Table of contents |
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प्रश्न अभ्यास |
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भाषा अध्यन |
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योग्यता विस्तार |
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परियोजना कार्य |
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प्रश्न 1. पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?
उत्तर: पहले पद में मीरा ने अपनी पीड़ा हरने की विनती इस प्रकार की है कि हे ईश्वर! जैसे आपने द्रौपदी की लाज रखी थी, गजराज को मगरमच्छ रूपी मृत्यु के मुख से बचाया था तथा भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए ही आपने नृसिंह अवतार लिया था, उसी तरह मुझे भी सांसारिक संतापों से मुक्ति दिलाते हुए अपने चरणों में जगह दीजिए।
प्रश्न 2. दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: मीरा श्री कृष्ण को सर्वस्व समर्पित कर चुकी हैं इसलिए वे केवल कृष्ण के लिए ही कार्य करना चाहती हैं। श्री कृष्ण की समीपता व दर्शन हेतु उनकी दासी बनना चाहती हैं। वे चाहती हैं दासी बनकर श्री कृष्ण के लिए बाग लगाएँ उन्हें वहाँ विहार करते हुए देखकर दर्शन सुख प्राप्त करें। वृंदावन की कुंज गलियों में उनकी लीलाओं का गुणगान करना चाहती हैं। इस प्रकार दासी के रूप में दर्शन, नाम स्मरण और भाव-भक्ति रूपी जागीर प्राप्त कर अपना जीवन सफल बनाना चाहती हैं।
प्रश्न 3. मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रुप–सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर: मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का अलौकिक वर्णन किया है कि उन्होंने पीतांबर (पीले वस्त्र धारण किए हुए हैं, जो उनकी शोभा को बढ़ा रहे हैं। मुकुट में मोर पंख पहने हुए हैं तथा गले में वैजयंती माला पहनी हुई है, जो उनके सौंदर्य में चार चाँद लगा रही है। वे ग्वाल-बालों के साथ गाय चराते हुए मुरली बजा रहे हैं।
प्रश्न 4. मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: मीराबाई ने अपने पदों में ब्रज, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती आदि भाषाओं का प्रयोग किया गया है। भाषा अत्यंत सहज और सुबोध है। शब्द चयन भावानुकूल है। भाषा में कोमलता, मधुरता और सरसता के गुण विद्यमान हैं। अपनी प्रेम की पीड़ा को अभिव्यक्त करने के लिए उन्होंने अत्यंत भावानुकूल शब्दावली का प्रयोग किया है। भक्ति भाव के कारण शांत रस प्रमुख है तथा प्रसाद गुण की भावाभिव्यक्ति हुई है। मीराबाई श्रीकृष्ण की अनन्य उपासिका हैं। वे अपने आराध्य देव से अपनी पीड़ा का हरण करने की विनती कर रही हैं। इसमें कृष्ण के प्रति श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के भाव की अभिव्यंजना हुई है। मीराबाई की भाषा में अनेक अलंकारों जैसे अनुप्रास, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा, उदाहरण आदि अलंकारों का सफल प्रयोग हुआ है।
प्रश्न 5. वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या–क्या कार्य करने को तैयार हैं?
उत्तर: मीरा श्रीकृष्ण को पाने के लिए उनकी चाकर (नौकर) बनकर चाकरी करना चाहती हैं अर्थात् उनकी सेवा करना चाहती हैं। वे उनके लिए बाग लगाकर माली बनने तथा अर्धरात्रि में यमुना-तट पर कृष्ण से मिलने व वृंदावन की कुंज-गलियों में घूम-घूमकर गोविंद की लीला का गुणगान करने को तैयार हैं।
प्रश्न 1. हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रुप नरहरि, धर्यो आप सरीर।
उत्तर:
काव्य-सौंदर्य-
हे कृष्ण! आप अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करो। जिस प्रकार आपने चीर बढ़ाकर द्रोपदी की लाज रखी, व नरसिंह रूप धारण कर भक्त प्रहलाद की पीड़ा (दर्द) को दूर किया, उसी प्रकार आप हमारी परेशानी को भी दूर करो। आप पर पीड़ा को दूर करने वाले हो।
शिल्प-सौंदर्य-
प्रश्न 2. बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।
उत्तर: भाव पक्ष-प्रस्तुत पंक्तियों में मीराबाई अपने आराध्य श्रीकृष्ण का भक्तवत्सल रूप दर्शा रही हैं। इसके अनुसार श्रीकृष्ण ने संकट में फँसे डूबते हुए ऐरावत हाथी को मगरमच्छ से मुक्त करवाया था। इसी प्रसंग में वे अपनी रक्षा के लिए भी श्रीकृष्ण से प्रार्थना करती हैं।
कला पक्ष
प्रश्न 3. चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
उत्तर: भाव-सौंदर्य - इन पंक्तियों में मीरा दासी बनकर अपने आराध्य श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहती हैं। इससे उन्हें प्रभु स्मरण, भक्ति रूपी जागीर तथा दर्शनों की अभिलाषा रूपी संपत्ति की प्राप्ति होगी अर्थात् श्रीकृष्ण की भक्ति को ही मीरा अपनी संपत्ति मानती हैं।
शिल्प-सौंदर्य-
प्रश्न 1. उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप लिखिए–
उदाहरण − भीर − पीड़ा/कष्ट/दुख; री − की
चीर …………… बूढ़ता ……………
धर्यो …………… लगास्यूँ ……………
कुण्जर …………… घणा ……………
बिन्दरावन …………… सरसी ……………
रहस्यूँ …………… हिवड़ा ……………
राखो …………… कुसुम्बी ……………
उत्तर -
चीर | - | वस्त्र | बूढ़ता | - | डूबते हुए |
धर्यो | - | धारण किया | लगास्यूँ | - | लगाऊँगी |
कुण्जर | - | हाथी, हस्ती | घणा | - | घना, बहुत |
बिन्दरावन | - | वृंदावने | सरसी | - | पूर्ण हुई, संपूर्ण हुई |
रहस्यूँ | - | रहूँगीं | हिवड़ा | - | हिये हृदय |
राखो | - | रक्षा करो | कुसुम्बी | - | कौशांबी, लाल |
प्रश्न 1. मीरा के अन्य पदों को याद करके कक्षा में सुनाइए।
उत्तर: छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2. यदि आपको मीरा के पदों के कैसेट मिल सकें तो अवसर मिलने पर उन्हें सुनिए।
उत्तर: छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 1. मीरा के पदों का संकलन करके उन पदों को चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर लगाइए।
उत्तर: छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2. पहले हमारे यहाँ दस अवतार माने जाते थे। विष्णु के अवतार राम और कृष्ण प्रमुख हैं। अन्य अवतारों के बारे में जानकारी प्राप्त करके एक चार्ट बनाइए।
उत्तर: विष्णु के अन्य दस अवतार
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