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द्वीप और मूँगे की चट्टान Video Lecture | भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi

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FAQs on द्वीप और मूँगे की चट्टान Video Lecture - भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi

1. द्वीप और मूँगे की चट्टान क्या होती है?
उत्तर: द्वीप और मूँगे की चट्टान एक प्राकृतिक आपदा होती है जो समुद्र तट पर द्वीप और मूंगे क्षेत्रों में होती है। यह एक उच्चतर जल स्तर द्वारा उत्पन्न जल की ऊँचाई होती है जो द्वीप या मूँगे के चारों ओर घेरे बनाती है। इसके परिणामस्वरूप, द्वीप और मूंगे जल में समाये रहते हैं और यह उनके प्राकृतिक पर्यावरण, फ्लोरा और फौना पर असर डालती है।
2. द्वीप और मूँगे की चट्टान कैसे बनती है?
उत्तर: द्वीप और मूँगे की चट्टान उन जगहों पर बनती है जहाँ प्राकृतिक घाटी, नदी या समुद्र तट के निकट जल की ऊँचाई बढ़ जाती है। जब यह ऊँचाई जल के स्तर से ऊपर बढ़ती है, तो जल द्वीप या मूंगे के चारों ओर बहने लगती है। जल के धाराओं के प्रभाव से चट्टानें बनती हैं और द्वीप या मूंगे को घेर लेती हैं।
3. द्वीप और मूँगे की चट्टानों के प्रभाव क्या होते हैं?
उत्तर: द्वीप और मूँगे की चट्टानों के प्रभाव से द्वीप और मूंगे के प्राकृतिक पर्यावरण, फ्लोरा और फौना पर असर पड़ता है। चट्टानों के माध्यम से नई जमीन उत्पन्न होती है जो पौधों और जीव-जंतुओं के लिए नया आवास प्रदान करती है। यहाँ तक कि चट्टानें आपूर्ति के स्रोत के रूप में भी कार्य करती हैं, जैसे कि छोटे जीवों के लिए पानी और भोजन के लिए समुद्र से मिट्टी आदि।
4. द्वीप और मूँगे की चट्टानों का प्रबंधन कैसे किया जाता है?
उत्तर: द्वीप और मूँगे की चट्टानों का प्रबंधन विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके किया जाता है। इनमें से कुछ मुख्य तकनीकें शामिल हैं - जलाशय का नियंत्रण, चट्टानों की पुनर्जीवन, जल संचयन और जल संवर्धन। इन तकनीकों का उपयोग करके द्वीप और मूंगे की चट्टानों के प्रभाव को कम किया जा सकता है और पर्यावरण के साथ एक संतुलन स्थापित किया जा सकता है।
5. द्वीप और मूँगे की चट्टानों के प्रभाव से बचने के लिए क्या कार्यवाही की जा सकती है?
उत्तर: द्वीप और मूँगे की चट्टानों के प्रभाव से बचने के लिए कई कार्यवाही की जा सकती है। यह समाधान शामिल करता है - चट्टानों के पुनर्जीवन, जल संचयन, जलाशय का नियंत्रण, पानी की विनियमित छूट, और पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ाना। इन कार्यवाहियों के माध्यम से द्वीप और मूंगे की चट्टानों के प्रभाव को कम किया जा सकता है और सामान्य जीवन को सुरक्षित रखा जा सकता है।
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