता का सबको पता चलता और उनकी स्थिति बेहतर होती
(ग) कोई नहीं
(घ) बात और बढ़ती
उत्तर: (ख)
प्रश्न 1: लोगों के बीच बहस छिड़ जाती है। उत्तराधिकारी के कानून पर जो जितना जानता है, उससे दस गुना अधिक उगल देता है। फिर भी कोई समाधान नहीं निकलता। रहस्य खत्म नहीं होता, आशंकाएँ बनी ही रहती हैं। लेकिन लोग आशंकाओं को नजरअंदाज कर अपनी पक्षधरता शुरू कर देते हैं।
हरिहर काका सभी के लिए चर्चा का केंद्र बने हुए थे। हरिहर काका मामले में गाँव वालों की राय तर्क सहित स्पष्ट कीजिए। (CBSE 2022-23)
उत्तर: गाँव वालों की अलग-अलग राय होने के कारण दो दल बन गए थे।
गाँव में एक तरफ़ चटोरे किस्म के लोग थे जो ठाकुरबारी में प्रसाद के बहाने तर माल खाते थे। वे महंत के पक्षधर थे। वे चाहते थे कि हरिहर काका को अपनी जमीन ठाकुरबारी के नाम लिख देनी चाहिए। इससे उन्हें पुण्य मिलेगा तथा उनकी कीर्ति स्थायी रहेगी।
दूसरा दल ठाकुरबारी के धार्मिक पाखंड को भली- भांति जानने वालों का था। वे भाइयों के परिवार के समर्थक थे। उनकी राय थी कि हरिहर काका को अपनी जमीन भाइयों के नाम लिख देनी चाहिए। उन्हें यही राय न्यायपूर्ण प्रतीत होती थी।
प्रश्न 2: कल भी उनके यहाँ गया था, लेकिन न तो वह कल ही कुछ कह सके और न आज ही। दोनों दिन उनके पास मैं देर तक बैठा रहा, लेकिन उन्होंने कोई बातचीत नहीं की। जब उनकी तबीयत के बारे में पूछा तब उन्होंने सिर उठाकर एक बार मुझे देखा फिर सिर झुकाया तो दुबारा मेरी ओर नहीं देखा हालाँकि उनकी एक ही नज़र बहुत कुछ कह गई। जिन यंत्रणाओं के बीच वह घिरे थे और जिस मनः स्थिति में जी रहे थे, उसमें आँखें ही बहुत कुछ कह देती है, मुँह खोलने की जरूरत नहीं पड़ती।
हरिहर काका की पंद्रह बीघे ज़मीन उनके लिए जी का जंजाल बन गई। कथन के आलोक में अपने विचार व्यक्त कीजिए। (CBSE 2021-22)
उत्तर: हरिहर काका और लेखक के बीच बहुत ही मधुर एवं आत्मीय संबंध थे | लेखक गाँव में जिन लोगों का सम्मान करते थे हरिहर काका उनमें से एक थे। हरिहर काका की आँखों में लेखक ने उस दुख को देखा जो रिश्तों की गर्माहट के भावों को नकारता हुआ तथा पाँव पसारती हुई, स्वार्थ लिप्सा और धर्म की आड़ में फलने-फूलने का अवसर पा रही हिंसा प्रवृत्ति को उजागर करता है।
ठाकुरबारी के महंत एवं हरिहर काका के भाइयों का एकमात्र उद्देश्य हरिहर काका की पंद्रह बीघे ज़मीन को हथियाना था। इसके लिए उन्होंने कई तरह के हथकंडे अपनाए और हरिहर काका पर बहुत जुल्म और अत्याचार किए। उनके विश्वास को ठेस पहुँचाई। ठाकुरबारी के महंत ने ज़बरदस्ती सादे कागज़ पर अँगूठे के निशान लिए, उन्हें मारा-पीटा तथा हाथ पाँव और मुँह बांधकर कमरे में बंद कर दिया। हरिहर के भाइयों ने भी ऐसा ही किया। भौतिक सुखों की होड़, रिश्तों की अहमियत को औपचारिकता और आडंबर का जामा पहनाना इत्यादि के कारण हरिहर की पंद्रह बीघे ज़मीन उनके लिए जी का जंजाल बन गई थी।
प्रश्न 3: महंत और अपने भाई हरिहर काका को एक जैसे क्यों लगने लगते है? ‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए (CBSE 2020-21)|
उत्तर: हरिहर काका को महंत और अपने सगे भाई एक जैसे इसलिए लगने लगते है क्योंकि दोनों ही स्वार्थ में डूबे हुए थे । और दोनों ही हरिहर काका के जमीन-जायदाद को हड़पना चाहते थे ।और उनकी जमीन को पाने के लिए वे किसी भी हद तक गिर सकते थे। यहां तक कि दोनों हरिहर काका की जान तक लेने को तैयार थे । दिखावा करने के अलावा दोनों कुछ नहीं करते थे ।
प्रश्न 4: ‘हरिहर काका एक सीधे साधे और भोले किसान की अपेक्षा चतुर हो चले थे’ कथन के संदर्भ में 60-70 शब्दों में विचार व्यक्त कीजिए (CBSE 2019-20)
उत्तर: हरिहर काका को जहाँ पहले सीधे-सादे और भोले किसान के रूप में चित्रित किया गया है, वहीं कटु अनुभवों के चलते उनमें चातुर्य कौशल भी दिखाई पड़ता है। अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। इसलिए अपनी ज़मीन-जायदाद को लालची लोगो से बचाना चाहते थे। एक बार ठाकुरबारी के महंत ने भी हरिहर काका से लाभ उठाने की योजना बनाई । महंत ने काका से कहा कि ठाकुरबारी के नाम जमीन दान करने से उन्हें पुण्य मिलेगा और वे सीधे स्वर्ग जाएंगे। और काका के सगे भाई भी उनसे उनकी ज़मीन-जायदाद को अपने नाम करने को कहते हैं और इसके बदले में उनका आदर-सत्कार व देखभाल करते हैं। हरिहर काका महंत और अपने भाइयों की बातों को ध्यानपूर्वक सुनते, पर किसी की भी बात को नहीं मानते, क्योंकि वह जानते थे, कि इसी गाँव में कई लोगों ने अपनी जमीन-जायदाद को अपने रिश्तेदारों या किसी और के नाम लिख दिया। बाद में उनका जीवन किसी कुत्ते की तरह हो गया और उन्हें कोई पूछने वाला भी नहीं था। हरिहर काका धोखे में नहीं पड़ना चाहते थे। इसलिए वे जीते-जी अपनी जमीन किसी के भी नाम नहीं करना चाहते थे।
प्रश्न 5: ‘हरिहर काका’ पाठ के आधार पर बताइए कि धर्म के नाम पर किस तरह साधारण जन की भावनाओं से खेला जाता है? (CBSE 2018-19)
उतर: ‘हरिहर काका’ पाठ में धर्म के नाम पर सीधे – सादे गाँव के लोगों को ठाकुरबारी के नाम पर बेवकूफ बनाया जाता है और धर्म के ठेकेदारों द्वारा जैसे महंत इत्यादि लोग केवल आराम से ठाट – बाट का जीवन व्यतीत करते है तथा लोगों से पैसा, जमीन हड़पना, समय आने पर गुंडागर्दी मारपीट या हिंसा पर उतर आना और काका जैसे लोगों से जमीन हथियाने के लिए पहले बहलाना – फुसलाना फिर न मानने उन्हें बंधक बनाकर जबरदस्ती अंगूठा लगवाना इत्यादि काम करते है।
प्रश्न 6: समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है? ‘हरिहर काका’ पाठ के आधार पर बताइए । (CBSE 2017-18)
उतर: ‘आधुनिक युग रिश्ते भावनाओं की सीमाओं से परे केवल धन-दौलत पर आधारित है, हरिहर काका अपनी मर्जी से चाहे सब कुछ अपने भाइयों को ही देते लेकिन भाइयों के लालच व आतुर स्वभाव के कारण उनकी असलियत सामने आ गई, ठाकुरबारी के महंत यूं तो धर्म का ठेकेदार परंतु वह भी लालच के कारण इंसानियत की सारी हदों को पार कर गया। हरिहर काका को न तो अपनों से प्यार मिला और न ही दूसरों से हमदर्दी। आज के रिश्ते केवल दिखावे के लिए है और अंदर से खोखले।
प्रश्न 7: हरिहर काका पाठ के कौन से अंश ने आपके मन को अधिक प्रभावित किया और क्यों? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: यह सत्य है कि हरिहर काका पाठ का कुछ अंश बहुत मार्मिक हैं जो पाठकों के मन को छू लेते हैं, परंतु जब अपने सगे भाइयों के द्वारा हरिहर ‘काका’ पर हमला किया जाता है, तो वह अंश ‘क्रूरता’ की सीमा को पार कर जाता है। आज समाज से लोगों के संस्कार और पारिवारिक मूल्य धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं। ज्यादातर लोग अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते रखते हैं। लेकिन सच यह है कि सुख-दुख में रिश्ते ही काम आते हैं, परंतु यह अत्यंत दुख की बात है आज की दुनिया में लोग स्वार्थी होते जा रहे हैं। इससे रिश्तों से प्यार और भाईचारे की भावना गायब हो रही है। इस कहानी में भी अगर पुलिस समय पर नहीं आती तो परिवार वाले हरिहर काका की हत्या कर देते। आज रिश्तों से ज्यादा पैसे को महत्व दिया जा रहा है।
प्रश्न 8: हरिहर काका ने आँगन में थाली उठाकर क्यों फेंक दी?
उत्तर: हरिहर काका अपने घर के दालान में बीमार पड़े थे, लेकिन उनके भाई के घर वाले उनका ध्यान नहीं रख रहे थे । इसलिए हरिहर काका बहुत दुखी थे। इसी बीच शहर में क्लर्की करने वाले भतीजे का एक दोस्त गांव आया तो घर में उसके लिए अच्छे पकवान बनाए गए, लेकिन हरिहर काका को रूखा-सूखा ही खाना परोसा। इसी कारण हरिहर काका ने खाने की थाली उठाकर आँगन में फेंक दी।
प्रश्न 9: ‘अपने भी पराये बन जाते हैं- संपत्ति के लिए’ हरिहर काका कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर: हरिहर काका कहानी से यह पता चलता है कि संपत्ति के लिए अपने भी पराये बन जाते हैं। हरिहर काका की पंद्रह बीघे ज़मीन के लिए गाँव के ठाकुरबारी के महंत व साधु संत ही नहीं, बल्कि हरिहर काका के सगे भाई-बन्धु भी उनके साथ दुर्व्यवहार करने लग गए थे। एक बार उनके भाइयों ने उनके साथ बहुत ही ज्यादा बुरा व्यवहार किया, जबरदस्ती बहुत से कागजों पर उनके अँगूठे के निशान ले लिए और उनके विरोध करने पर वे काका पर प्रहार भी करने लगे थे। काका के चिल्लाने पर उन्होंने उनके मुँह में कपड़ा भी ठूंस दिया। अब ऐसा कोई भी बुरा व्यवहार बाकी नहीं रहा है जो उनके साथ न हुआ हो । इस प्रकार हम देखते हैं कि हरिहर काका को अपने ही लोगों से ठेस पहुँची।
प्रश्न 10: हरिहर काका की नजर में महंत कब घृणित और दुराचारी नज़र आने लगा?
उत्तर: हरिहर काका गाँव के एक सम्मानित बुजुर्ग थे । उनके पास पंद्रह बीघा जमीन थी । पर उनकी अपनी कोई संतान नहीं थी। इसलिए उनके तीनों भाई तथा ठाकुरबारी के महंत उनकी जमीन को हड़पने के लालच में थे। हरिहर काका के जिंदा रहते हुए अपनी जमीन किसी के नाम न लिखने के फैसले ने महंत को परेशान कर दिया। तब महंत ने काका को अगवा कर जमीन के कागजात पर अंगूठा लगाने को मजबूर किया और इसके बाद उन्हें बहुत बुरी तरह प्रताड़ित किया। महंत के इसी छलावे के कारण हरिहर काका को वह घृणित और दुराचारी नजर आने लगा।
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