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आधुनिक भारत के प्रमुख युद्ध - इतिहास,यु.पी.एस.सी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

    खोड की लड़ाई (1707): शाहू एवं उसकी चाची ताराबाई के बीच; शाहू विजयी।
    शकर-खेड़ा का युद्ध (1724): दक्कन में नवनियुक्त मुगल वायसराय मुबारिज खान एवं निजामुल-मुल्क के बीच; मुबारिज खान मारा गया।
    भोपाल का युद्ध (1737): मुगलों एवं बाजी- राव प्रथम के बीच, मुगल सेना पराजित, इस लड़ाई में निजाम मुगलों की तरफ से लड़ा था।
    करनाल का युद्ध (24 फरवरी, 1739): मुहम्मद शाह के नेतृत्व में मुगल सेना एवं नादिरशाह के बीच, जिसमें नादिरशाह विजयी रहा।
    घरिया का युद्ध (1740): बंगाल के नवाब सरफराज खान एवं बिहार के उप-गवर्नर अलीवर्दी खान के मध्य, सरफराज खान पराजित हुआ तथा मारा गया।
    प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746.48): फ्रांसीसी एवं ब्रिटिश सेना के मध्य, मद्रास पर फ्रांसीसियों ने कब्जा कर लिया लेकिन इसे ‘एक्सला-शैपेल की संधि’ के द्वारा लौटा दिया गया, इसमें सेंट टोम की लड़ाई ज्यादा महत्वपूर्ण रही जिसमें कर्नाटक के नवाब की बड़ी-सेना को फ्रांस की आधुनिक शास्त्रारत्रयुक्त छोटी सेना ने पराजित किया।
    द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749.54): प्रारंभ में फ्रांसीसियों ने डुप्ले के नेतृत्व में कुछ सफलता पाई लेकिन अन्ततः अंग्रेजों की विजय हुई और एक अस्थायी शांति संधि सम्पन्न हुई।
    तृतीय कर्नाटक युद्ध (1758.63): 1758 में फ्रांस ने सेंट डेविड का किला जीत लिया लेकिन 1760 में ‘वान्डीवाश की लड़ाई’ में उनकी शर्मनाक पराजय हुई और अंग्रेजों को महत्वपूर्ण विजय मिली।
    हालांकि 1763 की पेरिस की संधि के द्वारा पाण्डिचेरी एवं कुछ अन्य क्षेत्र फ्रांस कबर्मा के शासक ने उसी माह आत्म समर्पण कर दिया तथा कुछ ही दिनों में बर्मा को पूर्णतया अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया।
    प्रथम आंग्ल - अफगान युद्ध (1876.80): अंग्रेजों को भारी क्षति उठानी पड़ी।
    द्वितीय आंग्ल - अफगान युद्ध (1919.21): पहले के युद्ध जैसा यह युद्ध भी अंग्रेजों के लिए लाभकारी नहीं रहा।
 

महत्त्वपूर्ण संधियां
    पुरन्दर की संधि (1665):  पुरन्दर स्थित किले का, राजा जयसिंह द्वारा घेराबन्दी कर लिये जाने पर शिवाजी एवं जयसिंह के बीच।
    1719 की संधि: मुगल सम्राट के मीर बख़्शी हुसैन अली एवं शाहू के बीच।
    बर्न की संधि (1731):  शाहू एवं शम्भाजी के बीच सम्पन्न।
    संगोला समझौता (1750):  इस समझौते के बाद मराठा राजा सिर्फ महल-प्रधान बनकर रह गया तथा पेशवा ‘मराठा परिसंघ’ का वास्तविक प्रधान बन बैठा।
    अलीनगर की संधि (फरवरी, 1757):  बंगाल के नवाब ने क्लाइव के साथ शांति-संधि की जिसके अनुसार अंग्रेजों को पहले जैसे विशेषाधिकार मिले। सिराजुद्दौला द्वारा कलकत्ता पर अधिकार करने के बाद इसका नाम बदलकर पुनः अलीनगर कर दिया गया।
    इलाहाबाद की संधि (1765):  अवध के नवाब वजीर शुजाउद्दौला एवं लार्ड क्लाइव के बीच सम्पन्न।
    बनारस की संधि (1773):  वारेन हेस्टिंग्स एवं अवध के नवाब के बीच सम्पन्न, जिसके अनुसार इलाहाबाद अवध को सौंपा गया।
    सूरत की संधि (1775):  पेशवा पद प्राप्त करने में अंग्रेजों से सहायता मिलने की आशा में मराठा सरदार रघुनाथ राव ने बम्बई सरकार के साथ समझौता किया।
    बसई की संधि (1802):  होल्कर से पराजित होने के बाद बाजी राव द्वितीय ने अंग्रेजों के साथ संधि कर अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास किया।
    देवगांव की संधि (1803):  सिन्धिया ने भी अपने राज्य का कुछ क्षेत्र अंग्रेजों को दे दिया तथा एक ब्रिटिश रेजीडेन्ट रखना स्वीकार किया।
    राजपुर घाट की संधि (1809):  होल्कर ने कम्पनी के सहयोगियों के क्षेत्रों पर अपना अधिकार त्याग दिया।
    अमृतसर की संधि (1809):  रणजीत सिंह एवं ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच सम्पन्न, जिसके अनुसार सतलज नदी को रणजीत सिंह के क्षेत्रधिकार की सीमा रेखा माना गया।


प्रशासनिक विकास

    लोकसवा - 1853 के चार्टर द्वारा जातीय भेदभाव लोकसेवा के लिये समाप्त किया गया एवम् आई. सी. एस. परीक्षा शुरू की गयी। 1877 में इसके लिये अधिकतम सीमा 23 से 19 वर्ष कर दी गयी। 1886 में पी. सी. एस. परीक्षा शुरू हुई; 1922 में पहली बार आई. सी. एस. परीक्षा भारत में हुई, 1923 में केन्द्र राज्य के बीच लोक पदों का बंटवारा हुआ। 1925 में प्रथम लोकसेवा आयोग बना, 1935 के ऐक्ट में सिविल एवम् सैनिक सेवा की सुरक्षा, फेडरल लोकसेवा आयोग एवम् प्रान्तीय लोकसेवा आयोग का उपबन्ध किया गया।
    वित्तीय प्रशासन - 1860 में बजट प्रणाली एवम् आयकर लागू किया गया। 1870 में लार्ड मेयो ने प्रान्तों को कुछ वित्तीय अधिकार दिया। 1870 में लार्ड रिपन ने वित्तीय òोतों को इम्पीरियल, डिवाइडेड एवम् प्रान्तीय हिस्सों में बाँटा, 1893 में करेन्सी नोट जारी किये गये, 1907 में विकेन्द्रीकरण आयोग गठित किया गया। 1935 के एक्ट में वित्तीय òोतों के बंटवारे की व्यापक योजना प्रस्तुत की गयी जिसे भारतीय संविधान में शामिल किया गया है।
    सैनिक प्रशासन - 1857 की क्रान्ति के बाद सेना का पुनर्गठन किया गया एवम् 1860 में भारतीय सेना को ब्रिटिश सेना का अंग बनाया गया। सेना पर भारी व्यय (48ः तक) किया जाता था जिसका भार भारतीयों पर पड़ता था एवं भारतीय सेना का ब्रिटेन के हित में विदेशों में प्रयोग किया जाता था। 1918 में भारतीयों को सेना में कमीशन मिला, 1932 में देहरादून में मिलिट्री एकेडमी स्थापित की गयी। 1932 में रायल फोर्स एवं 1934 में रायल नेवी (नौ सेना) की स्थापना की गयी।
    न्यायिक प्रशासन - 1774 में सर्वोच्च न्यायालय की एवम् 1861 में कलकत्ता, बाॅम्बे तथा मद्रास में उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी। दिवानी प्रक्रिया संहिता, भारतीय दण्ड संहिता, दण्ड प्रक्रिया संहिता क्रमशः 1859ए 1864ए 1861 में बनी। 1883 में यूरोपियनों के विरोध के कारण इल्बर्ट बिल वापस लेना पड़ा। 1937 में फेडरल कोर्ट की स्थापना की गयी।
    स्थानीय प्रशासन - क्राउन द्वारा शासन लिये जाने से पूर्व तक स्थानीय शासन की कोई स्थायी व्यवस्था न थी यद्यपि कम्पनी-शासन के दौरान पूर्व प्रचलित व्यवस्था समाप्त कर दी गयी थी। 1869 एवं 1870 में स्थानीय शासन के कानून बने। लार्ड रिपन ने 1882 में क्रान्तिकारी सुधार किया। कई नगरपालिकाओं में 1882 के ऐक्ट के बाद गैर सरकारी निर्वाचित चेयरमैन बने। विकेन्द्रीकरण आयोग की रिपोर्ट पर 1909 में सरकारी नियंत्रण घटा, 1919 के एक्ट में इसे हस्तांतरित विषय बनाया गया। 1921.40 के बीच में पूरे देश में ग्राम पंचायत स्थापित की गयी। प्रान्तों में 1937 में लोकप्रिय सरकार बनने के बाद इन्हें काफी शक्ति मिली।
    राजस्व एवं पुलिस प्रशासन - वारेन हेस्टिंग्स द्वारा की गयी राजस्व व्यवस्था (प्रान्त, डिवीजन, जिला आदि में विभाजन) पूरे ब्रिटिश शासन तक कतिपय परिवर्तनों के साथ लागू रही। 1861 में पुलिस एक्ट बना, 1902 में पुलिस आयोग बना जिसने प्रान्तों में सी. आई. डी. एवम् केन्द्र में सेण्ड्रल इन्टेलीजेन्स ब्यूरो की स्थापना की सिफारिश की।

 

     महत्वपूर्ण तथ्य

  •   बंग-भंग आन्दोलन के दौरान कांगे्रस अध्यक्ष कौन था ? गोपाल ष्ण गोखले
  •  मिलिन्दपन्हो राजा मिलिन्द और किस बौद्ध भिक्षु के मध्य संवाद के रूप में है ? नागसेन 
  • अमेरिका की खोज का उल्लेख किस मध्यकालीन भारतीय लेखक ने किया? अबुल फजल
  •  किस राजादेश में अशोक के व्यक्तिगत नाम का उल्लेख मिलता है ? 
     मास्की
  • महायान बौद्ध में बोधिसत्व अवलोकितेश्वर को और किस अन्य नाम से जानते हैं ? पद्मपाणि
  •  लोक हित मुकदमे की संकल्पना कहां प्रारम्भ हुई थी ?
         सं. रा. अमेरिका में
  •  ठगों के दमन से कौन सम्बद्ध था ?
    कैप्टन स्लीमैन
  •   शशगनी सिक्का किसके राज्यकाल में प्रचलित हुआ था ? 

     फीरोजशाह तुगलक

  • 1605 में कुल मुगल सूबे कितने थे ? 15
  •  एक विशाल मुगल स्मारक के किस भाग में प्रायः चाप-स्कंध प्राप्त होता है ? प्रवेश द्वार
  •   दिल्ली सल्तनत में सीधे राजकीय सेवा में रहने वाली सेना क्या कहलाती थी ?
      हश्म कल्ब
  •    चालुक्य राजधानी को मान्यखेट से कल्याणी कौन ले गया ? सोमेश्वर प् आहवमल्ल
  •   उल्गुलम के रूप में ज्ञात ब्रिटिश के प्रति जनजातीय विद्रोह किसने संगठित किया था?
     बिरसा मुंडा
  •  अरुंडेल कमेटी ;1906द्ध के प्रतिवेदन में किस विषय की चर्चा थी ? 

सार्वजनिक कार्य 

    रेलवे  - 1853 में रेलवे की स्थापना हुई एवम् 1905 में रेलवे बोर्ड बनाया गया।
    वन - वनों की सुरक्षा एवम् प्रबन्ध के लिए 1875 में ऐक्ट पास हुआ एवम् देहरादून में वन प्रशिक्षण स्कूल स्थापित हुआ जो कालान्तर में फारेस्ट रिसर्च इन्स्टीट्यूट बना।
    सिंचाई - 1866 में लोकनिधि से बड़े सिंचाई प्रोजेक्टों की सहायता देने की नीति

 

बनी। 1901 में सिंचाई आयोग बना तथा 1931 में केन्द्रीय सिंचाई ब्यूरो स्थापित किया गया। सतलज वैली प्रोजेक्ट एवं शारदा नहर जैसी योजनाएं बनी। ब्रिटिश शासन समाप्ति के समय 13ः क्षेत्र सिंचित था।
    सामाजिक कल्याण - चिकित्सा शिक्षा आदि की व्यवस्था शुरू की गयी। 1881 में प्रथम एवं 1891 में द्वितीय फैक्टरी ऐक्ट बना। 1908 में फैक्टरी आयोग बना एवं 1904 में कोआपरेटिव सोसाइटी की शुरुआत की गयी।
    कृषि - ग्रामीण कर्ज के लिए 1857 में आयोग बना, 1879 में रिलीफ ऐक्ट पास हुआ, 1918 में यूजीरियस लोन्स एक्ट बना (कर्ज की अधिकतम दर निश्चित की गयी), 1937 में कर्जदाताओं के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गयी। 1901 में कृषि महानिरीक्षक की नियुक्ति की गयी, 1903 में इम्पीरियल कौंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च की स्थापना की गयी। 1919 के बाद कृषि प्रान्ता का विषय बना। 1876.78 के भीषण सूखे के बाद प्रथम सूखा आयोग स्थापित हुआ।
    उद्योग - अंग्रेजों द्वारा भारत में सर्वप्रथम नील उद्योग शुरू किया गया एवं 1853 में काटन टेक्सटाइल मिल तथा 1855 में जूट मिल स्थापित की गयी। 1907 में टाटा आयरन एवं स्टील कम्पनी (जमशेदपुर) की स्थापना के साथ 1911 में लौह-इस्पात उद्योग का विकास प्रारम्भ हुआ।
    स्त्री विकास एवं समाज सेवा - सामाजिक एवं धार्मिक सुधार ने तथा राष्ट्रीय आन्दोलनों ने स्त्रियों
एवं समाज के पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए कार्य आरम्भ किया जिसमें अंग्रेजों ने भी सहयोग किया। गोपाल कृष्ण गोखले ने  पूना में दक्कन एजुकेशन सोसाइटी एवं सर्वेंण्टस आफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना किया, एन. एम. जोशी ने 1920 में ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना किया। दलित वर्ग के विकास के लिए दलित वर्ग (डिप्रेस्ट क्लास) मिशन सोसाइटी 1906 में शुरू हुई। महात्मा गाँधी ने साबरमती में हरिजन आश्रम स्थापित किया। गाँधी एवं अम्बेडकर आजीवन दलित वर्ग के लिए संघर्ष करते रहे। संविधान हरिजनों एवं पिछड़े वर्गों के लिए विशेष उपलब्ध (आरक्षण आदि) इन्हीं संघर्षों का परिणाम है।
    आल इंडिया मुस्लिम लेडीज कांग्रेस की बैठक 1914 में शुरू हुई जिसने पर्दा-प्रथा, बहु-विवाह का विरोध एवं स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया, बहुत सी महिलाओं ने राष्ट्रीय आन्दोलन एवं स्वतंत्रता संघर्ष में भाग लिया, 1923 में वीमेन्स इण्डिया सोसाइटी बनी, 1926 से आल इंडिया वीमेन्स कान्फ्रेंस की बैठक शुरू हुई जिसमें स्त्रियों
के वैध मांगों को रखा गया। शारदा ऐक्ट, 1930 की तरह बहुत से सुधार कानून पास किये गये।

 

                                                                  1857 का विद्रोह
भारतीय नायक                          समय                          केन्द्र                               ब्रिटिश नायक                                           समय
(विद्रोह के)                              (विद्रोह का)                                                         (विद्रोह दबाने वाले)                             (विद्रोह दबाने का)
बहादुरशाह जफर एवं जफर 
बख्त खां (सैन्य नेतृत्व)             11,12 मई, 1857            दिल्ली                            निकलसन, हडसन                              21 सितम्बर, 1857 
नाना साहब एवं तात्या टोपे           5 जून, 1857                कानपुर                                  कैंपबेल                                       6 सितम्बर, 1857 
बेगम हजरत महल    4 जून,         1857                         लखनऊ                                  कैंपबेल                                       मार्च, 1858
रानी लक्ष्मीबाई एवं तात्या टोपे      जून, 1857                झांसी, ग्वालियर                          ह्यूरोज                                      3 अप्रैल, 1858
लियाकत अली                           1857                        इलाहाबाद, बनारस                      कर्नल नील                                    1858
कुँअर सिंह                               अगस्त, 1857                जगदीशपुर (बिहार)                   विलियम टेलर, मेजर                       1858
                                                                                                                              विंसेट आयर    
खान बहादुर खां                        1857                             बरेली                                                                                         1858
मौलवी अहमद उल्ला                 1857    फैजाबाद            1858
अजीमुल्ला                               1857    फतेहपुर              जनरल रेनर्ड                                                                               1858

 

प्रमुख घटनायें तथा नारे आदि 
    बाल गंगाधर तिलक (1825.1920 लोकमान्य) -  मराठा, गीता रहस्य, केसरी; ‘स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।’
    दादा भाई नौरोजी (1825.1917)/ग्रैंड ओल्ड मैन आफ इंडिया -  ‘आओ हम पुरुषों की तरह बोलें और घोषणा कर दें कि हम पूरे राजभक्त है।’
    सर सैयद अहमद खान (1817.1899) -  अलीगढ़ कालेज व अलीगढ़ आन्दोलन के संस्थापक, मुस्लिम प्रगतिशीलता के समर्थक।
    रवीन्द्र नाथ टैगोर (1861.1941 गुरुदेव) -  शांति निकेतन व विश्वभारती के संस्थापक, राष्ट्रगान के लेखक।
    मदन मोहन मालवीय (1861.1946, महामना) -   अभ्युदय के लेखक व बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक। 
    लाला लाजपत राय (1865.1928, पंजाब केसरी)
    चितरंजन दास (1870.1925 देश बन्धु
    सरोजिनी नायडू (1879.1948, नाइटिंगल आफ इण्डिया)
    मु. इकबाल - सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
    मोहनदास करम चन्द गाँधी (1869.1948, राष्ट्रपिता, बापू, महात्मा गाँधी, नंगा फकीर) -  चम्पारन सत्याग्रह, असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, डाण्डी मार्च, भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय गोलमेज सम्मेलन, ‘हे राम’, ‘भारत छोड़ो’, ‘करो या मरो।’ ‘टोथ एन्ड नान वायलेंस आर माई गाड (सत्य एवं अहिंसा मेरे ईश्वर है)’, ‘ऐंगुडेंथिंग इज लाइकेंए  फ्रैगरैन्स’, ‘पाप से डरो पापी से नहीं’।
    जवाहर लाल नेहरु (1889.1964, चाचा) - ‘पूर्ण स्वराज’, ‘आराम हराम है’, ‘हेव मेड ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’, ‘हू लिब्स इफ इण्डिया डाइज।’
    भगत सिंह (1907.1931, शहीदे आजम) - ‘इन्कलाब जिन्दाबाद।’
    सुभाष चन्द्र बोस (1892.1945, नेताजी) - ‘दिल्ली चलो’, ‘तुम मुझे खून दो में तुम्हü आजादी दूंगा’, ‘जय हिन्द।’
    सरदार बल्लभ भाई पटेल (1870.1950, लौह पुरुष) - बारदोली सत्याग्रह।
    रामप्रसाद विस्मिल - काकोरी बम काण्ड 1925, ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।’
    सूर्यसेन - चटगांव आर्मरी रेड 1925।
    अली ब्रदर्स - खिलाफत आन्दोलन।
    जनित दास - 63 दिन की हड़ताल के बाद शहीद।

 

 

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FAQs on आधुनिक भारत के प्रमुख युद्ध - इतिहास,यु.पी.एस.सी - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. आधुनिक भारत के प्रमुख युद्ध क्या हैं?
उत्तर: आधुनिक भारत के प्रमुख युद्ध वे युद्ध हैं जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और आजादी की अर्जित करने के बाद यानि 1947 के बाद भारत ने अपने आधुनिक इतिहास में लड़े थे। इनमें कुछ प्रमुख युद्ध हैं जैसे कि 1947-48 का कश्मीर युद्ध, 1962 का सिन-भूमि युद्ध, 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1971 का बांगलादेश युद्ध और 1999 का करगिल युद्ध।
2. 1947-48 का कश्मीर युद्ध किस वजह से लड़ा गया था?
उत्तर: 1947-48 का कश्मीर युद्ध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय लड़ा गया था। यह युद्ध उन समय स्थिति के कारण लड़ा गया था जब कि कश्मीर राज्य ने अपनी आजादी कैसे चुनेगा इस बारे में तय नहीं किया था। इस वजह से भारत, पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इस मुद्दे को लेकर विवाद किया था और इसने 1947 में कश्मीर में हिंसा और युद्ध की उत्पत्ति कर दी।
3. 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध क्या था?
उत्तर: 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध पाकिस्तान के आक्रमणकारी हमले के कारण लड़ा गया था, जिसके दौरान पाकिस्तान ने अकॉन वर्ग, रावलपिंडी और लाहौर क्षेत्रों में भारतीय भूमि पर हमले किए थे। भारतीय सुरक्षा बलों ने इस हमले का जवाब दिया और इससे युद्ध शुरू हो गया। युद्ध के बाद एक समझौता हुआ और युद्ध की स्थिति पहले जैसी हो गई।
4. 1971 का बांगलादेश युद्ध क्यों लड़ा गया था?
उत्तर: 1971 का बांगलादेश युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध बांगलादेश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लड़ा गया था, जब पूर्व पाकिस्तान का अधिकांश अधिकारी न्यायाधीश जस्टिस आब्दुल रशीद और उनके सहयोगी न्यायाधीशों के खिलाफ एक नार्मल न्यायालय ने विरोध किया। यह युद्ध बांगलादेश को उसकी स्वतंत्रता प्राप्त करवाने के लिए लड़ा गया था।
5. 1999 का करगिल युद्ध क्या था?
उत्तर: 1999 का करगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध कश्मीर के करगिल सेक्टर में हुआ था, जहां पाकिस्तानी सीमा पर आतंकवादी तत्वों ने भारतीय सेना के साथ झड़प की। यह युद्ध भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा इस आतंकवादी हमले का जवाब देने के लिए लड़ा गया था। युद्ध के बाद भारतीय सेना ने आतंकवादी तत्वों को हराया और करगिल क्षेत्र को वापस ले लिया।
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