बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य
त्रिरत्न (तीन रत्न) अर्थात बौद्ध धर्म के तीन यहूदी हैं
पाली ग्रंथ
त्रिपिटक में तीन टिप्पणियों का उल्लेख है, ये क्षेत्र हैं:
1. विनय पिटक: इसमें भिक्षु जीवन व संघ संबंधी नियमों, दैनिक आचार-विचार व विधि-निषेधों का संग्रह है,
इसके निम्न भाग हैं:
(क) पातिमोक्ख (प्रति मोक्ष): इसमें अनुशासन संबन्धी विधानों तथा उनके उल्लंघन पर किए जाने वाले प्रायश्चितों का संकलन हैं।
(ख) सुत्त विभंग
(ग) खंधक
(घ) परिवार: यह प्रश्नोत्तर क्रम में हैं। यह विनय पिटक का अंतिम भाग है।
2. सुत्त पिटक
यह पिटक पाँच निकायों में विभाजित हैं, जो इस प्रकार है:
(क) दीघनिकाय
(ख) मज्झिम निकाय: इसमें मध्यम आकार के 125 सुत्त है। इस निकाय में महात्मा बुद्ध को कहीं साधारण मनुष्य के रूप में, तो कहीं अलौकिक शक्ति वाले दैव रूप में वर्णित किया गया है।
(ग) संयुक्त निकाय: इसमें 56 सुत्त है।
(घ) अंगुत्तर निकाय: इस निकाय में छठी शताब्दी ई.पू. के 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।
(ड.) खुद्दक निकाय
3. अभिधम्म पिटक
1. पहली परिषद
2. दूसरी परिषद
3. तीसरी परिषद
4. चौथा परिषद
5. पांचवा परिषद
6. छठी परिषद
बौद्ध धर्म के तीन संप्रदाय हैं हीनयान, महायान और वज्रयान
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