भू-विज्ञान, भू-आकृतिक, ढाल, भूमि उपयोग, वनस्पति आवरण तथा मानवीय क्रियाकलापों के आधार पर भारत को निम्नलिखित भू-स्खलन क्षेत्रों में बांटा गया है -
1. भू-स्खलनों के प्रभाव
भू-स्खलनों का प्रभाव क्षेत्र अपेक्षाकृत छोटा एवं स्थानीय होता है, परन्तु अपनी तीव्रता एवं बारंबारता के कारण ये विध्वंशकारी सिद्ध होते हैं। उदाहरण के लिए जून, 2013 में उत्तराखण्ड में भारी वर्षा, बादल फटने, ग्लेशियर एवं अन्य हिम क्षेत्रों के पिघलने से बर्फ से भारी मात्रा में जल निकासी के कारण भू-स्खलन बड़ी घटना घटित हुई। इससे सैकड़ों लोगों की मृत्य हो गई और हजारों लोग फंस गए एवं जन-धन की अपार क्षति हुई। भू-स्खलन की वजह से पर्वतीय ढलानों पर निर्मित भवन एवं अन्य निर्माण कार्य (सड़क, पुल आदि) पूरी तरह से ध्वस्त हो जाते हैं, जिससे क्षेत्र विशेष में विकास कार्य बाधित होता है।
2. भू-स्खलन का निवारण
भू-स्खलन के प्रभाव को कम करने हेतु निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं -
ऊँचे पर्वतीय भागों में अत्यधिक तीव्र ढाल के कारण बर्फ अथवा हिम का तीव्र गति से गिरना, हिमस्खलन कहलाता है। हिमस्खलन कोई विरल और यादृच्छिक घटना नहीं है, बल्कि उन पर्वत श्रृंखलाओं के लिए एक सामान्य घटना है, जहां ऊँचे-ऊँचे पहाड़ पर हिम अवस्थित है। समान्यतया हिमस्खलन सर्दियों तथा वसन्त ऋतु में होता है, परन्तु हिमनद के गतिशील होने के कारण यह वर्ष में कभी भी हो सकता है।
पर्वतीय भागों में हिस्खलन एक प्राकृतिक प्रकोप बनकर उभर रहा है। बर्फ के विशाल समूह के तीव्र गति से फिसलने से पहाड़ी ढलान से नीचे मानवीय अधिवास प्रभावित होते हैं अथवा दब जाते हैं, जिसके कारण जान-माल का भारी नुकसान होता है। उदाहरण के लिए वर्ष 2005 में कश्मीर में हुए हिमस्खलन में रहने वाले 278 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी। हिमस्खलन से सड़क पर अत्यधिक मात्रा में बर्फ के जमाव हो जाने से सड़क यातायात मुख्यरूप से प्रभावित होते हैं, जिससे हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्र का अन्य क्षेत्रों से सम्पर्क टूट जाता है एवं राहत कार्यों में कठिनाइयां आती हैं। हिमस्खलन क्षेत्र को मुख्यरूप से 3 भागों में बांटा गया है -
हिमालय का ऊपरी क्षेत्र अत्यधिक हिमस्खलन प्रवण है। इसमें पश्चिमी हिमलाय का बर्फीला भाग विशेषकर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखण्ड के उच्च क्षेत्र सम्मिलित किए जाते हैं।
सुरक्षात्मक उपाय
34 videos|73 docs
|
34 videos|73 docs
|
|
Explore Courses for UPSC exam
|