अभ्यास प्रश्न
(प्रत्येक 5 अंक)
प्रश्न 1: जीवन मूल्यों के आधार पर इफ़्फन और टोपी शुक्ला के सम्बन्धों की समीक्षा कीजिए।
उत्तरः इफ़्फन और टोपी शुक्ला दो भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाले हैं। इफ्फन मुसलमान है तो टोपी शुक्ला पक्का हिंदू है। धार्मिक भिन्नता होते भी दोनों में प्रगाढ़ मित्रता है। टोपी इफ्फन को बहुत चाहता है। उसके पिता का तबादला होने पर वह दुःखी होता है। वह इफ्फन की दादी को प्यार करता है तथा दादी भी उसे बहुत प्यार करती है। दोनों के सम्बन्ध मानवीय धरातल पर हैं। इनके बीच में धर्म की दीवार नहीं है। यही हमारी सामाजिक संस्कृति की प्रमुख विशेषता है। हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। मानवीय प्रेम सर्वोपरि है। धर्म को इसमें बाधक नहीं बनना चाहिए।
प्रश्न 2: टोपी और इफ़्फन अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते थे पर दोनों एक अटूट रिश्ते से बंधे थे। इस कथन के आलोक में 'टोपी शुक्ला' कहानी पर विचार कीजिए।
उत्तरः 'टोपी शुक्ला' पाठ समाज के लिए सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश है। टोपी और इफ्फन अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते थे, पर दोनों एक अटूट रिश्ते से बंधे थे। हिंदुस्तान में हिंदू और मुसलमानों के बीच प्रेम और भाईचारे से भरे वातावरण की चाह रखने वालों के लिए यह एक प्रेरणादायक रचना है। टोपी, इफ्फन के घर के खाने को छूता भी नहीं था, फिर भी दोनों में गहरा संबंध था। कहानी में टोपी और इफ्फन का पालन-पोषण धार्मिक कट्टरता से भरे तथा दो अलग-अलग परंपराओं से जुड़े परिवारों में हुआ था, किंतु दोनों एक-दूसरे के जिगरी दोस्त बने। दोनों की कहानी एक-दूसरे के बिना अधूरी थी। यदि इसी प्रकार कट्टरवाद को हटाकर दोनों कौमों के लोग एक-दूसरे के साथ भाईचारे का संबंध जोड़ लें, तो देश में मजहबी दंगों में इंसानियत का खून बहने से रोका जा सकता है। 'अम्मी' शब्द पर मार खाने के बाद भी इफ्फन के घर जाने की उसकी ज़िद इसी दोस्ती का प्रमाण है।
प्रश्न 3: घर वालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ़्फन के घर और उसकी दादी से क्यों था? दोनों के अनजान, अटूट रिश्ते के बारे में मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार-लिखिए।
उत्तरः टोपी को इफ्फन और उसकी दादी से जो प्रेम मिला, वह अकथनीय था। उसे जितना स्नेह और अपनापन इफ्फन के घर में मिला, उतना अपने घर में नहीं मिला। यही कारण था कि घरवालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ्फन के घर और उसकी दादी से बना रहा। इफ्फन की दादी ने उसके कोमल मन में गहरा स्थान बना लिया था।
यह प्रेम ऐसा था जिसने न धर्म देखा, न उम्र, बस मन को देखा और जीवन में गहराई से उतर गया। प्रेम वह भावना है जो जाति-पांति, धर्म, ऊँच-नीच, बड़े-छोटे जैसे सभी भेदभावों से ऊपर होता है। मानवीय मूल्यों में प्रेम सबसे सुंदर और उच्च भावना मानी जाती है। यह किसी बंधन का गुलाम नहीं होता।
हमारे जीवन में प्रेम विभिन्न रूपों में उपस्थित होता है—माता-पिता का संतान से, भाई-बहन के बीच, गुरु-शिष्य के बीच, मित्रता में, दादा-दादी या नाना-नानी का अपने नाती-पोतों से, मनुष्य का पशु-पक्षियों से, भक्त का भगवान से और यहां तक कि भूखे इंसान का रोटी से। ये सभी प्रेम के ही रूप हैं।
इसलिए कहा गया है—
"प्रेम न देखे जात-पात, न उमर का फासला।"

प्रश्न 4: इफ़्फन की दादी को अपना घर क्यों याद आया?
उत्तरः इफ़्फन के दादा तो सामान्य जीवन जीने वाले मौलवी थे। उनके घर में कभी रास-रंग या मौज-मस्ती करने की कोई गुंजाइश नहीं थी। परन्तु इफ़्फन की दादी एक अमीर ज़मींदार की बेटी थीं। उन्होंने अपने पीहर में खूब घी-मलाई खाई थी, परंतु ससुराल में उन पर अनेक पाबंदियाँ थीं। इस वजह से उन्हें बड़ा सामान्य जीवन जीना पड़ा। इफ़्फन के दादा के मरने के बाद घर की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो गई। ससुराल में वे अपने को दुःखी महसूस करती थीं।
एक दिन जब इफ़्फन के पिता ने उनकी अंतिम इच्छा जाननी चाही कि मृत्यु के बाद उनके शव को करबला ले जाया जाए या नजफ़, तो उन्होंने अपने बेटे पर बिगड़ते हुए कहा—
"ए बेटा, जउँ तूँ से हमरी लाश न सँभाली जाय, तो हमके हमारे घर (पीहर) भेज दिहा!"
उनके कहने का तात्पर्य यह था कि आर्थिक तंगी के चलते उन्हें कहीं ले जाने की ज़रूरत नहीं। इस प्रकार, अंतिम दिनों में उन्हें अपना घर याद आया।
प्रश्न 5: टोपी एक सुविधा सम्पन्न परिवार से था, फिर भी इफ़्फन की हवेली की तरफ उसके खिंचे चले जाने के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः टोपी एक सुविधा-सम्पन्न परिवार से था, फिर भी इफ़्फन की हवेली की तरफ उसके खिंचे चले जाने का कारण इफ़्फन की दादी थी। उसे इफ़्फन की दादी से बहुत लगाव व स्नेह था। टोपी के घर में उसे कोई प्यार नहीं करता, बल्कि इफ़्फन की दादी से उसे बहुत स्नेह मिलता था। उसको लाख मना करने के बावजूद इफ़्फन की हवेली की तरफ बरबस खिंचा चला जाता था। दादी कभी उसका दिल नहीं दुखाती थीं और वह उसे कहानियाँ सुनाया करती थीं।
प्रश्न 6: ‘टोपी शुक्ला’ पाठ में इफ़्फन की दादी के स्वभाव की उन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनके कारण टोपी ने दादी बदलने की बात कही?
उत्तरः ‘टोपी शुक्ला’ पाठ में इफ़्फन की दादी टोपी को बहुत स्नेह करती थीं, जिसके कारण वह लाख मना करने के बावजूद इफ़्फन की हवेली की तरफ बरबस खिंचा चला जाता था। एक दिन अचानक भोजन के समय टोपी के मुख से ‘अम्मी’ शब्द निकल गया, जिसके कारण घर में सभी ने उसे बुरा-भला कहा। दादी, माँ और पिता सभी ने उसे डाँटा। टोपी के ऊपर इफ़्फन के घर जाने का प्रतिबंध लगा दिया गया। घर के नौकर ने टोपी की झूठी शिकायत कर दी, जिसके कारण उसकी माँ राम दुलारी ने उसकी पिटाई कर दी। इस घटना से आहत होकर टोपी ने इफ़्फन से कहा— "क्या हम लोग अपनी दादी बदल लें?"
प्रश्न 7: टोपी और इफ़्फन की दादी अलग-अलग महजब के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तरः टोपी और इफ़्फन की दादी अलग-अलग धर्म के थे, लेकिन उनके बीच प्यार और अपनापन का मजबूत रिश्ता था। जब दिल से दिल जुड़ते हैं, तो धर्म और जाति मायने नहीं रखते। इफ़्फन की दादी ने टोपी को बहुत प्यार दिया और उसकी परवाह की। टोपी को दादी के साथ अपनेपन और माँ जैसे स्नेह का अनुभव होता था। दादी के साथ रहने से टोपी को अकेलापन महसूस नहीं होता था। इस तरह दोनों के बीच एक सच्चा और दिल से जुड़ा रिश्ता बन गया था।
प्रश्न 8: ‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घर वालों की क्या प्रतिक्रिया हुई और क्यों ?
उत्तरः जब टोपी ने खाना खाते समय ‘अम्मी’ कहा, तो उसके घर वालों के हाथ रुक गए। वे बहुत चौंक गए क्योंकि उनके घर में उर्दू के शब्दों का इस्तेमाल पसंद नहीं किया जाता था। उन्हें लगा जैसे कुछ गलत बोल दिया गया है। फिर उन्हें शक हुआ कि टोपी की दोस्ती किसी मुसलमान लड़के से है। जब यह बात साफ़ हो गई, तो उसकी माँ ने टोपी को डाँटा और कहा कि वह अब उस लड़के से नहीं मिलेगा। लेकिन टोपी ने यह बात मानने से इनकार कर दिया क्योंकि वह अपने दोस्त को बहुत चाहता था।
प्रश्न 9: रामदुलारी की मार का इफ़्फन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तरः टोपी ने एक बार जब डाइनिंग टेबल पर बैठकर ‘अम्मी’ शब्द का प्रयोग किया, तो घर में बवंडर मच गया। घर के सभी लोग उसकी इस भाषा का विरोध करने लगे। सुभद्रा देवी, यानी टोपी की दादी, ने उसकी माँ रामदुलारी को टोपी की भाषा सुधारने और उसे सबक सिखाने को कहा। दादी की बातों से दुखी होकर रामदुलारी ने टोपी को बहुत पीटा, जिससे उसका शरीर दुखने लगा। इसके बाद टोपी को मुन्नी बाबू से नफरत हो गई और उसने सोचा कि इफ़्फन से मिलते समय वह अपनी दादी को बदलने की बात कहेगा, लेकिन यह संभव नहीं था। उसे अपनी दादी से बहुत घृणा हो गई।
प्रश्न 10: टोपी ने किस घटना के बाद कलक्टर साहब के बंगले की ओर रुख क्यों नहीं किया?
उत्तरः टोपी को इफ़्फन के घर जाने की आदत थी और एक दिन वह उस सरकारी बंगले में जा पहुँचा, जहाँ अब दूसरे कलेक्टर का परिवार रहने लगा था। नए कलेक्टर के बच्चों से टोपी का झगड़ा हो गया, तो उनमें से एक लड़के ने अपने कुत्ते से टोपी को कटवा दिया। टोपी को सात इंजेक्शन लगवाने पड़े। इसके बाद उसने फिर कभी कलेक्टर साहब के बंगले की ओर रुख नहीं किया।
प्रश्न 11: मुन्नीबाबू ने टोपी शुक्ला को रिश्वत में क्या दिया और क्यों ?
उत्तरः जब रामदुलारी टोपी को मार रही थी, तो मुन्नीबाबू और भैरव तमाशा देख रहे थे। मुन्नीबाबू ने चुगली की कि इफ़्फन कबाबची की दुकान पर कबाब खा रहा था। यह सुनकर रामदुलारी घृणा से पीछे हट गई। टोपी मुन्नीबाबू की ओर देखने लगा, क्योंकि असलियत यह थी कि टोपी ने मुन्नीबाबू को कबाब खाते देख लिया था और मुन्नीबाबू ने उसे एक इकन्नी रिश्वत में दी थी। टोपी को यह भी पता था कि मुन्नीबाबू सिगरेट भी पीते हैं, परंतु टोपी चुगलखोर नहीं था। उसने कोई बात इफ़्फन के सिवाय किसी से नहीं कही थी।
प्रश्न 12: टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया-
(क) जहीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फेल होने के क्या कारण थे ?
(ख) एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावात्मक चुनौतियाँ का सामना करना पड़ा ?
(ग) टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्दे नजर रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए।
उत्तरः (क) टोपी होशियार होने के बावजूद नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। इसके दो कारण थे। पहले साल वह पढ़ाई नहीं कर पाया, क्योंकि घर के सदस्य उससे अपने-अपने काम करवाते थे और उसका छोटा भाई भैरव उसकी कापियाँ फाड़ देता था। दूसरे साल उसे टायफॉइड हो गया और वह पढ़ाई नहीं कर सका।
(ख) एक ही कक्षा में दो बार बैठने पर टोपी को अनेक भावात्मक परेशानियाँ उठानी पड़ीं। कक्षा में उसका कोई मित्र नहीं बन सका, जिससे वह अपने मन की बात कह पाता। मास्टर जी बात-बात पर अन्य छात्रों को टोपी का उदाहरण देते थे और टोपी का मज़ाक उड़ाते थे। इससे कक्षा के दूसरे छात्र भी उसकी हँसी उड़ाते थे। टोपी इतना शर्माता था कि उसकी गर्दन तक नहीं उठती थी।
(ग) टोपी को जिन भावात्मक परेशानियों का सामना करना पड़ा, वे हमारी शिक्षा व्यवस्था की कई कमज़ोरियों की ओर इशारा करती हैं। किसी भी छात्र का वार्षिक मूल्यांकन करते समय उसके पिछले वर्षों के प्रदर्शन को भी ध्यान में रखना चाहिए। यदि कोई छात्र पूर्व में अच्छा प्रदर्शन करता रहा हो और किसी कारणवश एक वर्ष पढ़ाई न कर सका हो, तो उसे अनुत्तीर्ण करने की बजाय उसकी पूर्व उपलब्धियों के आधार पर उत्तीर्ण किया जाना चाहिए। शिक्षकों को भी छात्रों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और उन्हें उपेक्षा या उपहास का पात्र नहीं बनाना चाहिए।
प्रश्न 13: कक्षा में फेल होने वाले छात्र पर अध्यापक और विद्यार्थियों के द्वारा व्यंग्य करना क्यों ठीक नहीं है?
उत्तरः शिक्षा का उद्देश्य छात्रों के समग्र विकास से जुड़ा होता है। अन्य छात्रों एवं अध्यापकों का दायित्व यह है कि वे उनके विकास में सहायक बनें, बाधक नहीं। कक्षा में अध्यापन करने वाले शिक्षकों की यह जिम्मेदारी होती है कि यदि कोई छात्र विशेष परिस्थिति के कारण अनुत्तीर्ण हो जाता है, तो उसका भावनात्मक एवं मानसिक उत्पीड़न न करें। उस पर व्यंग्य करने के बजाय उसे समझना चाहिए और उसकी समस्याओं का समाधान निकालने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा नहीं करने पर उस छात्र के मन में हीन भावना पैदा हो सकती है और वह आत्मविश्वास खो सकता है। इसलिए छात्रों को प्रोत्साहित करना और उन्हें सहयोग देना ही सही मार्ग है।
प्रश्न 14: हमारे बुजुर्ग हमारी विरासत होते हैं। ‘टोपी शुक्ला’ पाठ में से उदाहरण देते हुए बताइए कि आप अपने घर में रह रहे बुजुर्गों का कैसे ध्यान रखेंगे?
उत्तरः बुज़ुर्ग हमारी विरासत और हमारी धरोहर होते हैं। उनके पास अनुभवों से प्राप्त ज्ञान होता है, जिससे वे हमें नई-नई बातें सिखाते हैं। वे हमारे नैतिक तथा चारित्रिक बल को ऊँचा उठाने की कोशिश करते हैं।
'टोपी शुक्ला' पाठ में जब टोपी इफ़्फन के घर जाता था, तो कई बार उसकी अम्मी और बाजी उसकी भाषा का मज़ाक उड़ाती थीं। ऐसे समय में इफ़्फन की दादी ही टोपी का पक्ष लेती थीं और उसका मनोबल बढ़ाती थीं। टोपी को दादी से बहुत अपनापन और स्नेह मिलता था।
हम भी अपने घर में रह रहे बुज़ुर्गों की सेवा करेंगे, उनका सम्मान करेंगे और हर तरह से उनका ध्यान रखेंगे। उनके अनुभवों से सीखकर हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
प्रश्न 15: इफ़्फन ‘टोपी शुक्ला’ पाठ का एक महत्त्वपूर्ण पात्र है, कैसे ? विस्तार से समझाइए।
उत्तरः राही मासूम रज़ा की कहानी टोपी शुक्ला में इफ़्फन टोपी का जिगरी दोस्त है और एक महत्त्वपूर्ण पात्र भी। टोपी की कहानी को पूरी तरह समझने के लिए इफ़्फन के व्यक्तित्व को जानना आवश्यक है। लेखक स्वयं लिखते हैं कि “टोपी, इफ़्फन की परछाई है।” दोनों ही स्वतंत्र सोच वाले हैं और अपनत्व की तलाश में भटकते हैं। वे मानते हैं कि "प्रेम न जात-पात देखता है, न खिचड़ी-भात।" वे अपने स्नेह के संबंधों में कभी भी रहन-सहन, खान-पान या रीति-रिवाज को आड़े नहीं आने देते। टोपी के पिता प्रसिद्ध डॉक्टर हैं, उसका भरा-पूरा परिवार है और उसे किसी वस्तु की कमी नहीं है, फिर भी वह इफ़्फन की हवेली की ओर आकर्षित होता है। इफ़्फन की वही विशेषता जो टोपी को खींचती है — अपनापन, सरलता, स्नेह और दोस्ती — इस कहानी का केंद्रीय भाव है। इसलिए इफ़्फन ‘टोपी शुक्ला’ का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पात्र है।