Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10  >  Short Question Answers: लखनवी अंदाज़

Short Question Answers: लखनवी अंदाज़ | Hindi Class 10 PDF Download

"लखनवी अंदाज" नामक पाठ के माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहता है कि हमें अपना व्यावहारिक दृष्टिकोण विस्तृत करते हुए दिखावेपन से दूर रहना चाहिए। हमें वर्तमान के कठोर यथार्थ का सामना करना चाहिए तथा काल्पनिकता को छोड़कर वास्तविकता को अपनाना चाहिए जो हमारे व्यवहार और आचरण में भी दिखना चाहिए। कक्षा 10 के लिए EduRev के इस document की मदद से आप लखनवी अंदाज़ पाठ पर आधारित लघु उत्तरीय प्रश्नों को देख सकते हैं।

Short Question Answers: लखनवी अंदाज़ | Hindi Class 10प्रश्न 1: ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइये कि लेखक ने यात्रा करने के लिये सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा?
उत्तरः
लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा क्योंकि लेखक का अनुमान था कि सेकंड क्लास का डिब्बा खाली होगा, जिससे वे भीड़ से बचकर नई कहानी के विषय में एकांत में चिंतन करने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों की शोभा भी निहार सकेंगे।

प्रश्न 2: लखनवी अंदाज़ पाठ के अनुसार बताइए कि नवाब साहब ने खीरे किस उद्देश्य से खरीदे थे? वे कितने खीरे थे और लेखक के उस डिब्बे में दाखिल होते समय वे किस स्थिति में रखे रहे ? इस दृश्य से किस बात का अनुमान किया जा सकता है?
उत्तरः नवाब साहब ने खीरे सफर का समय बिताने के उद्देश्य से खरीदे थे। खीरे दो थे, जिन्हें वे बड़े सलीके से एक तौलिये पर रखे हुए थे। जब लेखक उनके डिब्बे में दाखिल हुआ, उस समय तक वे खीरे वैसे ही तौलिये पर सजे हुए थे और नवाब साहब उन्हें खाने की कोई जल्दी नहीं दिखा रहे थे। इस पूरे दृश्य से नवाब साहब की नाजुक तबीयत, सलीका पसंद स्वभाव और लखनवी तहज़ीब की झलक मिलती है, जिसमें हर काम को शिष्टता और ठाठ के साथ करने की परंपरा है।

प्रश्न 3: ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर बताइए कि लखनऊ के नवाबों और रईसों के बारे में लेखक की क्या धारणा थी?
उत्तरः
लखनऊ के नवाबों और रईसों के बारे में लेखक की धारणा व्यंग्यपूर्ण और नकारात्मक थी। वह उनकी जीवन-शैली की कृत्रिमता को, दिखावे को पसंद नहीं करता था। उसने आरंभ में ही डिब्बे में बैठे सज्जन को ‘नवाबी नस्ल का सफेदपोश’ कहा है।

प्रश्न 4: लेखक ने नवाब साहब के सामने की बर्थ पर बैठकर भी आँखें क्यों चुराईं? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः लेखक के डिब्बे में कदम रखते ही नवाब साहब की आँखों में असंतोष झलकने लगा तथा संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाया। लेखक ने इसे अपना अपमान समझा। नवाब के हाव-भावों में स्वयं के प्रति अनादर और मैत्री की अनिच्छा पाकर उन्होंने भी आत्मसम्मान में सामने की बर्थ पर बैठकर आँखें चुरा लीं।

प्रश्न 5: नवाब साहब का कैसा भाव-परिवर्तन लेखक को अच्छा नहीं लगा और क्यों? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः
लेखक को डिब्बे में आया देखकर नवाब साहब ने असंतोष, संकोच तथा बेरुखी दिखाई, लेकिन थोड़ी देर बाद उन्होंने अभिवादन कर खीरा खाने के लिए आमंत्रित किया। लेखक को उनका यही भाव-परिवर्तन अच्छा नहीं लगा, क्योंकि अभिवादन सदा मिलते ही होता है। पहले अरुचि का प्रदर्शन और कुछ समय बाद अभिवादन – इसका कोई औचित्य नहीं। लेखक को यह भी लगा कि नवाब शराफ़त का भ्रमजाल बनाए रखने के लिए उन्हें मामूली व्यक्ति की हरकत में लथेड़ लेना चाहते हैं।

Short Question Answers: लखनवी अंदाज़ | Hindi Class 10


प्रश्न 6: लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए उत्सुक नहीं हैं?
उत्तरः (1) लेखक ने जैसे ही ट्रेन के सेकंड क्लास के डिब्बे में प्रवेश किया, वहाँ उसने बर्थ पर पालथी मारकर बैठे हुए एक नवाब साहब को देखा। लेखक को देखते ही उनकी आँखों में असंतोष का भाव आ गया।
(2) नवाब साहब बिना बातचीत किए कुछ देर तक गाड़ी की खिड़की से बाहर देखते रहे। नवाब साहब के इन हाव-भावों से लेखक ने महसूस किया कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं।

प्रश्न 7: नवाब साहब ने खीरा खाने की जो तैयारी की, उस प्रक्रिया को अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा
नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिये। 
उत्तरः नवाब साहब ने खीरों को अच्छी तरह से धोया और तौलिए से पोंछकर तौलिए पर रखा। उन्होंने जेब से चाकू निकाला और उससे दोनों खीरों के सिर काटकर झाग निकाले। फिर बहुत सावधानी से उन्हें छीलकर फाँकों में काटा और इन फाँकों को तौलिए पर सुंदर ढंग से सजाया। अंत में नवाब साहब ने खीरे की फाँकों पर जीरा मिलाकर नमक और मिर्च बुरक दी।

प्रश्न 8: यद्यपि लेखक के मुँह में पानी भर आया फिर भी उसने खीरा खाने से इंकार क्यों किया ?
उत्तरः खीरे को देखकर लेखक के मुँह में पानी आ गया था और वह उसे खाने के लिए उत्सुक भी था, परंतु उसने पहले ही नवाब साहब को खीरा खाने से मना कर दिया था। इसलिए अपने आत्मसम्मान को बनाए रखने और पहले किए गए इंकार को निभाने के लिए उसने खीरा खाने से इंकार कर दिया।

प्रश्न 9: नवाब साहब खीरों की फाँकों को खिड़की से बाहर फेंकने से पहले नाक के पास क्यों ले गए? उनके इस कार्यकलाप का क्या उद्देश्य था ?
उत्तरः नवाब साहब खीरों की फाँकों को खिड़की से बाहर फेंकने से पहले उन्हें नाक के पास इसलिए ले गए ताकि उनकी खुशबू से रसास्वादन कर सकें। उनका उद्देश्य यह दिखाना था कि वह एक खानदानी रईस हैं, जो खाने की वस्तु को भी शिष्टता और ठाठ-बाट के साथ त्यागते हैं।

प्रश्न 10: नवाब साहब ने अपने तरीके से खीरा खाने के बाद क्या किया और क्यों?
उत्तरः नवाब साहब खीरा खाने के बाद लेट गए और ज़ोर से डकार ली, जैसे कि बहुत खा लिया हो। वे यह दिखाना चाहते थे कि खीरा खाने में बहुत मेहनत लगी, इसलिए अब उन्हें आराम करना है।

प्रश्न 11: नवाब साहब ने अपनी नवाबी का परिचय किस प्रकार दिया? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः नवाब साहब ने अपनी नवाबी का परिचय देने के लिए खीरा खाने के बजाय उसकी फाँकों को बार-बार सूँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया। फिर वे इस काम से थक जाने का नाटक करते हुए लेट गए और लेखक को दिखाने के लिए ज़ोर से डकार भी ली। इस तरह उन्होंने खानदानी नवाबी अंदाज़ में सादगी और शान का दिखावा किया।

प्रश्न 12: ‘नवाब साहब खीरे खाने की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए’-इस पंक्ति में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः लेखक ने इस कथन में नवाबी जीवन में भरी नज़ाकत पर गहरा व्यंग्य किया है। ऐसे लोग यथार्थ जीवन की उपेक्षा कर बनावटी ज़िंदगी जीते हैं। उन्हें लगता है कि छोटी-छोटी बातों में नाज़-नखरे दिखाना ही खानदानी रईसी का प्रमाण है।

प्रश्न 13: नवाब का व्यवहार क्या दर्शाता है? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः नवाब का व्यवहार यह दर्शाता है कि वे बनावटी जीवन-शैली के अभ्यस्त हैं। उनमें दिखावे की प्रवृत्ति है। वे वास्तव में रईस नहीं हैं, बल्कि रईस होने का ढोंग करते हैं। उनका आचरण हास्य और व्यंग्य का विषय बन जाता है।

प्रश्न 14: ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के नवाब साहब पतनशील सामन्ती वर्ग के जीते-जागते उदाहरण हैं। टिप्पणी लिखिए।
उत्तरः जीवन शैली बनावटी, वास्तविकता से बेखबर, सामाजिकता से दूर, दूसरों की संगति के लिए उत्साह नहीं, ट्रेन में उनकी भाव-भंगिमा बनावटी, खानदानी रईस बनने का अभिनय, खीरा खाने में भी नज़ाकत, खाने की कल्पना मात्र से पेट भरने वाले ये सभी बातें नवाब साहब के पतनशील सामन्ती वर्ग का जीता-जागता उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।

प्रश्न 15: ‘लखनवी अंदाज़’ व्यंग्य किस सामाजिक वर्ग पर कटाक्ष करता है?
उत्तरः ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ का व्यंग्य पतनशील सामंती वर्ग पर कटाक्ष करता है, जो आधुनिक समय में भी अपनी झूठी शान और बनावटी रईसी को बनाए रखना चाहता है।

प्रश्न 16: लेखक नवाब साहब के जबड़ों के स्फुरण को देखकर क्या अनुभव कर रहे थे? अपने सामने खीरों को देखकर मुँह में पानी आने पर भी उन्होंने खीरे खाने के लिये नवाब साहब के अनुरोध को स्वीकृत क्यों नहीं किया ?
उत्तरः लेखक नवाब साहब के जबड़ों के स्फुरण को देखकर यह अनुभव कर रहे थे कि नवाब साहब खीरा खाने की तीव्र इच्छा को दबा रहे हैं। लेखक नवाब साहब की बनावटी रईसी और उनकी वास्तविक स्थिति को भली-भाँति समझ चुके थे। उन्होंने पहले ही खीरा खाने से मना कर दिया था, इसलिए मुँह में पानी आने पर भी उन्होंने आत्म-सम्मान और संकोचवश खीरा नहीं खाया।

प्रश्न 17: ‘लखनवी अंदाज़’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।
उत्तरः ‘लखनवी अंदाज़’ कहानी का शीर्षक पूर्णतः सार्थक है क्योंकि संपूर्ण कथानक लखनऊ के एक नवाब के झूठे रईसी व्यवहार और बनावटी जीवनशैली के इर्द-गिर्द घूमता है। नवाब साहब का बोलचाल, खानपान, चाल-ढाल, दिखावा और शिष्टाचार सभी कुछ लखनवी तहज़ीब के पुराने और पतनशील स्वरूप को दर्शाते हैं। उनका प्रत्येक व्यवहार झूठी शान, नज़ाकत और नवाबी तौर-तरीकों का दिखावा करता है, जो लखनवी अंदाज़ का प्रतीक है। इसलिए इस कहानी के लिए यह शीर्षक अत्यंत उपयुक्त और सार्थक है।

इस वीडियो की मदद से लखनवी अंदाज़ को समझें।

लखनवी अंदाज़ पाठ के सार को यहाँ से समझें 


प्रश्न 18: किन-किन चीजों का रसास्वादन करने के लिये आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं ?
उत्तरः विभिन्न खाद्य वस्तुओं का रसास्वादन करने के लिए अलग-अलग प्रकार की तैयारियाँ करनी पड़ती हैं:

  • फल खाने के लिए उन्हें पहले अच्छी तरह धोना पड़ता है, फिर काटकर उन पर मसाला छिड़का जाता है।
  • सब्ज़ी बनाने के लिए उसे साफ कर धोना, काटना और फिर तेल या घी में छौंककर पकाना पड़ता है।
  • फलों का रस (जूस) पीने के लिए पहले फल को काटकर उसका रस निकाला जाता है।
  • रोटी खाने के लिए आटे को पानी के साथ गूंथना पड़ता है, फिर लोई बनाकर बेलना और तवे पर सेंकना होता है।

इन सभी तैयारियों के बाद ही हम स्वादपूर्वक इन चीज़ों का रसास्वादन कर सकते हैं।


प्रश्न 19: बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है? यशपाल के विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तरः
बिना विचार, घटना और पात्रों के कहानी लिखना सम्भव नहीं है। यशपाल का यह विचार पूर्णतः उचित है कि कथ्य (विचार, घटना और पात्र) के बिना कहानी केवल शब्दों का खेल बनकर रह जाती है। कहानी की आत्मा उसके पात्रों, उनकी परिस्थितियों और घटनाओं में निहित होती है। यदि इनमें से कोई भी घटक न हो, तो कहानी प्रभावहीन हो जाती है। इसलिए मैं यशपाल के विचार से पूर्णतः सहमत हूँ।

प्रश्न 20: नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंततः सूंघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा?
उत्तर:
नवाब साहब अपनी नफ़ासत और नवाबी दिखाने के लिए खीरे को सूंघकर फेंक देते हैं। यह एक दिखावा था जिससे वे लेखक के सामने अपनी शान और अंदाज़ ज़ाहिर करना चाहते थे।

The document Short Question Answers: लखनवी अंदाज़ | Hindi Class 10 is a part of the Class 10 Course Hindi Class 10.
All you need of Class 10 at this link: Class 10
32 videos|436 docs|69 tests

FAQs on Short Question Answers: लखनवी अंदाज़ - Hindi Class 10

1. What is the meaning of "Lakhnawi Andaaz"?
Ans. "Lakhnawi Andaaz" refers to the unique style or way of doing things that is typical to the city of Lucknow. It is the combination of the city's culture, traditions, language, and lifestyle.
2. What are some characteristics of Lakhnawi Andaaz?
Ans. Some characteristics of Lakhnawi Andaaz include the use of "tehzeeb" or etiquette in daily life, the love for poetry and literature, the use of "shayari" or couplets in conversation, the preference for "zardozi" or intricate embroidery work in clothing, and the taste for "nawabi" or royal cuisine.
3. How has Lakhnawi Andaaz influenced Indian culture?
Ans. Lakhnawi Andaaz has greatly influenced Indian culture, especially in the fields of art, literature, and cuisine. The city of Lucknow is known for its rich cultural heritage, and its unique style has been adapted and appreciated by people all over the country.
4. What are some famous examples of Lakhnawi Andaaz?
Ans. Some famous examples of Lakhnawi Andaaz include the "chikankari" embroidery work, the "kababs" and "biryani" dishes, the "shayari" and poetry of legendary poets like Mirza Ghalib and Josh Malihabadi, and the "tehzeeb" or etiquette of the people of Lucknow.
5. How can one experience Lakhnawi Andaaz?
Ans. One can experience Lakhnawi Andaaz by visiting Lucknow and exploring its rich cultural heritage. Some places to visit in Lucknow are the Bara Imambara, Chota Imambara, Rumi Darwaza, and the British Residency. One can also try the city's famous cuisine, attend a "mushaira" or poetry recital, and buy "chikankari" clothing.
Related Searches

Viva Questions

,

shortcuts and tricks

,

Objective type Questions

,

video lectures

,

Short Question Answers: लखनवी अंदाज़ | Hindi Class 10

,

Exam

,

pdf

,

Extra Questions

,

Summary

,

Important questions

,

MCQs

,

study material

,

practice quizzes

,

Short Question Answers: लखनवी अंदाज़ | Hindi Class 10

,

ppt

,

Sample Paper

,

Semester Notes

,

mock tests for examination

,

past year papers

,

Free

,

Short Question Answers: लखनवी अंदाज़ | Hindi Class 10

,

Previous Year Questions with Solutions

;