आंतरिक सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पहलू है। यह कानून और व्यवस्था, लोगों की संपत्ति की सुरक्षा,राष्ट्र की एकता व अखंडता से संबंधित है। लोगों के मौलिक अधिकार और मानवाधिकार सुरक्षित रखने के लिये भी सुदृढ़आंतरिक सुरक्षा का होना आवश्यक है। किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति तीन महत्त्वपूर्ण लक्ष्य सामने रखकर बनाईजाती है, ये लक्ष्य निम्नलिखित हैंः
(i) कौटिल्य ने अर्थशात्र में लिखा है कि एक राज्य को चार प्रकार के खतरों का जोखिम हो सकता है
(ii) भारत की आंतरिक सुरक्षा को कौटिल्य द्वारा बताये गये उपर्युक्त चारों प्रकार के खतरे हैं।
(iii) बदलता बाह्य परिवेश भी हमारी आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करता है। श्रीलंका, पाकिस्तान, बंग्लादेश, नेपाल और म्यांमार में होने वाली घटनाएं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारी आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करती हैं। इसलिए आज के सूचना और डिजिटल युग में देश की सुरक्षा के आंतरिक अथवा बाह्य खतरें दोनों एक-दूसरे से आपस में जुड़े हैं और इन्हें एक-दूसरे से अलग करके नहीं देखा जा सकता।
(iv) पिछले कुछ वर्षों से हमारी आंतरिक सुरक्षा का खतरा कई गुणा बढ़ गया है। आंतरिक सुरक्षा की समस्या ने हमारे देश के विकास और प्रगति को प्रभावित करना प्रारंभ कर दिया है और यह अब सरकार की मुख्य चिंताओं में से एक है।
भारत की स्वतंत्रता के साथ ही आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी कुछ समस्याएं भी सामने आईं। जम्मू एवं कश्मीर राज्य के भारत में विलय के समय से ही आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी कुछ समस्याएं उत्पन्न हो गई थीं। आजादी के समय हुए बंटवारे के दौरान अप्रत्याशित हिंसा हुई जिसमें लाखों लोग मारे गए। इस प्रकार साम्प्रदायिकता की समस्या रूपी राक्षस आजादी के दौरान ही सक्रिय हो गया जो कि बाद में दंगों के रूप में बार-बार सामने आता रहा है।
मुख्य चुनौतियां➤ हमारी आंतरिक सुरक्षा की समस्याओं के लिए विभिन्न ऐतिहासिक और गैर-ऐतिहासिक पृष्ठभूमियां हैं। इनके बारे में विस्तार से आगामी अध्यायों में चर्चा की गई है। हालांकि कुछ मूल कारण नीचे वर्णित है
➤ आजादी के समय से ही पहले तीन कारक स्वतंत्रता के बाद हमें विरासत में मिले। हम इन तीनों मुद्दों को तो हल करने में असफल रहे ही हैं, दुर्भाग्य से कई नए मुद्दे इसमें शामिल हुए हैं, जिससे हमारी आंतरिक सुरखा की समस्या कई गुणा बढ़ गई है। उपर्युक्त सूची में चौथे, पांचवें और छठे कारक प्रशासनिक विफलताओं और सातवां, आठवां व नौवां दलगत राजनीति के कारण हो सकता है। अंतिम कारक के लिए शासकीय अक्षमता को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। इन कारकों के कारण प्रत्येक समस्या और उभरकर सामने आई हैं और शत्रु पड़ोसी अपना हित साधने के लिए हमारी आंतरिक स्थितियों का फायदा उठाने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ते। पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई की भारत में हजारों तरीकों से खूनखराबा करने को घोषित नीति है।
हमें उपयुक्त आंतरिक सुरक्षा सिद्धांतों की आवश्यकता है जो कि निम्नलिखित व्यापक घटकों पर आधारित हो सकते हैं-
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1. आंतरिक सुरक्षा क्या है? |
2. आंतरिक सुरक्षा विभाग UPSC के तहत कैसे काम करता है? |
3. आंतरिक सुरक्षा UPSC में पदों के लिए योग्यता क्या होती है? |
4. आंतरिक सुरक्षा क्या कार्य करती है? |
5. आंतरिक सुरक्षा क्षेत्र के लिए UPSC में कैसे तैयारी की जाए? |
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