Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)  >  Long Question Answers: पर्वत प्रदेश में पावस

Long Question Answers: पर्वत प्रदेश में पावस | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न. 1. पर्वत प्रदेश में वर्षा ऋतु में प्राकृतिक सौन्दर्य कई गुना बढ़ जाता है, परन्तु पहाड़ों पर रहने वाले लोगों के दैनिक जीवन में क्या कठिनाइयाँ उत्पन्न होती होंगी? उनके विषय में लिखिए।
उत्तर: 

  • हरियाली बढ़ जाती है, फल-फूल बढ़ जाते हैं। खेती तैयार होती है।
  • भूमि फिसलन भरी, चट्टानें टूटना, मिट्टी फैलना, बाढ़ आना, जंगल में कीचड़ व दलदल आदि।

व्याख्यात्मक हल:
पर्वतीय प्रदेशों में वर्षा ऋतु में प्राकृतिक सौन्दर्य तो कई गुना बढ़ जाता है, परन्तु इस ऋतु में पहाड़ों पर जीवन व्यतीत करने वाले लोगों के लिए कई समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं जैसे वर्षा के कारण पहाड़ों की भूमि फिसलन भरी हो जाती है जिसके कारण पहाड़ों से फिसलकर गिरने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही चट्टानों का अपक्षय होने लगता है वह टूटकर गिरने लगती है। कभी-कभी बड़े-बड़े चट्टानी टुकड़े गिरते हैं जिनसे जान-माल का बहुत नुकसान होता है। वर्षा के कारण पहाड़ों की मिट्टी फैलने लगती है। कभी-कभी बादल फटने से भयंकर बाढ़ तक आ जाती है। जंगलों में कीचड़ व दलदल बन जाती है जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है।

प्रश्न. 2. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर: प्रस्तुत कविता ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने पर्वतीय प्रदेश में वर्षाकाल में क्षण-क्षण होने वाले परिवर्तनों व अलौकिक दृश्यों का बड़ा सजीव चित्रण किया है। कवि कहता है कि महाकार पर्वत मानो अपने ही विशाल रूप को अपने चरणों में स्थित बड़े-बड़े तालाबों में अपने हजारों सुमनरूपी नेत्रों से निहार रहे हैं। बहते हुए झरने दर्शकों की नस-नस में उमंग व उल्लास भर रहे हैं। पर्वतों के सीनों को फाड़कर उच्चाकांक्षाओं से युक्त ऊँचे-ऊँचे वृक्ष मानो बाहर आए हैं और अपलक व शान्त आकाश को निहार रहे हैं। फिर अचानक ही पर्वत मानो बादल रूपी यान के परों को फड़फड़ाते हुए उड़ गए हैं। कभी-कभी तो ऐसा भी मालूम होता है कि मानो धरती पर आकाश टूट पड़ा हो और उसके भय से विशाल साल के पेड़ जमीन में धँस गए हों। तालों से उठती भाप ऐसी जान पड़ती है, मानो उनमें आग-सी लग गई हो और धुआँ उठ रहा हो और साल के पेड़ इससे भी भयभीत हों। कवि कहता है कि यह सब देखकर लगता है कि जैसे इन्द्र ही अपने इन्द्रजाल से खेल रहा है।

प्रश्न. 3. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में झरने पर्वत का गौरव-गान कैसे करते हैं ?
उत्तर:
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में बताया गया है कि जब पहाड़ों पर वर्षा ऋतु में बादल बरसते हैं तब पर्वतों से प्रवाहित होने वाले झरने पर्वतों का गौरवगान करते हुए पृथ्वी पर झर-झर गिरते हैं और नस-नस में उत्तेजना भर देते हैं। झरते हुए झरने झाग भरे हुए होते हैं। वे मोती की माला जैसे लड़ियों की तरह सुन्दर दिखाई देते हैं और ऐसा लगता है कि पहाड़ों से चाँदी का भण्डार सफेद धातु के रूप में गिर रहा है। पहाड़ों के हृदय से उठकर ऊँची आकांक्षाओं वाले वृक्ष आकाश की ओर शान्त भाव से टकटकी लगाकर देख रहे हैं। इस प्रकार झरने पहाड़ों की शोभा को बढ़ाते हैं।

प्रश्न. 4. सिद्ध कीजिए:पंतजी कल्पना के सुकुमार कवि हैं ?
उत्तर: पंतजी कल्पना-लोक के कवि थे। उनकी कल्पनाएँ अत्यंत मनोरम हैं। उन्होंने इस कविता में भी प्रकृति को मानव की तरह क्रिया करते दिखाया है। उन्होंने पहाड़ को अपनी शक्ल निहारता, पेड़ को उच्चाकांक्षा-सा चिंतन-मुद्रा में खड़ा, झरने को गौरव गाथा गाता हुआ, शाल के वृक्षों को भय से धँसा हुआ, बादलों को पारे के समान चमकीले पंख, फड़-फड़ाकर उड़ता हुआ और आक्रमण करता हुआ दिखाया है। ये सब कल्पनाएँ गतिशील, मौलिक एवं नवीन हैं।

प्रश्न. 5. ‘पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश’ की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
सचमुच वर्षा-ऋतु में पहाड़ों पर पल-पल दृश्य बदल रहे हैं। कभी तालाब के जल में पहाड़ों का प्रतिबिंब दिखाई देता है, तो कभी तालाब में धुँआ उठने लगता है। कभी पहाड़ों पर खड़े लम्बे वृक्ष शांत आकाश की ओर अपलक देखते प्रतीत होते हैं तो कभी वे भयभीत से धरती में धँसे नजर आते हैं। झरने कभी झर-झर का संगीत करते हुए मोती की लड़ी से सुन्दर लगते हैं, तो कभी वे अद्रश्य हो जाते हैं। इस प्रकार प्रकृति सचमुच पल-पल अपना रूप बदलती है।

प्रश्न. 6. पंतजी द्वारा रचित ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ नामक कविता का सारांश लिखिए। 
उत्तर: इस कविता में पंतजी ने पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु का वर्णन किया है। इस कविता का सार इस प्रकार है- पर्वतीय प्रदेश था। वर्षा ऋतु में प्रकृति पल-पल अपना रूप बदल रही थी। पर्वत के नीचे दर्पण जैसा तालाब था। पर्वत पर हजारों फूल खिले थे। लगता था कि वे फूल पर्वत की आँखें हों जिनसे वह बार-बार दर्पण में अपना विराट रूप देख रहा था। पर्वत से गिरने वाले झरने झर-झर स्वर में मानो पर्वत की गौरव गाथा गा रहे थे। चोटियों पर खड़े पेड़ हमारी महत्त्वाकांक्षाओं के समान ऊँचे थे। वह मानो चुपचाप अपलक और चिन्तामग्न होकर नीले आकाश को निहारे जा रहे थे। अचानक बादल ऐसे ऊपर उठे मानो पूरा पहाड़ अपने पंख फड़-फड़ाकर उड़ चला हो। झरने दिखना बंद हो गए। उनका शोर-शोर रह गया। बादलों के कारण शाल के पेड़ धरती में धँसे हुए से जान पड़ते थे। तालाब से उठता धुआँ देखकर लगता था मानो तालाब जल गया हो। इस प्रकार इंद्र देवता घूम-घूमकर अपना इंद्रजाल दिखा रहे थे।

The document Long Question Answers: पर्वत प्रदेश में पावस | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) is a part of the Class 10 Course Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan).
All you need of Class 10 at this link: Class 10
16 videos|201 docs|45 tests

Top Courses for Class 10

FAQs on Long Question Answers: पर्वत प्रदेश में पावस - Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

1. पार्वतिय प्रदेश में पावस क्या होता है?
उत्तर: पार्वतिय प्रदेश में पावस बरसाती ऋतु में बारिश का मतलब होता है। यह एक महत्वपूर्ण मौसमी घटना है जो ईशान्य मानसून के कारण होती है और पहाड़ी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पानी संचयन प्रदान करती है।
2. पार्वतिय प्रदेश में पावस कब और कैसे होता है?
उत्तर: पार्वतिय प्रदेश में पावस आमतौर पर जुलाई से सितंबर तक होता है। यह भारतीय मॉनसून की प्रमुख घटनाओं में से एक है। वातावरणीय तत्वों, जैसे कि ऊष्मागति, वायुमंडलीय दबाव, और आवांटन नियमों के प्रभाव से पार्वतीय क्षेत्रों में बारिश का विस्तार होता है।
3. पार्वतिय प्रदेश में पावस के प्रमुख प्रभाव क्या होते हैं?
उत्तर: पार्वतिय प्रदेश में पावस के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित होते हैं: 1. जल संसाधन: पावस पहाड़ी क्षेत्रों में जल संसाधन की महत्वपूर्ण वितरण प्रदान करता है। यह नदियों, झीलों, तालाबों और अन्य जल स्रोतों को भर देता है और पार्वतीय जीवन के लिए जल आपूर्ति सुनिश्चित करता है। 2. जलवायु: पावस तापमान को शीतल बनाता है और पार्वतीय क्षेत्रों में बारिश के बाद भूमि ताजगी और हरी भरी होती है। 3. खेती और वनस्पति: पार्वतीय प्रदेशों में पावस खेती और वनस्पति के लिए आवश्यक माना जाता है। यह फसलों को पोषण प्रदान करता है और प्राकृतिक वनस्पतियों के लिए उपयुक्त मात्रा में पानी सुनिश्चित करता है।
4. पार्वतिय प्रदेश में पावस की आपूर्ति कैसे मापी जाती है?
उत्तर: पार्वतिय प्रदेश में पावस की आपूर्ति को आकार, भूमि विवरण, और जल संचयन क्षमता आदि के आधार पर मापा जाता है। इसके लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि वर्षा गेजर, वर्षा यान, और वर्षा प्रतिरोधक मापक। यह आपूर्ति की माप और वितरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
5. पावस के कारण पार्वतीय क्षेत्रों में होने वाली आपदाएं कौन सी होती हैं?
उत्तर: पावस के कारण पार्वतीय क्षेत्रों में निम्नलिखित प्रकार की आपदाएं हो सकती हैं: 1. भूस्खलन: अधिक वर्षा के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन हो सकता है, जिससे घातक धरातल हो सकता है। 2. बाढ़: अधिक वर्षा के कारण नदी के पानी का स्तर बढ़ सकता है और बाढ़ हो सकती है, जिससे आवासीय क्षेत्रों में नुकसान हो सकता है। 3. भूकंप: भूस्खलन के परिणामस्वरूप भूकंप हो सकता है, जो पार्वतीय क्षेत्रों में नुकसान पहुंचा सकता है। 4. मुद्दाबजारी: अधिक वर्षा के कारण मुद्दाबजारी हो सकती है, जिसमें बारिश के पानी का अ
16 videos|201 docs|45 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 10 exam

Top Courses for Class 10

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Long Question Answers: पर्वत प्रदेश में पावस | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

ppt

,

Long Question Answers: पर्वत प्रदेश में पावस | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

Objective type Questions

,

Extra Questions

,

Free

,

Summary

,

MCQs

,

Sample Paper

,

past year papers

,

Previous Year Questions with Solutions

,

practice quizzes

,

Exam

,

video lectures

,

Long Question Answers: पर्वत प्रदेश में पावस | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

Semester Notes

,

mock tests for examination

,

study material

,

Viva Questions

,

shortcuts and tricks

,

Important questions

,

pdf

;