प्रमुख स्थानों के उपनाम
स्वर्ण मन्दिर का शहर अमृतसर
पाँच नदियों की भूमि पंजाब
ब्लू माउण्टेंस नीलगिरि की पहाड़ियाँ
बंगाल का शोक दामोदर नदी
भारत का प्रवेश द्वार मुम्बई
भारत का बगीचा बंगलोर
महलों का शहर कलकत्ता
अरब सागर की रानी कोचीन
गुलाबी शहर जयपुर
भारत का मसालों का बगीचा केरल
भारत का स्विटजरलैण्ड कश्मीर
जुड़वाँ नगर हैदराबाद - सिकन्दराबाद
झीलों का नगर श्रीनगर
मन्दिरों एवं घाटी का नगर वाराणसी
नवाबों का नगर लखनऊ
उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था
का मेरुदण्ड गंगा नदी
बिहार का शोक कोसी नदी
पूर्व का स्काॅटलैण्ड मेघालय
भारत का हाॅलीवुड मुम्बई
इस्पात नगरी जमशेदपुर
छोटानागपुर की रानी नेतरहाट (बिहार)
उत्तर प्रदेश का जावा गोरखपुर
पर्वतों की रानी मसूरी
समुद्र - पुत्रा लक्षद्वीप
दक्षिण का कश्मीर केरल
भारत का मैनेचेस्टर अहमदाबाद
भारत का पेरिस जयपुर
भारत का पिट्सबर्ग जमशेदपुर
पुलों की नगरी श्रीनगर
ईश्वर का निवास स्थान इलाहाबाद
उत्तर भारत का मैनचेस्टर कानपुर
प्रसारित नगर चेन्नई (मद्रास)
राष्ट्रीय राजमार्गों का चैराहा कानपुर
भारत का दिल दिल्ली
दक्षिण गंगा गोदावरी नदी
दक्षिण की रानी पुणे
त्यौहारोंüका नगर मदुरै
कर्नाटक का रत्न मैसूर
फलोंüकी डलिया हिमाचल प्रदेश
धान की डलिया छत्तीसगढ़
बगीचोंüका शहर कपूरथला
राजस्थान का कश्मीर उदयपुर
राजस्थान का गौरव चित्तौड़गढ़
पूर्व का पेरिस जयपुर
राजस्थान की थर्मोपली हल्दीघाटी
पहाड़ों की नगरी डूंगरपुर
राजस्थान का प्रवेशद्वार भरतपुर
राजस्थान का हृदय अजमेर
झीलों का नगर (राजस्थान) अजमेर
राजस्थान का शिमला माउण्ट आबू
मध्य प्रदेश का मुम्बई इन्दौर
मध्य प्रदेश का पर्यटकों का स्वर्ग पंचमढ़ी
भारत का मिनी स्विटजरलैण्ड खाज्जिायार
(चम्बा जिला हिमाचल प्रदेश)
भारत की प्रमुख जनजातियाॅँ |
भूकम्प
भूकम्प की माप
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स्मरणीय तथ्य 1939 - देश में पहली बार मुंबई में राशनिंग लागू की गई। |
भारत के प्रमुख स्थापत्य
1. हुमायूं का मकबरा, दिल्ली - यह मकबरा भारतीय शिल्प की सर्वाधिक नियोजित अष्टकोणीय इमारतों में से एक है। ताजमहल के निर्माण में इस इमारत का प्रभाव है।
2. जामा मस्जिद, दिल्ली - इस मस्जिद का निर्माण शाहजहां के शासनकाल में हुआ। 20,000 से अधिक लोग यहां एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं।
3. जंतर मंतर, दिल्ली - यह सबसे प्राचीन वेधशाला है। इसका निर्माण जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने सन् 1725 ई. में करवाया था।
4. बहाई मंदिर, दिल्ली - कमल की आकृति में निर्मित यह पूजागृह इक्कीसवीं सदी का ताज कहलाता है। 1986 में इसका निर्माण पूरा हुआ। प्रतिदिन लगभग 10,000 दर्शक यहाँ आते हैं।
5. इंडिया गेट, दिल्ली - यह प्रथम विश्व युद्ध में 90,000 से अधिक शहीद भारतीय सिपाहियों की याद में निर्मित है। 13,516 सिपाहियों के नाम इस पर खुदे हुए हैं। 42 मीटर ऊंचा स्मारक चारों ओर से पत्थर से घिरा है जहां अनजान शहीदों की स्मृति में अमरज्योति जल रही है।
6. कुतुबमीनार, दिल्ली - इसका निर्माण दास वंश के कुतुबुद्दीन ऐबक ने विजय स्तम्भ के रूप में करवाया था। इसकी ऊंचाई 72,5 मीटर है। लाल पत्थर की पांच - मंजिली यह मीनार कुरान की आयतों से अलंकृत है। इसके निकट ही चंदगुप्त द्वितीय द्वारा निर्मित लौह - स्तम्भ है जिस पर पिछले 1500 वर्षों से कोई जंग नहीं लगा है।
7. राष्ट्रपति भवन, दिल्ली - यह भारत के राष्ट्रपति का सरकारी आवास है। 330 एकड़ में फैला यह शानदार भवन पहले वायसराय का महल था। समीप ही मुगल गार्डेन है। इस इमारत में 340 कमरे, 37 सैलून, 74 लाबी, एक किमी. लंबे गलियारे, 18 सीढ़ियां तथा 37 झरनें हैं।
8. मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर, मदुरई (तमिलनाडु) - यह दक्षिण भारत में सर्वाधिक सुंदर अलंकृत मंदिर है।
9. यहूदी सिनोगोग, कोच्चि (केरल) - 1556 में निर्मित, इस सिनोगोन में ओल्ड टेस्टामेंट के ग्रेट सक्राॅल, तांबे की प्लेटें तथा हाथ से पेंट की गयी कीमती चीनी ताड़ले हैं।
10. लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर (उड़ीसा) - 11वीं शताब्दी के इस मंदिर की ऊंचाई 36.5 मीटर है।
11. बड़ा इमामबाड़ा, लखनऊ - एशिया का सबसे बड़ा हाल जिसमें लोहा, लकड़ी या पत्थर किसी भी संधि का सहारा नहीं है।
12. बुलंद दरवाज़ा, फतेहपुर सीकरी (उ.प्र.) - 53ण्5 मीटर की ऊंचाई का भारत का यह सबसे ऊंचा दरवाजा है। इसकी निर्माण अकबर द्वारा गुजरात में खानदेश की विजय के उपलक्ष्य में कराया गया था।
13. ताजमहल, आगरा (उ.प्र.) - दुनिया के आश्चर्यों में से एक, सफेद संगमरमर से निर्मित यह मकबरा शाहजहां द्वारा अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया गया था। इसका निर्माणावधि 1630 ई. से 1648 ई. तक रही। संगमरमर में ताजमहल एक ख्वाब है।
14. स्वर्ण मंदिर, अमृतसर (पंजाब) - सिक्ख तीर्थस्थलों में सर्वाधिक पवित्रा। बाहर के भाग का कुछ हिस्सा सोने के वर्क से जड़ा हुआ है। मध्य के सरोवर में हरिमंदिर अपनी शोभा बढ़ाता है। सिक्खों की पवित्रा पुस्तक गुरुग्रंथ साहिब अंदर प्रतिष्ठित है। इसका निर्माण 1577 ई. में हुआ था।
15. गेटवे आफ इंडिया, मुम्बई - ब्रिटिश सम्राट जार्ज पंचम तथा महारानी मेरी के 1911 में भारत आने पर बनाया गया विजय - स्मारक। अंग्रेजों की सेना की आखिरी टुकड़ी इस द्वार से बाहर गयी थी।
16. कैलाश मंदिर, एलोरा (महाराष्ट्र) - यह भारत में चट्टानों को काट कर बनाया गया सबसे बड़ा मंदिर है। इसका क्षेत्राफल 84 मी × 74 मी है। 760 ई में इसका निर्माण हुआ।
17. गोल गुंबज, बीजापुर (कर्नाटक) (17 वीं शताब्दी) - इसका गुम्बद विश्व में दूसरा सबसे बड़ा है। इसे फुसफुसाता गलियारा भी कहा जाता है क्योंकि दूर से प्रतिध्वनियां सुनायी पड़ती हैं।
18. हवा महल (जयपुर) - यह गुलाबी शहर का कीर्तिस्तम्भ है। इस पांच मंजिला महल में 953 खिड़कियां हैं। यह अंतःपुर की रानियों हेतु विशेष रूप से निर्मित था।
19. सांची स्तूप, सांची (मध्य प्रदेश) - गौतम बुद्ध के स्मृति - शेष यहां सुरक्षित है। यह 120 फीट के व्यास में फैला हुआ है।
20. जगन्नाथ मंदिर, पुरी (उड़ीसा) - 12वीं शताब्दी में भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर निर्मित हुआ। जून में रथ - यात्रा यहां का मुख्य पर्व है।
21. सूर्य मंदिर, कोणार्क (उड़ीसा) - यह भगवान सूर्य के रथ के रूप में निर्मित मंदिर है। इसका निर्माण राजा नरसिंहदेव वर्मन प्रथम द्वारा तेरहवीं शताब्दी में हुआ।
22. विक्टोरिया मेमोरियल, कलकत्ता - साम्राज्ञी विक्टोरिया की स्मृति में बनाया गया संगमरमर का स्मारक।
23. खजुराहो मंदिर (मध्य प्रदेश) (11वीं शताब्दी) - 22 मंदिर (इनमें 8 मूलतः चंदेल शासकों द्वारा निर्मित)। मर्यादापूर्ण रूप - रेखा और कामोद्दीपक मूर्तियों के लिये प्रसिद्ध।
24. सेंट कैथड्रल, गोवा - एशिया का सबसे बड़ा चर्च। 1652 में निर्माण पूरा हुआ। सेंट कैथरीन को समर्पित कैथड्रल में घंटे हैं जिनमें एक विश्व में सर्वोत्तम प्र्रसिद्ध स्वर्ण घंटा है।
25. शत्राुंजय पहाड़ी के मंदिर, पालिताना (गुजरात) - पहाड़ी पर लगभग 1000 शानदार जैन मंदिर जिनका निर्माण 900 वर्षों में हुआ। जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थल।
26. बैसिलिका आॅफ बाम जीसस, गोवा (17वीं शताब्दी) - इस चर्च में सेंट फ्रान्सिस जेवियर के अवशेष सुरक्षित हैं। गोवा के चर्चों में सर्वाधिक सम्पन्न।
27. सोमनाथ मंदिर, गुजरात - ऐसा विश्वास लोगों में फैला है कि यह मंदिर चंद्र भगवान द्वारा बनाया गया । मंदिर की अकूत सम्पदा के लालच में महमूद गजनवी ने यहां सात बार आक्रमण किये। अलाउद्दीन खिलजी और औरंगजेब द्वारा भी यहां विध्वंस किया गया, किंतु हर एक बाद इस मंदिर का पुनर्निमाण हुआ और यह शान से सिर उठाये आज भी खड़ा है।
स्मरणीय तथ्य 1853 - मुम्बई से थाणे तक पहली रेलगाड़ी चलाई गई। (अपै्रल) |
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