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उन्नत बीज - भारतीय भूगोल | भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

उन्नत बीज

  • चावल सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न राज्यों की अलग-अलग कृषि-परिस्थितिकी स्थितियों के लिए नई किस्में (जवाहर चावल 3 - 45, वी.एल. धान 61 और त्रिगुण) जारी की गईं। इनके अलावा विभिन्न राज्यों द्वारा जारी 17 प्रजातियों को अधिसूचित करने की मंजूरी दी गई।
  • तेलंगाना और रायलसीमा क्षेत्रों में सिंचित भूमि के लिए चावल की संकर किस्म डी.आर.आर.एच.1 जारी की गई। 
  • विभिन्न गेंहू उत्पादक क्षेत्रों के लिए गेहूं की 17 किस्में (वी.एल.-738ए पी.बी. डब्ल्यू 373, पी.डब्ल्यू.डी. 233 (डूरम), एच.पी. 1761, एच.पी. 1744, जे.डब्ल्यू.एस. 17,एच.डब्ल्यू. 2004, डी.एल. 788.2, एल.आई.ए.डब्ल्यू. 34, एच.एस. 365, एम.ए.सी.एस. 2846 (डूरम), एन.डब्ल्यू. 1012, एन.डब्ल्यू. 1014, के. 79465,  जी.डब्ल्यू. 273ए एच.डब्ल्यू. 1085 और डी.डी.के. 1009 (डिकोकम) जारी की गईं। इनमें से एच.डब्ल्यू 2004 और जे.डब्ल्यू.एस. 17 को वर्षा आधारित क्षेत्रा, विशेषकर मध्य भारत की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जारी किया गया।
  • जौ की तीन किस्में (माल्टी, ऋतंभरा और हरीतिमा) जारी की गईं। बेहतर माल्टिंग गुणवत्ता के नए स्रोतों का पता चला है।
  • मक्का में 17 नई संकर किस्में (पूसा अगेती संकर मक्का.1ए पूसा अगेती संकर मक्का.2ए एम.एम.एच. 133, हिम 129, एक्स 1123 जी (3342)ए पी.ए.सी. 101, पी.ए.सी. 705, एक्स 1382 (डब्ल्यू), (3054)ए एक्स 1403 ;3056द्धए बायो 9681, पी.आर.ओ. 311, एस.एस.एफ. 9374 वाई 1402 के. (3058)ए जे.के. 2492, पी.आर.ओ. 303, एम.एम.एच. 69 और के.एच. 9451) और 1 कम्पोजिट (कम्पोजिट शक्ति 1)  जारी की गईं।

 

   भारत में विभिन्न स्त्रोंतों के द्वारा सिंचित क्षेत्रा
 सिंचाई के स्त्रोंत                     1950-51                         1989-90 2000 तक
                                       क्षेत्रफल        प्रतिशत                 क्षेत्रफल             प्रतिशत
                                        (मिलियन                              (मिलियन
                                        हेक्टेयर)                                 हेक्टेयर)
 नहरें                                  8.3            40                      16.3               36            35
 कुएँ तथा ट्यूबवेल                6.0            29                      22.8              50            51
 तालाब                               3.6            17                       3.2                 7               9
 अन्य स्रोत                          3.0            14                       2 .9                6               5
 कुल                                20.9          100                     45.1              100          100

कृषि के प्रकार

  • स्थानांतरी कृषि (Shifting cultivation) : इस कृषि में किसान अपने परिवार की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खेती करता है। इस कृषि से क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था लगभग स्थायी होती है। इसका चक्र चार से आठ वर्ष तक का होता है।
  • स्थानबद्ध कृषि (Sedentary agriculture): इस कृषि में किसी एक स्थान पर स्थायी रूप में निवास करने वाला किसान और उसका परिवार मिल-जुलकर खेती करता है। ऐसी खेती में किसान फसलों में परिवर्तन करता है।
  • जीविका कृषि (Subsistence agriculture): ऐसी कृषि, जो संपूर्ण रूप से खेती करने वाले परिवार या उसी क्षेत्रा में खप जाती है, जीविका कृषि कहलाती है। इसके तहत धान, गेहूं, दाल, मक्का, ज्वार-बाजरा, सोयाबीन, गन्ना, कंदवाली फसल और शाक-भाजी पैदा की जाती है।
  • रोपण कृषि (Plantation agriculture) : यह एक विशेष प्रकार की व्यापक कृषि है, जिसमें बड़े-बड़े बागानों में मुख्यतः किसी एक नकदी फसल का उत्पादन, कारखाने की तरह बड़े पैमाने पर किया जाता है। रोपण कृषि की मुख्य फसल है - रबड़, ताड़, कहवा, चाय, नारियल, कपास, पटसन, हैम्प, अनानास, केला तथा गन्ना है
  • गहन कृषि (Intensive agriculture): इस प्रकार की खेती में अधिकाधिक उत्पादन प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रति इकाई भूमि पर पूंजी और श्रम अधिक मात्रा में लगाया जाता है। गहन कृषि में अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरक, अच्छे किस्म के बीज, कीटनाशक, सिंचाई, शस्यावर्तन तथा हरी खाद का भरपूर प्रयोग किया जाता है।
  • विस्तृत कृषि (Extensive agriculture): बड़े-बड़े खेतों या जोतों पर मुख्यतः यांत्रिक खेती को विस्तृत खेती कहते है । इसमें श्रमिकों का उपयोग कम, प्रति हेक्टेयर उपज अपेक्षाकृत कम, कुल उत्पादन अधिक और प्रतिव्यक्ति उत्पादन अपेक्षाकृत अधिक होता है।
  • मिश्रित कृषि (Mixed Agriculture):  इस प्रकार की कृषि में फसल उगाना और पशुपालन दोनों ही कार्य साथ-साथ होते है । इसमें कृषि भूमि का लगभग 20 प्रतिशत भाग चारे की उपज और लगभग 80 प्रतिशत भूमि फसलों के उत्पादन को दी जाती है।

 

फसलों का वर्गीकरण जीवन चक्र के आधार पर

  • एक वर्षी: जो अपना जीवन चक्र एक साल में पूरा कर लेते है। जैसे - गेहूँ, धान, मक्का, ज्वार, बाजरा इत्यादि।
  • द्विवर्षी: फसल जो अपना जीवन चक्र दो साल में पूरा कर लेती है। जैसे - चुकन्दर।
  • बहुवर्षी: फसल जो अपना जीवन चक्र दो साल से अधिक में पूरा करती है। जैसे - नेपियर घास, रिजका इत्यादि।

ऋतुओं के आधार पर

  • खरीफ: जून-जुलाई में बोई जाने वाली फसल जिसके लिए उच्च तापक्रम एवं आद्र्रता की आवश्यकता होती है। जैसे - धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंगफली, कपास, उड़द इत्यादि।
  • रबी: इन फसलों के अंकुरण व प्रारंभिक वृद्धि के लिए कम तथा पकने के लिए उच्च ताप की आवश्यकता होती है। ये अक्टूबर से नवंबर-दिसम्बर तक बोई जाती है। जैसे - गेहूँ, जौ, जई, चना, मटर, मसूर, लाही, सरसों, बरसीम, आलू आदि।
  • जायद: इसके लिए अधिक तापक्रम तथा अधिक प्रकाश काल की आवश्यकता होती है। इसकी बुआई फरवरी-मार्च में करते है। जैसे - खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, मूंग व लोबिया आदि।
  •  इसके अलावा गरम फसलें, जैसे - धान, मुंग आदि मार्च-अप्रैल में लगाई जाती है। 


आर्थिक महत्व के आधार पर

  • धान या अनाज की फसल : इन फसलों के दाने अनाज के रूप में खाने के काम आते है। जैसे - धान, गेहूं, मक्का, जौ, ज्वार, बाजरा आदि।
  • दलहनी फसल : इन फसलों के बीजों का प्रमुख रूप से प्रोटीन के स्त्रोंत के रूप में प्रयोग किया जाता है। जैसे - मुंग, उड़द, चना, मटर, मसूर, सोयाबीन आदि।
  • तिलहनी फसल : इस वर्ग में दलहनी व अदलहनी सभी फसलें आती है, जिनके बीजों से तेल प्राप्त किया जाता है। जैसे - सरसो, राई, तोरिया, ढुआ, सूरजमुखी, मूंगफली, अंडी, कुसुम, अलसी, सोयाबीन, तिल आदि।
  • रेशेदार फसल : इन फसलों से रेशे प्राप्त होते है, जिससे कपड़ा, बोरे, टाट व रस्सा आदि तैयार होता है। जैसे - कपास, जूट, पटसन, सनई इत्यादि।
  • चारे की फसल : इन फसलों से पशुओं के लिए चारा प्राप्त होता है। जैसे - बाजरा, कुल्थी, ज्वार, लोबिया, सोंठ, मक्का, बरसीम, जई, जौन, नेपियर घास, गिनीघास, सूडान, सेंजी आदि।
  • शर्करा की फसल : जिनसे शर्करा प्राप्त होता है। जैसे - चुकंदर, गन्ना आदि।
  • जड़ तथा कंदवाली फसल : इनके परिवर्तित जड़ों तथा तनों को खाने के लिए प्रयोग करते है। जैसे - आलू, शकरकंद, चुकंदर, गाजर, मूली आदि।
  • उद्दीपक फसल : चाय, तंबाकू, पोस्त व काॅफी इस वर्ग की फसलें है, जिससे उत्तेजना मिलती है।
  • मसाले की फसल: खुशबू व स्वाद के लिए इनका प्रयोग होता है। जैसे - जीरा, धनिया, अजवाइन, सौफ, पोदीना, हल्दी, अदरक, मेथी, प्याज, मिर्च, लहसुन, तेजपात आदि।
  • फल वाली फसल: खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, खीरा, सिंघाड़ा, मतीराव, कचरा आदि फल वाली फसलें है। 
  • औषधि वाली फसल: इनका उपयोग औषधि के रूप में होता है। जैसे - तुलसी, मेथी, पोदीना आदि। 
  • रोपस्थली फसल:  इस वर्ग में चाय व काॅफी प्रमुख फसल है ।
  • सब्जी वाली फसल:  जिनका प्रयोग सब्जी के रूप में होता है। जैसे - चुकन्दर, भिण्डी, सेम, गोभी, बैंगन, करेला, मूली, मटर, शलजम, सलाद, पालक, प्याज आदि।

वनस्पति परिवार के आधार पर

  • घास परिवार: धान, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, गन्ना आदि।
  • दलहन परिवार: मटर, चना, मूंग, मसूर, उरद, अरहर, सोयाबीन, सनई, ढैंचा, लोबिया।
  • सरसो परिवार: सरसो, राई, तोरी।
  • कपास परिवार: कपास, पटसन।
  • आलू परिवार: आलू, टमाटर।
  • जूट परिवार: जूट।
  • तीसी परिवार: तीसी।
  • सूरजमुखी: सूरजमुखी।
  • अण्डी परिवार: अण्डी।
  • चुकन्दर परिवार: चुकन्दर, बथुआ।
  • कद्दू परिवार: कद्दू, खीरा, ककड़ी, खरबूजा।

फसलों के विशेष उपयोग के आधार पर

  • नकदी फसल : इन्हें बेचकर किसान अन्य आवश्यकताओं के लिए धन कमाता है। जैसे - आलू, गन्ना, कपास, तम्बाकू, मिर्च आदि।
  • अन्तर्वर्ती फसल : दो फसलों के बीच के खाली समय में उगाई जाने वाली फसल। जैसे - मूंग, सांवा, जीरा आदि।
  • कीट आकर्षक फसल : मुख्य फसल को कीटों से बचाने के लिए उसके चारों तरफ ऐसी फसल लगाई जाती है । जैसे - कपास के खेत में चारों तरफ भिण्डी की फसल कपास को लाल कीट से बचाने के लिए लगाई जाती है।
  • आवरण फसल : इस वर्ग की फसल भूमि को आच्छादित कर अपरदन से बचाती है । जैसे - मूंग, उड़द, लोबिया आदि।
  • हरी खाद: मृदा में कार्बनिक पदार्थ बढ़ाने के लिए इन फसलों को उगाकर जमीन में दबा दिया जाता है। जैसे - सनई, ढैंचा, मूंग, उर्द, लोबिया, मोठ, बरसीम आदि। 

 

                         फसलों का उत्पत्ति स्थल

पफसल का नाम                                        उत्पत्ति स्थल
 रबी की फसल 

 1. गेहूँ                                        उत्तरी-पश्चिमी एशिया (अबीसीनिया, अफगानिस्तान, भारत)
 2. जौ                                            अबीसीनिया
 3. चना                                         उत्तरी पश्चिमी एशिया एवं एशिया माइनर
 4. मटर                                         उत्तरी पश्चिमी एशिया (भारत)
 5. मसूर                                        एशिया माइनर (हिन्दुकुश पर्वत)
 6. तोरिया                                      भारत, चीन, यूरोप
 7. अलसी                                      फारस की खाड़ी (कैस्पियन सागर)
 8. आलू                                         दक्षिणी अमेरिका (चिली)
 9. तम्बाकू                                    मध्य अमेरिका, मैक्सिको
 10. जई                                        एशिया माइनर
 11. वरसीम                                   मिस्त्र
 12. चुकन्दर                                 भूमध्यसागरीय देश (यूनान)

 

 फसलों का उत्पत्ति स्थल

फसल का नाम                                     उत्पत्ति स्थल
 खरीफ की फसल    

 1. धान                                                 दक्षिणी भारत
 2. मक्का                                              मैक्सिको (मध्य अमेरिका)
 3. ज्वार                                                अफ्रीका
 4. बाजरा                                               अफ्रीका (अबीसीनिया)
 5. सोयाबीन                                           चीन
 6. अरहर                                               भारत (मिस्त्र)
 7. मूँग                                                  भारत
 8. उरद                                                 भारत
 9. लोबिया                                            अफ्रीका
 10.मूँगफली                                          ब्राजील (दक्षिणी अमेरिका)
 11. तिल                                               अफ्रीका
 12. कपास                                            भारत
 13. जूट                                                भारत
 14. सनई                                              ब्राजील

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FAQs on उन्नत बीज - भारतीय भूगोल - भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi

1. भारतीय भूगोल UPSC परीक्षा में किन-किन विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं?
उत्तर: भारतीय भूगोल UPSC परीक्षा में निम्नलिखित विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं: 1. भारत के भूगोलिक संरचना 2. भारतीय मैदानी भू-विस्तार 3. भारतीय नदी नादियों का भूगोल 4. भारतीय सागर और तटबंध 5. भारतीय जलवायु और मौसम
2. भारतीय भूगोल UPSC परीक्षा के लिए कौन-कौन सी पुस्तकें अध्ययन करनी चाहिए?
उत्तर: भारतीय भूगोल UPSC परीक्षा के लिए निम्नलिखित पुस्तकें अध्ययन करनी चाहिए: 1. भारतीय भूगोल - एस.सी. नंदा 2. भूगोल सिद्धांत एवं विधियाँ - माजिद हुसैन 3. भारतीय भूगोल - ए.आर. शर्मा 4. भारतीय भूगोल एवं पर्यावरण - राजीव भूषण 5. भारतीय भूगोल - डी.एस. राजपूत
3. भारतीय भूगोल UPSC परीक्षा में सामान्यतया कितने प्रश्न पूछे जाते हैं?
उत्तर: भारतीय भूगोल UPSC परीक्षा में सामान्यतया 10 से 15 प्रश्न पूछे जाते हैं।
4. भारतीय भूगोल UPSC परीक्षा के लिए कैसे तैयारी करें?
उत्तर: भारतीय भूगोल UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए निम्नलिखित टिप्स अनुसरण करें: 1. पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से समझें और विषयों की समीक्षा करें। 2. पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों का अध्ययन करें और महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान केंद्रित करें। 3. नोट्स तैयार करें और महत्वपूर्ण तथ्यों को याद रखें। 4. नियमित रूप से मॉक टेस्ट दें और स्वयं को अच्छे स्कोर प्राप्त करने का प्रयास करें। 5. आधिकारिक साइट्स और पुस्तकों के अलावा इंटरनेट पर उपलब्ध संबंधित सामग्री का अध्ययन करें।
5. भारतीय भूगोल UPSC परीक्षा में अधिकतम अंक कितने होते हैं?
उत्तर: भारतीय भूगोल UPSC परीक्षा में अधिकतम 250 अंक होते हैं।
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