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प्रवर्तन एजेंसियां - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

पुलिस

प्रवर्तन एजेंसियां - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindiपुलिस बल कानून और व्यवस्था 

  • देश में पुलिस बल को कानून और व्यवस्था बनाए रखने, अपराधों का पता लगाने और उनकी रोकथाम करने का दायित्व सौंपा गया है। चूंकि संविधान के अनुसार कानून, व्यवस्था और पुलिस राज्य के विषय हैं, अतः भारत में पुलिस की व्यवस्था बनाए रखना और इस पर नियंत्राण रखना राज्यों का कार्य है।
  • राज्य में पुलिस बल का प्रधान महानिदेशक पुलिस/महानिरीक्षक पुलिस होता है। राज्यों को क्षेत्राीय भागों में बांटा गया है, जिन्हें ‘रेंज’ कहते हैं। प्रत्येक रेंज एक उप-महानिरीक्षक के प्रशासनिक नियंत्राण में होती है। एक रेंज में कई जिले होते हैं। जिला पुलिस के कई उप-विभाग होते हैं, जैसे पुलिस खंड, पुलिस सर्कल और थाने। सिविल पुलिस के अलावा राज्यों की अपनी सशस्त्रा पुलिस भी होती है और अपनी सूचना शाखाएं और अपराध शाखाएं आदि होती हैं। दिल्ली, कलकत्ता, मुंबई, मद्रास, बंगलोर, हैदराबाद, अहमदाबाद और नागपुर जैसे महानगरों में पुलिस व्यवस्था सीधे पुलिस आयुक्त के अधीन है। पुलिस आयुक्त को मजिस्ट्रेट की कुछ शक्तियां भी प्राप्त हैं।
  • विभिन्न राज्यों के पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा (आई.पी.एस) से आते हैं, जिनका चयन अखिल भारतीय आधार पर किया जाता है। पुलिस-उप-अधीक्षक से लेकर नीचे पुलिस सिपाही तक के पदों पर नियुक्ति, पदोन्नति और केडर पर नियंत्राण स्वयं राज्य सरकारें करती हैं।
  • केंद्रीय सरकार के अनेक सशस्त्रा बल हैं, जो भारत संघ के अन्य शस्त्रा बलों के समान हैं। केंद्रीय गुप्तचर ब्यूरो, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी. बी. आई.) के अतिरिक्त केंद्रीय सरकार की कई ऐसी संस्थाएं हैं, जहां पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। ये संस्थाएं अपराधों की वैज्ञानिक और तकनीकी तरीके से खोज और जांच में मदद करती हैं।

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस

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भारत-तिब्बत सीमा पुलिस

  • अक्टूबर 1962 में उत्तरी सीमा पर चीनी हमले के बाद हिमालय के बंजर, बीहड़ और दुर्गम क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए एक ऐसे समन्वित छापामार-बनाम-गुप्तचर-बनाम लड़ाकू बल की आवश्यकता महसूस की गई, जो परम्परागत पुलिस बलों से अलग तरह का हो। यह आवश्यकता पूरी करने के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आई. टी. बी. पी.) बल की स्थापना शुरू में चार बटालियनों के साथ की गई।
  • इस बल को उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने, सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में सुरक्षा की भावना बढ़ाने और अन्य सुरक्षा बलों के साथ समन्वय रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय अपराधों, तस्करी एवं भारतीय सीमा में अवैध घुसपैठ या पारगमन रोकने के दायित्व सौंपे गए हैं। इनके अतिरिक्त इस बल को आतंकवाद से त्रास्त राज्यों में बैंकों की सुरक्षा और अन्य संवेदनशील दायित्व भी सौंपे गए हैं।
  • भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल को मुख्य रूप से उत्तरी सीमा के दूर-दराज के क्षेत्रों में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में, समुद्र तल से 9,000 से 19,000 फुट तक ऊंचाई पर, सेना की रक्षा-पंक्ति के आगे तैनात किया जाता है। इसके अलावा आई.टी.बी.पी. को पंजाब में बैंकों की सुरक्षा तथा जम्मू-कश्मीर और पंजाब में आतंकवाद विरोधी अन्य कार्रवाइयों में भी लगाया गया है।
  • बल का मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसका अध्यक्ष महानिदेशक होता है। आई. टी. बी. पी. की इस समय 25 सर्विस बटालियनें और 4 विशेष बटालियनें हैं तथा बल के सदस्यों की कुल संख्या 28,321 है।

सीमा सुरक्षा बल

प्रवर्तन एजेंसियां - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindiसीमा सुरक्षा बल

  • भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा की चैकसी का काम सीमा सुरक्षा बल (बी. एस. एफ.) को सौंपा गया है, जो एक केंद्रीय बल है। बल की वर्तमान में कुल 156 बटालियनें हैं और यह कुल 6,622 किलोमीटर लम्बी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओें की चैकसी कर रहा है, इनमें विषम पर्वतीय भू-भाग, बीहड़ रेगिस्तान, तटवर्ती और दलदली क्षेत्रा शामिल हैं।
  • सीमा सुरक्षा बल को सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में सुरक्षा की भावना बढ़ाने और सीमा पर अपराध जैसे तस्करी, अनाधिकृत आवागमन और अन्य अवैध गतिविधियां रोकने का काम सौंपा गया है। पश्चिमी सेक्टर में उग्रवादियों की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए पंजाब में लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कंटीले तार लगा दिए गए हैं और कांटेदार तारों तथा विद्युतीकरण के जरिए सीमाओं पर सुरक्षा मजबूत करने के प्रयास जारी है।
  • सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए असैनिक प्रशासन की सहायता करने में इसकी भूमिका को देखते हुए सीमा सुरक्षा बल को कश्मीर घाटी में आतंकवाद/उग्रवाद तथा पूर्वी सेक्टर में विघटनकारी गतिविधियों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए तैनात किया गया है। मृत्यु तक सेवा इसका आदर्श वाक्य है।

असम राइफल्स

प्रवर्तन एजेंसियां - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindiअसम राइफल्स

  • पूर्वोत्तर में भारत-म्यांमार सीमा और भारत-चीन सीमा की सुरक्षा असम राइफल्स द्वारा की जाती है। इसकी स्थापना 1835 में लूट-मार करने वाले जनजातीय लोगों से ब्रिटिश बस्तियों और चाय बागानों की सुरक्षा के लिए, कैशल लेवी के रूप में की गई थी। 1883 में इस बल का नाम कैशर लेवी से बदल कर फ्रंटियर पुलिस रखा गया। 1891 में इसे असम मिलिट्री पुलिस कहा गया और 1913 में ईस्ट बंगाल एंड असम मिलिट्री पुलिस तथा 1917 में असम राइफल्स नाम दिया गया।
  • असम राइफल्स केंद्रीय सशस्त्रा बल है, जिसकी 31 बटालियनें हैं। इसका स्टाफ काडरकर्मियों और सेना से प्रतिनियुक्ति पर आए सदस्यों को मिलाकर बना है। यह बल मुख्य रूप से सीमावर्ती क्षेत्रा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है किन्तु, इसे उपद्रवी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए तैनात किया जाता है। यह बल आवश्यकता पड़ने पर कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने तथा आंतरिक सुरक्षा कार्यों में नागरिक प्रशासन की मदद भी करता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स

प्रवर्तन एजेंसियां - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindiराष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स 

  • देश में आतंकवाद की चुनौती का सामना करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गॉर्डस  की स्थापना की गई है। इसका इस्तेमाल आतंकवादियों, अपहरणकर्ताओं, तोड़फोड़ करने वालों से निबटने एवं अपहरण-विरोधी कार्रवाइयों, बंधकों को मुक्त कराने, महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा आदि कार्यों में किया जाता है। यह उच्च प्रशिक्षण प्राप्त एवं उत्प्रेरित बल है, जो आतंकवादी गतिविधियों के साथ बड़े कारगर ढंग से निबटता है।
  • यह राज्य पुलिस बलों के कमांडों को भी प्रशिक्षण देता है, ताकि वे आतंकवाद के खतरों का सामना करने के लिए अपनी क्षमता को आधुनिक बना सकें और बम का पता लगाने एवं उसे निष्क्रिय करने की कार्रवाइयां चला सकें। इस बल से यह अपेक्षा की जाती है कि वह व्यावसायिक सक्षमता के ऊंचे मानदंड स्थापित करे और उन्हें बनाए रखे। इस विशिष्ट (एलीट) बल ने अपने आदर्श वाक्य ‘एक सबके लिए, सभी एक के लिए’ के अनुरूप काम किया है।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल

प्रवर्तन एजेंसियां - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindiकेंद्रीय रिजर्व पुलिस बल 

  • केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी. आर. पी. एफ.) को शुरू में ‘क्राउन रिप्रिजेन्टेटिव्स पुलिस’ कहा जाता था। इसकी स्थापना 27 जुलाई, 1939 को क्राउन रिप्रिजेन्टेटिव्स पुलिस फोर्स कानून के तहत की गई थी।
  • ‘क्राउन रिप्रिजेन्टेटिव्य पुलिस’ का नया नाम- केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल दिया गया और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल अधिनियम, 1949 के तहत उसे संघ के सशस्त्रा बल के रूप में रखा गया। सी. आर. पी. एफ. ने समर्पण प्रतिबद्धता और व्यावसायिक कार्य-कौशल का परिचय दिया।
  • वर्तमान में, सी. आर. पी. एफ. को देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह बल कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में राज्यों के पुलिस बलों की सहायता करता है। इस समय सी. आर. पी. एफ. की प्रमुख वचनबद्धता पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर के साथ है।

सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी

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सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी 

  • सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी देश का प्रमुख पुलिस प्रशिक्षण संस्थान है, जो भारतीय पुलिस सेवा (आई. पी. एस.) अधिकारियों को बुनियादी और सेवाकालीन, दोनों ही तरह का प्रशिक्षण प्रदान करती है। इसकी स्थापना 1948 में राजस्थान में माउंट आबू में हुई थी और बाद में 1975 में इसे हैदराबाद ले जाया गया। 
  • अकादमी द्वारा आयोजित किए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों में परिवीक्षाधीन आई.पी.एस. अधिकारियों के लिए बुनियादी पाठ्यक्रम, भारतीय पुलिस सेवा के कनिष्ठ, मध्यम और वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों के लिए तीन सेवाकालीन प्रबन्ध (मैनेजमेंट) पाठ्यक्रम, प्रशिक्षकों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, अल्पावधि के विशेष पाठ्यक्रम, सेमिनार और कार्यशालाएं शामिल हैं।
  • अकादमी पुलिस संबंधी विषयों में अध्ययन एवं अनुसंधान को भी बढ़ावा दे रही है। अकादमी से प्रशिक्षण पाने वाले अधिकारी सभी राज्यों और केंद्रीय पुलिस संगठनों में नेतृत्व संभाले हुए हैं। और उनमें अनेक ऐसे हैं, जिन्होंने देश को विशिष्ट सेवाएं प्रदान की हैं।

नागरिक सुरक्षा

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नागरिक सुरक्षा विभाग 

  • नागरिक सुरक्षा का उद्देश्य शत्रुतापूर्ण आक्रमण की स्थिति में जन-जीवन की रक्षा करना, औद्योगिक उत्पादन बनाए रखना और ऐसी व्यवस्था करना है, जिसमें संपत्ति को होने वाले नुकसान को रोका जा सके। नागरिक सुरक्षा कार्य मूलतः स्वैच्छिक आधार पर संचालित किया जाता है, फिर भी इसमें कुछ स्थायी कर्मचारियों का एक संगठन होता है, जिसे आपातकाल में बढ़ाया जा सकता है। किसी अवश्यंभावी शत्राुतापूर्ण आक्रामण की चेतावनी के शीघ्र संचार की आवश्यकता पूरी करने के लिए टेलीफोन लाइनों और रेडियो/वायरलैस, कस्बों में स्थापित की गई है।
  • शांति के समय नागरिक सुरक्षा उपायों के प्रशिक्षण और प्रदर्शन के अलावा राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों द्वारा नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को, स्वैच्छिक आधार पर विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों में भी लगाया जाता है। इनमें बाढ़, भूकम्प, तूफान और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत और बचाव कार्यों में प्रशासन की सहायता शामिल है।
  • वर्तमान में नागारिक सुरक्षा स्वयंसेवी गतिविधियां 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुने हुए 110 कस्बों तक सीमित हैं। नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों का वर्तमान लक्ष्य संख्या 6ण्76 लाख है, जिसमें से 3.76 लाख भर्ती किए जा चुके हैं और 3.30 लाख को प्रशिक्षण दिया गया है।
  • देश में नागरिक सुरक्षा प्रशिक्षण तीन स्तरों पर दिया जाता है, ये हैं- स्थानीय/कस्बा स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर। राष्ट्रीय नागारिक सुरक्षा महाविद्यालय, नागपुर, केंद्रीय गृह मंत्रालय का अधीनस्थ प्रशिक्षण संस्थान है, जो नागरिक सुरक्षा और आपदा राहत प्रबंध में विभिन्न पाठ्यक्रमों का संचालन करता है।

होम गार्ड्स

प्रवर्तन एजेंसियां - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindiहोम गार्ड्स 

  • गृह रक्षक दल एक स्वयंसेवी बल है। इसका गठन दिसम्बर 1946 में सांप्रदायिक दंगों और नागरिक अशांति पर काबू पाने में पुलिस की सहायता करने के लिए किया गया था। इसके बाद अनेक राज्यों ने नागरिकों के स्वयंसेवी संगठनों की अवधारणा को लागू किया।
  • 1962 में चीनी हमले के बाद केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलग-अलग स्वयंसेवी संगठनों को एक ही स्वयंसेवी दल में मिला देने की सलाह दी। फलस्वरूप गृह रक्षक दल अपने वर्तमान स्वरूप में पहुंचा।
  • गृह रक्षक दल के कार्यों मेें कानून एवं व्यवस्था तथा आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने में पुलिस सहायक के रूप में काम करना, किसी भी प्रकार की संकटकालीन स्थिति- जैसे हवाई हमले, आगजनी, तूफान, भूकम्प, बाढ़, महामारी आदि के समय लोगों की मदद करना, साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाने तथा निचले तबके के लोगों की रक्षा करने में प्रशासन को मदद देना, सामाजिक-आर्थिक और जन-कल्याण संबंधी गतिविधियों में हिस्सा लेना, और नागारिक सुरक्षा दायित्वों को पूरा करना शामिल है। गृह रक्षक दल दो तरह के होते हैं- ग्रामीण और शहरी।
  • सीमावर्ती प्रदेशों में गृह रक्षक दल की सीमा-विंग के रूप में बटालियन बनाई गई है, जो सुरक्षा बलों के सहायक के रूप में काम करती हैं। देश में गृह रक्षक दल की अधिकृत संख्या 5,73,793 है, किन्तु अभी तक यह 4,18,493 तक ही पहुंच पाई है। केरल और अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस संगठन का प्रसार हो चुका है।
  • राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में गृह रक्षक दल अधिनियम के अंतर्गत होम गार्डों की भर्ती की जाती है। गृह रक्षक दल में समाज के विभिन्न प्रतिनिधि समूहों से भर्ती की जाती है जैसे- डाक्टर, इंजीनियर, वकील, अध्यापक, व्यवसायी, सरकारी कर्मचारी, सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रा में कार्यरत कर्मचारी, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे विद्यार्थी, कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रा के श्रमिक आदि जो समाज-सुधार के लिए अपना खाली समय संगठन को दे सकते हैं। 
  • 18-50 वर्ष की आयु वर्ग में आने वाला प्रत्येक नागरिक गृह रक्षक दल का सदस्य बन सकता है। प्रत्येक सदस्य की कार्य अवधि सामान्यतः तीन से पांच वर्ष की होती है। इसके सदस्यों को कई प्रकार की सुख-सुविधाएं दी जाती हैं, जिनमें वर्दी तथा धुलाई भत्ता, प्रशिक्षण के दौरान मुफ्त आवासीय सुविधाएं, साहसपूर्ण तथा गौरवशाली कार्य करने पर नगद पुरस्कार तथा पदक दिए जाते हैं।
  • गृह रक्षक को कार्य या प्रशिक्षण के लिए बुलाए जाने पर नियत दर के अनुसार कार्य या प्रशिक्षण भत्ता दिया जाता है। संगठन में गृह रक्षक के रूप में तीन साल तक कार्य पूरा करने वाले और बुनियादी तथा अद्यतन पाठ्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षित लोगों को केंद्र सरकार की वर्ग ‘ग’ तथा ‘घ’सेवाओं और राज्य सरकारों की अधिकतर सेवाओं में नियुक्ति के लिए प्राथमिकता दी जाती है। कानून एवं व्यवस्था कायम रखने, अपराधों की रोकथाम, डाकूओं के खिलाफ अभियान, सीमा चैकसी, बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्य, मद्यनिषेध, अग्निशमन, चुनावों की देख-रेख और समाज कल्याण जैसे कार्यकलापों में पुलिस का हाथ बंटाने के लिए गृह रक्षक दल का उपयोग बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय संकट-कालीन स्थिति में नागरिक सुरक्षा का भार भी गृह रक्षक दल को सौंपा जाता है।
  • गृह रक्षक दल की भूमिका व लक्ष्य से संबधित नीति निर्माण करने, इनके प्रतिष्ठानों का आर्थिक भार वहन करने और अन्य मुख्य विषयों से संबंधित नीति निर्धारण गृह मंत्रालय करता है। राज्य सरकारों द्वारा गृह रक्षक बल पर किए गए व्यय, जो कि केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित स्तर के अनुरूप होते हैं, को केंद्र व राज्य सरकारें आधा-आधा बांट लेती हैं।

अग्निशमन सेवाएँ

प्रवर्तन एजेंसियां - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindiअग्निशमन सेवाएं

  • अग्निशमन राज्यों का विषय है और अग्निशमन सेवाएं राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा संचालित की जाती हैं। गृह मंत्रालय अग्नि सुरक्षा, आग बुझाने और अग्निशमन संबंधी कानून के बारे में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों को तकनीकी सलाह देता है। राज्यों में अग्निशमन सेवाओं को आधुनिक बनाने के लिए गृह मंत्रालय उन्हें वित्त मंत्रालय के बीमा प्रभाग के माध्यम से सामान्य बीमा निगम के ऋण उपलब्ध कराता है।
  • नागपुर स्थित राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा काॅलेज भारत में अग्निशमन सेवा अधिकारियों के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित करता है और यह दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी तरह का एकमात्रा काॅलेज है, जो विदेशों के अग्निशमन अधिकारियों को प्रशिक्षण देता है।
  • हर वर्ष 14 अप्रैल से अग्निशमन सप्ताह मनाया जाता है। यह उन अग्निशमन सेवकों की याद में मनाया जाता है, जो अपने कार्य के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए। गृह मंत्रालय इस उद्देश्य के लिए पोस्टर और स्लाइड तैयार कराने एवं उनके वितरण पर हर साल दो लाख रुपये से अधिक धन खर्च करता है।

अपराध विज्ञान तथा न्यायशास्त्रा संबंधी राष्ट्रीय संस्थान

  • अपराध विज्ञान तथा न्यायशास्त्रा संबंधी राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना 1971 में इन क्षेत्रों में अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्य शुरू करने के उद्देश्य से की गई। यह संस्थान आपराधिक न्याय प्रणाली के कार्यकर्ताओं के लिए समन्वित सेवाकालीन प्रशिक्षण आयोजित करता है।
  • देश भर के सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्रा के उपक्रमों एवं पड़ोसी देशों से आए अधिकारियों के लिए इस संस्थान में अल्पावधि एवं दीर्घावधि के अभिविन्यासात्मक/ परस्पर अंतक्र्रियात्मक/ व्यावसायिक पाठ्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। अपराध विज्ञान और न्यायशास्त्रा संकायों में वर्ष भर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। यह संस्थान केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और अन्य विभागों, विश्वविद्यालयों, बैंकों और नशीले पदार्थों के नियत्रांण ब्यूरो को भी परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराता है।

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल

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केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल

  • रांची और दुर्गापुर स्थित केंद्रीय सरकार के औद्योगिक प्रतिष्ठानों में अव्यवस्था और आगजनी के मामलों पर न्यायमूर्ति बी. मुखर्जी की रिपोर्ट की स्वीकृति के पश्चात् केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की स्थापना 1968 में की गई। लगभग 3,000 कार्मिकों के साथ आरंभ हुए इस बल में अब 88,600 से भी अधिक सुरक्षाकर्मी हैं।
  • इस बल पर केंद्रीय सरकार के औद्योगिक परिसरों में काम करने वाले कारीगरों और वहां की सम्पत्ति को सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी है।
  • यह बल 1968 के केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल अधिनियम और 1969 के केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल नियमों के अधीन तैयार की गई नियमावलियों द्वारा संचालित होता है।
  • इस समय यह बल सार्वजनिक क्षेत्रा के 221 उपक्रमों में कार्य कर रहा है। इनके अलावा नौ अन्य उपक्रमों में भी इसे तैनात करने की योजना है। सरकार ने एक नई रिजर्व बटालियन गठित करने की मंजूरी दी है। यह इस बल की सातवीं बटालियन होगी और अस्थाई रूप से गाजियाबाद में तैनात की जाएगी।

कारागार

प्रवर्तन एजेंसियां - भारतीय राजव्यवस्था | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindiकारागार

  • भारतीय संविधान के अंतर्गत कारागार राज्यों का विषय है। कारागारों का प्रशासन और प्रबंध तथा कैदियों के भरण-पोषण और देख-रेख का कार्य राज्यों द्वारा अंगीकृत कारागार अधिनियम, 1984 बंदी अधिनियम 1900 और बंदी (स्थानांतरण) अधिनियम, 1950 द्वारा होता है। कारागारों का प्रशासन उन अधिनियमों के अधीन बनाए गए कानूनों और संबद्ध राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपनी-अपनी कारागार निर्देशिका में समाविष्ट नियमों के अनुसार किया जाता है।
  • कारागार कई प्रकार के हैं- केंद्रीय कारागार, जिला स्तरीय कारागार, उप-कारागार, खुले कारागार, युवा अपराधियों के लिए संस्थान तथा महिला कारागार। राज्यों में जेलों के प्रशासनिक व्यवस्था का प्रधान कारागार महानिदेशक/महानिरीक्षक होता है।
  • 25 जुलाई, 1980 को न्यायाधीश ए. एन. मुल्ला की अध्यक्षता में गठित कारागार सुधार संबंधी अखिल भारतीय समिति ने मार्च 1983 में अपनी रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कारागार प्रशासन के विभिन्न पहलुओं पर अनेक सिफारिशें की गईं।
  • कारागार प्रशासन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे- सुरक्षा और अनुशासन, पुराने कारागारों की मरम्मत व उनका नवीनीकरण, कारागारों में प्रशासनिक प्रबंधों को मजबूत करना, कैदियों को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना आदि को कारागार प्रशासन आधुनिकीकरण योजना (1987-92) में शामिल किया गया था। संशोधनात्मक प्रशासन संस्थान की स्थापना एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में चंडीगढ़ में की गई है।
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FAQs on प्रवर्तन एजेंसियां - भारतीय राजव्यवस्था - भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

1. प्रवर्तन एजेंसियां क्या हैं?
उत्तर: प्रवर्तन एजेंसियां एक सरकारी संस्था होती हैं जो निर्दिष्ट कार्यों और कानूनों के पालन के लिए जिम्मेदार होती हैं। इन एजेंसियों के अधीन विभिन्न कानूनों और नियमों का पालन किया जाता है और वे संघ, राज्य या स्थानीय सरकारों द्वारा नियुक्त की जाती हैं।
2. भारतीय राजव्यवस्था में UPSC का क्या महत्व है?
उत्तर: UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) भारतीय राजव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण संघीय संगठन है। यह संघ लोक सेवा परीक्षा (Civil Services Examination) का आयोजन करता है जिसके माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय विदेश सेवा (IFS) और अन्य कई संघीय सेवाओं के लिए नये कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है।
3. UPSC परीक्षा कैसे तैयारी की जाए?
उत्तर: UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स हैं: - परीक्षा का पैटर्न और सिलेबस समझें और उसके अनुसार अध्ययन करें। - एक अच्छी तैयारी के लिए नियमित रूप से अध्ययन करें और समय सारणी बनाएं। - प्रश्न पत्रों के पिछले वर्षों के प्रश्नों को हल करें। - एकांत में पढ़ने की अभ्यास करें ताकि आपकी ध्यान संगठित रहे। - मॉक टेस्ट सीरीज द्वारा अपनी परीक्षा की तैयारी को मजबूत करें।
4. UPSC परीक्षा के लिए योग्यता मानदंड क्या हैं?
उत्तर: UPSC परीक्षा के लिए योग्यता मानदंड निम्नलिखित हैं: - नागरिकता: उम्मीदवार को भारतीय नागरिक होना चाहिए। - आयु सीमा: उम्मीदवारों की आयु सीमा के संबंध में सरकारी निर्धारित मानदंडों का पालन करना चाहिए। - शिक्षा: उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्था से स्नातक डिग्री के साथ सम्बंधित विषय में ग्रेजुएशन प्राप्त की होनी चाहिए। - विशेष योग्यता: कुछ पदों के लिए विशेष योग्यता की आवश्यकता हो सकती है, जो संघ लोक सेवा आयोग द्वारा निर्धारित की जाती है।
5. UPSC परीक्षा की तिथि और परीक्षा केंद्र कैसे जानें?
उत्तर: UPSC परीक्षा की तिथि और परीक्षा केंद्र संघ लोक सेवा आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होती हैं। आप आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर नवीनतम सूचना देख सकते हैं और परीक्षा की तिथि और परीक्षा केंद्र के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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