Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)  >  कविता का सार और व्याख्या: आत्मत्राण

कविता का सार और व्याख्या: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

कवि परिचय


- रवीन्द्रनाथ ठाकुर
कविता का सार और व्याख्या: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)
इनका जन्म 6 मई 1861 को धनी   परिवार में हुआ है तथा शिक्षा-दीक्षा घर पर ही हुई। ये नोबेल पुरस्कार करने वाले प्रथम भारतीय हैं। छोटी उम्र में ही स्वाध्याय से अनेक विषयों का ज्ञान इन्होने अर्जित किया। बैरिरस्ट्री पढ़ने के लिए विदेश भेजे गए लेकिन बिना परीक्षा दिए ही लौट आये। इनकी रचनाओं में लोक-संस्कृति का स्वर प्रमुख रूप से मुखरित होता है। प्रकृति से इनका गहरा लगाव था।

कविता का सार और व्याख्या: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

आत्मत्राण पाठ प्रवेश


यदि कोई तैरना सीखना चाहता है तो कोई उसको पानी में उतरने में मदद तो कर सकता है ,उसको डूबने का डर ना रहे इसलिए उसके पास भी बना रह सकता है परन्तु जब तैरना सीखने वाला पानी में हाथ – पैर चलायेगा तभी वो तैराक बनेगा। परीक्षा जाते समय व्यक्ति बड़ों के आशीर्वाद की कामना करता ही है ,और बड़े आशीर्वाद देते भी हैं लेकिन परीक्षा तो उसे खुद ही देनी होती है। इसी तरह जब दो पहलवान कुश्ती लड़ते हैं तब उनका उत्साह तो सभी लोग बढ़ाते हैं जिससे उनका मनोबल अर्थात हौंसला बढ़ता है। मगर कुश्ती तो उन्हें खुद ही लड़नी पड़ती है।
प्रस्तुत पाठ में कविगुरु मानते हैं कि प्रभु में सबकुछ संभव करने की ताकत है फिर भी वह बिलकुल नहीं चाहते की वही सब कुछ करे। कवि कामना करते हैं कि किसी भी आपदा या विपदा में ,किसी भी परेशानी का हल निकालने का संघर्ष वो स्वयं करे ,प्रभु को कुछ भी न करना पड़े। फिर आखिर वो अपने प्रभु से चाहते क्या हैं। 
रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्रस्तुत कविता का बंगला से हिंदी अनुवाद श्रद्धेय आचार्य हरी प्रसाद द्विवेदी ने किया है। द्विवेदी जी का हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में बहुत बड़ा योगदान है। यह अनुवाद बताता है कि अनुवाद कैसे मूलतः  रचना की ‘आत्मा ‘ को ज्यों का त्यों  बनाये रखने में सक्ष्म है। 

कविता का सार


‘आत्मत्राण’ कविता मूलतः बांग्ला में लिखी गई है। इस कविता का हिंदी अनुवाद ‘आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी’ ने किया है।
यह कविता अन्य प्रार्थनाओं से भिन्न है। कवि इस कविता के माध्यम से ईश्वर से शक्ति पाने की कामना करता है। वह नहीं चाहते कि ईश्वर उसके हर मार्ग, हर विपत्ति को सरल बना दें। वह ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि विपत्ति के समय मुझमें इतनी शक्ति भर दो कि मैं सभी मुसीबतों का सामना कर सकूँ। यदि मुझे कोई सहायक न मिले तो भी मेरा पौरुष बल न डगमगाने पाए। यदि मुझे जीवन-संग्राम में धोखा ही उठाना पड़े, तब भी मैं हार न मानूँ। तुम मुझे भय से छुटकारा न दिलाओ, मुझे सांत्वना न दो। पर इतनी कृपा करना कि मैं निडर होकर सब कुछ सहन कर सकूँ। मैं सुख के दिनों में शीश झुकाकर तुम्हें नमन करना चाहता हूँ। मैं क्षण-क्षण तुम्हारा मुख पहचानना चाहता हूँ। दुख रूपी रात में जब मुझे धोखा खाना पड़े, तब भी मैं तुम पर संदेह न करूँ। हे ईश्वर! मुझे इतनी शक्ति प्रदान करो।

कविता की व्याख्या

1. 
विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं
 केवल इतना हो (करुणामय)
 कभी न विपदा में पाऊँ भय।
 दुःख-ताप से व्यथित चित्त को न दो सांत्वना नहीं सही
 पर इतना होवे (करुणामय)
 दुख को मैं कर सकूँ सदा जय।
 कोई कहीं सहायक न मिले
 तो अपना बल पौरुष न हिले
 हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
 तो भी मन में ना मानूँ क्षय।।

शब्दार्थ:

विपदाओं = मुसीबतों, कष्टों

करुणामय = दूसरों पर दया करने वाला

भय = डर

दुख-ताप = कष्ट की पीड़ा

व्यथित = दुखी

चित्त = हृदय

सांत्वना = तसल्ली

जय = जीत

सहायक = सहायता करने वाला

बल = शक्ति

पौरुष = पराक्रम

वंचित = धोखा

क्षय = नाश।

व्याख्या: कवि कहता है - हे ईश्वर! मेरी आपसे यह विनती है कि आप मुझे मुसीबतों से बचाइए। मैं इन मुसीबतों का सामना पूर्ण शक्ति से कर सकूँ। मुझमें इतना सामथ्र्य भर दीजिए कि कोई भी मुसीबत आने पर मेरा मन विचलित न हो। हे करुणा वेफ सागर ईश्वर! मैं तुमसे यही प्रार्थना करता हूँ कि कभी भी मुसीबत आने पर मैं न डरूँ। चाहे मेरे कष्ट से पीड़ित मन को तुम कभी तसल्ली भले ही न दो, परंतु हे करुणामय! इतनी करुणा अवश्य कर दो कि मैं दुख पर विजय प्राप्त कर सकूँ। मुझे चाहे कोई सहायता करने वाला सहायक न मिले परंतु हे ईश्वर, मुझ पर इतनी कृपा कर दो कि मेरी शक्ति, मेरा पुरुषार्थ न डगमगाए। मेरा आत्मविश्वास सदैव कायम रहे। भले ही मुझे इस संसार में हानि उठानी पड़े, भले ही मुझे कोई लाभ प्राप्त न हो, मुझे धेखा ही खाना पड़े, तब भी मेरा मन कभी दुखी न हो। कभी भी मेरे मन की शक्ति का क्षय न होने पाए अर्थात मुझे मन की शक्ति दो तथा हर समय मुझमें पुरुषार्थ बनाए रखें।

काव्य-सौंदर्य:

भाव पक्ष: 1. कवि ईश्वर से विपदाओं वेफ समय पौरुष एवं शक्ति देने की प्रार्थना कर रहे हैं।
2. संघर्षमय समय में व्यथित न होने वेफ लिए वह ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं।

कला पक्ष: 1. भाषा सहज एवं सरल है। भाषा भावाभिव्यक्ति में सक्षम है।
2. ‘कोई कहीं’ में अनुप्रास अलंकार है।

कविता का सार और व्याख्या: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

2. 
मेरा त्राण करो अनुदिन तुम यह मेरी प्रार्थना नहीं
 बस इतना होवे (करुणामय)
 तरने की हो शक्ति अनामय।
 मेरा भार अगर लघु करवेफ न दो सांत्वना नहीं सही।
 केवल इतना रखना अनुनय -
 वहन कर सकूँ इसको निर्भय।
 नत शिर होकर सुख के दिन में
 तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।
 दुःख-रात्रि में करे वंचना मेरी जिस दिन निखिल मही।
 उस दिन ऐसा हो करुणामय,
 तुम पर करूँ नहीं कुछ संशय।।

शब्दार्थ: त्राण = भय से छटुकारा, अनुदिन = प्रतिदिन,तरने =€पार लगने, अनामय = स्वस्थ, सांत्वना = तसल्ली, अनुनय = प्रार्थना, वहन = भार उठाना, निर्भय = बिना डर के, भय रहित, नत शिर = सिर झुकाकर, छिन-छिन = क्षण-क्षण, दुःख-रात्रि€=€कष्ट से भरी हुई रात, वंचना = धेखा, निखिल = संपूर्ण, मही€= ध्रती, संशय = शक, संदेह।

व्याख्या: कवि कहते हैं - हे भगवान! मेरी आपसे यह विनती नहीं है कि आप प्रतिदिन मुझे भय से छुटकारा दिलाएँ। हे ईश्वर! आप केवल इतनी कृपा करें कि मुझे स्वास्थ्य प्रदान करें। मुझे रोग रहित कर दें। मैं आपसे यह प्रार्थना नहीं करता कि आप मेरा भार हलका करके मुझे तसल्ली दें। आप केवल मुझ पर इतनी दया करना कि हर दुख को मैं निडर होकर सहन कर सकूँ। हे ईश्वर! मुझमें इतनी शक्ति भर दें कि सुख के दिनों में मैं अपना सिर झुकाकर क्षण-क्षण आपको पहचानता रहूँ। दुख से भरी रात में जब भले ही संपूर्ण पृथ्वी मुझे धेखा दे अर्थात भले संपूर्ण संसार मुझे दुतकार दे, ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी हे ईश्वर, मैं आप पर संदेह न करूँ। मुझमें इतनी शक्ति भर दें। 

काव्य-सौंदर्य:


भाव पक्ष:1. कवि ईश्वर से विशेष शक्ति पाने की प्रार्थना कर रहा है।
2. कवि क्षण-क्षण ईश्वर के दर्शन करने की कामना कर रहा है।
3. उदार हृदय व्यक्ति के गुणों का बखान किया गया है।

भाषा:1. सहज एवं सरल भाषा का प्रयोग किया गया है। भाषा भावाभिव्यक्ति में सक्षम है।
2. ‘छिन-छिन’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
3. छंदमुक्त कविता है।

The document कविता का सार और व्याख्या: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) is a part of the Class 10 Course Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan).
All you need of Class 10 at this link: Class 10
16 videos|201 docs|45 tests

Top Courses for Class 10

FAQs on कविता का सार और व्याख्या: आत्मत्राण - Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

1. आत्मत्राण कविता का मुख्य विषय क्या है ?
Ans. आत्मत्राण कविता का मुख्य विषय आत्म-रक्षा और आत्म-विश्वास है। यह कविता हमें अपने भीतर की शक्ति को पहचानने और कठिनाइयों का सामना करने के लिए प्रेरित करती है।
2. आत्मत्राण कविता के कवि कौन हैं ?
Ans. आत्मत्राण कविता के कवि मैथिलीशरण गुप्त हैं। वे हिंदी साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक माने जाते हैं और उनकी रचनाएँ भारतीय संस्कृति और समाज को दर्शाती हैं।
3. आत्मत्राण कविता का सार क्या है ?
Ans. आत्मत्राण कविता का सार यह है कि व्यक्ति को अपने आत्मविश्वास को जगाना चाहिए और अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए। यह कविता हमें सिखाती है कि किसी भी स्थिति में हमें हार नहीं माननी चाहिए।
4. आत्मत्राण कविता की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ?
Ans. आत्मत्राण कविता की प्रमुख विशेषताएँ हैं - प्रेरणादायक भाषा, गहन भावनाएँ, और मानवता के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण। यह कविता न केवल व्यक्तिगत संघर्षों को उजागर करती है, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
5. आत्मत्राण कविता का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
Ans. आत्मत्राण कविता समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। यह लोगों को जागरूक करती है और उन्हें आत्म-निर्भर बनने के लिए प्रेरित करती है, जिससे समाज में आत्म-विश्वास और साहस का संचार होता है।
16 videos|201 docs|45 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 10 exam

Top Courses for Class 10

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

कविता का सार और व्याख्या: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

ppt

,

past year papers

,

Viva Questions

,

कविता का सार और व्याख्या: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

Semester Notes

,

pdf

,

video lectures

,

shortcuts and tricks

,

MCQs

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Summary

,

practice quizzes

,

कविता का सार और व्याख्या: आत्मत्राण | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

Free

,

Important questions

,

mock tests for examination

,

study material

,

Objective type Questions

,

Extra Questions

,

Exam

,

Sample Paper

;