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पाठ का सार: डायरी का एक पन्ना | Hindi Class 10 PDF Download

लेखक परिचय

सीताराम सेकसरिया का जन्म 1892 में राजस्थान के नवलगढ़ में हुआ और वे कोलकाता में रहे। वे व्यापारी थे और साहित्य, संस्कृति और नारी शिक्षा से जुड़े कई संस्थानों के संस्थापक व प्रेरक रहे। उन्होंने महात्मा गांधी के बुलावे पर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और सत्याग्रह के दौरान जेल भी गए। वे रवींद्रनाथ टैगोर, गांधीजी और सुभाषचंद्र बोस के करीबी थे। वे कुछ समय के लिए आज़ाद हिंद फ़ौज में मंत्री भी रहे। 1962 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया। उन्हें स्कूली शिक्षा नहीं मिली, लेकिन स्वयं पढ़कर उन्होंने लिखना-पढ़ना सीखा। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं: स्मृतिकण, मन की बात, बीता युग, नयी याद और एक कार्यकर्ता की डायरी (दो भागों में)।

पाठ का सार: डायरी का एक पन्ना | Hindi Class 10सीताराम सेकसरिया

मुख्य बिंदु

  • सीताराम सेकसरिया का परिचय: 1892 में राजस्थान के नवलगढ़ में जन्मे, कोलकाता में जीवन बिताया। स्वाध्याय से पढ़ना-लिखना सीखा, स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय, गांधी, नेताजी और रवींद्रनाथ ठाकुर के करीबी। 1962 में पद्मश्री सम्मान प्राप्त।
  • 26 जनवरी 1931 का स्वतंत्रता दिवस: कोलकाता में दूसरा स्वतंत्रता दिवस जोश के साथ मनाया गया। राष्ट्रीय झंडे फहराए गए, सजावट की गई, जुलूस निकाले गए।
  • पुलिस का दमन: पुलिस ने सख्ती की, जुलूस रोके, लाठीचार्ज किया, कई लोग घायल हुए, सुभाषचंद्र बोस और 105 महिलाओं सहित कई कार्यकर्ता गिरफ्तार।
  • महिलाओं की भागीदारी: महिलाओं ने झंडोत्सव और जुलूस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, पुलिस की मार झेली, फिर भी हिम्मत नहीं हारी।
  • संगठन और उत्साह: लोगों में आजादी का जोश था, संगठित होकर पुलिस के दमन का मुकाबला किया।

पाठ का सार 

सीताराम सेकसरिया की डायरी का यह अंश 26 जनवरी 1931 को कोलकाता में मनाए गए स्वतंत्रता दिवस के उत्साह और संघर्ष का चित्रण करता है। यह पाठ आज़ादी के आंदोलन में लोगों की भागीदारी, उनके जोश और अंग्रेज़ी शासन की सख्ती को दर्शाता है। लेखक ने उस दिन के अनुभवों को अपनी डायरी में दर्ज किया है, जिसमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस और अन्य कार्यकर्ताओं की भूमिका, विशेष रूप से महिलाओं की बहादुरी और पुलिस की बर्बरता का वर्णन किया गया है। यह पाठ स्वतंत्रता संग्राम की भावना और एकजुट समाज की ताकत को उजागर करता है।

पाठ का सार: डायरी का एक पन्ना | Hindi Class 1026 जनवरी 1931 को कोलकाता में स्वतंत्रता दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। लोगों ने पहले से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी, और प्रचार के लिए लगभग 2000 रुपये खर्च किए गए थे। शहर के प्रमुख बाज़ारों और अन्य हिस्सों में राष्ट्रीय झंडे फहराए गए, और मकानों को इस तरह सजाया गया जैसे वास्तव में आज़ादी मिल गई हो। लोगों में उत्साह और नई ऊर्जा देखने को मिली। दूसरी ओर, अंग्रेज़ी पुलिस ने कड़ी सख्ती बरती। पुलिस की गाड़ियाँ, घुड़सवार, और सैनिक हर जगह तैनात थे। पार्कों और मैदानों को सुबह से ही घेर लिया गया, ताकि लोग एकत्र न हो सकें।

फिर भी, लोग डरे नहीं। सुबह से ही कोलकाता के कई स्थानों पर झंडा फहराया गया। श्रद्धानंद पार्क में अविनाश बाबू ने झंडा फहराया, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और वहां मौजूद कुछ लोगों के साथ मारपीट भी की। तारा सुंदरी पार्क में भी इसी तरह की हिंसा हुई और कई लोग घायल हुए। गुजराती सेविका संघ की लड़कियों ने भी एक जुलूस निकाला, परंतु उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। मारवाड़ी बालिका विद्यालय की छात्राओं ने झंडोत्सव मनाया, जिसमें जानकीदेवी और मदालसा जैसी प्रसिद्ध कार्यकर्ताएँ शामिल थीं।

दोपहर होते-होते कई कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए, जिनमें पूर्णोदास और पुरुषोत्तम राय प्रमुख थे। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में एक विशाल जुलूस निकाला गया, जिसे चौरंगी पर रोकने की कोशिश की गई। भीड़ अधिक होने के कारण पुलिस उसे पूरी तरह से रोक नहीं पाई। मैदान के पास पहुँचते ही पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें सुभाष बाबू और कई अन्य घायल हो गए। घायल अवस्था में भी सुभाष बाबू "वंदे मातरम्" के नारे लगाते रहे और लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहे।

इस आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही। वे मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़कर झंडा फहरा रही थीं और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ रही थीं। पुलिस ने उन पर भी लाठियाँ चलाईं और 105 महिलाओं को गिरफ्तार कर लालबाजार लॉकअप में बंद कर दिया गया। हालांकि, उन्हें रात 9 बजे रिहा कर दिया गया। इस दिन लगभग 200 लोग घायल हुए, जिनमें से 160 को अस्पताल ले जाना पड़ा।

पाठ का सार: डायरी का एक पन्ना | Hindi Class 10

कुल मिलाकर, यह दिन कोलकाता के इतिहास में एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक दिन बन गया। इस दिन आम नागरिकों, विशेषकर महिलाओं की बहादुरी और देशभक्ति ने यह साबित कर दिया कि कोलकाता में स्वतंत्रता संग्राम की भावना कितनी प्रबल थी और एकजुट जनता किसी भी संघर्ष को पार कर सकती है।

पाठ से शिक्षा

यह पाठ हमें सिखाता है कि देश की आज़ादी के लिए लोगों ने कठिन संघर्ष और बड़े-बड़े बलिदान किए। स्त्री और पुरुष दोनों ने मिलकर स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी निभाई। उनके साहस, देशभक्ति और त्याग से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें भी अपने देश के प्रति ईमानदारी, एकता और समर्पण भाव से कार्य करना चाहिए। जब लोग एकजुट होते हैं, तो कोई भी बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

शब्दार्थ

  • पुनरावृत्ति: फिर से आना
  • गश्त: पुलिस कर्मचारी का पहरे के लिए घूमना
  • सार्जेंट: सेना में एक पद
  • मोनुमेंट: स्मारक
  • कौंसिल: परिषद
  • चौरंगी: कलकत्ता के एक शहर का नाम
  • वालेंटियर: स्वयंसेवक
  • संगीन: गंभीर
  • मदालसा: जानकी देवी और जमना लाल बजाज की पुत्री का नाम
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FAQs on पाठ का सार: डायरी का एक पन्ना - Hindi Class 10

1. What is the article about?
Ans. The article is about a page from a diary.
2. What is the importance of maintaining a diary?
Ans. Maintaining a diary is important as it helps in introspection, improves writing skills, helps in preserving memories, and provides a record of one's life events.
3. How can diaries be used for self-improvement?
Ans. One can use diaries for self-improvement by reflecting on their actions, identifying their weaknesses, and making a conscious effort to work on them. Regularly writing in a diary can also help in developing a positive mindset.
4. What are some benefits of writing regularly in a diary?
Ans. Regularly writing in a diary helps in improving writing skills, preserving memories, reducing stress, and gaining clarity about one's thoughts and emotions.
5. How can maintaining a diary be useful for students?
Ans. Maintaining a diary can be useful for students as it can help in improving their writing skills, tracking their progress, setting goals, and reflecting on their academic and personal growth.
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