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History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): December 2022 UPSC Current Affairs | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

श्री अरबिंदो: भारतीय राष्ट्रवाद के पैगंबर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने आज़ादीी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में पुडुचेरी में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया।

  • प्रधानमंत्री ने श्री अरबिंदो के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया।

श्री अरबिंदो

  • परिचय:
    • अरबिंदो घोष का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता में हुआ था। वह एक योगी, द्रष्टा, दार्शनिक, कवि और भारतीय राष्ट्रवादी थे जिन्होंने आध्यात्मिक विकास के माध्यम से संसार को ईश्वरीय अभिव्यक्ति के रूप में स्वीकार किया अर्थात् नव्य वेदांत दर्शन को प्रतिपादित किया।
    • 5 दिसंबर, 1950 को पुद्दुुचेरी में उनका निधन हो गया।
    • ब्रिटिश शासन से छुटकारा पाने के लिये अरबिंदो की व्यावहारिक रणनीतियों ने उन्हें "भारतीय राष्ट्रवाद के पैगंबर" के रूप में चिह्नित किया।
  • शिक्षा:
    • उनकी शिक्षा दार्जिलिंग के एक क्रिश्चियन कॉन्वेंट स्कूल में शुरू हुई।
    • उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, जहाँ वे दो शास्त्रीय और कई आधुनिक यूरोपीय भाषाओं में कुशल हो गए।
    • वर्ष 1892 में उन्होंने बड़ौदा (वडोदरा) और कलकत्ता (कोलकाता) में विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य किया।
    • उन्होंने शास्त्रीय संस्कृत सहित योग और भारतीय भाषाओं का अध्ययन शुरू किया।
  • भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन:
    • वर्ष 1902 से 1910 तक उन्होंने भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने के संघर्ष में भाग लिया।
    • वर्ष 1905 में बंगाल के विभाजन ने अरबिंदो को बड़ौदा में अपनी नौकरी छोड़ने और राष्ट्रवादी आंदोलन में उतरने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने देश भक्ति पत्रिका ‘वन्दे मातरम’ की शुरुआत की, जो कि याचना के बजाय कट्टरपंथी तरीकों और क्रांतिकारी रणनीति का प्रचार करती थी।
    • अंग्रेजों ने उन्हें तीन बार ने गिरफ्तार किया था, दो बार देशद्रोह के आरोप में और एक बार "युद्ध छेड़ने" की साजिश रचने के आरोप में।
    • उन्हें वर्ष 1908 (अलीपुर बम कांड) में गिरफ्तार किया गया था।
    • दो वर्ष के बाद वे ब्रिटिश भारत से भाग गए और पांडिचेरी (फ्रांँसीसी उपनिवेश) में शरण ली तथा राजनीतिक गतिविधियों का त्याग कर दिया और आध्यात्मिक गतिविधियों को अपना लिया ।
    • उन्होंने पुद्दुचेरी में मीरा अल्फासा से मुलाकात की और उनके आध्यात्मिक सहयोग से “योग समन्वय" हुआ।
    • योग समन्वय का उद्देश्य जीवन से पलायन या सांसारिक अस्तित्व से बचना नहीं है, बल्कि इसके बीच रहते हुए भी हमारे जीवन में आमूलचूल परिवर्तन करना है।
  • द्वितीय विश्व युद्ध पर अरबिंदो के विचार:
    • कई भारतीयों ने द्वितीय विश्व युद्ध को औपनिवेशिक कब्जे से छुटकारा पाने हेतु एक उपयुक्त समय के रूप में देखा तथा अरबिंदो ने अपने हमवतन लोगों से मित्र राष्ट्रों का समर्थन करने और हिटलर की हार सुनिश्चित करने के लिये कहा।
  • आध्यात्मिक यात्रा:
    • पुद्दुुचेरी में उन्होंने आध्यात्मिक साधकों के एक समुदाय की स्थापना की, जिसने वर्ष 1926 में श्री अरबिंदो आश्रम के रूप में आकार लिया।
    • उनका मानना था कि पदार्थ, जीवन और मन के मूल सिद्धांतों को स्थलीय विकास के माध्यम से सुपरमाइंड के सिद्धांत द्वारा अनंत और परिमित दो क्षेत्रों के बीच एक मध्यवर्ती शक्ति के रूप में सफल किया जाएगा।
  • साहित्यिक रचनाएँ:
    • बंदे मातरम नामक एक अंग्रेज़ी अखबार (वर्ष 1905 में)।
    • योग के आधार
    • भगवतगीता और उसका संदेश
    • मनुष्य का भविष्य विकास
    • पुनर्जन्म और कर्म
    • सावित्री: एक किंवदंती और एक प्रतीक
    • आवर ऑफ गॉड
  • मृत्यु:
    • 5 दिसंबर, 1950 को पुद्दुचेरी में उनका निधन हो गया।

66वाँ महापरिनिर्वाण दिवस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की और देश के लिये उनकी अनुकरणीय सेवा को याद किया।

परिनिर्वाण दिवस क्या है?

  • परिनिर्वाण जिसे बौद्ध धर्म के लक्ष्यों के साथ-साथ एक प्रमुख सिद्धांत भी माना जाता है, यह एक संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है मृत्यु के बाद मुक्ति अथवा मोक्ष है।
    • बौद्ध ग्रंथ महापरिनिब्बाण सुत्त (Mahaparinibbana Sutta) के अनुसार, 80 वर्ष की आयु में हुई भगवान बुद्ध की मृत्यु को मूल महापरिनिर्वाण माना जाता है।
  • यह 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिये गए सामाजिक योगदान और उनकी उपलब्धियों को याद करने के लिये मनाया जाता है। बौद्ध नेता के रूप में डॉ. अंबेडकर की सामाजिक स्थिति के कारण उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में जाना जाता है।

डॉ. भीमराव अंबेडकर

  • परिचय:
    • बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म वर्ष 1891 में महू, मध्य प्रांत (अब मध्य प्रदेश) में हुआ था।
    • उन्हें ‘भारतीय संविधान का जनक’ माना जाता है और वह भारत के पहले कानून मंत्री थे।
    • वह संविधान निर्माण की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।
    • डॉ. अंबेडकर एक समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, लेखक, बहुभाषाविद, मुखर वक्ता, विद्वान और धर्मों के विचारक थे।
    • उन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलनों (Round Table Conferences) में भाग लिया।
    • वर्ष 1932 में डॉ. अंबेडकर ने महात्मा गांधी के साथ पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किये, जिससे उन्होंने दलित वर्गों (सांप्रदायिक पंचाट) हेतु पृथक निर्वाचन मंडल की मांग के विचार को छोड़ दिया।
    • हालाँकि प्रांतीय विधानमंडलों में दलित वर्गों के लिये सुरक्षित सीटों की संख्या 71 से बढ़ाकर 147 कर दी गई तथा केंद्रीय विधानमंडल (Central Legislature) में दलित वर्गों की सुरक्षित सीटों की संख्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि की गई।
    • हिल्टन यंग कमीशन (Hilton Young Commission) के समक्ष प्रस्तुत उनके विचारों ने भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) की नींव रखने का कार्य किया।
    • उन्होंने वर्ष 1951 में हिंदू कोड बिल पर मतभेदों के कारण कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
    • उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया। चैत्य भूमि मुंबई में स्थित भीमराव अंबेडकर का स्मारक है।
    • वर्ष 1936 में वे विधायक (MLA) के रूप में बॉम्बे विधानसभा (Bombay Legislative Assembly) के लिये चुने गए।
    • वर्ष 1942 में उन्हें एक कार्यकारी सदस्य के रूप में वायसराय की कार्यकारी परिषद में नियुक्त किया गया था।
    • वर्ष 1947 में डॉ. अंबेडकर ने स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनने हेतु प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निमंत्रण को स्वीकार किया।
    • हिंदू कोड बिल (Hindu Code Bill) पर मतभेद को लेकर उन्होने वर्ष 1951 में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
    • उन्होंने बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया तथा 6 दिसंबर, 1956 (महापरिनिर्वाण दिवस) को उनका निधन हो गया।

महत्त्वपूर्ण कार्य

  • पत्रिकाएँ:
    • मूकनायक (1920)
    • बहिष्कृत भारत (1927)
    • समता (1929)
    • जनता (1930)
  • पुस्तकें:
    • जाति प्रथा का विनाश
    • बुद्ध या कार्ल मार्क्स
    • अछूत: वे कौन थे और अछूत कैसे बन गए
    • बुद्ध और उनका धम्म
    • हिंदू महिलाओं का उदय और पतन
  • संगठन:
    • बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1923)
    • स्वतंत्र लेबर पार्टी (1936)
    • अनुसूचित जाति फेडरेशन (1942)
  • मृत्यु:
    • 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हुआ।
    • मुंबई में स्थित चैत्य भूमि बी. आर. अंबेडकर का स्मारक है।
  • वर्तमान समय में अंबेडकर की प्रासंगिकता:
    • भारत में जाति आधारित असमानता अभी भी कायम है, जबकि दलितों ने आरक्षण के माध्यम से एक राजनीतिक पहचान हासिल कर ली है और अपने स्वयं के राजनीतिक दलों का गठन किया है, किंतु सामाजिक आयामों (स्वास्थ्य और शिक्षा) तथा आर्थिक आयामों का अभी भी अभाव है।
    • सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और राजनीति के सांप्रदायिकरण का उदय हुआ है। यह आवश्यक है कि संवैधानिक नैतिकता की अंबेडकर की दृष्टि को भारतीय संविधान में स्थायी क्षति से बचाने के लिये धार्मिक नैतिकता का समर्थन किया जाना चाहिये।

स्वर धरोहर महोत्सव

हाल ही में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने "स्वर धरोहर फाउंडेशन" के सहयोग से कलांजलि के तहत तीन दिवसीय "स्वर धरोहर महोत्सव" का उद्घाटन किया।

  • कलांजलि के तहत सेंट्रल विस्टा में प्रति सप्ताह सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

स्वर धरोहर महोत्सव

  • यह भारत की प्रतिष्ठित कला एवं संस्कृति और भारतीय राज्यों की समृद्ध साहित्यिक कला तथा विरासत को प्रदर्शित करने हेतु संगीत, कला और साहित्य महोत्सव है।
  • इस कार्यक्रम में आने वाले स्थानीय कलाकार बड़े एवं प्रसिद्ध कलाकारों के साथ एक ही मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।
  • इसमें कवि सम्मेलन के माध्यम से राष्ट्रीय और स्थानीय कवि अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद

 

चर्चा में क्यों?

भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिसंबर, 2022 को राष्ट्रपति भवन में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉराजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।

History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): December 2022 UPSC Current Affairs | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindiडॉराजेंद्र प्रसाद

  • जन्म:
    • इनका जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सिवान ज़िले के जीरादेई में हुआ था। इनके पिता महादेव सहाय थे।
  • शिक्षा:
    • उन्होंने वर्ष 1902 में प्रसिद्ध कलकत्ता प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया।
    • वर्ष 1915 में प्रसाद ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के विधि विभाग से मास्टर इन लॉ की परीक्षा उत्तीर्ण की और स्वर्ण पदक जीता।
    • वर्ष 1916 में उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में अपना कानूनी कॅरियर शुरू किया। उन्होंने वर्ष 1937 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की।

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

  • गांधीजी के साथ संबंध:
    • जब गांधीजी स्थानीय किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिये बिहार के चंपारण ज़िले में एक तथ्यान्वेषी मिशन पर थे, तब उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्वयंसेवकों के साथ चंपारण आने का आह्वान किया।
    • गांधीजी के प्रभाव ने उनके कई विचारों को परिवर्तित किया, सबसे महत्त्वपूर्ण जाति और अस्पृश्यता संबंधी विचार था।
    • चंपारण सत्याग्रह के दौरान वे महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए इसके उपरांत उनका संपूर्ण जीवनदर्शन ही बदल गया।
    • वर्ष 1918 के रॉलेट एक्ट और वर्ष 1919 के जलियांँवाला बाग हत्याकांड ने राजेंद्र प्रसाद को गांधीजी के और करीब ला दिया।
  • असहयोग का आह्वान:
    • डॉ. प्रसाद ने गांधीजी के असहयोग आंदोलन के तहत बिहार में असहयोग का आह्वान किया।
  • नेशनल कॉलेज:
    • उन्होंने अपनी कानूनी प्रैक्टिस छोड़ दी और वर्ष 1921 में पटना में एक नेशनल कॉलेज शुरु किया।
  • नमक सत्याग्रह:
    • मार्च 1930 में, गांधीजी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया। डॉ. प्रसाद के नेतृत्त्व में बिहार के नखास तालाब में नमक सत्याग्रह चलाया गया।
    • नमक बनाते समय स्वयंसेवकों के अनेक दलों की गिरफ्तारी हुई। तब उन्होंने और स्वयंसेवकों को बुलाया।
    • जनमत ने सरकार को पुलिस को वापस लेने और स्वयंसेवकों को नमक बनाने की अनुमति देने के लिये मज़बूर किया।
    • इसके बाद उन्होंने फंड जुटाने के लिये तैयार किये गए नमक बेच दिया था। उन्हें छह महीने के कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।
  • डॉप्रसाद और भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस:
    • वह आधिकारिक तौर पर वर्ष 1911 में कलकत्ता में आयोजित अपने वार्षिक सत्र के दौरान भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस में शामिल हो गए।
    • उन्होंने अक्टूबर 1934 में भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन की अध्यक्षता की।
    • अप्रैल 1939 में सुभाष चंद्र बोस द्वारा काॅन्ग्रेस के अध्यक्ष पद से के इस्तीफे के बाद वे दूसरी बार अध्यक्ष चुने गए।
    • वर्ष 1946 में, वे पंडित जवाहरलाल नेहरु की अंतरिम सरकार में खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में शामिल हुए और अधिक अन्न उगाओ का नारा दिया।
  • डॉप्रसाद और संविधान सभा
    • जुलाई 1946 में, जब भारत के संविधान को बनाने के लिये संविधान सभा की स्थापना की गई, तो उन्हें इसका अध्यक्ष चुना गया।
  • डॉ. प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा की समितियों में शामिल हैं:
    • राष्ट्रीय ध्वज पर तदर्थ समिति
    • प्रक्रियाे नियम समिति
    • वित्त और कर्मचारी समिति
    • संचालन समिति
    • आजादी के ढाई साल बाद 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र भारत के संविधान की पुष्टि हुई और उन्हें भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया।
  • पुरस्कार और कृतित्त्व:
    • 1962 में, राष्ट्रपति के रूप में 12 वर्ष के बाद, डॉ. प्रसाद सेवानिवृत्त हुए, और बाद में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
  • डॉ प्रसाद ने अपने जीवन और स्वतंत्रता से पहले के दशकों को कई पुस्तकों में दर्ज किया, जिनमें शामिल हैं:
    • चंपारण में सत्याग्रह
    • इंडिया डिवाइडेड
    • उनकी आत्मकथा "आत्मकथा"
    • महात्मा गांधी और बिहार, कुछ यादें
    • बापू के कदमों में
  • मृत्यु:
    • डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सेवानिवृत्ति में अपने जीवन के अंतिम कुछ महीने पटना के सदाकत आश्रम में बिताए।
    • 28 फरवरी, 1963 को उनका निधन हो गया

जे. सी. बोस: एक सत्याग्रही वैज्ञानिक

हाल ही में संस्कृति मंत्रालय ने जे. सी. बोस: एक सत्याग्रही वैज्ञानिक के योगदान पर उनकी 164 वीं जयंती पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है।

History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): December 2022 UPSC Current Affairs | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindiजगदीश चंद्र बोस

  • परिचय:
    • इनका जन्म 30 नवंबर, 1858 को बंगाल में हुआ था। इनकी माता बामा सुंदरी बोस और पिता भगवान चंद्र थे।
    • वह एक प्लांट फिजियोलॉजिस्ट और भौतिक विज्ञानी थे, जिन्होंने पौधों की वृद्धि को मापने के लिये एक उपकरण क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया था। उन्होंने पहली बार यह प्रदर्शित किया कि पौधों में भावनाएँ होती हैं।
  • शिक्षा:
    • उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से बीएससी, जो वर्ष 1883 में लंदन विश्वविद्यालय से संबद्ध था और वर्ष 1884 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से बीए (प्राकृतिक विज्ञान ट्राइपोस) किया था।
  • वैज्ञानिक योगदान:
    • आचार्य जगदीश चंद्र बोस एक जीव-विज्ञानी, भौतिक विज्ञानी, वनस्पतिशास्त्री और साइंस फिक्शन के लेखक थे।
    • बोस ने वायरलेस संचार की खोज की और उन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग द्वारा रेडियो साइंस का पिता के रूप में नामित किया गया।
    • वह भारत में प्रयोगात्मक विज्ञान के विस्तार के लिये उत्तरदायी थे।
    • बोस को बंगाली साइंस फिक्शन का जनक माना जाता है। उनके सम्मान में चंद्रमा पर एक क्रेटर का नाम रखा गया है।
    • उन्होंने बोस इंस्टीट्यूट की स्थापना की, जो भारत का एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है और इसके सबसे पुराने में से एक है। वर्ष 1917 में स्थापित, संस्थान एशिया में पहला अंतःविषय अनुसंधान केंद्र था। उन्होंने बोस संस्थान की स्थापना से लेकर अपनी मृत्यु तक निदेशक के रूप में कार्य किया।
    • अपने शोध को सुविधाजनक बनाने के लिये, उन्होंने स्वचालित रिकॉर्डर का निर्माण किया जो अत्यंत मामूली गति को दर्ज करने में सक्षम थे, इन उपकरणों ने कुछ आश्चर्यजनक परिणाम उत्पन्न किये, जैसे कि घायल पौधों का कांँपना, जिसे बोस ने पौधों में महसूस करने की शक्ति के रूप में व्याख्यायित किया।
  • पुस्तक:
    • उनकी पुस्तकों में रिस्पांस इन द लिविंग एंड नॉन-लिविंग (1902) और द नर्वस मैकेनिज़्म ऑफ प्लांट्स (1926) शामिल हैं।
  • मृत्यु:
    • उनका निधन 23 नवंबर 1937 को गिरिडीह, बिहार में हुआ।
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FAQs on History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): December 2022 UPSC Current Affairs - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. भारतीय राष्ट्रवाद क्या है?
उत्तर: भारतीय राष्ट्रवाद एक आंदोलन है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय विकसित हुआ था। यह आंदोलन भारत की स्वराज्य कार्यशैली के प्रतिनिधित्व करता है और देश की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले विभिन्न नेताओं को स्मृति में रखता है।
2. श्री अरविंदो घोष कौन थे?
उत्तर: श्री अरविंदो घोष भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, विचारक, और धर्मात्मा थे। वह भारतीय राष्ट्रवाद के पैगंबर माने जाते हैं और उनके विचारों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूती दी। उन्होंने आर्य समाज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और आश्रम प्रणाली की स्थापना की।
3. स्वर धरोहर महोत्सव क्या है?
उत्तर: स्वर धरोहर महोत्सव एक कार्यक्रम है जो भारतीय संगीत, नृत्य, कला और संस्कृति को प्रमोट करता है। इसका आयोजन वाराणसी में होता है और इसमें विद्यालयों, कला संस्थानों और कलाकारों द्वारा कई आयोजन शामिल होते हैं। यह महोत्सव भारतीय धरोहर को बचाने और संरक्षित करने का उद्देश्य रखता है।
4. डॉ. राजेंद्र प्रसाद कौन थे?
उत्तर: डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनके नेतृत्व में कांग्रेस की राष्ट्रीय ध्वज लाल किले पर फहराई गई। उन्हें "देशभक्त विद्वान" के रूप में जाना जाता है।
5. जे. सी. बोस कौन थे और उनका महत्व क्या है?
उत्तर: जे. सी. बोस भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और नेता थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की और भारत की स्वतंत्रता के लिए टमटमाहट की। उन्हें "नेताजी" के नाम से भी जाना जाता है और उनके प्रयासों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया उच्चारण दिया।
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