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उपराष्ट्रपति - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था | Revision Notes for UPSC Hindi PDF Download

उपराष्ट्रपति

  • संविधान के अनुच्छेद 66(3) के अनुसार कोई भी व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद के लिये निर्वाचन का पात्रा तभी होगा-
    (क) जबकि वह भारत का नागरिक हो,
    (ख) वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो,
    (ग) वह राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो।

उपराष्ट्रपति पद के लिये शर्तें

  • उपराष्ट्रपति पद के लिये निर्वाचित व्यक्ति संसद के किसी भी सदन का या किसी भी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा। यदि ऐसा कोई सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो उपराष्ट्रपति के रूप में पद ग्रहण करने की तारीख से सदन में उसका स्थान रिक्त समझा जाएगा। (अनुच्छेद 66(2))
  • कोई भी व्यक्ति जो संघ या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर है उपराष्ट्रपति पद के लिये पात्र नहीं होगा। यदि ऐसा कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद के लिये उम्मीदवार होना चाहता है तो उसे अपने पद से त्यागपत्र देना होगा।
  • लेकिन यदि कोई व्यक्ति संघ का राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्य का राज्यपाल अथवा संघ या राज्य का कोई मंत्री है, तो उसे लाभ का पद धारण करने वाला नहीं  माना जाएगा और वह उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में पात्रा रहेगा।
  • संविधान में ऐसा कोई उपबंध नहीं है जो उपराष्ट्रपति को पुनः चुने जाने से रोक सके।

उपराष्ट्रपति की पदावधि

  • संविधान के अनुच्छेद 67 में कहा गया है कि ”उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण करने की तारीख से 5 वर्ष की अवधि तक पद पर बना रहेगा।
  • लेकिन यदि वह चाहे तो इससे पूर्व भी पद त्याग कर सकता है। इस तरह का पद त्याग वह स्वेच्छा से राष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लिखित त्यागपत्र देकर ही कर सकता है।
  • अपने पद की 5 वर्ष की अवधि समाप्त हो जाने पर भी उपराष्ट्रपति तब तक अपने पद पर बना रहेगा जब तक कि नया उपराष्ट्रपति अपना पद धारण नहीं कर लेता है।

उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति

  • उपराष्ट्रपति का पद, पद पर आसीन उपराष्ट्रपति की मृत्यु हो जाने से, उसके त्यागपत्र दे दिये जाने से अथवा पदावधि समाप्त हो जाने पर या संसद द्वारा हटाये जाने से रिक्त हो सकता है। ऐसी स्थिति में-
  • यदि पदावधि के कारण रिक्ति होती हो तब उपराष्ट्रपति पद की अवधि समाप्त होने के पूर्व ही निर्वाचन करा लेने की व्यवस्था है। (अनुच्छेद 68 (1))
  • यदि उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति मृत्यु, पद त्याग से अथवा पद से हटाये जाने के कारण हो तो उस रिक्ति को भरने के लिये यथाशीघ्र चुनाव कराये जाने का प्रावधान है और इस तरह निर्वाचित व्यक्ति पद ग्रहण करने की तारीख से 5 वर्ष की अवधि तक के लिये अपने पद पर रहने का अधिकारी होगा।

उपराष्ट्रपति को पद से हटाना

  • उपराष्ट्रपति को उसके पद से हटाने सम्बन्धी व्यवस्था का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 67(ख) में किया गया है।
  • उपराष्ट्रपति को पद से हटाने सम्बन्धी प्रस्ताव पहले राज्यसभा में ही रखा जा सकेगा।
  • उपराष्ट्रपति को पद से हटाने सम्बन्धी प्रस्ताव के लिये कम से कम 14 दिन पूर्व इस आशय की सूचना देनी पड़ती है।
  • तत्पश्चात् राज्यसभा के उस समय उपस्थित समस्त सदस्यों के बहुमत एवं मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत द्वारा पारित होना चाहिये एवं इसी प्रकार लोकसभा में भी उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा उसे हटाया जा सकता है।
  • जब उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति (कार्यवाहक) पद पर आसीन हो और उसे हटाना हो तब राष्ट्रपति पद के लिये निर्धारित महाभियोग प्रक्रिया द्वारा ही उसे हटाया जा सकेगा।

उपराष्ट्रपति की उन्मुक्तियाँ

  • उपराष्ट्रपति पद पर कार्यरत रहते समय उसकी पदावधि के दौरान उसके वेतन एवं भत्तों में कटौती नहीं की जा सकती।
  • जब वह राष्ट्रपति पद के कर्तव्यों का निर्वहन करे तब उसे वे सब उन्मुक्तियाँ एवं विशेषाधिकार प्राप्त होंगे जो कि एक राष्ट्रपति को प्राप्त होते है।

उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ

  • संविधान में कहा गया है कि प्रत्येक उपराष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पूर्व राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा इस कार्य के लिये नियुक्त व्यक्ति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञा लेगा।
  • उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के सम्बन्ध में यदि कोई विवाद होता है तो उस सम्बन्ध में सुनवाई करने तथा निर्णय देने की अन्तिम शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को प्रदान की गई है। (अनुच्छेद 71)

उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियाँ

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 64 के अनुसार उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति माना जाता है। इस प्रकार उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापतित्व करता है।
  • इस नाते वह राज्यसभा में अनुशासन कायम रखता है। सदस्यों को बोलने एवं भाषण देने की अनुमति प्रदान करता है। उसकी अनुमति के बिना कोई सदस्य सदन के सम्मुख भाषण नहीं दे सकता।
  • वह सदन में विधेयकों पर बोलने के लिये सदस्यों को बुलाता है तथा बहस समाप्त होने पर मतदान करवाता है। मतदान के परिणामों के आधार पर वह यह घोषणा करता है कि कोई विधेयक पारित हुआ है अथवा नहीं।
  • किसी विधेयक पर बराबर मत (Tie) पड़ने की स्थिति में उसे निर्णायक मत देने का अधिकार प्राप्त है।
  • जब विधेयक राज्यसभा द्वारा पारित कर दिये जाते है तब विधेयकों पर उसके हस्ताक्षर अनिवार्य है।
  • सदन के सभापति के रूप में वह सदन के सदस्यों के विशेषाधिकारों की रक्षा भी करता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 65(1) के अनुसार जब राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाए, वह पद त्याग कर दे अथवा महाभियोग द्वारा उसे हटाया गया हो या यदि वह बीमार हो जाए या देश से अनुपस्थित हो तो ऐसी स्थिति में उसके स्थान पर उपराष्ट्रपति उसके कार्यों को सम्भालता है। जब वह राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है तो उसे वे सभी शक्तियाँ प्राप्त होती है जो कि किसी राष्ट्रपति को प्राप्त है।
  • इस अवधि के दौरान वह राज्यसभा का सभापतित्व नहीं करेगा और न ही वह सभापति की हैसियत से वेतन प्राप्त करेगा। इस स्थिति में उसे वे सब वेतन, भत्ते, विशेषाधिकार एवं उन्मुक्तियाँ प्राप्त होंगी जो कि राष्ट्रपति को प्राप्त होती हैं।
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FAQs on उपराष्ट्रपति - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था - Revision Notes for UPSC Hindi

1. उपराष्ट्रपति - संशोधन नोटस क्या है?
उत्तर: उपराष्ट्रपति - संशोधन नोटस एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें भारतीय राज्य व्यवस्था के संबंध में संशोधन के सुझाव और सुविधाओं के बारे में सुझाव दिए जाते हैं। इसमें उपराष्ट्रपति के द्वारा व्यक्त किए गए विचार और सुझाव शामिल होते हैं जो उपराष्ट्रपति की सलाह और सहयोग के आधार पर तैयार किए जाते हैं।
2. भारतीय राजव्यवस्था में उपराष्ट्रपति की भूमिका क्या है?
उत्तर: भारतीय राजव्यवस्था में उपराष्ट्रपति एक महत्वपूर्ण पद है जो विधानसभा और विधानपरिषद के सदस्यों द्वारा चुना जाता है। उपराष्ट्रपति भारतीय राज्य व्यवस्था के द्वितीय सबसे ऊचा पद होता है और वह भारतीय राष्ट्रपति का सहायक होता है। उपराष्ट्रपति की मुख्य भूमिका राज्यों के बीच संवाद को सुनिश्चित करना, संविधान में अनुच्छेद 63 के अनुसार विधानसभा और विधानपरिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना, और विशेष योग्यता और आवश्यकता के अधीन राष्ट्रपति की कार्यवाही करना है।
3. उपराष्ट्रपति - संशोधन नोटस कैसे तैयार होता है?
उत्तर: उपराष्ट्रपति - संशोधन नोटस को तैयार करने की प्रक्रिया निम्नानुसार होती है: 1. उपराष्ट्रपति अपने पद की स्थिति पर विचार और सुझाव देते हैं जिसे उनके कार्यकाल के दौरान विभिन्न विषयों पर चर्चा के आधार पर तैयार किया जाता है। 2. यह नोटस विभिन्न विषयों और संविधानिक मुद्दों पर आधारित होता है जो राज्य और केंद्र सरकार के संबंध में संशोधन के लिए जरूरी हो सकते हैं। 3. उपराष्ट्रपति के द्वारा विचार और सुझाव दिए जाने के बाद, एक समिति या विशेष गठबंधन द्वारा यह नोटस तैयार की जाती है। 4. नोटस के तैयार होने के बाद, उपराष्ट्रपति इसे भारतीय राष्ट्रपति को सौंपते हैं जो उसे संविधान के अनुच्छेद 63 के अनुसार संशोधन के लिए संघ सभा के पास पेश कर सकते हैं।
4. उपराष्ट्रपति - संशोधन नोटस क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: उपराष्ट्रपति - संशोधन नोटस महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से उपराष्ट्रपति अपने विचार और सुझाव व्यक्त कर सकते हैं जो राज्य व्यवस्था में संशोधन के लिए आवश्यक हो सकते हैं। इस नोटस के माध्यम से विभिन्न समूहों, संघों और व्यक्तियों के सुझाव और सुविधाओं को संघ सभा द्वारा ध्यान में लिया जा सकता है जो भारतीय राज्य व्यवस्था को अधिक सुदृढ़ और सुव्यवस्थित बनाने में मदद कर सकते हैं।
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