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अकबर (1556-1605 ई.) -मुगल साम्राज्य, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

अकबर (1556-1605 ई.)
¯ हुमायूं की मृत्यु के समय अकबर पंजाब में अफगान विद्रोहियों से निपटने में लगा हुआ था। 
¯ मृत्यु का समाचार मिलते ही अकबर का संरक्षक और हुमायूं का पुराना साथी बैरम खां ने पंजाब में ही कलानौर नामक स्थान पर 14 फरवरी, 1556 ई. को विधिवत् अकबर का राज्याभिषेक किया। 
¯ उस समय अकबर की उम्र सिर्फ तेरह वर्ष और चार महीने थी।
¯ जब अकबर सिंहासनारूढ़ हुआ, उस समय सिर्फ पंजाब के ही कुछ हिस्सों पर उसका वास्तविक नियंत्रण था। 
¯ इस्लाम शाह की मृत्यु के उपरांत हेमू (उसका असली नाम हेमराज था) ने सुल्तान आदिल शाह को बहुत प्रभावित किया और उसका प्रधानमंत्री व प्रधान सेनापति बन गया। 
¯ दिल्ली और आगरा से अकबर की अनुपस्थिति का लाभ उठाते हुए हेमू ने आगरा पर अधिकार कर लिया और दिल्ली के मुगल गवर्नर तरदी बेग खां को पराजित कर सरहिन्द भागने के लिए मजबूर किया जहां बैरम खां ने उसे मौत के घाट उतार दिया।
¯ 5 नवम्बर, 1556 ई. को एक ओर हेमू के नेतृत्व में अफगान व राजपूत सैनिक तथा दूसरी ओर मुगल सैनिक पानीपत के प्रसिद्ध मैदान में युद्ध के लिए आ डटीं।
¯ युद्ध में हेमू का पलड़ा भारी था और वह विजय के करीब पहुंच ही रहा था कि एक तीर आकर हेमू की आंख में लगी और वह मूर्छित होकर गिर पड़ा। 
¯ नेतृत्वविहीन अफगान सेना तितर-बितर हो गई। मुगलों की विजय हुई। 
¯ हेमू को बन्दी बनाकर मार डाला गया। 
¯ बैरम के विरोधी और यहां तक कि अकबर भी उसके बढ़ते प्रभाव से शंकाग्रस्त थे।
¯ अकबर ने दिल्ली से जारी अपने फरमान में बैरम खां को अपदस्थ कर दिया और उसे हज पर जाने का आदेश दिया। 
¯ हालांकि बैरम खां प्रारम्भ में इस आदेश से सहमत हो गया लेकिन जब उसे लगा कि उसके साथ उचित बर्ताव नहीं किया जा रहा था तो वह विद्रोह पर उतारू हो गया। 
¯ वह जालंधर के निकट परास्त हो गया और अकबर ने उदारता बरतते हुए उसे पुनः मक्का चले जाने का अवसर प्रदान किया। 
¯ मक्का की राह में 1561 ई. में एक लोहानी अफगान ने व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण उसकी हत्या कर दी। 
¯ बैरम खां के बाद अकबर ने अपनी धाय मां महम अनग और उसके पुत्र अधम खां को खत्म करने में सफलता पाई।
¯ साम्राज्य प्रसार का काम बैरम खां द्वारा ही शुरू किया गया था। उसने ग्वालियर, अजमेर और जौनपुर पर मुगल आधिपत्य स्थापित कर दिया था। 
¯ 1561 ई. में अधम खां के नेतृत्व में मुगल सेना ने मालवा पर कब्जा कर लिया था। 
¯ वहां का राजा बाज बहादुर अपने संगीत प्रेम और उसकी रानी रूपमती अपनी सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध थे। 
¯ अधम खां के अविवेक पूर्ण एवं अत्याचारी व्यवहार के कारण विद्रोह हुआ और मालवा पर फिर बाज बहादुर का कब्जा हो गया। 
¯ अकबर के अभियान से त्रस्त होकर बाज बहादुर उसके दरबार में पहुंचा और उसे मुगल मनसबदार बना दिया गया। 
¯ 1565 ई. में अकबर ने खान आलम व इब्राहिम खां आदि उजबेगों के विद्रोह को कुचल दिया। 
¯ अकबर के सौतेले भाई मिर्जा हाकिम ने पंजाब पर आक्रमण कर दिया (1566-67 ई.), परंतु अकबर के वहां पहुंचते ही भाग गया। 
¯ 1564 ई. में आसफ के नेतृत्व में मुगल सेना ने गढ़ कटंगा पर विजय प्राप्त की। 
¯ यह गोंडों द्वारा स्थापित शक्तिशाली राज्य था जिसमें नर्मदा घाटी और आधुनिक मध्य प्रदेश के उत्तरी इलाके शामिल थे। 
¯ वहां का तत्कालीन शासक वीर नारायण अल्पव्यस्क था और उसकी माता दुर्गावती उसके नाम पर शासन कर रही थी। 
¯ दुर्गावती ने मुगल सेनाओं का डटकर मुकाबला किया और जब उसे लगा कि पराजय अवश्यंभावी है, तो आत्महत्या कर ली तथा अपने बेटे को भी मार दिया। 
¯ बाद में अकबर ने गढ़ कटंगा चन्द्रशाह को लौटा दिया लेकिन मालवा की सरहद पर स्थित दस किलों को अपने साम्राज्य में मिला लिया।
¯ 1562 ई. में अजमेर की धर्मयात्रा के दौरान अकबर राजपूतों के व्यक्तिगत सम्पर्क में आया। 
¯ अम्बर (जयपुर) के राजा भारमल ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली तथा अपनी बड़ी लड़की की शादी अकबर से कर 
 दी। उसके पुत्र भगवान दास तथा पौत्र मान सिंह को सेना में उच्च पद मिले। 

अकबर के कुछ महत्वपूर्ण कार्य
 वर्षकार्य

1562दास प्रथा का अंत
1562अकबर की ‘हरमदल’ से मुक्ति
1563तीर्थ यात्रा कर समाप्त
1564जजिया कर समाप्त
1571फतेहपुर सीकरी की स्थापना एवं राजधानी का आगरा से फतेहपुर स्थानान्तरण
1575इबादतखाना की स्थापना
1578इबादतखाने में सभी धर्मों के लोगों के प्रवेश की अनुमति
1579‘महजर’ की घोषणा
1582दीन-ए-इलाही की घोषणा
1583नया कैलेण्डर ‘इलाही संवत्’ की शुरुआत


¯ 1567 ई. में अकबर ने चितौड़ के विरुद्ध अपना अभियान शुरू किया। 
¯ राजपूत सैनिकों ने जयमल के कुशल सेनापतित्व में उल्लेखनीय वीरता का प्रदर्शन किया। जयमल के मारे जाने के बाद किले पर मुगलों का कब्जा हो गया।
¯ वहां का राजा उदय सिंह किले का भार जयमल पर छोड़ कर जंगल में छिप गया था। इसी के बाद उसने उदयपुर की स्थापना की। 
¯ 1572 ई. में राणा प्रताप उदय सिंह का उत्तराधिकारी बना। उसने व्यक्तिगत रूप से दरबार में हाजिर होने के अकबर की शर्तों को नहीं माना। 
¯ राणा प्रताप को पराजित करने के उद्देश्य से पुनः 1576 ई. में अकबर अजमेर के लिए रवाना हुआ। 
¯ हल्दीघाटी के मैदान में भयानक युद्ध हुआ। हालांकि मुगल सेना विजयी रही, लेकिन राणा प्रताप नहीं झुका। 
¯ 1579-98 के बीच अकबर पश्चिमोत्तर सीमाओं की ओर व्यस्त रहा और मेवाड़ पर मुगल दबाव ढीला पड़ गया। इसका लाभ उठाते हुए राणा प्रताप ने पुनः अपने राज्य को व्यवस्थित करने का प्रयास किया। 
¯ 19 जनवरी, 1597 ई. को राणा प्रताप की मृत्यु हो गई। 
¯ 1570 ई. में बीकानेर का राजा कल्याण मल और जैसलमेर का राजा हरराय ने मुगल अधीनता स्वीकार कर ली।
¯ अकबर ने 1572 ई. में गुजरात के विरुद्ध अभियान शुरू किया और अहमदाबाद पर कब्जा कर लिया। 
¯ 1573 ई. में सूरत पर मुगलों का कब्जा हो गया। 
¯ बंगाल और बिहार की स्थिति को देखते हुए अकबर ने 1574 ई. में वहां के अभियान पर निकला। दाउद खां भाग खड़ा हुआ और हाजीपुर तथा पटना मुगलों के अधीन हो गया। 

प्रमुख युद्ध
¯प्रथम तराइन युद्ध (1191 ई.): पृथ्वीराज चैहान ने मुहम्मद गोरी को हराया।
¯द्वितीय तराइन युद्ध (1192 ई.): मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चैहान को हराया।
¯चन्दावर युद्ध (1194 ई.): गोरी ने कन्नौज के शासक जयचन्द को हराया।
¯पानीपत की पहली लड़ाई (1526 ई.): बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराया।
¯खानवा का युद्ध (1527 ई.): बाबर ने राणा सांगा को हराया।
¯घाघरा का युद्ध (1529 ई.): बाबर ने अफगानों को हराया।
¯चैसा का युद्ध (1539 ई.): शेरशाह ने हुमायूं को हराया।
¯कन्नौज या बिलग्राम का युद्ध (1540 ई.): शेरशाह ने हुमायूं को हराकर दिल्ली पर कब्जा कर लिया।
¯पानीपत की दूसरी लड़ाई (1556 ई.): अकबर ने अफगान सरदार हेमू को हराया।
¯तालिकोटा या बेन्नीहट्टी का युद्ध (1565 ई.): बहमनी साम्राज्य के चार मुस्लिम राज्यों ने सम्मिलित रूप से विजयनगर को हराया।
¯हल्दी घाटी का युद्ध (1576 ई.): अकबर ने राणा प्रताप को हराया।
¯असीरगढ़ युद्ध (1601 ई.): अकबर का अन्तिम युद्ध।
¯ईरानियों द्वारा कंधार छीनना: 1606 ई.।
¯कंधार मुगलों ने पुनः हस्तगत किया: 1607 ई.।
¯मेवाड़ मुगल साम्राज्य का अंग बना: 1615 ई.।
¯ईरान ने कंधार लिया: 1622 ई.।
¯कन्धार पुनः मुगलों ने हस्तगत किया: 1638 ई.।
¯कान्धार ईरानियों ने फिर हस्तगत किया: 1649 ई. कन्धार इसके बाद फिर कभी दिल्ली के साथ नहीं मिला।
¯धर्मट एवं सामूगढ़ की लड़ाई: 1658 ई., औरंगजेब ने दारा शिकोह को हराया।
¯खजवा एवं देवराई की लड़ाई: 1659 ई.।
¯जाज का युद्ध: 1707 ई.।

¯ 1576 ई. में दाउद की हत्या कर दी गई और बंगाल को पूरी तरह मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया। 
¯ 1592 ई. में उड़ीसा पर मुगलों का अधिकार हो गया।
¯ 1581 ई. में मुगलों ने मिर्जा हकीम से काबुल जीता। 
¯ 1586 ई. में मुगल सेना का श्रीनगर पर कब्जा हो गया। 
¯ 1591 ई. में तिब्बत के राजा अली ने  अकबर के दरबार में उपहार भेजा और अपनी लड़की की शादी सलीम से कर दी। 
¯ 1593 ई. में अब्दुर्रहीम खान-ए- खाना के नेतृत्व में मुगल सेना ने मिर्जा जानी बेग से सिन्ध जीत लिया। 
¯ 1595 ई. में अकबर ने कंधार पर अधिकार कर लिया।
¯ उसकी दक्षिण नीति यही थी कि वहां के अधिक से अधिक भागों को मुगल साम्राज्य में लाया जाए। 
¯ इसके लिए उसने 1591 ई. में कूटनीतिक स्तर पर प्रयास आरम्भ किया तथा प्रत्येक दक्कनी राज्य में दूत भेजे और उनसे मुगल प्रभुसत्ता स्वीकार करने को कहा। 
¯ खानदेश को छोड़कर किसी ने भी इस प्रस्ताव को स्वीकारनहीं किया। 
¯ खानदेश के राजा अली खां ने अकबर का संदेश मिलने पर 1593 ई. में समर्पण कर दिया क्योंकि खानदेश मुगल साम्राज्य के एकदम निकट स्थित था और वह मुगलों का सामना करने की स्थिति में नहीं था।
¯ 1595 ई. में अहमदनगर के सुल्तान बुरहान की मृत्यु के बाद छिड़े निजामशाही सरदारों के आपसी संघर्ष ने अकबर को वहां आक्रमण करने का उपयुक्त अवसर प्रदान किया। 
¯ उन दिनों वहां की बागडोर बुरहान की बहन चांद बीवी के हाथों में थी जो अपने नाबालिग भतीजे की संरक्षिका थी। 
¯ 1595 ई. में मुगल सैनिकों ने अहमदनगर के किले को घेर लिया। 
¯ चांद बीवी ने बहादुरी के साथ मुगल आक्रमण का सामना किया। 
¯ कोई भी पक्ष विजयी नहीं हुआ और दोनों पक्षों में संधि हुई जिसके अनुसार मुगलों को बरार का प्रदेश मिला। 
¯ कुछ समय पश्चात चांद बीवी की उसके अपने सैनिकों द्वारा हत्या कर दी गई। 
¯ 1600 ई. में मुगलों ने अहमदनगर राज्य पर अधिकार कर लिया, परन्तु यह अधिकार नाममात्र का ही था क्योंकि सलीम के विद्रोह के कारण अकबर अपने दक्षिण-विजय के कार्य को पूरा नहीं कर सका। 
¯ अहमदनगर पर मुगलों का अधिकार वास्तव में शाहजहां के राज्यकाल में ही हो सका।
¯ खानदेश के नये सुल्तान ने अपनी सीमा से होकर अहमदनगर जाते हुए शहजादे दानियाल का उचित सम्मान नहीं किया था। 
¯ अकबर खानदेश में स्थित असीरगढ़ के किले पर भी अपना अधिकार करना चाहता था क्योंकि वह दक्कन का सुदृढ़तम किला माना जाता जाता था। 
¯ किले पर मजबूत घेरा और रोग फैलने की स्थिति में खानदेश का सुल्तान बाहर आया और उसने समर्पण कर दिया (1601 ई.)। 
¯ अकबर ने खानदेश का नाम बदलकर ‘धनदेश’ रखा। 
¯ असीरगढ़ की जीत अकबर की अन्तिम विजय थी।

अकबर की राजपूत नीति
¯ अकबर ने राजपूतों के साथ अपने सम्बन्ध सुदृढ़ करने के लिए हिन्दू राजकुमारियों से विवाह किए। 
¯ सबसे पहले उसने अम्बर के भारमल की लड़की जोधाबाई से अपनी शादी की। 
¯ सलीम, जो बाद में जहांगीर के नाम से राजा बना, इसी राजकुमारी से पैदा हुआ था। 
¯ अकबर ने बीकानेर और जैसलमेर की राजपूत राजकुमारियों से भी विवाह किया। 
¯ सलीम का विवाह भगवानदास की लड़की मानबाई के साथ किया गया। 
¯ भारमल के लड़के भगवानदास, राजा मानसिंह, राजा टोडरमल, राजा बीरबल आदि हिन्दुओं को ऊंचे पद दिए गए। 
¯ जिन राज्यों के शासकों ने अकबर की अधीनता स्वीकार न की, उनके साथ उसने युद्ध भी किए, जैसे - गोंडवाना, मेवाड़, रणथम्भौर, कालिंजर आदि। 
¯ राजस्थान में केवल मेवाड़ ही एक ऐसी रियासत थी जिसने उसकी अधीनता स्वीकार नहीं की।
¯ कुछ विशेष दिनों पर गोवध का निषेध कर दिया गया। 
¯ दिल्ली सल्तनत के समय से लिए जाने वाले जजिया (कर) को समाप्त कर दिया गया। 
¯ यात्रा-कर लेना भी बन्द कर दिया गया।

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FAQs on अकबर (1556-1605 ई.) -मुगल साम्राज्य, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. अकबर के बारे में मुग़ल साम्राज्य के इतिहास में क्या जानकारी है?
उत्तर: अकबर मुग़ल साम्राज्य का तीसरा सम्राट था। उनकी शासनकाल 1556 से 1605 ई. तक चली। वह एक महान शासक थे जिन्होंने अपने शासनकाल में सशक्तिकरण, सबलीकरण और धर्मनिरपेक्षता के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की।
2. अकबर ने किस प्रकार से मुग़ल साम्राज्य को मजबूत बनाया?
उत्तर: अकबर ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जिनसे मुग़ल साम्राज्य को मजबूती मिली। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या बढ़ाई, नगरों के निर्माण का आदेश दिया, व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया और साम्राज्य का केंद्रित शासन प्रणाली स्थापित की।
3. अकबर के शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य की संस्कृति और कला का क्या महत्व था?
उत्तर: अकबर के शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य में संस्कृति और कला का महत्वपूर्ण स्थान था। उन्होंने कलाकृतियों को प्रोत्साहित किया और विविध संस्कृतियों को समर्थित किया। उनका शासनकाल सुंदर मकबरों, भव्य मंदिरों, और अद्वितीय कला के उत्कृष्ट उदाहरणों के लिए जाना जाता है।
4. अकबर की धर्मनिरपेक्षता के बारे में क्या ज्ञात है?
उत्तर: अकबर एक धर्मनिरपेक्ष सम्राट थे जो सभी धर्मों का सम्मान करते थे। उन्होंने अपने शासनकाल में धर्मान्धता और आपसी विवादों के खिलाफ लड़ाई ली और धार्मिक तालमेल को प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपने कई कर्मचारियों के साथ विभिन्न धर्मों की विचारधाराओं को मिलाया और अपनी गुब्बारे को एक साझा धार्मिक स्थान के रूप में बनाया।
5. अकबर का शासनकाल किस प्रकार से समाप्त हुआ?
उत्तर: अकबर का शासनकाल 1605 ई. में उनकी मृत्यु के बाद समाप्त हुआ। उनके बाद, उनका पुत्र जहांगीर ने साम्राज्य का शासन संभाला। अकबर के शासनकाल के दौरान मुग़ल साम्राज्य ने बड़ी खुशहाली और सांस्कृतिक विस्तार की थी।
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