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पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास एंव सौरमण्डल - भारतीय भूगोल | Revision Notes for UPSC Hindi PDF Download

पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास

  • आद्य कल्प (Eozoic or Archean Era) की चट्टानों में ग्रेनाइट तथा नीस की प्रधानता है एवं इनमें सोना तथा लोहा पाया जाता है। शैलों में जीवाश्मों का पूर्णतः अभाव है।
  • पुराजीवी महाकल्प (Palaeozoic Era) में सर्वप्रथम पृथ्वी पर वनस्पति तथा जीवों की उत्पत्ति हुई। जीव बिना रीढ़ की हड्डी वाले थे।
  • कैम्ब्रियन काल में प्रथम बार स्थल भागों पर समुद्रों का अतिक्रमण हुआ।
  • प्राचीनतम अवसादी शैलों (Sedimentary Rocks) का निर्माण कैम्ब्रियन काल में ही हुआ था।
  • समुद्रों में उत्पन्न होने वाली घासों के प्रथम अवशेष ऑर्डोवशियन काल की चट्टानों में पाये जाते है।
  • अप्लेशियन पर्वतमाला का निर्माण ऑर्डोवशियन काल में ही हुआ।
  • रीढ़ वाले जीवों का सर्वप्रथम आविर्भाव सिल्युरियन काल में हुआ तथा समुद्रों में मछलियों की उत्पत्ति हुई।
  • सिल्युरियन काल को ‘रीढ़ की हड्डी वाले जीवों का कल्प’ (Age of Vertibrates) के रूप में जाना जाता है।
  • डिवोनियन काल में पृथ्वी की जलवायु केवल समुद्री जीवों के ही अनुकूल थी अतः इसे ‘मत्स्य युग’ (Fish Age) के रूप में जाना जाता है।
  • उभयचर जीवों (Amphibians) का विकास कार्बोनिफेरस युग की एक प्रमुख घटना है।
  • ट्रियासिक काल को ‘रेंगने वाले जीवों का काल’ (Age of Raptiles) कहा जाता है।
  • गोंडवानालैंड भूखण्ड का विभाजन ट्रियासिक काल में ही हुआ जिससे आस्ट्रेलिया, दक्षिणी भारत, अफ्रीका तथा दक्षिणी अमेरिका के ठोस स्थल खण्ड बने।
  • जलचर, थलचर तथा नभचर तीनों प्रकार के जीवों का विकास जुरैसिक काल में हुआ माना जाता है।
  • नवजीवी महाकल्प (Cenozoic Era) के प्रारम्भ में जलवायविक परिवर्तन के कारण सम्पूर्ण जीवों का विनाश हो गया तथा लाखों वर्षों बाद पृथ्वी पर वनस्पतियों तथा जीवों का पुनः आविर्भाव हुआ।
  • हिमालय पर्वतमाला तथा दक्षिण के प्रायद्वीपीय भाग के बीच स्थित जलपूर्ण घाटी (द्रोणी) में अवसादों के जमाव से उत्तर भारत के विशाल मैदान की उत्पत्ति नवजीवी महाकल्प में ही हुई।
  • पृथ्वी पर उड़ने वाले पक्षियों का आगमन प्लीस्टोसीन काल में हुआ। मानव तथा अन्य स्तनधायी जीव इसी काल में विकसित हुए।
  • अभिनव काल में विश्व की वर्तमान दशा प्राप्त हुई जो अभी जारी है।

सौरमण्डल 

  • सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम: बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरूण, वरूण और यम।

पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास एंव सौरमण्डल - भारतीय भूगोल | Revision Notes for UPSC Hindiसौरमंडल के ग्रह

  • वरूण तथा यम की कक्षाओं के आकार में भिन्नता के कारण इस समय वरूण सौरमण्डल का दूरस्थ ग्रह है न कि यम।
  • आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम: बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल, यम और बुध।
  • पृथ्वी से दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम: शुक्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शनि, अरूण, वरूण और यम।
  • सौर मंडल में शनि ग्रह के सर्वाधिक अर्थात 21 उपग्रह है। उसके बाद बृहस्पति के 16, अरूण के 15, वरूण के 8, मंगल के 2, पृथ्वी का 1 और यम का 1 उपग्रह है।
  • सूर्य: सौरमंडल का जनक है। इसका व्यास 13,92,000 किलोमीटर है और पृथ्वी से 109 गुना बड़ा है। इसका भार 2 x 1027 टन है, और इसके तल का तापमान 6,0000 सेल्सियस है।
  • सूर्य से सभी ग्रहों को प्रकाश व ऊष्मा प्राप्त होती है। सूर्य का प्रकाश 14.96 करोड़ किमी. दूर स्थित पृथ्वी तक आने में लगभग 8 मिनट लगते है।

पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास एंव सौरमण्डलपृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास एंव सौरमण्डल


स्मरणीय तथ्य 

  • बुध, शुक्र, पृथ्वी तथा मंगल को सौरमंडल के ‘आंतरिक ग्रह’ की संज्ञा दी जाती है।
  • बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून तथा प्लेट की गणना ‘बाह्य ग्रहों’ में की जाती है।
  • मंगल तथा बृहस्पति ग्रहों के बीच चक्कर लगाने वाले अत्यन्त लघु आकार के आकाशीय पिण्ड क्षुद्रग्रह (Asteroids) कहे जाते है।
  • बुध या मर्करी सौरमण्डल का सबसे छोटा ग्रह है जबकि बृहस्पति (Jupiter) सबसे बड़ा ग्रह।
  • शुक्र को ‘सायं का तारा’ तथा ‘भोर का तारा’ भी कहा जाता है।
  • पृथ्वी के अतिरिक्त केवल मंगल ग्रह पर वायुमण्डल पाया जाता है।
  • शुक्र सौरमण्डल का सबसे चमकीला ग्रह है।
  • मंगल ग्रह ‘लाल ग्रह’ (Red Plant) के रूप में भी जाना जाता है।
  • शुक्र ग्रह पर 1 दिन पृथ्वी के 117 दिनों के बराबर होता है।
  • सूर्य की किरणों को पृथ्वी तक पहुँचने में 500 सेकेण्ड (8 मिनट 20 सेकेण्ड) का समय लगता है जबकि चन्द्रमा की परावर्तित प्रकाश किरणें मात्र 1.3 सेकेण्ड में पृथ्वी पर पहुँच जाती है।
  • वरनल इक्वीनाक्स अथवा बसन्त विषुव (Vernal Equinox)  21 मार्च को होता है।
  • क्लाउड बर्स्ट (Cloudburst) का तात्पर्य बादलों की गूंज के साथ असाधारण रूप से होने वाली भारी वर्षा से है।
  • ग्रेनेडा कैरीबियन सागर में स्थित है।
  • खूंजेरबा मार्ग पाक अधिकृत कश्मीर में है।
  • गरारी (Luceme) एक पत्तावाली फसल है।
  • मिट्टी का पलवार करना (Mulching) वह प्रक्रिया है जिसमें कचरा, गोबर आदि को खेतों में डाला जाता है जिससे अत्यधिक वाष्पन तथा मिट्टी के अपरदन को रोका जा सके।
  • सेण्टोग्रैफी (Centography) का तात्पर्य किसी घटक, जैसे जनसंख्या आदि के वितरण केन्द्रों के निर्धारण तथा उनके मानचित्रीय आलेखन से है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग टी. एन. पाॅल्सन द्वारा किया गया था।
  • अपेक्षाकृत कम आर्थिक विकास वाले पामीर के पठारी क्षेत्र को ‘एशिया का निष्प्राण क्षेत्र’ (Dead Heart of Asia) कहा जाता है।
  • नीदरलैण्ड, बेल्जियम तथा लक्जमबर्ग की गणना यूरोपीय निम्न देशों (Low Countries) में की जाती है।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा भू-आवेष्ठित (Land-Locked) देश है-मंगोलिया।
  • उत्तरी ध्रुव के परिध्रुवीय देश है-नार्वे, कनाडा तथा रूस।
  • जापान के चार द्वीप जो रूस के अधिकार में है-हाबोभाई, विकोटन, कुनाशिरी तथा इटोरुफू।
  • कनाडा की दो-तिहाई जनसंख्या दक्षिणी-पूर्वी भाग में निवास करती है।
  • आर्कटिक महासागर पनडुब्बियों (Sea Marines) के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार के जलयानों के लिए बन्द है।
  • सूर्य के काले धब्बों का तापमान लगभग 15000 सेल्सियस है, अर्थात् ये सूर्य के ठण्डे क्षेत्र है।
  • उपग्रह छोटा खगोलीय पिण्ड है जो अपने ग्रह का परिभ्रमण करता है।
  • चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। यह पृथ्वी से 3,84,365 किलोमीटर दूर है। इसका व्यास 3,476 किमी. है।
  • यह पृथ्वी की परिक्रमा 27 दिन, 43 मि. व 11.47 सेकेण्ड में और घूर्णन 27 दिन, 7 घण्टे, 43 मिनट व 11.47 सेकेण्ड में पूरा करता है।
  • चन्द्रमा पर दिन का तापमान 1000 से. व रात्रि का तापमान -1800 से. रहता है।
  • चन्द्रमा पर सर्वप्रथम पहुँचने वाला व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग था। चन्द्रमा पर सबसे ऊँचा स्थान लीवनिट्ज पर्वत है जो 35,000 फीट ऊँचा है।
  • धूमकेतु या पुच्छल तारे सौरमंडल के सबसे अधिक उत्केन्द्रता कक्षा वाले सदस्य है जो सूर्य के चतुर्दिक लम्बी किन्तु अनियमित कक्षा में घूमते है।
  • ये आकाशीय धूल, बर्फ और हिमानी गैसों से बने पिण्ड है और सूर्य से दूर ठण्डे अंधेरे क्षेत्र में रहते है।
  • इनमें संके जियोकोविनी-जीन्स, पेरिन-मार्कोस, ब्रुक्स II, फिनाले, बोली, फे, व्हीप्ले, क्रोमास, सोला, टट्ल I, न्यूजमीन I व हेली आदि प्रमुख पुच्छल तारे है। 1986 में हेली पुच्छल तारा देखा गया था।
  • पृथ्वी का भूमध्यरेखीय व्यास 12, 756 किमी. और ध्रुवीय व्यास 12,714 किलोमीटर है।
  • पृथ्वी की भूमध्य रेखीय परिधि 40,075 किमी और ध्रुवीय परिधि 40,000 किमी. है।
  • पृथ्वी का पृष्ठीय क्षेत्रफल 51,01,00,500 वर्ग किलोमीटर है।
  • पृथ्वी पर 29% (14,89,51,000 वर्ग किमी) क्षेत्र पर स्थल खण्ड व 71% (36,11,50,000 वर्ग किमी.) क्षेत्र पर जल मण्डल है।
  • पृथ्वी सूर्य के चतुर्दिक एक अण्डाकार मार्ग (94.14 मि.किमी.) पर 365 दिन, 5 घण्टे, 48 मिनट और 46 सेकेण्ड अर्थात् 3651/4 दिन में 1,07,160 किमी प्रति घण्टे की चाल से एक परिक्रमा करती है। इसे परिक्रमण (Revolution) कहते है। इस कारण पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन होता है।
  • पृथ्वी अपनी धुरी पर 23o  32' तथा अपने अक्ष पर 60o 30’ पर झुकी हुई है।
  • सूर्य 21 जून को उत्तरी अयनांत (कर्क रेखा) तथा 22 दिसम्बर को दक्षिणी अयनांत (मकर रेखा) पर पहुंचता है। इन अवधियों को उत्तरी  गोलार्द्ध में क्रमशः कर्क संक्रान्ति या ग्रीष्म अयनांत (Summer Solstice) तथा मकर संक्रांति या शीत अयनांत (Winter Solstice) कहते है।

स्मरणीय तथ्य

  • देश का सबसे बड़ा कंक्रीट बाँध आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी पर बना नागार्जुन सागर बाँध है। इसकी मैसनरी का आयतन 5.6 मिलियन घन मीटर है।
  • विश्व की सबसे बड़ी ब्रिज पश्चिम बंगाल में गंगा नदी पर बनी फरक्का बैराज है। इसकी लम्बाई 2,245 मी. है।
  • भारतीय गैस प्राधिकरण (Gas Authority of India) की स्थापना सन् 1984 में की गई।
  • दामोदर घाटी निगम की स्थापना सन् 1948 के संसदीय अधिनियम के तहत की गयी।
  • उत्तर भारत में गर्मियों में चलने वाली शुष्क हवा ‘लू’ (Loo) का तापमान 45से 500 सें. ग्रे. के बीच  होता है।
  • लैटेराइट मिट्टी इलायची की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है।
  • विश्व में सर्वप्रथम कपास की संकर जाति उत्पादन करने का श्रेय भारत को है।
  • काली मिट्टी में नाइट्रोजन सबसे न्यून मात्रा में पाया जाता है।
  • ताइवान में विश्व प्रसिद्ध ‘उलंग’ अथवा ‘बैग’ (Ullang) किस्म की चाय का उत्पादन किया जाता है।
  • तम्बाकू की कृषि मिट्टी से पोटाश की मात्रा को अवशोषित करके उसको समाप्त कर देती है।
  • प्यूमा (Puma) दक्षिण अमेरिका में मिलने वाली शेर की एक प्रजाति है।
  • भारत में सहकारिता आन्दोलन का प्रारम्भ 1904 में हुआ था।
  • भारत में तम्बाकू सर्वप्रथम 1508 में पुर्तगालियों द्वारा लायी गयी थी।
  • ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में ज्वालामुखी का सर्वथा अभाव पाया जाता है।
  • डेल्टा क्षेत्रों में उच्च भागों में मिलने वाली पुरानी जलोढ़ मिट्टी को ‘राढ़ (Rahr) कहा जाता है।
  • गुजरात में नई जलोढ़ मिट्टी को ‘माटा’ (Matta) तथा पुरानी मिट्टी को ‘गोरडू’ (Gordu)  कहते हैं।
  • सवाना घास भूमि के मध्य देखने के लिए बनाये गये ऊँचे-ऊँचे स्थानों को केन्या कहा जाता है।
  • कुली झीलों का निर्माण ज्वालामुखी प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप होता है।
  • व्यापारिक पवन (Trade Winds)नियमित पवनें हैं।
  • सूर्य की ज्वारोत्पादक शक्ति चन्द्रमा की शक्ति की तुलना में मात्र 4/9 भाग ही है।
  • दिशाओं का निर्धारण उत्तर दिशा के परिप्रेक्ष्य में किया जाता है।
  • पृथ्वी के इतिहास को विभिन्न युगों में बाँटने का सर्वप्रथम प्रयास कास्ते डि बपफन द्वारा किया गया था।
  • ‘डेल्टा’ का नामकरणकर्ता हेरोडोटस को माना जाता है।
  • इन्सेलबर्ग का दूसरा नाम बोर्नहार्ट भी है।
  • उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों को आधारभूत सन्दर्भ बिन्दु माना जाता है।
  • ग्रीनविच मीन टाइम  (G. M.T.) के सही आकलन के लिए प्रयोग किया जाने वाला यंत्र क्रोनोमीटर है।
  • पृथ्वी की परिक्रमण गति के दौरान 4 जुलाई को पृथ्वी अपनी कक्षा में सूर्य से अधिकतम दूरी (15.2 करोड़ किमी) और 3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य से निकटतम दूरी (14.73 करोड़ किमी) पर होती है। इन्हें क्रमशः सूर्योच्च (Aphelion) व उपसौर (Perihelion) कहते है।
  • जब पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के मध्य आ जाती है तो पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है फलस्वरूप चन्द्रमा धूमिल हो जाता है। इसे चन्द्र ग्रहण (Lunar Eclipse) कहते है।
    चन्द्रग्रहण का सरलीकृत चित्रण

    चन्द्रग्रहण का सरलीकृत चित्रण

  • जब चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के मध्य आ जाता है तो चन्द्रमा के कारण सूर्य पूरी तरह स्पष्ट दिखाई नहीं देता। इसे सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) कहते है।

पूर्ण सूर्य ग्रहण की ज्यामितिपूर्ण सूर्य ग्रहण की ज्यामिति

  • भूपृष्ठ पर विषुवत रेखा (Equator) के उत्तर या दक्षिण में एक याम्योत्तर किसी भी बिन्दु की कोणीय दूरी जो पृथ्वी के केन्द्र से नापी जाती है और अंशों, मिनटों व सेकेण्डों में व्यक्त की जाती है, अक्षांश (Latitude) कहलाती है।
  • किसी स्थान की कोणीय दूरी, जो प्रधान याम्योत्तर (0° या ग्रीनविच) के पूर्व व पश्चिम में होती है, देशान्तर (Longitude) कहलाती है।
  • 1° अक्षांश की दूरी लगभग 111 किलोमीटर व 1° देशांतर की दूरी लगभग 111.32 किलोमीटर होती है।
  • पृथ्वी के मानचित्रा पर 180° याम्योत्तर के लगभग साथ-साथ स्थल खण्डों को छोड़ते हुए खींची जाने वाली काल्पनिक रेखा को अन्तर्राष्ट्रीय तिथि (International Date Line) रेखा कहते है।
  • पृथ्वी पर किसी स्थान विशेष का सूर्य की स्थिति से परिकलित समय स्थानीय समय (Local Time) कहलाता है।
  • किसी देश के मध्य से गुजरने वाली याम्योत्तर का माध्य प्रामाणिक समय (Standard Time) होता है।
  • भारत का प्रामाणिक समय 821/2o देशान्तर (इलाहाबाद के पास का देशान्तर) के समय को माना जाता है।

स्मरणीय तथ्य

  • सर्वप्रथम ‘पारितंत्र’ (Ecosystem) शब्द का प्रयोग टेन्सले ने 1935 में किया था।
  • देश की सर्वाधिक लम्बी तट रेखा गुजरात राज्य की है। आन्ध्र- प्रदेश का तटरेखा की लम्बाई की दृष्टि से दूसरा स्थान है।
  • भारत के सर्वाधिक पूर्वी भाग में स्थित राज्य अरुणाचल प्रदेश है।
  • भारत के झारखण्ड राज्य (विशेषकर हजारीबाग जिला) में टिन पायी जाती है।
  • पंजाब तथा हरियाणा राज्यों में मृदा अपक्षरण का सबसे प्रमुख कारण लवणता एवं जलाक्रान्ति (Waterlogging) है।
  • भारत की गायें बहुत ही कम मात्रा में दूध देने के कारण ‘टी कप गाय’ (Tea cup Cow) कहलाती है।
  • भारत में एगमार्क का अधिकृत प्रमाण पत्र ‘बाजार एवं निरीक्षण निदेशालय, भारत सरकार’ (डायरेक्टोरेट ऑफ मार्केटिंग एण्ड इंस्पेक्शन) द्वारा प्रदान किया जाता है।
  • देश में हीरा की सर्वाधिक प्राप्ति मध्यप्रदेश से होती है जबकि मुम्बई देश की सबसे बड़ी हीरे की मण्डी है जहाँ हीरे की कटाई की जाती है।
  • अभ्रक का 80%  निर्यात कलकत्ता बंदरगाह से किया जाता है।
  • नर्मदा नदी को ‘गुजरात की जीवन-रेखा’ कहा जाता है।
  • भारत के प्रमुख नगरों के विदेशी वास्तु योजनाकार (आर्किटेक्ट) है-लुटिएंस (नई दिल्ली), कोनिसबर्गर (भुवनेश्वर), कार्बूशियर (चण्डीगढ़) तथा जाॅब चार्नाक (कलकत्ता)।
  • पश्चिमी यूरोप तुल्य जलवायु की सबसे अद्भुत विशेषता यह है कि यहाँ कम वार्षिक वर्षा अधिक दिनों में प्राप्त होती है। जैसे पेरिस में 188 दिनों में 22.6 इंच, लन्दन में 164 दिनों में 24.5 इंच तथा शटलैण्ड द्वीप में 260 दिनों में 36.7 इंच।
  • चीन तुल्य जलवायु को ‘मानसून से मिलती-जुलती या उप-मानसूनी जलवायु’ कहा जाता है।
  • कारखाना की चिमनियों को ‘मानव ज्वालामुखी’ (Human Volcanoes) भी कहा जाता है।
  • रेगिस्तानी भागों में पर्वतों से घिरी बेसिन को बाॅलसन (Bolson) के नाम से जाना जाता है।
  • पवन निक्षेपित लोयस (Loess) का नामकरण फ्रांस के अलसस प्रान्त के लोयस नामक ग्राम के आधार पर किया गया है क्योंकि यहाँ इसी प्रकार के निक्षेप पाये जाते है।
  • दण्डकारण्य परियोजना से सम्बंधित राज्य है-मध्यप्रदेश, उड़ीसा तथा आन्ध्रप्रदेश।
    अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा फिजी द्वीप को नहीं काटती जिससे न्यूजीलैण्ड तथा फिजी में दिन की समानता व्यवस्थित रहे।
  • देश का सबसे बड़ा पृष्ठ प्रदेश वाला बंदरगाह कलकत्ता है।
  • उत्तरी ध्रुव की खोज सन् 1909 में सं. रा. अमेरिका के राबर्ट पियरी द्वारा की गयी थी।
  • दक्षिण ध्रुव के खोजकर्ता नार्वे के रोआल्ट अमण्डसेन (1911) थे।
  • भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व उड़ीसा में स्थित नागार्जुन सागर है। इसका कुल क्षेत्रफल 3,500 वर्ग कि. मी. है।
  • चन्द्रमा की उत्पत्ति क्रिटेशियस काल में मानी जाती है।
  • ग्रेड डेकन रोड मिर्जापुर एवं बेंगलोर के बीच बनायी गयी है।
  • कसौली, हिमाचल प्रदेश का पर्वतीय सैरगाह (हिल स्टेशन) है।
  • सिक्किम में फूलों की सर्वाधिक किस्म पायी जाती है।
  • भारत का सबसे बड़ा कृषि फार्म राजस्थान के सूरतगढ़ में है। यह पूर्णतः मशीनीकृत फार्म है।
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FAQs on पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास एंव सौरमण्डल - भारतीय भूगोल - Revision Notes for UPSC Hindi

1. पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास क्या है?
उत्तर: पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास का अर्थ है कि पृथ्वी की अंतरिक्ष में स्थिति, उसके भूगर्भिक घटनाओं का अध्ययन। इसमें पृथ्वी की उत्पत्ति, इतिहास, भूगर्भिक संरचना, भूकम्प, ज्वालामुखी प्रक्रिया, और अन्य भूगर्भिक घटनाएं शामिल होती हैं।
2. पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें भूकम्प, ज्वालामुखी प्रक्रिया, धातुओं के उत्पादन, भूमि की संरचना और उसकी बदलती प्रकृति के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इससे हमें भूकंपों के आगमन को समझने और उनकी पूर्व-सूचनाओं को पहचानने में मदद मिलती है।
3. पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास के प्रमुख घटक क्या हैं?
उत्तर: पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं: - भूमि के भौतिक संरचना, जिसमें भू-परत, मंडलीय घनत्व, भौतिक गुणधर्म, और अन्य घटक शामिल होते हैं। - भूमि के भौतिक प्रकृति और उसके बदलते आकार की पहचान। - भूकम्प और ज्वालामुखी प्रक्रिया का अध्ययन। - भूमि के अंदर की तटस्थ मंडलीय पदार्थों का अध्ययन। - पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास के आधार पर भूकंपों की पूर्व-सूचनाओं की पहचान।
4. पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास के आधार पर भूकंपों का प्रबंधन कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास के आधार पर भूकंपों का प्रबंधन निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है: - भूकंपों की पूर्व-सूचना को पहचानने के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी उपकरणों का उपयोग करें। - भूकंपों के आगमन की समय, स्थान, और अधिकतम संभावित मात्रा को आंकलन करें। - जनता को भूकंप संबंधी सुरक्षा नियमों के बारे में जागरूक करें। - भूकंप प्रबंधन के लिए अच्छी योजनाएं बनाएं और उनका पालन करें। - भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में अवस्था का मूल्यांकन करें और उन्हें तात्कालिक सहायता प्रदान करें।
5. पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास के आधार पर उपयोगी जानकारी क्या हो सकती है?
उत्तर: पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास के आधार पर निम्नलिखित उपयोगी जानकारी हो सकती है: - भूकंप के आगमन की पूर्व-सूचनाएं, जिससे भूकंपों के आगमन को पहचानना संभव होता है। - भूकंपों में उच्च जोर के पहलुओं की जानकारी, जो ज्यादातर क्षेत्रों में अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। - ज्वालामुखी प्रक्रिया के बारे में जानक
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