(i) ज्वालामुखी वह छिद्र है, जिससे लावा, राख, गैस व जलवाष्प का उद्गार होता है। ज्वालामुखी क्रिया के अन्तर्गत पृथ्वी के आंतरिक भाग में मैग्मा व गैस के उत्पन्न होने से लेकर भू-पटल के नीचे व ऊपर लावा के प्रकट होने तथा शीतल की जाती है। लावा का यह उद्गार केंद्रीय विस्फोटक के रूप में या दरारी उद्भेदन के रूप में हो सकता है। मैग्मा में सिलिका की मात्रा अधिक होने पर ज्वालामुखी में विस्फोटक उद्गार देखे जाते हैं, जबकि सिलिका की मात्रा कम रहने पर उद्गार प्रायः शांत रहता है।
(ii) ज्वालामुखी के विस्फोटक उद्गार से निर्मित होने वाली स्थलाकृतियों के बाह्य भागों में विभिन्न प्रकार के ज्वालामुखी शंकुओं का निर्माण होता है। क्रेटर व काल्डेरा जैसे धंसे हुए स्थलरूप ज्वालामुखी शंकुओं के ऊपर बनते हैं। सक्रियता के आधार पर ज्वालामुखियों का निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकरण किया जाता है -
प्लेट विवर्तनिकी के आधार पर प्लेट किनारों के परिवेश में ज्वालामुखी के क्षेत्रों का वितरण सर्वाधिक मान्य संकल्पना है। विश्व के 80 प्रतिशत ज्वालामुखी विनाशी प्लेट किनारों के सहारे, जबकि 15 प्रतिशत ज्वालामुखी रचनात्मक प्लेट किनारों के सहारे पाए जाते हैं। इन्हीं के आधार पर विश्व में ज्वालामुखी वितरण को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता
इसे मध्य महासागरीय कटक ज्वालामुखी मेखला के नाम से भी जाना जाता है। यह मेखला रचनात्मक प्लेट किनारों के सहारे मिलती है। जहां दो प्लेटों के अपसरण के कारण दरार का निर्माण होता है और इस दरार से बेसाल्ट मैग्मा ऊपर उठते हैं। इनके शीतलन से नवीन क्रस्ट का निर्माण होता है। इस तरह की ज्वालामुखी क्रिया सबसे अधिक मध्य अटलांटिक कटक के सहारे होती है। कटक के पास नवीन लावा, जबकि कटक से बढ़ती दूरी के साथ लावा प्राचीन होता जाता है। आइसलैण्ड इस मेखला का सबसे सक्रिय क्षेत्र है, जहां हेकला एवं लाकी का उद्गार प्रमुख है। इसके अलावा एंटलिज, एजोर्स एवं सेन्ट हेलेना भी इसके महत्वपूर्ण ज्वालामुखी हैं।
ज्वालामुखी उद्गार के समय बड़ी मात्रा में तप्त लावा, ठोस शैलखण्ड, विषैली गैसें आदि भूमि पर तथा वायुमण्डल में फैल जाते है और मानवकृत संरचनाओं (भवन, सड़क, रेलमार्ग, पुल, औद्योगिक इकाइयां आदि), जीव-जंतुओं तथा प्राकृतिक पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचाते हैं। इससे जन-धन की अपार क्षति होती है।
हाल के वर्षों में हुई ज्वालामुखी घटनाएं
- इंडोनेशिया का सर्वाधिक सक्रिय ज्वालामुखी माउंट मेरापी है, जो कि मध्य जावा में स्थित है। वर्ष 2010 में इस ज्वालामुखी के सक्रिय हो जाने से लगभग 350 से अधिक लागों की मृत्यु हो गई थी।
- जापान के नागोया शहर में ज्वालामुखी के अचानक फटने से 31 लोगों की मृत्यु हो गई तथा सैकड़ों लागे घायल हो गए।
- सितम्बर, 2014 में आइसलैण्ड में भीषण ज्वालामुखी विस्फोट से 1.5 किमी तक 165 फीट ऊँची लावा दीवार बन गई तथा आस-पास का जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया।
- इंडोनेशिया में 5 अगस्त, 2015 में 3 ज्वालामुखियों में एकसाथ विस्फोट हुआ, जिसने माउंट सिनाबोंग में विस्फोट के कारण कुछ लोगों की मृत्यु हो गई तथा हजारों लोगों को विस्थापित किया गया।
- 5 मार्च, 2017 को एटना ज्वालामुखी (इटली) में विस्फोट हुआ, जिससे निकट क्षेत्रों के लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना पड़ा।
ज्वालामुखी उद्गार को न तो रोका जा सकता है और न ही सम्पत्तियों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। परन्तु यदि समय रहते उद्गार का पूर्वानुमान कर लिया जाए एवं सम्भावित आपदा-स्थल से लोगों को हटाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया जाए, तो मानव जीवन को बचाया जा सकता है। ज्वालामुखी आपदा से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं -
1. ज्वालामुखी उद्गार से पहले
2. जब ज्वालामुखी उदगार का खतरा हो
3. ज्वालामुखी उदगार के दौरान
4. ज्वालामुखी उदगार के बाद
34 videos|73 docs
|
34 videos|73 docs
|
|
Explore Courses for UPSC exam
|