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चित्रकला और साहित्य - मुगल साम्राज्य, इतिहास, युपीएससी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

चित्रकला और साहित्य

चित्रकला
¯ बाबर को प्राकृतिक दृश्यों से बड़ा प्रेम था। वह चित्रकला में भी रुचि रखता था। 
¯ उसने महान चित्रकारों सैयद अली और अब्दुस्समद को काबूल से ले आया था। 
¯ अकबर को आरम्भ से ही चित्रकारी से बड़ा प्रेम था। उसने सुप्रसिद्ध चित्रकार अब्दुस्समद को भारत आने का निमन्त्रण दिया और भारत में भी जो प्रसिद्ध हिन्दू चित्रकार थे उन्हें भी राजदरबार में बुलाया। 
¯ इनमें अब्दुस्समन, फर्रुखबेग और खुसरो कुर्ली तीन मुसलमान चित्रकार थे। 
¯ हिन्दू चित्रकारों में केसू, जगन्नाथ, ताराचन्द्र, सांवलदास, दसवन्त और बसावन आदि अधिक प्रसिद्ध थे। 
¯ जहाँगीर के राज्यकाल में चित्रकला ने और भी उन्नति की क्योंकि जहाँ अकबर स्वयं चित्रकार नहीं था, जहाँगीर स्वयं एक मंजा हुआ चित्रकार था। 
¯ कहा जाता है कि वह इस कला में इतना प्रवीण था कि केवल चित्र को देखकर ही उसके निर्माता का नाम बता सकता था, और यदि एक ही चित्र कई कलाकारों ने बनाया हुआ हो तो वह सबके नाम भी ठीक-ठीक बता सकता था। 
¯ एक बार सर टामस रो अपने देश इंग्लैण्ड से एक चित्र जहाँगीर के लिए लाया। जहाँगीर ने उसे एक सप्ताह बाद आने के लिए कहा। जहाँगीर ने तब उसे दो चित्र दिखाये परन्तु टामस बड़ी कठिनाई से यह पहचान सका कि उसका अपना चित्र कौन-सा है। 
¯ मुसलमान चित्रकारों में आगा रजा और उनका पुत्र अब्लहसन, नादिर, मुराद और उस्ताद मनसूर आदि प्रमुख थे, और हिन्दू कलाकारों में विशनदास तथा तुलसी का नाम अधिक प्रसिद्ध था। 
¯ जहाँगीर के काल में चित्रकारी बिल्कुल भारतीय हो चुकी थी और उस पर ईरानी चित्रकारी का प्रभाव प्रायः समाप्त हो चुका था।
¯ शाहजहाँ के दरबार में चित्रकारों की संख्या बहुत कम हो गई। चित्रकारी का थोड़ा बहुत काम मीर हसन, अनूप, चित्रों, चित्रमणि आदि कलाकारों के अधीन चलता रहा। 
¯ शाहजहाँ का ज्येष्ठ पुत्र दारा इस कला का उपासक था। 
¯ औरंगजेब इस कला के बहुत विरुद्ध था। 
¯ उसके फतेहपुर सीकरी की दीवारों पर बने हुए चित्र ही मिटा दिए। 
    मुगल चित्रकला की विशेषताएं: इस चित्रकला की सबसे पहली विशेषता यह थी कि यह शाही दरबार से सम्बन्धित थी।
¯ इसमें जितने भी विषय लिए गये वे राज दरबार, शाही जुलूसों, शिकार, मुगल सम्राटों के जीवन से सम्बन्धित घटनाओं तथा मुगल शासक के व्यक्तिगत चित्रों और प्रकृति के सुन्दर दृश्यों आदि से ही सम्बन्धित थे।
¯ इसका दूसरा गुण यह था कि मुगल कला सांसारिक विषयों से अधिक सम्बन्धित थी और इसमें धार्मिक तथा आध्य्ाात्मिक विषयों को दर्शाने का प्रयत्न नहीं किया गया था और इनके अतिरिक्त प्रत्येक चित्रों में प्रकृति की सुन्दरता को दिखाने का विशेष प्रयत्न किया गया। 
¯ चाहे विषय दरबारी ही हो परन्तु वहाँ पर भी प्रकृति की सुन्दरता को अवश्य दिखाया गया  है। 
¯ राजाओं के व्यक्तिगत चित्र बनाने पर मुगल काल में बहुत जोर दिया गया है।

संगीत कला
¯ बाबर को संगीत का बड़ा प्रेम था। वह स्वयं संगीत लिख सकता था और उन्हें अच्छी धुन में बाँध लेता था। 
¯ हुमायूँ भी संगीत का बड़ा प्रेमी था और प्रत्येक सोमवार और बुधवार को नियमानुसार गाना सुना करता था। 
¯ 1535 ई. में मांडू की विजयी के समय वह बच्चू नामक बच्चे से इतना प्रभावित हुआ कि उसे अपने साथ ही आगरा ले आया। 
¯ अकबर संगीत का महान् प्रेमी था। 
¯ गायकों में सर्वश्रेष्ठ ग्वालियर के मियाँ तानसेन थे, जिनके संगीत में जादू का-सा असर था। 
¯ कहा जाता है कि एक बार प्रसन्न होकर अकबर ने उसे दो लाख रुपये इनाम में दिए थे। 
¯ अकबर के समय का एक अन्य संगीतज्ञ रामदास था जिसे एक बार एक लाख रुपये इनाम में मिले थे। 
¯ जहाँगीर भी संगीत विद्या का आदर करने वाला था। 
¯ शाहजहाँ ने तो कई हिन्दी के गीत भी बनाए थे। उसके दरबार के प्रसिद्ध गवैये जगन्नाथ, जनार्दन भट्ट आदि थे। 
¯ औरंगजेब संगीत का कट्टर दुश्मन था। इसलिए उसने सब दरबारी गवैयों को निकाल दिया और संगीत पर प्रतिबंध लगा दिया।

साहित्य
    फारसी साहित्य: मुगलकाल में फारसी ही राजभाषा थी, अतः इसका बहुत-सा साहित्य गद्य, पद्य तथा इतिहास इसी भाषा में लिखा गया। 
¯ बाबर स्वयं तुर्की और फारसी का बड़ा विद्वान् था। उसकी आत्म-कथा ‘तुजके-बाबरी’ फारसी साहित्य का एक अनमोल रत्न है। 
¯ इस पुस्तक का, जो तुर्की भाषा में लिखी गई है, अनुवाद संसार की कई अन्य भाषाओं में हो चुका है। 
¯ हुमायूँ भी अपने पिता की तरह बड़ा विद्वान था। उसे अध्ययन का इतना शौक था कि वह युद्ध के दिनों में भी अपने पुस्तकालय रखता था। 
¯ उसकी बहन गुलबदन बेगम ने उसके विषय में एक पुस्तक ‘हुमायूँ नामा’ के नाम से लिखी है।
¯ अकबर ने, चाहे वह स्वयं अनपढ़ था, साहित्य के सृजन को बड़ा प्रोत्साहन दिया। 
¯ अबुल फजल की ‘आईने अकबरी’ और ‘अकबरनामा’, बदायूँनी की ‘मुतखब-उल-तबारीख’, नुजामुदीन की ‘तबकाते-अकबरी’ इत्यादि ऐतिहासिक पुस्तकें उसके राज्यकाल में लिखी गईं।
¯ रामायण, महाभारत, अथर्ववेद, लीलावती (संस्कृत भाषा में गणित की सुप्रसिद्ध पुस्तक), राजतरंगिणी और पुराण आदि संस्कृत के सुप्रसिद्ध ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद किया गया। 
¯ उस समय फारसी के प्रसिद्ध कवि गजाली, फैजी, मुहम्मद हुसैन आदि थे। 
¯ गजाली और फैजी तो अकबर के दरबार में राजकवि रह चुके थे।
¯ जहाँगीर स्वयं एक लेखक भी था जिसने अपनी आत्म-कथा ‘तुजके-जहाँगीर’ लिखा है। 
¯ शाहजहाँ को चाहे भवन निर्माण का अधिक शौक था, परन्तु उसने भी विद्वानों और साहित्यकारों को राजाश्रय दिया। सुप्रसिद्ध इतिहासकार अब्दुल हमीद लाहौरी ने ‘बादशाहनामा’, इनामत खाँ ने ‘शाहजहाँनामा’ आदि लिखा। 
¯ शाहजहाँ का ज्येष्ठ पुत्र दारा उस समय का सबसे महान् साहित्यकार तथा विद्वान था। 
¯ उसने ‘मजमूआ-उल-वहराइन’, ‘सफीनत-उल-औलिया’ और ‘सकीनत-उल-औलिया’ आदि कई दार्शनिक पुस्तकों की रचना की। 
¯ केवल यही नहीं, उसने उपनिषदों, भागवद् गीता और योगवशिष्ठ जैसे संस्कृत के महत्वपूर्ण ग्रंथों का फारसी में अनुवाद करवाया। 
¯ औरंगजेब को, चाहे वह स्वयं बड़ा विद्वान था, कविता और इतिहास से घृणा थी। इसलिए उसके राज्यकाल में साहित्य की प्रगति मंद पड़ गई।
¯ फारसी-गद्य ने इस काल में कुछ उन्नति अवश्य की। उसने इस्लामी कानून की एक पुस्तक ‘फतवा-ए-आलमगिरी’ का संग्रह करवाया। 
¯ खफी खाँ की सुप्रसिद्ध पुस्तक ‘मूंतखब-उल-लबाब’ उसी के राज्यकाल में लिखी गई।
¯ भीमसेन, ईश्वरदास और सुजान राय खत्री उसके काल के अन्य सुप्रसिद्ध इतिहासकार थे।
    हिन्दी साहित्य: 16वीं शताब्दी (1540 ई.) में मलिक मुहम्मद जायसी ने हिन्दी में मेवाड़ की रानी पद्यिनी पर एक महाकाव्य ‘पद्यावत’ लिखा जिसका साहित्य में बहुत ऊँचा स्थान है। 
¯ अकबर के राज्य काल में हिन्दी साहित्य ने बहुत उन्नति की। उसके बहुत से राजदरबारी जैसे बीरबल, राजा टोडरमल, अब्दुर्रहीम खानखाना हिन्दी के बहुत अच्छे विद्वान थे। 
¯ रहीम का ‘सतसई’ नामक पुस्तक दोहों का एक अनमोल भण्डार है। 
¯ बीरबल एक अच्छा कवि था जिसे ‘कविप्रिय’ की उपाधि मिली हुई थी।
¯ हिन्दी के प्रमुख कवि तुलसीदास, सूरदास, केशव, विट्ठलनाथ, रसखान, सुन्दर, सेनापति, भूषण, बिहारी, इत्यादि भी मुगल-काल में ही हुए हैं। 
¯ सूरदास का ‘सूरसागर’ और तुलसीदास का ‘रामचरित मानस’ इस काल की दो अमर कृतियाँ हैं। 
¯ केशव दास ने ‘कविप्रिया’ और ‘मंजरी’ आदि पुस्तकों की रचना भी इसी काल में की। 
¯ विट्ठलनाथ जिन्हाने हिन्दी के पद्य में ‘चैरासी वैष्णव की वार्ता’ नामक पुस्तक लिखी है और उनके शिष्य रसखान जिसने ‘प्रेमवाटिका’ ग्रंथ की रचना की है, अकबर के समय के अन्य प्रसिद्ध हिन्दी लेखक थे। 
¯ रीतिकाल के हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि सुन्दर, सेनापति, भूषण और बिहारी आदि थे जिनकी रचनाएँ आज भी बड़े सम्मान से पढ़ी जाती हैं। 
    
 उर्दू साहित्य: 
इसने भी मुगलों के अधीन कुछ उन्नति की। 
¯ उर्दू ने अधिक उन्नति दक्षिण में बीजापुर और गोलकुण्डा के सुल्तानों के संरक्षण में की।
¯ मुगलकाल में उर्दू भाषा के कवि वाली, हातिम, मजहर, मीरदर्द, सौदा और मीर तकी आदि थे। 
¯ बहादुर शाह के काल में गालिब और जौक आदि उर्दू के प्रसिद्ध कवि हुए।

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FAQs on चित्रकला और साहित्य - मुगल साम्राज्य, इतिहास, युपीएससी - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. What is the significance of Mughal Empire in Indian art and literature?
Ans. The Mughal Empire played a significant role in the development of Indian art and literature. Mughal emperors patronized art and literature, which led to the emergence of some of the finest masterpieces in Indian history. The fusion of Persian and Indian styles resulted in a unique Mughal style of art, which is still admired for its intricate designs and vibrant colors. The Mughal era is also known for its literary works, such as the Akbarnama, Baburnama, and Tuzuk-i-Jahangiri.
2. What was the impact of Mughal art on Indian culture?
Ans. The Mughal era is considered as the golden age of Indian art and culture. Mughal art had a profound impact on Indian culture, especially in the fields of painting, architecture, and music. The Mughal emperors patronized artists and musicians, which led to the development of new art forms, such as miniature painting, calligraphy, and Mughal architecture. Mughal art also influenced the culture of other regions in India, such as Rajasthani and Pahari art.
3. How did literature flourish during the Mughal era?
Ans. The Mughal era witnessed a flourishing of literature, with the emergence of some of the finest literary works in Indian history. Mughal emperors patronized poets and writers, which led to the development of new literary genres, such as the Mughalnama, which chronicled the history of the Mughal Empire. The Mughal era also saw the emergence of Urdu literature, which blended Persian and Indian elements to create a unique literary style.
4. What are some of the famous Mughal paintings?
Ans. Mughal painting is known for its intricate designs, vibrant colors, and attention to detail. Some of the famous Mughal paintings include the Akbarnama, Baburnama, and Tuzuk-i-Jahangiri. Other notable works include the Hamzanama, depicting the adventures of Amir Hamza, the Razmnama, depicting the epic battles of the Mahabharata, and the Khamsa of Nizami, a collection of five romantic poems.
5. What is the significance of calligraphy in Mughal art?
Ans. Calligraphy played a significant role in Mughal art, with the Mughal emperors patronizing some of the finest calligraphers in India. Calligraphy was used to decorate manuscripts, buildings, and other works of art. The Mughal style of calligraphy was a fusion of Persian and Indian styles, which resulted in a unique script that is still admired for its beauty and elegance. Calligraphy was also used to create inscriptions and epitaphs, which were used to decorate buildings and monuments.
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