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साना-साना हाथ जोड़ि NCERT Solutions | Hindi Class 10 PDF Download

प्रश्न अभ्यास 

प्रश्न 1: झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?
उत्तर:  झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका के मन में सम्मोहन जगा रहा था। इस सुंदरता ने उस पर ऐसा जादू-सा कर दिया था कि उसे सब कुछ ठहरा हुआ-सा और अर्थहीन-सा लग रहा था। उसके भीतर-बाहर जैसे एक शून्य-सा व्याप्त हो गया था।

प्रश्न 2: गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' क्यों कहा गया?
उत्तर: गंतोक एक ऐसा पर्वतीय स्थल है जिसे वहाँ के मेहनतकश लोगों ने अपनी मेहनत से सुरम्य बना दिया है। वहाँ सुबह, शाम, रात सब कुछ सुंदर प्रतीत होता है। यहाँ के निवासी भरपूर परिश्रम करते हैं, इसीलिए गंतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर कहा गया है।

प्रश्न 3: कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?
उत्तर: सफ़ेद बौद्ध पताकाएँ शांति व अहिंसा की प्रतीक हैं, इन पर मंत्र लिखे होते हैं। यदि किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए 108 श्वेत पताकाएँ फहराई जाती हैं। कई बार किसी नए कार्य के अवसर पर रंगीन पताकाएँ फहराई जाती हैं। इसलिए ये पताकाएँ, शोक व नए कार्य के शुभारंभ की ओर संकेत करती हैं।

प्रश्न 4: जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।
उत्तर:  जितेन ने लेखिका को एक अच्छे गाइड की तरह सिक्किम की मनोहारी प्राकृतिक छटा, भौगोलिक स्थिति और वहाँ के जनजीवन की जानकारियाँ इस प्रकार दीं—

  • सिक्किम में गंतोक से लेकर यूमथांग तक तरह-तरह के फूल हैं। फूलों से लदी वादियाँ हैं।
  • शांत‌ि और अहिंसा के मंत्र लिखी ये श्वेत पताकाएँ तब लगाई जाती हैं जब किसी बुद्ध अनुयायी की मृत्यु होती है। ये 108 होती हैं।
  • रंगीन पताकाएँ किसी नए कार्य के शुरू होने पर लगाई जाती हैं।
  • कवी-लोंगस्टॉक—यहाँ ‘गाइड’ फिल्म की शूटिंग हुई थी।
  • यह धर्मचक्र है, अर्थात प्रेयर व्हील। इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं।
  • यह पहाड़ी इलाका है। यहाँ कोई भी चिकना-चर्बीला आदमी नहीं मिलता।
  • नार्गे ने उत्साहित होकर ‘कटाओ’ के बारे में बताया कि “कटाओ हिंदुस्तान का स्विट्ज़रलैंड है।”
  • यूमथांग की घाटियों के बारे में बताया कि बस पंद्रह दिनों में ही देखिएगा—पूरी घाटी फूलों से इस कदर भर जाएगी कि लगेगा जैसे फूलों की सेज रखी हो।

प्रश्न 5: लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी?
उत्तर: लोंगस्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका ने उसके बारे में पूछा तो पता चला कि यह धर्मचक्र है। इसे घुमाने पर सारे पाप धुल जाते हैं। जितेन की यह बात सुनकर लेखिका को ध्यान आया कि पूरे भारत की आत्मा एक ही है। मैदानी क्षेत्रों में गंगा के विषय में भी ऐसी ही धारणा है। उसे लगा कि पूरे भारत की आत्मा एक-सी है। सारी वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद उनकी आस्थाएँ, विश्वास, अंधविश्वास और पाप-पुण्य की अवधारणाएँ एक-सी हैं।

प्रश्न 6: जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?
उत्तर:  जितेन नार्गे लेखिका का ड्राइवर कम गाइड था। वह नेपाल से कुछ दिन पहले आया था जिसे नेपाल और सिक्किम की अच्छी जानकारी थी। क्षेत्र-से सुपरिचित था। वह ड्राइवर के साथ-साथ गाइड का कार्य कर रहा था। उसमें प्रायः गाइड के वे सभी गुण विद्यमान थे जो अपेक्षित होते हैं -

  • एक कुशल गाईड में उस स्थान की भौगोलिक, प्राकृतिक और सामाजिक जानकारी होनी चाहिए, वह नार्गे में सम्यक रूप से थी।
  • गाइड के साथ-साथ नार्गे ड्राइवर भी था अतः कहाँ रुकना है? यह निर्णय वह स्वयं ही करने में समर्थ थी। उसे कुछ सलाह देने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • गाइड में सैलानियों को प्रभावित करने की रोचक शैली होनी चाहिए जो उसमें थी। वह अपनी वाक्पटुता से लेखिका को प्रभावित करता था; जैसे-“मैडम, यह धर्म चक्र है-प्रेअर व्हील, इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं।”
  • एक सुयोग्य गाइड क्षेत्र के जन-जीवन की गतिविधियों की भी जानकारी रखता है और संवेदनशील भी होता है।
  • वह पर्यटकों में इतना घुल-मिल जाता है कि स्वयं गाने के साथ नाच उठता है। और सैलानी भी नाच उठते हैं। इस तरह आत्मीय संबंध बना लेता है।
  • कुशल गाईड वाक्पटु होता है। वह अपनी वाक्पटुता से पर्यटन स्थलों के प्रति | जिज्ञासा बनाए रखता है। पताकाओं के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी देकर नार्गे उस स्थान के महत्व को बढ़ा देता है।

प्रश्न 7: इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के पल-पल परिवर्तित होते रूप को देखा। ज्यों-ज्यों ऊँचाई पर चढ़ते जाएँ, हिमालय विशाल से विशालतर होता चला जाता है। छोटी-छोटी पहाड़ियाँ विशाल पर्वतों में बदलने लगती हैं। घाटियाँ गहराती-गहराती पाताल नापने लगती हैं। वादियाँ चौड़ी होने लगती हैं, जिनके बीच रंग-बिरंगे फूल मुसकराते हुए नज़र आते हैं। चारों ओर प्राकृतिक सुषमा बिखरी नज़र आती है। जलप्रपात जलधारा बनकर पत्थरों के बीच बलखाती-सी निकलती है, जो मन को मोह लेती है। हिमालय कहीं हरियाली के कारण चटक हरे रंग की मोटी चादर-सा नज़र आता है, कहीं पीलापन लिए। कहीं प्लास्टर उखड़ी दीवार की तरह पथरीला नज़र आता है।

प्रश्न 8: प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?
उत्तर: लेखिका प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर एकदम मौन हो गई, किसी ऋषि की तरह शांत होकर वह सारे परिदृश्य को अपने भीतर समेट लेना चाहती थी। वह रोमांचित थी, पुलकित थी।
उसे ऐसा आभास हुआ जैसे वह आदिम युग की अभिशप्त राजकुमारी हो, जो नीचे बिखरे भारी-भरकम पत्थरों पर झरने के संगीत के साथ आत्मा का संगीत सुन रही हो। ऐसा प्रतीत हुआ जैसे वह देश और काल की सरहदों से दूर बहती धारा बन गई हो। उसके भीतर की सारी तामसिकताएँ और दुष्ट वासनाएँ इस निर्मल धारा में बह गई हों। उसका मन हुआ कि वह अनंत समय तक ऐसे ही बहती रहे और इस झरने की पुकार सुनती रहे।
प्रकृति के इस सौंदर्य को देखकर लेखिका को पहली बार यह अहसास हुआ कि यही चलायमान सौंदर्य, जीवन का वास्तविक आनंद है।

प्रश्न 9: प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?
उत्तर: प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को सड़क बनाने के लिए पत्थर तोड़ती, सुंदर कोमलांगी पहाड़ी औरतों का दृश्य झकझोर गया। उसने देखा कि उस अद्वितीय सौंदर्य से निरपेक्ष कुछ पहाड़ी औरतें पत्थरों पर बैठी पत्थर तोड़ रही थीं। उनके हाथों में कुदाल और हथौड़े थे और कइयों की पीठ पर डोको (बड़ी टोकरी) में उनके बच्चे भी बँधे थे। यह विचार उसके मन को बार-बार झकझोर रहा था कि नदी, फूलों, वादियों और झरनों के ऐसे स्वर्गिक सौंदर्य के बीच भूख, मौत, दैन्य और जिजीविषा के बीच जंग जारी है।

प्रश्न 10: सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें।
उत्तर: सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में निम्नलिखित लोगों का योगदान सराहनीय होता है—

  • वे सरकारी कर्मचारी, जो व्यवस्था में संलग्न होते हैं।
  • वहाँ के स्थानीय गाइड, जो उस क्षेत्र की सम्यक जानकारी रखते हैं।
  • वहाँ के स्थानीय निवासी, जो सैलानियों से रुचिपूर्वक संवाद करते हैं।
  • वे सहयोगी सहयात्री, जो यात्रा में मस्ती भरा माहौल बनाए रखते हैं और कभी निराश नहीं होते। वे उत्साह से भरपूर होते हैं।

प्रश्न 11: "कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।" इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?
उत्तर: किसी देश की आम जनता देश की आर्थिक प्रगति में बहुत अधिक अप्रत्यक्ष योगदान देती है। इस वर्ग में मज़दूर, ड्राइवर, बोझ उठाने वाले, फेरीवाले और कृषि कार्यों से जुड़े लोग शामिल होते हैं। अपनी यूमथांग यात्रा के दौरान लेखिका ने देखा कि पहाड़ी मज़दूर औरतें पत्थर तोड़कर पर्यटकों के आवागमन के लिए रास्ते बना रही थीं। इससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, जिसका सीधा प्रभाव देश की आर्थिक प्रगति पर पड़ेगा। इसी प्रकार, कृषि कार्यों में संलग्न मज़दूर और किसान फ़सल उगाकर राष्ट्र की प्रगति में अपना बहुमूल्य योगदान देते हैं। ये लोग स्वयं कम संसाधनों में जीवन यापन करते हुए भी समाज को बहुत कुछ लौटाते हैं। वास्तव में, यही वर्ग देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव होते हैं।


प्रश्न 12: आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए।
उत्तर: प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने के क्रम में आज पहाड़ों पर प्रकृति की शोभा को नष्ट किया जा रहा है। वृक्षों को काटकर पर्वतों को नंगा किया जा रहा है। शुद्ध, पवित्र नदियों को विविध प्रकार से प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। नगरों और फैक्टरियों का गंदा पानी पवित्र नदियों में छोड़ा जा रहा है। सुख-सुविधा के नाम पर पॉलिथीन का अधिक प्रयोग और वाहनों के द्वारा प्रतिदिन छोड़ा गया धुआँ पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ रहा है। इस तरह प्रकृति का गुस्सा बढ़ रहा है, मौसम में परिवर्तन आ रहा है और ग्लेशियर पिघल रहे हैं।
प्रकृति के साथ खिलवाड़ को रोकने में हम सहयोग दे सकते हैं:

  • वर्तमान में खड़े वृक्षों को न काटें और न काटने दें।
  • यथासंभव वृक्षारोपण करें और दूसरों को भी वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करें।
  • वाहनों का प्रयोग यथासंभव कम करें। सब्जी लाने और व्यर्थ सड़कों पर घूमने में वाहनों का उपयोग न करें।
  • पॉलीथीन, अवशिष्ट पदार्थों तथा नालियों का गंदा पानी नदियों में न जाने दें।

प्रश्न 13: प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है। प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आये हैं, लिखें।
उत्तर: लेखिका को उम्मीद थी कि उसे लायुग में बर्फ देखने को मिल जाएगी, लेकिन एक सिक्कमी युवक ने बताया कि प्रदूषण के कारण स्नोफॉल कम हो गया है; अतः उन्हें 500 मीटर ऊपर ‘कटाओ’ में ही बर्फ देखने को मिल सकेगी। प्रदूषण के कारण पर्यावरण में अनेक परिवर्तन आ रहे हैं। स्नोफॉल की कमी के कारण नदियों में जल-प्रवाह की मात्रा कम होती जा रही है। परिणामस्वरूप पीने योग्य जल की कमी सामने आ रही है। प्रदूषण के कारण ही वायु प्रदूषित हो रही है। महानगरों में साँस लेने के लिए ताज़ा हवा का मिलना भी मुश्किल हो रहा है। साँस संबंधी रोगों के साथ-साथ कैंसर तथा उच्च रक्तचाप की बीमारियाँ बढ़ रही हैं। ध्वनि प्रदूषण मानसिक अस्थिरता, बहरेपन तथा अनिद्रा जैसे रोगों का कारण बन रहा है।

प्रश्न 14: 'कटाओ' पर किसी दूकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए।
उत्तर: 'कटाओ' पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है क्योंकि अभी यह पर्यटक स्थल नहीं बना है। यदि कोई दुकान होती, तो वहाँ सैलानियों का अधिक आगमन शुरू हो जाता और वे जमा होकर खाते-पीते, गंदगी फैलाते। इससे गंदगी बढ़ती और वहाँ पर वाहनों के अधिक प्रयोग से वायु में प्रदूषण भी बढ़ जाता। लेखिका को केवल यही स्थान मिला जहाँ वह स्नोफॉल देख पाई। इसका कारण यही था कि वहाँ प्रदूषण नहीं था। अतः 'कटाओ' पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए एक प्रकार से वरदान ही है।

प्रश्न 15: प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है ?
उत्तर: प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था नायाब ढंग से की है। प्रकृति सर्दियों में बर्फ के रूप में जल संग्रह कर लेती है, और गर्मियों में, जब पानी के लिए त्राहि-त्राहि मचती है, तो उस समय यही बर्फ की शिलाएँ पिघलकर जलधारा बन जाती हैं और नदियों को भर देती हैं। सचमुच, प्रकृति ने जल संचय की कितनी अद्भुत व्यवस्था की है।

प्रश्न 16: देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?
उत्तर: देश की सीमा पर, जहाँ तापमान गर्मियों में भी माइनस 15 डिग्री सेल्सियस होता है, वहाँ उस कड़कड़ाती ठंड में फ़ौजी पहरा देते हैं, जबकि हम वहाँ एक मिनट भी नहीं रुक सकते। हमारे फ़ौजी सर्दी और गर्मी दोनों में वहीं रहकर देश की रक्षा करते रहते हैं ताकि हम चैन की नींद सो सकें। ये जवान हर पल कठिनाइयों से जूझते हैं और अपनी जान हथेली पर रखकर जीते हैं।
हमें सदा उनकी सलामती की दुआ करनी चाहिए। उनके परिवारवालों के साथ हमेशा सहानुभूति, प्यार और सम्मान के साथ पेश आना चाहिए।

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FAQs on साना-साना हाथ जोड़ि NCERT Solutions - Hindi Class 10

1. "साना-साना हाथ जोड़ि" कविता का मुख्य विषय क्या है?
Ans. "साना-साना हाथ जोड़ि" कविता का मुख्य विषय मानवता और एकता है। इसमें कवि ने सभी लोगों को मिलकर काम करने और एक-दूसरे की मदद करने का संदेश दिया है। यह सहयोग और सामंजस्य के महत्व को दर्शाता है।
2. इस कविता में कवि ने किन-किन भावनाओं का उल्लेख किया है?
Ans. इस कविता में कवि ने प्रेम, एकता, सहयोग, और सद्भावना जैसी भावनाओं का उल्लेख किया है। यह भावनाएँ समाज में सकारात्मकता और सामंजस्य लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
3. "साना-साना हाथ जोड़ि" कविता में प्रतीकों का क्या अर्थ है?
Ans. कविता में "हाथ जोड़ि" का प्रतीकात्मक अर्थ है विनम्रता और सहयोग। यह दिखाता है कि जब लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो वे बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
4. इस कविता का सामाजिक संदेश क्या है?
Ans. इस कविता का सामाजिक संदेश है कि एकता में ही शक्ति है। जब लोग मिलकर कार्य करते हैं, तो वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह आपसी सहयोग और समझदारी को बढ़ावा देता है।
5. "साना-साना हाथ जोड़ि" कविता का काव्यशास्त्र क्या है?
Ans. "साना-साना हाथ जोड़ि" कविता का काव्यशास्त्र सरल और स्पष्ट है। इसमें तुकबंदी और छंद का प्रयोग किया गया है, जिससे कविता का प्रवाह और भी सुगम हो जाता है। इसकी भाषा सहज और प्रभावी है, जो पाठक को भावनाओं से जोड़ती है।
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