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डिमांड-पुल इन्फ्लेशन एंड कॉस्ट-पुश इन्फ्लेशन, कीनेसियन एंड मोनेटेरिस्टिक स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स Video Lecture | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

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FAQs on डिमांड-पुल इन्फ्लेशन एंड कॉस्ट-पुश इन्फ्लेशन, कीनेसियन एंड मोनेटेरिस्टिक स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स Video Lecture - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. डिमांड-पुल इन्फ्लेशन और कॉस्ट-पुश इन्फ्लेशन क्या हैं?
उत्तर: डिमांड-पुल इन्फ्लेशन एक आर्थिक स्थिति है जहां आर्थिक वृद्धि की वजह से मूल्य स्तर में वृद्धि होती है। इसका कारण होता है की बढ़ती हुई आपूर्ति और बढ़ती हुई मांग द्वारा उत्पन्न दबाव। वहीं, कॉस्ट-पुश इन्फ्लेशन एक आर्थिक स्थिति है जहां उत्पादन की लागत में वृद्धि होने के कारण मूल्य स्तर में वृद्धि होती है। यह आमतौर पर उत्पादों और सेवाओं की आपूर्ति में कमी के कारण होता है।
2. कीनेसियन और मोनेटेरिस्टिक स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स क्या हैं?
उत्तर: कीनेसियन और मोनेटेरिस्टिक स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दो अलग-अलग मानदंडों और सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक विचारधारा हैं। कीनेसियन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स मानता है कि सरकार की नियंत्रण और नियामक नीतियों के माध्यम से आर्थिक वृद्धि और रोजगार को सुनिश्चित किया जा सकता है। मोनेटेरिस्टिक स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स कांट्रोल ऑवर मनी सप्लाई के माध्यम से आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए सरकार के इंटरवेंशन के खिलाफ है।
3. डिमांड-पुल इन्फ्लेशन के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर: डिमांड-पुल इन्फ्लेशन के उदाहरण में शामिल हो सकते हैं एकसाथ बढ़ती हुई उपभोक्ता मांग और उत्पादन में कमी, वित्तीय संस्थाओं द्वारा बढ़ती हुई क्रेडिट व्यवस्था, बढ़ती हुई मुद्रास्फीति और कारोबारी गतिविधियों में वृद्धि शामिल हो सकती हैं।
4. कॉस्ट-पुश इन्फ्लेशन के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर: कॉस्ट-पुश इन्फ्लेशन के उदाहरण में शामिल हो सकते हैं उत्पादन की लागतों में बढ़ती हुई सामग्री की कीमत, मज़दूरों के मांग की बढ़ती हुई कीमत, बढ़ती हुई ऊर्जा की कीमत और प्रदूषण नियंत्रण के लिए लगाए जाने वाले नए प्रतिबंधों की वजह से मूल्यों में वृद्धि शामिल हो सकती हैं।
5. कीनेसियन और मोनेटेरिस्टिक स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के बीच क्या अंतर है?
उत्तर: कीनेसियन स्कूल और मोनेटेरिस्टिक स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के बीच मुख्य अंतर यह है कि कीनेसियन स्कूल विश्वास रखता है कि सरकार की नियंत्रण और नियामक नीतियों के माध्यम से आर्थिक वृद्धि और रोजगार को सुनिश्चित किया जा सकता है, जबकि मोनेटेरिस्टिक स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स कांट्रोल ऑवर मनी सप्लाई के माध्यम से आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए सरकार के इंटरवेंशन के खिलाफ है।
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